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USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है

USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है

EUR / USD मुद्रा जोड़ी को USD / EUR के रूप में क्यों नहीं उद्धृत किया जाता है?

EUR / यूएसडी मुद्रा जोड़ी यूरो बनाम अमेरिकी डॉलर का प्रतिनिधित्व करती है और यह अन्य लोगों की तुलना में अलग है क्योंकि डॉलर का मूल्य या बोली मुद्रा है। अमेरिकी डॉलर से जुड़े अन्य मुद्रा जोड़े में आम तौर पर अंश या आधार मुद्रा के रूप में डॉलर शामिल होता है । नतीजतन, जब डॉलर यूरो के मुकाबले मजबूत होता है, तो EUR / USD कम चलता है, और डॉलर की कमजोरी (बनाम यूरो) की अवधि के दौरान, जोड़ी मूल्य में बढ़ जाती है।

मुद्रा जोड़े को समझना

एक मुद्रा जोड़ी में, पहली मुद्रा को आधार मुद्रा कहा जाता है, और दूसरी मुद्रा को मुद्रा कहा जाता है । मुद्रा जोड़े को भी दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। एक में प्रत्यक्ष उद्धरण, विदेशी मुद्रा, आधार मुद्रा है, जबकि स्थानीय मुद्रा उद्धरण मुद्रा है। एक अप्रत्यक्ष उद्धरण बस विपरीत है: घरेलू मुद्रा आधार मुद्रा है, और विदेशी मुद्रा उद्धरण मुद्रा है।

चाबी छीन लेना

  • EUR / USD यूरो बनाम डॉलर मुद्रा जोड़ी है।
  • एक मुद्रा जोड़ी एक अंश है जिसमें एक अंश और एक भाजक शामिल होता है, जिसे आधार मुद्रा और उद्धरण मुद्रा भी कहा जाता है।
  • जबकि अधिकांश मुद्रा जोड़े जो डॉलर का उद्धरण करते हैं डॉलर को अंश या आधार मुद्रा के रूप में सूचीबद्ध करते हैं, EUR / USD में पहले यूरो है और इसका कारण ज्यादातर सम्मेलन के कारण है।
  • यूरो को 1999 में एक लेखांकन मुद्रा के रूप में पेश किया गया था और अमेरिकी डॉलर के पीछे दूसरी सबसे सक्रिय मुद्रा है।
  • अपने अपरंपरागत प्रारूप के बावजूद, EUR / USD दुनिया में सबसे सक्रिय रूप से कारोबार की गई मुद्रा जोड़ी है।

जिस तरह से मुद्रा जोड़े उद्धृत किए जाते हैं, वह उस देश के आधार पर भिन्न हो सकता है जिसमें व्यापारी रहता है- अधिकांश देश प्रत्यक्ष उद्धरण का उपयोग करते हैं, जबकि यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा अप्रत्यक्ष उद्धरण पसंद करते हैं । अमेरिकी डॉलर का उपयोग करने वाले अधिकांश जोड़े प्रत्यक्ष उद्धरण हैं।

हालांकि, एक अमेरिकी व्यापारी के लिए, एक EUR / USD उद्धरण एक अप्रत्यक्ष है। इसलिए, उदाहरण के लिए, 0.80 EUR / USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है USD की बोली का मतलब है कि 1 EUR की कीमत आपको $ 0.80 होगी। यदि जोड़ी 1.00 की सराहना करती है, तो यूरो मूल्य में वृद्धि हुई है क्योंकि यूरो खरीदने के लिए अब $ 1 खर्च होता है। दूसरी ओर, अगर जोड़ी को उद्धृत किया जाता है ।75, डॉलर में मजबूती देखी जा रही है क्योंकि यूरो खरीदने के लिए अब $ 0.75 USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है की लागत आती है।

यूरो बनाम डॉलर

हालांकि यहां तक कि दुनिया भर में किए गए मुद्रा ट्रेडों के लगभग 89% अमेरिकी डॉलर और जोड़े के बहुमत डॉलर पहले सूची को शामिल यूरो / अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी हमेशा परोक्ष रूप से उद्धृत किया गया है। इसका कारण ज्यादातर सम्मेलन है। एक EUR / USD उद्धरण को सरल गणना करके आसानी से USD / EUR के रूप में दिखाया जा सकता है, लेकिन ऐसे कोई सख्त नियम नहीं हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि एक मुद्रा जोड़ी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिखाया गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार में 56.3 करोड़ डॉलर की उछाल, ऑलटाईम हाई के करीब पहुंचा

विदेशी मुद्रा भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 14 मई 2021 को समाप्त सप्ताह में एफसीए (FCA) में बढ़त की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार ( . अधिक पढ़ें

  • पीटीआई
  • Last Updated : May 21, 2021, 21:30 IST

नई दिल्ली. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) गत 14 मई को समाप्त सप्ताह USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है में 56.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 590.028 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह ऑलटाईम हाई के करीब पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (Reserve Bank of India) के शुक्रवार को जारी आंकड़े ये बताते हैं.

इससे पहले 7 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.444 अरब डॉलर बढ़कर 589.465 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार इससे पहले 29 जनवरी 2021 को 590.185 अरब डॉलर की ऑलटाईम हाई पर पहुंच गया था.

एफसीए के बढ़ने की वजह विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त
इसमें कहा गया है कि 14 मई 2021 को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में होने वाली वृद्धि मुख्य तौर पर विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) बढ़ने से हुई है. यह विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख हिस्सा है. रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां सप्ताह के दौरान 37.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 546.87 अरब डॉलर USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है पर पहुंच गई.

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां डालर में व्यक्त की जाती हैं. इसमें डालर के अलावा यूरो, पाउंड और येन में होने वाली घटबढ़ भी शामिल है. यह सकल विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा है.

देश के स्वर्ण भंडार में भी आई तेजी
समीक्षाधीन सप्‍ताह के दौरान देश का सोने का आरक्षित भंडार 17.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.654 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इसी प्रकार आईएमएफ (IMF) में विशेष निकासी अधिकार (SDR) 20 लाख डॉलर बढ़कर 1.506 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं, आईएमएफ के पास देश के आरक्षित भंडार की स्थिति 1 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.999 अरब डॉलर पर पहुंच गई.

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हर रोज बन रहा है गिरने का रिकॉर्ड, कहां तक गिरेगा रुपया और क्या होगा असर?

रुपये ने सबसे पहले इस साल जुलाई महीने में पहली बार 80 के स्तर से नीचे को छुआ था. हालांकि तब कारोबार के दौरान रिजर्व बैंक के दखल के बाद रुपया वापसी करने में सफल रहा था. इसके बाद अगस्त में ऐसा पहली बार हुआ था, जब रुपया 80 के स्तर से नीचे बंद हुआ था. आज के कारोबार में रुपये ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है.

रुपये ने बनाया गिरने का रिकॉर्ड (Photo: Reuters)

सुभाष कुमार सुमन

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 23 सितंबर 2022, 11:07 AM IST)

अमेरिका में ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. इस सप्ताह अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की. दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने से दुनिया भर की करेंसीज डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजरों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इस कारण भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' समेत तमाम अन्य करेंसीज के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की बात करें तो इसकी वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. रुपया लगातार एक के बाद एक नए निचले स्तर (Rupee All Time Low) पर पहुंचता जा रहा है. आज शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में ही रुपये ने USD मुद्रा जोड़ी क्यों नहीं है गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया और नए सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया.

पहली बार 81 के भी पार हुआ रुपया

रुपये ने सबसे पहले इस साल जुलाई महीने में पहली बार 80 के स्तर से नीचे को छुआ था. हालांकि तब कारोबार के दौरान रिजर्व बैंक के दखल के बाद रुपया वापसी करने में सफल रहा था. इसके बाद अगस्त में ऐसा पहली बार हुआ था, जब रुपया 80 के स्तर से नीचे बंद हुआ था. आज के कारोबार में रुपये ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है. आज शुरुआती कारोबार में रुपया 39 पैसे गिरकर डॉलर के मुकाबले 81.18 पर आ गया. इससे पहले गुरुवार को भी रुपये ने नया ऑल टाइम लो बनाया था. जिस रफ्तार से रुपये में गिरावट आ रही है, कई इकोनॉमिस्ट मान रहे हैं कि यह डॉलर के मुकाबले 82 के स्तर को भी जल्दी ही पार कर सकता है.

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इस तरह गिरी रुपये की वैल्यू

आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक रुपया 7 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. रुपये की वैल्यू अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कम होती गई है. अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है. करीब दो दशक बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो की वैल्यू कम हुई है, जबकि यूरो (Euro) लगातार अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहता आया है. भारतीय रुपये की बात करें तो दिसंबर 2014 से अब तक यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.

इन कारणों से बढ़ रहा डॉलर का भाव

दरअसल बदलते हालात ने पूरी दुनिया के ऊपर मंदी का जोखिम खड़ा कर दिया है. अमेरिका में महंगाई (US Inflation) 41 सालों के उच्च स्तर पर है. इसे काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. हालांकि इसके बाद भी महंगाई काबू में नहीं आ रही है. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का फायदा अमेरिकी डॉलर को मिल रहा है. अमेरिका आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में आ चुका है और ब्रिटेन समेत कई अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं गिरने के मुहाने पर हैं. मंदी (Recession) के डर से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के तौर पर डॉलर खरीद रहे हैं. इस परिघटना ने अमेरिकी डॉलर को अप्रत्याशित तरीके से मजबूत किया है. इसी कारण कई दशक बाद पहली बार अमेरिकी डॉलर की वैल्यू यूरो (Euro) से भी ज्यादा हो गई है, जबकि यूरो अमेरिकी डॉलर से महंगी करेंसी हुआ करती थी. अभी अमेरिकी डॉलर करीब दो दशक के सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच चुका है.

कमजोर रुपये का आप पर क्या असर?

किसी भी देश की करेंसी के कमजोर होने के कई इफेक्ट होते हैं. इसे उदाहरणों से समझते हैं कि कमजोर होते रुपये से आपके ऊपर क्या असर होने वाला है? अगर आपका कोई बच्चा किसी अन्य देश में पढ़ाई कर रहा है और आप उसे भारत से पैसे भेज रहे हैं, ऐसी स्थिति में आपको नुकसान होने वाला है. चूंकि अमेरिकी डॉलर को ग्लोबल करेंसी का दर्जा प्राप्त है और यह लगातार मजबूत हो रहा है, ऐसे में आप जो रुपये में भेजेंगे, वह डॉलर में कंवर्ट होने पर कम वैल्यू का रह जाएगा. इस कारण आपको अब पहले की तुलना में अधिक रुपये भेजने होंगे. वहीं अगर आपका कोई परिजन या रिश्तेदार किसी अन्य देश से आपको पैसे भेजता है, तो आपको फायदा होने वाला है. भेजी गई वही पुरानी रकम में अब आपको अब ज्यादा रुपये मिलेंगे. अगर आप कारोबार करते हैं तो असर इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका बिजनेस इम्पोर्ट बेस्ड है या एक्सपोर्ट बेस्ड. एक्सपोर्ट करने वालों को कमजोर रुपये से फायदा होने वाला है, जबकि इम्पोर्ट करने वालों को अब पुरानी मात्रा में ही माल मंगाने के लिए ज्यादा रुपये भरने होंगे.

11 अक्टूबर से डॉलर-रुपया फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट शुरू करेगा NSE, जानें क्या होगा सौदे का आकार

इसमें सौदे का आकार 1,000 डॉलर का होगा और एक्सचेंज के मुद्रा डेरिवेटिव खंड में कारोबार के लिये उपलब्ध होगा. इससे पहले, एनएसई ने 3 दिसंबर, 2018 को डॉलर-रुपया मुद्रा जोड़े का साप्ताहिक विकल्प कारोबार शुरू किया था.

11 अक्टूबर से डॉलर-रुपया फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट शुरू करेगा NSE, जानें क्या होगा सौदे का आकार

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Oct 05, 2021 | 7:54 AM

प्रमुख शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपया (USD-Rupee) करेंसी जोड़े में 11 अक्टूबर से साप्ताहिक वायदा अनुबंध (Weekly Futures Contracts) शुरू करेगा. कारोबार के लिये 11 साप्ताहिक वायदा अनुबंध उपलब्ध होगा. इसमें जहां मासिक अनुबंध शुक्रवार को समाप्त होगा वह ‘एक्सपायरी’ सप्ताह शामिल नहीं होगा. एनएसई के मुताबिक, इसमें सौदे का आकार 1,000 डॉलर का होगा और एक्सचेंज के मुद्रा डेरिवेटिव खंड में कारोबार के लिये उपलब्ध होगा.

इससे पहले, एनएसई ने तीन दिसंबर, 2018 को डॉलर-रुपया मुद्रा जोड़े का साप्ताहिक विकल्प कारोबार शुरू किया था. कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी के दिन दोपहर 12:30 बजे समाप्त होंगे. विज्ञप्ति में कहा गया है कि तब से USD-INR डेरिवेटिव्स (वायदा और विकल्प) में रोजाना औसत टर्नओवर FY19 में 17,011 करोड़ रुपये से 12 फीसदी बढ़कर FY22 में 19,007 करोड़ रुपये (29 सितंबर, 2021 तक) हो गया है.

वीकली डेरिवेटिव ने बाजार सहभागियों को सरकारी नीतियों, इकोनॉमिक डेटा रिलीज, सरकारी रिपोर्ट या किसी खास समय में होने वाली बाजार की घटनाओं से उपजी विभिन्न अल्पकालिक बाजार आंदोलनों के लिए अपने जोखिम का प्रबंधन करने के लिए एक कम लागत वाला लेनदेन उपकरण प्रदान किया है.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का छोटा कार्यकाल भी समय से संबंधित प्रीमियम को सीमित करने में मदद करता है, जिससे बाजार सहभागियों को उनके पोर्टफोलियो के लिए अपेक्षाकृत कम लागत के लिए अल्पकालिक सुरक्षा प्रदान की जाती है.

निवेशकों को मिलेगा हेजिंग टूल

एनएसई के एमडी और सीईओ विक्रम लिमये ने कहा, USD-INR करेंसी जोड़ी पर वीकली वायदा की शुरुआत मौजूदा मंथली कॉन्ट्रैक्ट का पूरक होगा और बाजार सहभागियों को उनके एक्सपोजर और व्यापार अल्पकालिक बाजार आंदोलनों का प्रबंधन करने के लिए एक लचीला और सटीक हेजिंग टूल प्रदान करेगा.

पिछले हफ्ते पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एनएसई की ‘को-लोकेशन’ सुविधा के संदर्भ में नियमों के उल्लंघन को लेकर मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया. ‘को-लोकेशन’ सुविधा के तहत सदस्यों को शुल्क देकर एनएसई परिसर में अपना सर्वर लगाने की अनुमति मिलती है.

ब्रोकर एनएसई के ई-मेल के बावजूद 2013 और 2014 में (सात अप्रैल, 2014 तक) वायदा एवं विकल्प खंड में कुल 317 कारोबारी दिवस में 256 दिन या 81 प्रतिशत सेकेंडरी सर्वर कनेक्शन से जुड़ा.

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