भारत में इक्विटी में व्यापार कैसे करें

निवेश विश्लेषण के प्रकार

निवेश विश्लेषण के प्रकार

वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis

वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis

वित्तीय विश्लेषण के दो प्रमुख तरीके हैं -

(1) क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal Analysis) – जब कई वर्षों के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण किया जाता है तो यह क्षैतिज विश्लेषण कहलाता है। इसमें प्रत्येक मद के वर्ष प्रति वर्ष के परिवर्तनों को दिखलाया जाता है। चूंकि यह विश्लेषण किसी एक वर्ष अथवा किसी एक लेखा - अवधि के समको पर आधारित न होकर कई वर्षों या अवधियों के समकों पर आधारित होता है, इसलिये इसे प्रावैकिंग विश्लेषण (Dynamic Analysis) भी कहते हैं। वित्तीय विवरण विश्लेषण की अनुपात विधि, कोष-प्रवाह विश्लेषण विधि, प्रवृत्ति विश्लेषण, तुलनात्मक विवरण आदि तकनीकें क्षैतिज विश्लेषण के ही उदाहरण हैं।

(2) लम्बवत् विश्लेषण (Vertical Analysis) – यह किसी एक निवेश विश्लेषण के प्रकार तिथि के अथवा किसी एक लेखा - अवधि के विभिन्न मदों के आपसी संख्यात्मक सम्बन्ध का अध्ययन है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की औसत विश्लेषण तकनीक ऐसे ही विश्लेषण का उदाहरण है।

इसमें एक तिथि अथवा एक अवधि के विवरण के योग को 100 माना जाता है तथा उस विवरण की प्रत्येक पद का उसके योग से प्रतिशत सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। यह सम्बन्ध अनुपात विश्लेषण विधि से भी स्थापित किया जा सकता है। लम्बवत् विश्लेषण को स्थैतिक विश्लेषण (Static Analysis) भी कहते है।

यद्यपि विश्लेषण के लिये उपरोक्त दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है, प्रत्येक विधि एक विशिष्ट प्रकार की निवेश विश्लेषण के प्रकार सूचना प्रदान करती है किन्तु इनमें से पहली विधि अधिक अच्छी है, क्योंकि लम्बवत् विश्लेषण के आधार व प्रयोग किये गये मद किसी में भी परिवर्तन आ जाने पर पूर्व निकाले गये प्रतिशत में परिवर्तन आ सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें भूतकाल के सन्दर्भ में स्थिति का विवेचन नहीं किया जा सकता है। कई वर्षों के लगातार अध्ययन के पश्चात् ही आगणित समंक तुल्य हो सकते हैं। क्षैतिज विश्लेषण इन दोनों दोषों से मुक्त है। अतः यह विश्लेषण के लिये अधिक उपयुक्त है।

निवेश विश्लेषण के प्रकार

जब कोई निवेश की पहल करता है तो वह इससे जुड़े जोखिम का भी विश्लेषण करता है। लेकिन जोखिम के मुकाबले प्रतिफल की तुलना करना लोग अक्सर भूल जाते हैं। अगर कोई निवेशक तुलना करता है तो भविष्य में प्रतिफल और निवेश से संबंधित फैसले कर पाने में सफल होता है। जोखिम-प्रतिफल की संकल्पना सभी प्रकार के निवेश के लिए समान होती है। लेकिन कई ऐसे निवेशक हैं जो यह नहीं समझ पाते कि अपने पोर्टफोलियो में जोखिम-प्रतिफल की संकल्पना को किस तरह लागू करें।

अगर आप भी उन निवेशकों की श्रेणी में शामिल हैं तो निम्रलिखित बातों पर ध्यान दें। निवेश पर आपको अपेक्षित प्रतिफल नहीं मिलने की भी आशंका होती है। निवेश करने पर आप जो जोखिम उठाते हैं उससे प्रतिफल की भी उम्मीद जरूर करते हैं। आम तौर पर आप जितना अधिक जोखिम लेते हैं उसी हिसाब से आपको प्रतिफल भी मिलना चाहिए। इसी तरह, अगर जोखिम कम है तो प्रतिफल भी उसी हिसाब से कम रहना चाहिए।

जोखिम लेने की क्षमता का करें विश्लेषण
हरेक व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता अलग-अलग होती है। ऐसा कोई मॉडल नहीं है जो इस मामले में सभी पर लागू होता है। आप कितना जोखिम ले सकते हैं इसका निवेश विश्लेषण के प्रकार निर्धारण दो तरह से किया जा सकता है:

समय सीमा: निवेश करने से पहले यह जरूर जान लें कि आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं। मान लें कि आपके पास निवेश के लिए 5 लाख रु पये हैं और आप एक साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो फिर शेयरों या जिंसों में निवेश न करेंं। इसकी एक मात्र वजह यह है कि निवेश के ये साधन जोखिम भरे होते हैं।

अनिश्चितता की हालत में आप कम कीमतों पर शेयर बेचने को मजबूत हो सकते हैं। ऐसे में अगर निवेश की अवधि छोटी है तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। निवेश की समय सीमा लंबी होने से आपको नुकसान की भरपाई करने का भी पर्याप्त समय मिलता है।

जोखिम सहने की क्षमता: आप किस हद तक नुकसान उठा सकते हैं, इससे भी आपके जोखिम सहने की क्षमता का पता लगता है। आप अधिक जोखिम वाले साधनों में तभी निवेश कर सकते हैं जब आप पूंजी नुकसान सहने के लिए तैयार हैं। आपके पास जितनी अधिक रकम होगी आप जोखिम भी उतना ही लेंगे। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति के पास 5 लाख रुपये हैं और दूसरे व्यक्ति के पास 50 लाख रुपये हैं। दोनों अगर 1 लाख रुपये प्रतिभूति में निवेश करते हैं तो निवेश का क्षय होने की स्थिति में कम परिसंपत्ति वाले के मुकाबले में अधिक रकम वाले को कम नुकसान होगा।

निवेश जोखिम पिरामिड
अपनी जोखिम लेने की क्षमता का पहचान कर आप परिसंपत्ति संतुलित करने के लिए आप जोखिम पिरामिड विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। निवेशक के पोर्टफोलियो को प्रदर्शित करने वाला पिरामिड तीन विभिन्न स्तरों में दिखाया गया है।

आधार स्तर: इसमें ऐसे निवेश हैं जिनके साथ जोखिम कम है और इनमें निवेश पर प्रतिफल की संभावना स्पष्टï दिखाई दे रही है। आपकी परिसंपत्ति का यह सबसे बड़ा हिस्सा होना चाहिए।

बीच का स्तर: इसमें मध्यम जोखिम वाले निवेश हैं जो अधिक प्रतिफल देते हैं।

ऊपर का स्तर: यह अधिक जोखिम वाले निवेश के लिए है। यह सबसे छोटा हिस्सा है। इनमें निवेश की जाने वाली रकम रकम ऐसी होनी चाहिए जिसे समय से पहले आपको निकालने की जरूरत महसूस नहीं हो।

जोखिम-प्रतिफल प्रोफाइल
आपकी जोखिम लेने की क्षमता का निर्धारण आपकी उम्र, वित्तीय लक्ष्य, निवेश पोर्टफोलियो का मूल्य आदि के जरिये होता है। सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ रहा व्यक्ति कम जोखिम लेना पसंद करेगा वहीं कोई युवा व्यक्ति अधिक जोखिम लेने की जहमत उठा सकता है।

निवेश के बारे में जानकारी रखने वाला निवेशक न केवल निवेश के साधनों पर शोध करता है बल्कि अपनी वित्तीय स्थिति और प्रोफाइल पर भी नजर रखता है। अपेक्षित प्रतिफल के लिए कर बचत के पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए। बैंक डिपॉजिट, डाक घर, निवेश विश्लेषण के प्रकार गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर, बॉन्ड से आदि से प्राप्त आय कर योग्य होते हैं और कर दायरे के अनुसार करोपरांत प्रतिफल कम होता है। शेयर से मिलने वाले लाभांश कर मुक्त होते हैं और इसी तरह लंबी अवधि के पूंजी लाभ पर भी कर नहीं लगता है। हालांकि कर दायरे के अनुसार छोटी अवधि के पूंजी लाभ पर कर लगता है।

रियल एस्टेट निवेश में उस कारक की 6 कारक

भले ही अचल संपत्ति निवेश बहुत तरल नहीं हैं, अनुकूल रिटर्न ट्रिडफ़ॉप इसे कई निवेशकों के लिए और अधिक किफायती बनाता है। आइए हम अचल संपत्ति में निवेश करने से पहले सबसे महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखते हैं। संपत्ति का स्थान संपत्ति का स्थान सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो अचल संपत्ति निवेश की व्यवहार्यता को प्रभावित करता है। आवासीय संपत्ति के लिए, पड़ोस की गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाओं, सुरक्षा, और पर्यावरण की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं। लेकिन अगर यह वाणिज्यिक संपत्ति, प्रमुख बाजारों, परिवहन केंद्र, गोदामों और एक्सप्रेसवे के निकट हो तो अधिक निर्णायक कारक बन जाते हैं निवेशक को क्या देखना चाहिए? रियल एस्टेट निवेशकों को स्थान पर एक प्राथमिकता के रूप में विचार करना चाहिए, और यह काफी अनुमान लगाया जाना चाहिए कि निवेश अवधि के दौरान इलाका कैसे विकसित हो सकता है। यह काफी संभव है कि भविष्य में एक आवासीय आवासीय क्षेत्र को भीड़भाड़ वाले वाणिज्यिक क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जिससे आवासीय संपत्ति में निवेश कम लाभदायक होगा। पड़ोसी क्षेत्रों और प्रतिष्ठानों के स्वामित्व, प्रकार और इच्छित उपयोग के बारे में संपूर्ण अध्ययन करें। इलाके में मुफ्त, उपलब्ध जमीन के बारे में अधिक जानें संपत्ति का मूल्यांकन खरीद, निवेश विश्लेषण, कराधान, बीमा प्रीमियम और अन्य कारकों का पूरा वित्तपोषण बड़े पैमाने पर संपत्ति के मूल्यांकन पर निर्भर करता है निवेशक निवेश विश्लेषण के प्रकार को क्या देखना चाहिए? निवेशकों को सामान्यतः प्रयुक्त मूल्यांकन विधियों का पालन करना चाहिए इसमें शामिल हैं: विक्रय मूल्यांकन पद्धति: तुलनात्मक गुणों की हालिया बिक्री के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें - यह सबसे आम है, और दोनों नए और पुराने गुणों के लिए उपयुक्त लागत विधि: सभी लागत सारांश शून्य से अवमूल्यन - नए निर्माण के लिए उपयुक्त आय विधि: अनुमान के आधार पर नकदी प्रवाह - रेंटल के लिए उपयुक्त निवेश उद्देश्य और निवेश संभावनाएं जैसा कि रीयल एस्टेट निवेश बहुत तरल नहीं हैं, और क्योंकि ये उच्च टिकट निवेश हैं, जो इस उद्देश्य में सटीकता की कमी से वित्तीय संकट का सामना करेंगे। यह संपत्ति का विशेष रूप से सच है, गिरवी है निवेशक को क्या देखना चाहिए? निवेशकों को उन व्यापक श्रेणियों की पहचान करनी चाहिए जो उनके उद्देश्य के अनुरूप हों और निवेश संरचना तैयार करें। ये निवेश के चार व्यापक श्रेणियां हैं खरीदें और आत्म-उपयोग करें: आप किराये पर बचा सकते हैं, और आत्म-खपत और मूल्य प्रशंसा से लाभ उठा सकते हैं खरीदें और पट्टे: स्थिर आय और दीर्घकालिक मूल्य प्रशंसा भावी विवादों और कानूनी मुद्दों, किरायेदारों के प्रबंधन, मरम्मत कार्य, आदि को संभालने के लिए - एक मकान मालिक के स्वभाव का निर्माण करने की आवश्यकता। खरीदें और बेचें (अल्पावधि): त्वरित, मध्यम लाभ के लिए छोटा। यह आमतौर पर निर्माणाधीन संपत्तियों के तहत खरीदारी करने और एक बार तैयार होने के बाद थोड़ी अधिक कीमत की बिक्री करना शामिल है। खरीदें और बेचें (लंबी अवधि): लंबी अवधि में बड़े निहित मान की सराहना ऐसे निवेश, आपके दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे कि सेवानिवृत्ति की योजना बना रहे हैं, और बच्चों की शिक्षा अपेक्षित नकदी प्रवाह और लाभ के अवसर निवेश के उद्देश्य और प्रक्रिया नकदी प्रवाह को प्रभावित करते हैं और इसलिए, लाभ के अवसर निवेशक को क्या देखना चाहिए? निवेशकों को लाभ और व्यय के निम्नलिखित मीडिया के लिए मसौदे के अनुमानों का विकास करना चाहिए: किराये की आय का अनुमानित नकदी प्रवाह दीर्घकालिक मूल्य प्रशंसा के कारण अंतर्निहित मूल्य में अपेक्षित वृद्धि मूल्यह्रास का लाभ (और उपलब्ध कर लाभ) बिक्री से पहले नवीकरण का मूल्य-लाभ विश्लेषण एक उच्च कीमत की मांग करना ग़ैर ऋण के मूल्य-लाभ विश्लेषण मूल्य वर्धन की कीमतों से सावधान रहना आज, ऋण लेना एक परिसंपत्ति खरीदने का सबसे सुविधाजनक तरीका है, लेकिन यह एक बहुत बड़ी कीमत पर आ सकता है एक खरीदार निवेश विश्लेषण के प्रकार उच्च वर्तमान उपयोगिता के लिए अपनी भविष्य की आय कमाता है गृह ऋण का ब्याज भुगतान कई वर्षों में फैल गया है। सुनिश्चित करें कि आप इस प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझें ताकि आप इसका सबसे ज्यादा फायदा उठा सकें जोखिमों को अनदेखा करने से प्रमुख डाउनसाइड्स हो सकते हैं। खरीदार को क्या देखना चाहिए? अपने वर्तमान और अपेक्षित भविष्य की आय और भुगतान क्षमता के आधार पर, इन बातों को ध्यान में रखें: ऋण प्रकार (स्थिर दर, समायोज्य अस्थायी दर, ब्याज या शून्य डाउन भुगतान) को सावधानी से उठाएं, यह जानने के लिए कि आपको सबसे अच्छा कौन सा उपयुक्त है शर्तों और परिस्थितियों और फाइनेंसरों द्वारा लगाए गए अन्य शुल्क बेहतर सौदे के लिए खोज और सौदा इसमें कम ब्याज दरें, कम बीमा प्रीमियम या प्रोसेसिंग शुल्क छूट शामिल हो सकते हैं। निर्माणाधीन / नया निर्माण बनाम प्रचलित वाले लोगों के तहत निवेश निर्माण के तहत आकर्षक कीमतें, अनुकूलन का विकल्प, स्पष्ट रूप से दस्तावेज की सुविधा और स्पष्ट शीर्षलेख लेकिन इन प्रकार की संपत्तियों को खरीदने में कई जोखिम शामिल हैं, जिनमें कब्जे में देरी, बढ़ती लागत और लेआउट और डिजाइन में बदलाव शामिल हैं। ऐसी संपत्तियां जो पुनर्विक्रय मोड में हैं, ऐसी बाधाएं नहीं डालती हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि संपत्ति में स्वामित्व के शीर्षक और अन्य दस्तावेज स्पष्ट हैं। निवेशक को क्या देखना चाहिए? विस्तृत शोध करो पिछले परियोजनाओं और डेवलपर की प्रतिष्ठा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें पता लगाएं कि डेवलपर ने नए और निर्माणाधीन संपत्तियों को कैसे प्रबंधित किया है अगर आप पहले से ही निर्माण की संपत्ति खरीद रहे हैं, तो पिछले मालिकों से रखरखाव लागत, बकाया देय और करों के बारे में पता करें। इन लागतों की नियमित नकदी प्रवाह पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है यदि आप ऑन-पट्टा संपत्ति (दूसरों के पास) में निवेश कर रहे हैं, तो पूछें कि क्या यह किराया नियंत्रित है? पट्टे कब समाप्त हो जाएगी? क्या इसका किरायेदार के पक्ष में नवीनीकरण विकल्प हैं? अंदरूनी कौन मालिक होगा - किरायेदार या मालिक? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनसे निवेशकों को पूछना चाहिए। यदि संपत्ति अच्छी तरह से सुसज्जित है, तो फर्नीचर, जुड़नार और अन्य उपकरण जैसे वस्तुओं की गुणवत्ता जांच करें। अगर आप इन कारकों को अचल संपत्ति में निवेश करते समय अपने दिमाग में रखते हैं, तो लंबे समय से चलने वाले रिटर्न अच्छे होंगे।

निवेश निवेश विश्लेषण के प्रकार गुणक क्या है?

अर्थशास्त्र में गुणक का प्रयोग सबसे पहले आर. एफ. काहन ने अपने लेख “The Relation of Home Investment to Unemployment” में 1931 निवेश विश्लेषण के प्रकार में किया था जिसे रोजगार गुणक कहा जाता है। केन्ज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The General Theory of Employment,Interest and Money” 1936 में निवेश गुणक का प्रतिपादन किया है।

गुणक से अभिप्राय निवेश में होने वाले परिवर्तन के कारण आय में होने वाले परिवर्तन से है। जब निवेश में वृद्धि होती है तो आय में उतनी ही वृद्धि नहीं होती जितनी के निवेश में वृद्धि हुई है बल्कि आय में निवेश की वृद्धि की तुलना में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है जितने गुणा यह वृद्धि होती है उसे ही गुणक कहते है।

केन्ज का गुणक का सिद्धान्त निवेश तथा आय में सम्बन्ध स्थापित करता है। इसलिए इसे निवेश गुणक कहते है।

निवेश गुणक की प्रक्रिया

1. तुलनात्मक अगत्यात्मक विश्लेषण

केन्ज की गुणक की धारणा तुलनात्मक अगत्यात्मक धारणा है जो बताती है कि निवेश में होने वाले परिवर्तन के कारण आय में अन्तिम रूप से कितना परिवर्तन होगा।

तुलनात्मक अगत्यात्मक विश्लेषण में गुणक प्रक्रिया दो प्रकार होती है:

(i) गुणक की अनुकूल प्रक्रिया (Forward Action of the Multiplier):गुणक की अनुकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेष में होने वाली वृद्धि के कारण आय में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है।

(ii) गुणक की प्रतिकूल प्रक्रिया (Backward Action of the Multiplier):गुणक की प्रतिकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेश में प्रारम्भिक कमी के कारण आय में कई गुणा अधिक कमी होती है।

2. गत्यात्मक विश्लेषण

केन्ज की गुणक धारणा से यह तो पता चलता है कि निवेष में वृद्धि होने निवेश विश्लेषण के प्रकार से आय में कितने गुणा वृद्धि होती है। लेकिन यह पता नहीं चलता कि यह वृद्धि कैसे और किस समय अन्तर से होती है। आधुनिक अर्थषास्त्री गुणक का गत्यात्मक रुप में अध्ययन करते हैं। निवेष में परिवर्तन से आय में परिवर्तन के बीच जो समय अन्तराल(Time Lag)होता है उस दौरान अन्य तत्वों जैसे निवेष, उपभोग व्यय आदि में वृद्धि होती है जिसका प्रभाव आय पर पड़ता है। इस प्रकार का गुणक अल्पकालीन और दीर्घकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखता है। हैन्सन ने इसे वास्तविक गुणक (True Multiplier)कहा है।

गुणक के सिद्धान्त का महत्व

गुणक के सिद्धान्त का सैद्धान्तिक महत्व के साथ-साथ व्यावहारिक महत्व भी काफी अधिक है। रोजगार के सिद्धान्त में इस धारणा का महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

1. आय प्रजनन: निवेश विश्लेषण के प्रकार गुणक की धारणा से यह पता चलता है कि आय प्रजनन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और रोजगार, आय और उत्पादन में वृद्धि निवेश में होने वाली वृद्धि के कारण होती है।

2. निवेश का महत्व: गुणक के अध्ययन से निवेश का महत्व स्पष्ट हो जाता है। निवेश में की जाने वाली प्रारम्भिक वृद्धि के फलस्वरुप ही आय में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है।

3. व्यापार चक्र: मन्दी और तेजी का अवस्था अर्थात् व्यापार चक्रों को गुणक निवेश विश्लेषण के प्रकार की सहायता से समझने में मदद मिलती है।

4. पूर्ण रोजगार: पूर्ण रोजगार के सम्बन्ध में नीति बनाने में गुणक की धारणा काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

5. बचत और निवेश में सन्तुलन: केन्ज के रोजगार सिद्धान्त में सन्तुलन की अवस्था वहीं पर निर्धारित होती है जहां बचत और निवेश एक दूसरे के बराबर होते है। बचत और निवेश में सन्तुलन की अवस्था प्राप्त करने के लिए गुणक की धारणा लाभप्रद सिद्ध हो सकती है।

6. सार्वजनिक निवेश: गुणक की धारणा का प्रयोग केन्ज ने सार्वजनिक निवेश अर्थात् सरकार द्वारा किये गये निवेश के महत्व को स्पष्ट करने के लिए भी किया है।

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