वायदा कारोबार

ग्वार गम वायदा - नवम्बर 22 (NGGc1)
पुनीत सिक्का द्वारा Investing.com -- हाजिर बाजार में कमजोरी के रुख के अनुरूप व्यापारियों ने अपने सौदों की कटान की जिससे वायदा बाजार में सोमवार को ग्वार गम वायदा की कीमत 389 रुपये.
तकनीकी सारांश
ग्वार गम वायदा परिचर्चा
जोखिम प्रकटीकरण: वायदा कारोबार वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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'वायदा कारोबार'
मजबूत हाजिर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया, जिससे वायदा कारोबार में शुक्रवार को कच्चा तेल की कीमत 99 रुपये की तेजी के साथ 7,815 रुपये प्रति बैरल हो गई.
4 मार्च 2022 को परिपक्व होने वाला चांदी वायदा एमसीएक्स पर ₹ 61,920 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है. इसमें 143 रुपए या 0.23 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है.
Petrol, Diesel Price on 30th November, 2021 : पिछले कई दिनों से वायदा कारोबार क्रूड ऑयल गिरावट देख रहा था. लेकिन सोमवार के कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट कच्चा तेल वायदा 4.29 प्रतिशत बढ़कर 75.84 डॉलर वायदा कारोबार प्रति बैरल हो गया. वहीं, आज लगातार 26वें दिन देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बदले हैं.
Gold Silver Price, 12th July 2021: आज सोने-चांदी गिरावट के साथ खुले हैं और शुरुआती कारोबार में गिरावट में ही नजर आ रहे हैं. आज भी सोने के इंटरनेशनल स्पॉट कीमतों में गिरावट दिखी है, जिसका असर घरेलू बाजार में है.
Gold Silver Price, 5th July 2021: पिछले हफ्ते सोने में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन सोना बढ़त में रहा. पूरे हफ्ते के कारोबार के बाद सोने में कुल 540 रुपये की बढ़त दर्ज हुई. सोने की वायदा कीमतों में भी तेजी दर्ज हुई है.
Gold Silver Price, 23rd June 2021: अमेरिकी बाजार में सोने में आये सुधार और रुपये की विनिमय दर में नरमी के असर से आखिरी कारोबारी सत्र में यानी मंगलवार के कारोबार के अंत तक सोने में मामूली तेजी दर्ज की गई. वहीं, चांदी में मामूली गिरावट दर्ज की गई.
Gold Silver Price, 22 June 2021: पिछले कारोबार में रुपये में गिरावट आने और वैश्विक बाजारों में शह मिलने से सोने-चांदी के दामों में उछाल दर्ज की गई. सोना फिलहाल 46,200 के लेवल के आसपास चल रहा है. वायदा कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई है.
Gold Silver Price, 18th June, 2021: अमेरिकी फेडरल बैंक की ओर से नीतिगत दरों को उम्मीद से पहले बढ़ाने की घोषणा के बाद बाजार में हलचल मची हुई है. आखिरी कारोबार सत्र में सोने की वायदा कीमतों में 1600 रुपए से ज्यादा और चांदी में 3500 रुपए की गिरावट आई.
Petrol Diesel Prices Today: मंगलवार को तेल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भी उछाल आया, लेकिन उसका असर आज कीमतों पर नहीं देखा गया है. कल के कारोबार में ब्रेंट कच्चा तेल का वायदा भाव 0.88 प्रतिशत की तेजी के साथ 73.33 डॉलर प्रति बैरल पर बोला गया.
Gold Silver Price, 25th May 2021: लगातार तीन हफ्तों से निवेशक सोने में तेजी देख रहे हैं. सोमवार के कारोबार में सोने में 95 रुपए की बढ़त आई थी, वहीं आगे का कारोबार भी सकारात्मक रहने की उम्मीद जताई जा रही है.
वायदा कारोबार क्या है?
आज हम आपको कमोडिटी में वायदा कारोबार से जुड़ी बुनियादी बातें वायदा कारोबार बता रहे हैं.
2. यह कैसे मदद करता है?
मान लें कि आप एक ज्वेलर हैं जिसका कच्चा माल सोना है. आपको 15 फरवरी को आभूषण की डिलीवरी देनी है. आपको डर है कि आगे सोने की कीमत बढ़ सकती है. आप कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने पर वायदा अनुबंध खरीदकर कीमत बढ़ने के जोखिम को खत्म कर सकते हैं. आप आज 49,000 रुपये प्रति 10 ग्राम आधार मूल्य पर अगले महीने का अनुबंध वायदा कारोबार खरीद सकते हैं.
यदि अगले महीने कीमत 50,000 रुपये के आधार मूल्य तक बढ़ जाती है, तो ज्वेलर 49,000 रुपये का भुगतान कर विक्रेता से डिलीवरी ले सकता है. इस लेनदेन में विक्रेता को 1,000 रुपये प्रति 10 ग्राम का नुकसान होता है. हालांकि, कीमत 48,000 रुपये तक गिर जाती है तो ज्वैलर विक्रेता को 49,000 रुपये का भुगतान करने के लिए बाध्य है.
3. क्या वायदा अनुबंध जोखिम भरा है?
हां, ऐसा इसलिए है क्योंकि फ्यूचर्स ट्रेडिंग के सौदे अनुमान के आधार पर किए जाते हैं. आपको इसके लिए मार्जिन चुकाना पड़ता है. यह आमतौर पर कमोडिटी की असल लागत का कुछ हिस्सा होता है. हालांकि, यदि कीमत अनुमान के विपरीत दिशा में जाती है, तो वास्तविक मूल्य में वृद्धि या गिरावट के अंतर का भुगतान करना पड़ता है.
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वायदा कारोबार के नफा-नुकसान
वायदा कारोबार का भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवेश एक बिलकुल नए तरह का आर्थिक उपक्रम है जिसने कृषि जिंसों के मूल्यों पर गहरा असर डाला और किसानों को बेहाल करने में अनोखी भूमिका निभाई है. भारतीय किसान वायदा कारोबार से होने वाले लाभ से वंचित रहा और सारा फायदा सटोरिए ले गए.
वायदा कारोबार का सबसे बुरा प्रभाव वायदा कारोबार कीमतों के तेजी से उतार-चढ़ाव में देखने को मिला. अब कृषिगत उपज की कीमतें बाजार के आधार पर तय होने लगीं और बिचौलिए इसका गलत फायदा उठा रहे हैं. अतः आवश्यकता है एक सही और संतुलित दृष्टिकोण की ताकि कृषिगत उपजों के मूल्य अनावश्यक रूप से ऊंचाई पर ना पहुंचें और देश की खाद्य सुरक्षा ना प्रभावित हो.
क्या है वायदा कारोबार
किसी आगामी तारीख के लिए किया जाने वाला कारोबारी सौदा, जिसमें शेष भुगतान और डिलीवरी उसी आगामी तारीख को ही होती है वायदा कारोबार के नाम से जाना जाता है. उत्पादक भविष्य में कीमतों की गिरावट की संभावना को देखते हुए वायदा कारोबार को सुरक्षा कवच के रूप में अपनाते हैं. दूसरी ओर खरीदार सौदे की तारीख तक कीमतों के बढ़ने से मिलने वाले मुनाफे को ध्यान में रखता है. इस प्रकार वायदा कारोबार उत्पादक और निवेशक दोनों की ही जरूरत पूरी करता है, लेकिन 2003 में कृषि उपजों के वायदा कारोबार को अनुमति मिलने से जिस ढंग से महंगाई की रफ्तार में तेजी आई है उससे वायदा कारोबार को संदेह की नजर से देखा जाने लगा है. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. समिति ने प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में वायदा कारोबार और महंगाई के बीच सकारात्मीक संबंध पाया है. समिति ने महंगाई रोकने के लिए जो 20 सिफारिशें की हैं उनमें सबसे प्रमुख है कुछ समय के लिए सभी आवश्यक खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाना.
वायदा कारोबार की प्रकृति
वास्तव में वायदा कारोबार की प्रकृति आम किसान के हितों से कहीं मेल नहीं खाती. इसमें मसालों को छोड़कर अधिकांश सौदों की एक इकाई का आकार दस टन निर्धारित किया गया. देश के 84 फीसदी किसान दो एकड़ से कम जमीन वाले हैं, जिनका कुल उत्पादन मुश्किल से वायदा कारोबार एक टन होता है. फिर बड़े किसानों में भी गिने-चुने लोग हैं जो दस टन के सौदे करते हैं. ये सौदे ज्यादातर ऑनलाइन होते हैं और 95 फीसदी सौदे मुंबई स्थित दो बड़े कमोडिटी एक्सचेंजों में लिखे जाते हैं. सारा कामकाज अंग्रेजी में होता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक पांच लाख लोगों के अलावा बाकी देश इन सौदों को हाथ नहीं लगाता. इसके बावजूद 2010-11 में एक लाख करोड़ से अधिक के सौदे हुए. इसमें वस्तुओं की उपलब्धता की तुलना में 20 से 300 गुना तक सौदे किए जाते हैं. वायदा कारोबार मुख्य रूप से अनुमान का खेल है और व्यापार में कोई भी घाटे का अनुमान नहीं लगाता. भारत समेत पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थो में सट्टेबाजी ने तहलका मचाया हुआ है. संयुक्त राष्ट्र के भोजन के अधिकार संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतराष्ट्रीय अनाज बाजार में दामों में करीब 30 फीसदी वृद्धि सट्टे के कारण हुई हैं. जब वैश्विक स्तर पर ऐसा हो रहा है तो यह कैसे संभव है कि भारत में वायदा बाजार महंगाई को हवा न दे.
सटोरियों का मजा
अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन ने भी स्वीकार किया है कि वायदा बाजार में सट्टेबाज कमोडिटी के दाम बढ़ाते जा रहे हैं. भारत में भी यही स्थिति है. यहां बड़े-बड़े सटोरिए बिना मेहनत के रोज लाखों-करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं. इन्हीं के कारण कीमतें एकाएक बढ़ जाती हैं. कृषि से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में कृषि उत्पादकों की कीमतों में कृत्रिम बढ़ोतरी के लिए वायदा कारोबार जिम्मेदार है. रिपोर्ट में कृषि जिंसों में वायदा सौदों को हतोत्साहित करने की सिफारिश की गई है.
दूसरी ओर कृषि जिंस और वायदा कारोबार विषय पर गठित अभिजीत सेन समिति का कहना है कि कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से महंगाई का कोई संबंध नहीं है. उदाहरण के लिए चीनी के वायदा पर मई 2009 में रोक लगाई गई थी इसके बावजूद चीनी की कीमतें पचास रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं. भारत में समस्याएं इसलिए पैदा हुई हैं कि जिस तेजी से वायदा कारोबार का विकास हुआ उस तेजी से न तो जोखिम प्रबंधन किया गया और न ही नियामक ढांचे का विकास. वायदा बाजार में सट्टेबाज और निवेशक महत्वपूर्ण जरूर होते हैं, लेकिन सिर्फ उन्हें ही ध्यान में रखकर सौदे नहीं होने चाहिए.
वायदा बाजार : जोखिम कम मुनाफा ज्यादा, लेकिन पहले रखें ये ध्यान
कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से.
वायदा कारोबार में हैं कई मौके पर जानकारी होना जरूरी (फाइल फोटो)
कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. शेयर बाजार में हम किसी कंपनी के अंश खरीदकर उसके नफा-नुकसान में हिस्सेदार बनते हैं, लेकिन कमोडिटी बाजार में कच्चे माल की खरीद-फरोख्त की जाती है. जिन चीजों की इस्तेमाल एक इंसान रोजमर्रा के जीवन में करता है, कमोडिटी में वे सभी चीजें आती हैं, जैसे दाल, चावल, मसाले, रुई, सोना, चांदी, लोहा आदि. इस बाजार में ज्यादातर कृषि उत्पादों को शामिल किया गया है.
इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर वस्तु कमोडिटी में आती है. कमोडिटी मार्केट में सामान के पुराने तथा नए भावों के आधार पर भविष्य के भावों में सौदे किए जाते हैं. यहां लाभ के लिए शेयर बाजार की तरह लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. डिमांड के हिसाब से वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. यहां कारोबारी किसी भी चीज के दाम आसमान पर चढ़ा देते हैं और किसी के उतार देते हैं. देश में खाने-पीने की चीजों में एकाएक महंगाई के पीछे कहीं हद तक वायदा बाजार का हाथ होता है. इसलिए जब भी किसी वस्तु के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं तो सरकार को मजूबरन उस वस्तु के वायदा बाजार पर रोक लगानी पड़ती है. इस बाजार में कीमतें मांग और सप्लाई के नियम से तय होती हैं.
अगर आप कमोडिटी की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं तो थोड़े बहुत निवेश में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे कि भारतीय मसालों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग होती है, इसलिए मसालों के सौदे करके आप अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कमोडिटी मार्केट में एक तय तारीख तक के लिए सौदे किए जाते हैं. हर महीने के आखिरी गुरूवार को सौदों का निपटारा होता है. अगर आप चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने से भी आगे बढ़ा सकते हैं. वायदा कारोबार कमोडिटी एक्सचेंज में होता है. देश में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और आईसीईएक्स प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं. वर्तमान में वायदा लेन-देन के लिए राष्ट्रीय स्तर के पांच केंद्र हैं, इनमें 113 जिंसों की वायदा खरीद-बिक्री होती है. इसके अलावा 16 ऐसे केन्द्र हैं, जहां पर वायदा बाजार कमीशन द्वारा जिंसों में ही सौदे होते हैं. वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का मुख्यालय मुंबई में है.
कमोडिटी बाजार की शुरूआत 1875 में बॉम्बे कॉटन ट्रेड एसोशिएशन के साथ हुई थी. यहां पर केवल कॉटन के सौदे होते थे. इसके बाद 1900 में गुजराती व्यापारी मंडली ने बादाम, बीज और कपास के व्यापार के सौदे करने शुरू किए. 2007 में अभिषेक बच्चन की फिल्म 'गुरु' वायदा बाजार के खेल पर ही आधारित थी.
अगर आप कृषि जिंसों वायदा कारोबार का कारोबार करना चाहते हैं तो उस जिंस का उत्पादन, मांग और सप्लाई की जानकारी होनी चाहिए. फसल मौसम में उसकी आवक, मौसम की जानकारी और आने वाले समय में फसल कैसी होगी, कितनी फसल बाजार में आएगी, उसका क्या भाव रहेगा आदि की जानकारी होनी चाहिए.अगर आप धातु में सौदा करना चाहते हैं तो उसके उत्पादन, आयात निर्यात और उद्योग जगत में उस धातु के इस्तेमाल की जानकारी का गहराई से अध्ययन करना चाहिए.
वायदा बाजार में दो तरह से सौदे होते हैं एक तो फ्यूचर क्या है फ्यूचर और ऑप्शन के आधार पर. इसमें अगर सौदों की खरीद-फरोख्त के लिए वस्तु के वास्तिक मूल्य की जरूरत नहीं होती है, केवल मार्जिन मनी पर ही सारा खेल चलता है. फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए कम निवेश की जरूरत होती है. यहां रोजाना नफा-नुकसान का हिसाब होता है. नुकसान होने पर ट्रेडर को उसकी भरपाई ब्रोकर को करनी होती है