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ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet)

ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet) एक दवा है जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों का इलाज करती है। इस दवा का उपयोग डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है; यह एक इलाज नहीं है। यह दवा दो एंटीडायबिटिक दवाओं यानि ग्लिम्पिराइड और मेटफोर्मिन का एक संयोजन है। ये दवाएं सल्फोनीलुरिया और बिग्यूनाइड एंटीडायबिटिक दवा वर्ग से संबंधित हैं। और इंसुलिन जारी करने में अग्न्याशय की मदद करके काम करती है।

ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet) का प्रयोग समन्वित रूप से किया जाता है क्योंकि अकेले या तो पर्याप्त ग्लाइसेमिक नियंत्रण में परिणाम नहीं होता है। अकेले आहार या इंसुलिन के साथ उपचार की तुलना में मौखिक FBS क्या है? एंटीडायबिटिक दवाओं के प्रशासन को हृदय की मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जोड़ा गया है।

यह टैबलेट ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। एलर्जी के किसी भी रूप पर डॉक्टर के साथ चर्चा की जानी चाहिए।अपने चिकित्सक से परामर्श करें यदि आपका किडनी या लिवर रोगों का इतिहास है। हाइपोग्लाइसीमिया को 85 ग्राम तक मेटफॉर्मिन के अंतर्ग्रहण के साथ नहीं देखा गया है, हालांकि ऐसी परिस्थितियों में लैक्टिक एसिडोसिस हुआ है।

Type 2 Diabetes: क्या है टाइप 2 डायबिटीज, कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, ये है पूरा चार्ट

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 15 Aug 2021 12:24 AM (IST)

Diabetes Type 2: बदलती लाइफस्टाइल और खाने-पीने में लापरवाही की वजह से आजकल हार्ट, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन चुकी है डायबिटीज. शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से लोग डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. देश FBS क्या है? FBS क्या है? में करीब 77 मिलियन से ज्यादा लोग मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं. डायबिटीज के तीन प्रकार हैं जिसमें टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल है. लोगों में सबसे ज्यादा डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ रहा है. डॉक्टर्स की मानें तो करीब 95 प्रतिशत लोग टाइप 2 के मरीज हैं. जानते हैं टाइप 2 डायबिटीज क्या है और कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल?

क्या है टाइप 2 डायबिटीज?
शरीर में अग्नाशय यानी पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करता है. इस हार्मोन से ब्लड में मौजूद शुगर लेवल को बॉडी सेल्स इस्तेमाल करते हैं. इंसुलिन से शरीर में शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज होने पर शरीर इंसलिन के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं करता है. जिससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. इससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. टाइप 2 डाइबिटीज FBS क्या है? होने के पीछे खराब लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस, नींद की कमी, मोटापा और ब्लड-प्रेशर मुख्य वजह हैं.

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प्रेगनेंसी के दौरान ग्लूकोज़ टॉलेरेंस परीक्षण

Esha Sharma

Gynecologist | 15 वर्षों का अनुभव

  • गर्भवस्था के दौरान भी पड़ती है ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट की आवश्यकता।
  • इस टेस्ट की मदद से जेस्टेशनल डायबिटीज़ का पता लगाया जाता है।
  • इस दौरान ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट भी होता है।
  • टेस्ट के असामान्य होने पर उपचार की पड़ती है आवश्यकता।

गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान गर्भवती महिला को कई तरह के टेस्ट कराने पड़ते हैं। तमाम तरह के टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर माँ और बच्चे की स्थितियों की जांच करते हैं और ये सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि सब कुछ सामान्य है या नहीं!

प्रेगनेंसी के समय होने वाले कुछ टेस्ट माँ के शरीर की जांच करने में मददगार होते हैं तो कुछ टेस्ट से बच्चे के विकास और स्थिति का पता लगाया जाता है।

ग्लूकोज़ टॉलेरेंस टेस्ट क्या है?

What is a glucose tolerance test? in hindi

Glucose tolerance test kya hota in hindi

ग्लूकोज़ टॉलेरेंस टेस्ट यह मापता (measure) है कि आपके शरीर की कोशिकाएं (cells) विशिष्ट मात्रा में चीनी का सेवन करने के बाद ग्लूकोज़ को अब्जॉर्ब करने में कितनी सक्षम है।

प्रेगनेंसी के दौरान आमतौर पर, गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes - एक प्रकार का डायबिटीज़ जो प्रेगनेंसी के समय विकसित होता है) का पता लगाने के लिए ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है।

गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes), माँ के साथ-साथ शिशु के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है। यूँ तो गर्भवती महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह की पहचान करने के लिए कई परीक्षण किए जाते हैं।

इनमें पहला है ग्लूकोज चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट (glucose challenge screening test)। यह एक प्रारंभिक स्क्रीनिंग टेस्ट होता है, जो 26-28वें हफ्ते के बीच में किया जाता है।

ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट क्या है?

What is the glucose challenge screening test? in hindi

Glucose challenge screening test kya hai in hindi

ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के पहले आपको किसी खास तैयारी की ज़रूरत नहीं होती है।

टेस्ट के दौरान, सबसे पहले प्रेग्नेंट महिला का ब्लड सैम्पल लिया जायेगा और फिर बाद में महिला को ग्लूकोज़ सौल्युशन (glucose solution) पीने के लिए दिया जाएगा।

इसके लगभग एक घंटे के बाद ब्लड सैंपल फिर से लिया जायेगा। दरअसल, ग्लूकोज़ सौल्युशन लेने के एक घंटे के अंदर ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

अगर आपके ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणाम आपके ब्लड में ग्लूकोज़ के बढ़े FBS क्या है? स्तर को दिखाते हैं, तो संभव है कि आपका शरीर अतिरिक्त ग्लूकोज़ को अब्जॉर्ब करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर रहा है।

ऐसी स्थिति में स्क्रीनिंग के परिणाम पॉज़िटिव आने पर डॉक्टर महिला को ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।

गर्भवस्था के दौरान ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कैसे किया जाता है?

How glucose tolerance test is done during pregnancy? in hindi

Garbhavastha ke dauran glucose tolerance test kaise kiya jata hai in hindi

ग्लूकोज़ टेस्ट की तैयारी के तौर पर आपको खाली पेट रहना होगा, इसलिए इस टेस्ट की सिफारिश सुबह-सुबह की जाती है।

ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट के दौरान सबसे पहले आपका ब्लड सैंपल लिया जायेगा और फिर उस सैंपल के माध्यम से आपके ब्लड में बेसलाइन ग्लूकोज़ के स्तर (baseline glucose level) का पता लगाया जाएगा।

इस टेस्ट को फास्टिंग ग्लूकोज़ टेस्ट (fasting glucose test/fasting blood sugar FBS) भी कहा जाता है।

ब्लड सैम्पल लेने के बाद आपको ग्लूकोज़ पीने के लिए दिया जाएगा, जैसे प्रारंभिक ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट के दौरान दिया गया था।

इसके बाद अगले तीन घंटे तक हर घंटे आपका ब्लड सैम्पल लेकर टेस्ट किया जाएगा।

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