वर्चुअल मनी

Success Story: 150 फीट की जगह से दोस्तों ने शुरू किया धंधा, आज 12 करोड़ के पार पहुंचा कारोबार, जानिए एलिगेंट इंजीनियर्स की कहानी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस समय इस बात पर विचार कर रहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मौजूदा डिजिटल पेमेंट सिस्टम के साथ शुरू की जा सकती है या उसके लिए नया फ्रेमवर्क बनाना पड़ेगा. डिजिटल रूपी के खुदरा कारोबार के लिए पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू किया जा सकता है.
Explained: आ गई RBI की वर्चुअल करेंसी, 1 नवंबर से चलेगा Digital RUPEE, नोटों की तरह होगा, बिना इंटरनेट भी होगा पेमेंट
RBI Digital Rupee: रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से बड़े ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल रुपी के लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया है. डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का इस्तेमाल बड़े पेमेंट और सेटलमेंट के लिए किया जाएगा.
डिजिटल रुपी मौजूदा करेंसी नोट की व्यवस्था को खत्म करने के लिए नहीं आ रहा है. बल्कि लोगों को लेनदेन में एक और ऑप्शन देगा. (Photo: Zeebiz)
Digital Rupee: आखिरकार अपनी डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी Digital RUPEE की शुरुआत हो गई है. 1 नवंबर 2022 से होल्सेल ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल वर्चुअल मनी होगा. हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. डिजिटल रूपी की शुरुआत होने के साथ ही हमें भी यह समझना जरूरी है कि ये क्या है और कैसे काम करेगा? Digital Rupee अब आपकी पॉकेट में नहीं होगा. लेकिन, वर्चुअल वर्ल्ड में इसका इस्तेमाल आपके जरिए ही होगा. ये नोट की तरह जेब में रखने के लिए नहीं मिलेगा. प्रिंट भी नहीं होगा. बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए आपके काम आएगा. जैसे- क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin) का इस्तेमाल होता है. सरकार इसे पूरी तरह से लीगल टेंडर बनाएगी और मानेगी भी. इसमें निवेश भी आसान होगा. अच्छी बात ये है कि इसे हमारी सरकार, RBI रेगुलेट करेगा. इसलिए पैसा डूबने का खतरा नहीं होगा.
कब तक आएगा डिजिटल Rupee?
रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से बड़े ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल रुपी के लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया है. डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का इस्तेमाल बड़े पेमेंट और सेटलमेंट के लिए किया जाएगा. रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज यानि सरकारी बॉन्ड की खरीद बिक्री पर होने वाले निपटारे की रकम के तौर पर होगा. रिजर्व बैंक ने ये भी कहा है कि महीने भर के भीतर रिटेल ट्रांजैक्शन के लिए भी इसको इस्तेमाल लाया जाएगा.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) है नाम
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के जाल से बचाने के लिए सेंट्रल बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल करेंसी इंट्रोड्यूस की है. इसका नाम CBDC- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है. डिजिटल करेंसी का फायदा ये होगा कि अब नकदी का सर्कुलेशन कम होगा और वर्चुअली ट्रांजैक्शन पूरे होंगे. इससे ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी आएगी. डिजिटल रुपी में फिजिकल नोट वाले सारे फीचर होंगे. लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी. अभी तक की योजना के मुताबिक, डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक खाता खुलवाने की जरूरत नहीं होगी.
कैसे काम करेगा Digital Rupee?
डिजिटल रूप में जैसे हम अपने बैंक अकाउंट में कैश देखते हैं, वॉलेट में अपना बैलेंस चेक करते हैं. कुछ ऐसे ही इसे भी देख और रख सकेंगे. डिजिटल रूपी को दो तरह से लॉन्च किया जाएगा. पहला होलसेल ट्रांजैक्शन यानि बड़े ट्रांजैक्शन के लिए, जिसकी शुरुआत 1 नवंबर से होगी. वहीं, दूसरा रिटेल वर्चुअल मनी में आम पब्लिक के लिए होगा. CBDC ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. पेपर करेंसी की तरह इसका लीगल टेंडर होगा. आप जिसे पेमेंट करना चाहेंगे उसे इससे पेमेंट कर सकेंगे और उसके अकाउंट में ये पहुंच जाएगी. CBDC इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखाई देगा. CBDC को पेपर नोट के साथ बदला जा सकेगा. कैश के मुकाबले ट्रांजैक्शन आसान और सुरक्षित होगा. ये बिल्कुल कैश की तरह काम करेगी, लेकिन टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रांजैक्शन पूरा होगा. एक तरह से इसे इलेक्ट्रॉनिक कैश कह सकते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग होगी?
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है. इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता. ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं. लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है. सरकार की मंजूरी होगी. डिजिटल रुपी की क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी. जैसे बिटकॉइन की होती है. सबसे खास बात है RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की वर्चुअल मनी आशंका नहीं होगी. जिस तरह क्रिप्टो में करेंसी का भाव घटता-बढ़ता है, डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा. फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे. लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी.
सभी को मिलेगा डिजिटल रूपी
डिजिटल रुपी दो तरह का होगा. एक बड़ी रकम के लेनदेन के लिए होगा जिसका नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी होलसेल होगा. इसका इस्तेमाल बड़े वित्तीय संस्थान जिसमें बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और दूसरे बड़े सौदे करने वाले संस्थान करेंगे. इसके अलावा रिटेल के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिटेल भी आएगा. इसका इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए कर सकेंगे. ये भी पहले चुनिंदा जगहों और बैंकों के साथ शुरू होगा. रिटेल प्रोजेक्ट में सभी आयुवर्ग के लोगों को शामिल किया जाएगा. फिर उनके अनुभवों के आधार पर जरूरत पड़ने पर फीचर्स में बदलाव होगा.
नोटों की तरह होगा डिजिटल रुपी
डिजिटल रुपी को डिजिटल पेमेंट सिस्टम की अहम कड़ी UPI से भी जोड़ा जाएगा. इससे लोग Paytm, PhonePe जैसे दूसरे अहम वॉलेट से लेन देन कर सकें. जिस तरह 10, 20, 50, 100, 500 वाले नोट होते हैं. उसी वैल्यू (डिनॉमिनेशन) वाला डिजिटल रुपी भी आएगा. हालांकि, कोई व्यक्ति कितना डिजिटल रुपी रख सकेगा, इसकी सीमा भी तय की जा सकती है. डिजिटल करेंसी से पेमेंट पर गोपनीयता बनाए रखने की कोशिश की जाएगी. मुमकिन है कि चुनिंदा सरकारी एजेंसियों को छोड़कर बाकी किसी को डिजिटल रुपी से हुए सौदों की पूरी सटीक जानकारी नहीं दी जाए.
डिजिटल RUPEE की खासियत
- CBDC देश का डिजिटल टोकन होगा.
- बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान.
- चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा.
- मोबाइल से कुछ सेकेंड में पैसे ट्रांसफर होंगे.
- नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा.
- पेपर नोट की प्रिटिंग का खर्च बचेगा.
- डिजिटल करेंसी जारी होने के बाद हमेशा बनी रहेगी.
- CBDC को डैमेज नहीं किया जा सकेगा.
करेंसी वर्चुअल मनी नोट खत्म नहीं होंगे
डिजिटल रुपी मौजूदा करेंसी नोट की व्यवस्था को खत्म करने के लिए नहीं आ रहा है. बल्कि लोगों को लेनदेन में एक और ऑप्शन देगा. करेंसी नोट वाली व्यवस्था और डिजिटल रुपी वाली व्यवस्था दोनों चलेंगी. इससे कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. डिजिटल रुपी कुछ इस तरह से लाया जाएगा कि बिना इंटरनेट के भी इसका पेमेंट किया जा सकेगा. मकसद ये भी होगा कि ऐसे लोग जिनके पास बैंक खाता नहीं है वो भी इसका इस्तेमाल कर सकें.
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Best Virtual trading apps 2022: वर्चुअल स्टॉक ट्रेडिंग ऐप्स, मनीभाई, चार्ट मंत्रा, दलाल स्ट्रीट
भारत में वर्चुअल स्टॉक ट्रेडिंग सीखने के लिए 4 सबसे अच्छे ऐप्स और साइट्स
- Date : 21/07/2022
- Read: 3 mins Rating : -->
- Read in English: 4 Best Virtual Trading Apps in India in 2022
क्या आप वर्चुअल स्टॉक ट्रेडिंग का अभ्यास करना चाहते हैं? इन ऐप्स को आज़माएं और अपनी ट्रेडिंग की रणनीतियों के बारे में अधिक जानें।
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दलाल स्ट्रीट
दलाल स्ट्रीट वर्चुअल स्टॉक ट्रेडिंग सीखने के लिए भारत के सबसे अच्छे वर्चुअल स्टॉक मार्केट प्लेटफॉर्म्स में से एक है। यह एक तरह का इंवेस्टमेंट जर्नल है जो आपको एक बार रजिस्टर करने और अपने अकांउट से साइन अप करने के बाद वर्चुअल मनी के रूप में 10 लाख रुपये प्रदान करता है। इस पेपर ट्रेडिंग या वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह उपयोगकर्ताओं को रीयल-टाइम ट्रेडिंग एक्स्पीरियंस का अनुभव देता है।
यह वर्चुअल ट्रेडिंग ऐप आपको आपकी ट्रेडिंग की रणनीतियों पर चर्चा करने की भी अनुमति देता है, जो दूसरों के अनुभवों से सीखकर आपके कौशल को बढ़ाने में मदद करता है।
वॉल स्ट्रीट सर्वाइवर
वॉल स्ट्रीट सर्वाइवर केवल सामग्री के माध्यम से शिक्षण की अवधारणा पर विश्वास नहीं करता। उनकी राय में, शिक्षा की तुलना में, निवेश एक मज़ेदार, चुनौतीपूर्ण और संभावित रूप से लाभकारी गतिविधि की तरह है। आप वॉल स्ट्रीट सर्वाइवर प्लेटफॉर्म पर इसके सामयिक और नवीनतम स्टॉक डेटा के कारण वर्चुअल मनी के साथ वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का वास्तविक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप ट्यूटोरियल के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते हैं, शेयर बाजार के क्षेत्र में अपने कौशल और निर्णय लेने में सुधार करना चाहते हैं, और नई स्टॉक मार्केटिंग की रणनीतियों को खोजना चाहते हैं, तो ऊपर बताए गए प्लेटफॉर्म बहुत उपयोगी हो सकते हैं। और एक बार जब आप शेयर बाजार के तकनीकी पहलुओं में महारत हासिल कर लेते हैं, तो आप पैसा कमाने के लिए वास्तविक ट्रेडिंग कर सकते हैं।
अब, चूंकि आपको वर्चुअल स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के कई सारे विकल्प मिलते हैं, तो आप स्टॉक ट्रेडिंग के बारे में सीखना शुरू कर सकते हैं और शेयर बाजार के रियल-लाइफ अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं।
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एक बार पैसा गया मतलब गया, यहां रिवर्स नहीं होता ट्रांजेक्शन, पढ़ें क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सबकुछ
वर्चुअल करेंसीज पर RBI की ओर से 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. आइए जानते हैं कि ये करेंसीज कैसे काम करती हैं, RBI ने क्या चिंताएं जताई थीं और बैन हटने के बाद अब क्या होगा?
TV9 Bharatvarsh | Edited By: पीयूष शर्मा
Updated on: Jun 23, 2021 | 1:13 PM
भारतीय बैंक और फायनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अब वर्चुअल करेंसी होल्डर्स और एक्सचेंज से डील कर सकेंगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. आइए जानते हैं कि ये करेंसीज कैसे काम करती हैं, RBI ने क्या चिंताएं जताई थीं और बैन हटने के बाद अब क्या होगा?
Virtual currencies और Cryptocurrencies क्या हैं?
वर्चुअल करेंसी की कोई परिभाषा नहीं है. कुछ एजेंसियां इसे वैल्यू एक्सचेंज का तरीका बताती हैं, कुछ इसे गुड्स आइटम, प्रोडक्ट वर्चुअल मनी या कमोडिटी कहती हैं. मॉडर्न वर्चुअल करेंसी Bitcoin और उसकी बेस टेक्नोलॉजी Blockchain के फाउंडर सतोषी नाकामोटो के मुताबिक, Bitcoins ‘एक नया इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम है जो पूरी तरह से पीर-टू-पीर है और इसमें कोई थर्ड पार्टी इंवॉल्व नहीं होती.’
नाकामोटो के हिसाब से जाएं तो वर्चुअल करेंसीज का कोई सेंट्रल रेगुलेटर नहीं क्योंकि उन्हें ऐसी जगह रखा जाता है जो सारे यूजर्स को विजिबल होगी. ऐसी करेंसीज के सारे यूजर्स रियल टाइम में ट्रांजेक्शंस ट्रैक कर सकते हैं.
वर्चुअल वर्चुअल मनी करेंसीज को अधिकतर लोकल वर्चुअल नेटवर्क्स के जरिए बनाया, बांटा और स्वीकार किया जाता है. Cryptocurrencies इस मामले में थोड़ी अलग हैं. उनमें एनक्रिप्शन एग्लोरिद्म्स के रूप में सिक्योरिटी की एक्स्ट्रा लेयर रहती है.
क्या हैं फीचर्स?
क्रिप्टोकरेंसी में होने वाले ट्रांजेक्शन रिवर्स नहीं होते यानी एक बार पैसा गया, मतलब गया. इसमें किसी को पैसा भेजने के लिए आपको उसकी पहचान पता होना जरूरी नहीं है. आपका क्रिप्टो करेंसी एड्रेस ही इस दुनिया में आपकी पहचान है.
क्रिप्टोकरेंसी का एक फायदा ये भी है कि आपकी इंफॉर्मेशन सिक्योर रहती है और डेटा ब्रीच का रिस्क नहीं रहता है. पीर-टू-पीर होने की वजह से कोई मिडलमैन नहीं होता.
Bitcoin keys दो प्रकार की होती हैं- Public और Private. Public Key का यूज पैसा रिसीव करने के लिए होता है. अगर आपको अपने Bitcoins एक्सेस करने हैं तो Private Key चाहिए होगी. अगर Private Key खो गई तो समझिए आपके Bitcoins भी गए.
Cryptocurrency से खतरा?
एक्सपर्ट्स वर्चुअल करेंसीज में डील करते समय सावधान रहने की सलाह देते हैं. रिस्क तो है, मगर दुनियाभर के टेक्नोक्रेट्स वर्चुअल करेंसीज पर बैन के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि पूरी तरह प्रतिबंध लगा तो पूरा सिस्टम अंडरग्राउंड हो जाएगा, यानी इसपर कोई रेगुलेशन नहीं होगा.
जून 2013 में, RBI ने पहली बार वर्चुअल करेंसीज के यूजर्स, होल्डर्स और ट्रेडर्स को वार्निंग जारी की. RBI ने कहा कि इसके फायनेंशियल, ऑपरेशनल, लीगल और कस्टमर प्रोटेक्शन और सिक्योरिटी से जुड़े रिस्क होंगे जिनसे वे लोग दो-चार होंगे.
2014 में फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट आई. इसमें वर्चुअल करेंसीज के कानूनी इस्तेमाल और पोंटेंशियल रिस्क्स को हाईलाइट किया गया था. एक और रिपोर्ट तो यहां तक दावा करती है कि वर्चुअल करेंसीज का यूज टेरर फायनेंसिंग ग्रुप्स के बीच बढ़ रहा है.
क्यों लगा था बैन?
RBI ने वर्चुअल करेंसीज के ट्रेड और इस्तेमाल पर बैन लगाने के पीछे कई वजहें गिनाई थीं. सबसे बड़ी वजह तो इनकी वैल्यू में एक्सेसिव वोलाटिलिटी होना रही. यानी कब करेंसी की वैल्यू आसमान और कब गर्त में चली जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता. इसके अलावा इन करेंसीज का नेचर पूरी तरह से गुमनाम होता है जो कि ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स के खिलाफ है.
डेटा सिक्योरिटी और कंज्यूमर प्रोटेक्शन के खतरे तो हैं ही, RBI को लग रहा था कि इससे उसकी मॉनेटरी पॉलिसी का प्रभाव भी कम हो सकता है. RBI ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि वह ये नहीं चाहती कि वर्चुअल करेंसीज कुकुरमुत्तों की तरह फैलें, इसलिए उसने बैन लगाया.
RBI बैन के खिलाफ याचिका लगाने वालों का तर्क था कि नॉन-फिएट करेंसी दरअसल कोई करेंसी ही नहीं है. उन्होंने अदालत में कहा कि RBI का फैसला बेहद कड़ा था और उसके पीछे कोई स्टडी नहीं की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने 180 पेज में फैसला दिया है. अदालत ने कहा है कि RBI ने जो निर्देश दिए, उसमें प्रपोर्शनलिटी का खयाल नहीं रखा. केंद्रीय बैंक ने इस फैसले से मूल अधिकारों पर होने वाले डायरेक्ट, इनडायरेक्ट असर को ध्यान में नहीं रखा. अदालत ने यह भी कहा कि भारत की अमेरिका, जापान, सिंगापुर या यूके जैसे देशों से तुलना नहीं हो सकती क्योंकि वे विकसित अर्थव्यवस्थाएं वर्चुअल मनी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि “जिस भी अदालत ने वर्चुअल करेंसीज की पहचान तय करने की कोशिश की, उसने जैन धर्म के अनेकतावाद दर्शन में बताए गए 4 अंधे पुरुषों की तरह कार्यवाही की. जो एक हाथी का ब्यौरा देते समय उसके शरीर के बारे में सिर्फ एक बात बता पाते हैं, और कुछ नहीं.”
इस फैसले के बाद क्या?
अब वर्चुअल करेंसीज को लेकर RBI अपनी पॉलिसी में चेंज कर सकता है. हो सकता है एक नया फ्रेमवर्क लाया जाए जो इन टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स से डील करे.
RBI की डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक हैं शामिल, जानिए कैसे आगे बढ़ रहा है काम?
भारतीय रिजर्व बैंक ने आम लोगों के लिए डिजिटल मनी उपलब्ध कराने के हिसाब से इन बैंकों को कामकाज के लिए चुना है.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में डिजिटल करेंसी लाने की शुरुआत कर दी है. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी नाम से आने वाली यह वर्चुअल मनी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचडीएफसी बैंक जैसे बैंकों के साथ रिटेल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाई जाने वाली है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आम लोगों के लिए डिजिटल मनी उपलब्ध कराने के हिसाब से इन बैंकों को कामकाज के लिए चुना है. इस मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है.
Success Story: 150 फीट की जगह से दोस्तों ने शुरू किया धंधा, आज 12 करोड़ के पार पहुंचा कारोबार, जानिए एलिगेंट इंजीनियर्स की कहानी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस समय इस बात पर विचार कर रहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मौजूदा डिजिटल पेमेंट सिस्टम के साथ शुरू की जा सकती है या उसके लिए नया फ्रेमवर्क बनाना पड़ेगा. डिजिटल रूपी के खुदरा कारोबार के लिए पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू किया जा सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी एक लीगल टेंडर है. इसे डिजिटल फॉर्म में जारी किया जाने वाला है. यह अभी इस्तेमाल हो रहे रुपए की तरह ही है, फर्क सिर्फ यह है कि इसे डिजिटल फॉर्मेट में जारी किया जाएगा.
भारत समेत दुनिया भर में इन दिनों बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ रहा है. भारत सरकार यह चाहती है कि अवैध क्रिप्टो करेंसी से लोगों को होने वाले नुकसान को कम किया जाए. सरकार का मानना है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से इकोनामी को फायदा हो सकता है. इससे डिजिटल इकोनामी को बढ़ावा मिलेगा.
सीबीडीसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित डिजिटल मनी है. सीबीडीसी के शुरुआत से डिजिटल इकोनामी के रूप में भारत की साख बढ़ेगी. केंद्रीय बैंक आरबीआई ने कहा है कि सीबीडीसी से इंटरबैंक मार्केट की क्षमता बढ़ेगी. सरकारी सिक्योरिटी से जुड़े ट्रांजैक्शन डिजिटल रूप में सेटल होने से ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी आएगी.
कुछ दिनों पहले ही सीबीडीसी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था और उसके अनुभव को ध्यान में रखकर अब खुदरा निवेशकों के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि सीबीडीसी लोगों के लिए फिजिकल कैश का सुरक्षित, व्यापक और आसान विकल्प साबित हो सकता है. डिजाइन के चॉइस के हिसाब से यह फाइनल ट्रांजैक्शन के लिए एक कॉन्प्लेक्स फॉर्मेट बन सकता है.