निवेश खाता

निवेश उत्पाद
बैंक ऑफ बड़ौदा पहली बार एवं अनुभवी निवेशकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड, पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस), बांड, एनसीडी, वैकल्पिक निवेश उत्पादों आदि की विस्तृत श्रृंखला पेश करता है.
म्यूचुअल फंड निवेश
- म्युचुअल फंड दीर्घावधि में मुद्रास्फीति से निपटने एवं कर-बचत प्रतिफल (रिटर्न) प्रदान करते हैं .
- निवेशक अपने जोखिम / रिटर्न प्रोफाइल के अनुसार विभिन्न आस्ति वर्गों जैसे इक्विटी, ऋण या सोने में निवेश कर सकते हैं.
वैकल्पिक निवेश उत्पाद
- वैकल्पिक निवेश उत्पादों का उपयोग करके पेशेवर प्रबंधित और विविध प्रकार की निवेश नीतियों की सुविधा प्राप्त करें.
- वैकल्पिक निवेश उत्पाद में पोर्टफोलियो प्रबंधित सेवा, संरचित उत्पाद आदि शामिल हैं.
बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता
- बाधा रहित और सुरक्षित ट्रेडिंग अनुभव प्राप्त करने के लिए बैंक ऑफ़ बड़ौदा के साथ एक सिंक्रोनाइज़ बैंक, डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें .
- डिजिटल खाता खोलने की प्रक्रिया 100% कागज रहित और बाधा-रहित मुक्त है.निवेश खाता
डिमैट खाता
आसान स्टोरेज एवं लेनदेन की सुविधा के लिए प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखें.
- आसान स्टोरेज एवं लेनदेन की सुविधा के लिए प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखें.
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
म्यूचुअल फंड निवेशकों को यूनिट जारी करके और प्रस्ताव दस्तावेज में बताए गए उद्देश्यों के अनुसार प्रतिभूतियों में फंड का निवेश करके धन जमा करने का एक साधन है.
प्रतिभूतियों में निवेश उद्योगों और क्षेत्रों के व्यापक क्रॉस-सेक्शन में फैला हुआ है और इस प्रकार इसमें अनेक प्रकार की जोखिम है क्योंकि सभी स्टॉक एक ही तरह से और एक ही समय में सामान अनुपात में नहीं चल सकते हैं. म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशकों को उनके द्वारा निवेश किए गए धन की मात्रा के अनुसार इकाइयाँ जारी किया जाता है. म्यूचुअल फंड के निवेशकों को यूनिटहोल्डर के रूप में जाना जाता है.
इसके अंतर्गत लाभ या हानि निवेशकों द्वारा उनके निवेश के अनुपात में शेयर की जाती है. म्यूचुअल फंड आम तौर पर कई योजनाएं लेकर आते हैं जो समय-समय पर विभिन्न निवेश उद्देश्यों के साथ शुरू की जाती हैं.
म्यूचुअल फंड की किसी विशेष योजना का कार्यनिष्पादन इसके नेट आस्ति मूल्य (एनएवी) द्वारा दर्शाया जाता है.
म्यूचुअल फंड निवेशकों से जुटाए गए रकम को प्रतिभूति बाजार में निवेश करते हैं. सरल शब्दों में, एनएवी योजना द्वारा धारित प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य होता है. चूंकि प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य प्रत्येक दिन बदलता है, इसलिए किसी योजना का एनएवी भी दैनिक आधार पर बदलता रहता है. प्रति इकाई एनएवी किसी विशेष तिथि पर योजना की कुल इकाइयों की संख्या से विभाजित करके इसकी प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य निवेश खाता होता है. उदाहरण के लिए, यदि म्यूचुअल फंड योजना की प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य रू. 200 लाख है और म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को 10 रुपये की 10 लाख इकाइयां जारी की हैं, तो फंड की प्रति यूनिट एनएवी 20 रुपये (यानी, 200) होगी. म्यूचुअल फंड द्वारा दैनिक आधार पर एनएवी का खुलासा करना आवश्यक होता है.
- परिपक्वता अवधि के अनुसार योजनाएं:
किसी म्यूचुअल फंड योजना को उसकी परिपक्वता अवधि के आधार पर ओपन-एंडेड योजना या क्लोज-एंडेड योजना क्र रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
ओपन-एंडेड फंड / योजना
एक ओपन-एंडेड फंड या योजना वह है जो निरंतर आधार पर सदस्यता और पुनर्खरीद के लिए उपलब्ध होता है. इन योजनाओं की कोई निश्चित परिपक्वता अवधि नहीं होती है. निवेशक आसानी से प्रति यूनिट नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर यूनिट खरीद और बेच सकते हैं जिसे दैनिक आधार पर घोषित किया जाता है. ओपन-एंड योजनाओं की प्रमुख विशेषता तरलता(लिक्वीडीटी है
क्लोज-एंडेड फंड / योजना
क्लोज-एंडेड फंड या स्कीम के अंतर्गत एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है, जैसे, 3-5 साल. योजना के शुभारंभ के समय एक निर्दिष्ट अवधि के दौरान ही फंड सदस्यता के लिए खुला रहता है. निवेशक नए निवेश खाता फंड की पेशकश के समय इस योजना में निवेश कर सकते हैं और बाद में वे स्टॉक एक्सचेंजों पर योजना की इकाइयों की खरीद या बिक्री कर सकते हैं जहां इकाइयां सूचीबद्ध हैं. निवेशकों को एक एक्जिट मार्ग प्रदान करने के लिए, कुछ क्लोज-एंडेड फंड एनएवी से संबंधित कीमतों पर आवधिक पुनर्खरीद के माध्यम से यूनिट को म्यूचुअल फंड को फिर से बेचने का विकल्प देते हैं.
किसी योजना को उसके निवेश के उद्देश्य पर विचार करते हुए विकास योजना, आय योजना या संतुलित योजना के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है. इस तरह की योजनाएं ओपन-एंडेड या क्लोज-एंडेड कोई भी हो सकती हैं जैसा कि इससे पूर्व सूचित किया है. ऐसी योजनाओं को मुख्य रूप से निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:
विकास/इक्विटी उन्मुख योजना
ग्रोथ फंड का उद्देश्य मध्यम से लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर अपनी निधि का का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश करती हैं. ऐसे फंडों में तुलनात्मक रूप से उच्च जोखिम निहित होता है. ये योजनाएं निवेशकों को लाभांश विकल्प एवं विकास जैसे विभिन्न विकल्प प्रदान करती हैं और निवेशक अपनी पसंद के आधार पर किसी विकल्प का चयन कर सकते हैं. निवेशकों द्वारा अपने आवेदन पत्र में ऐसे विकल्प का उल्लेख करना चाहिए. म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को इसकी तारीख के बाद भी अपना विकल्प निवेश खाता बदलने की अनुमति भी प्रदान करते हैं.. दीर्घावधि के दृष्टिकोण वाले निवेशकों के लिए ऐसी विकास योजनाएं अच्छी होती हैं, जो समय की अवधि में इसमें बढ़ोत्तरी चाहते हैं.
आय/ऋण उन्मुख योजना
आय फंड का उद्देश्य निवेशकों को नियमित और निश्चित आय प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर निश्चित आय प्रतिभूतियों जैसे बांड, कॉर्पोरेट डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और मुद्रा बाजार के साधनों में अपना निवेश करती हैं निवेश खाता और ऐसे फंड इक्विटी योजनाओं की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं.
हालांकि, ऐसे फंड्स में कैपिटल एप्रिसिएशन के अवसर भी सीमित होते हैं. देश में ब्याज दरों में होने वाले बदलाव के कारण ऐसे फंडों की एनएवी प्रभावित होती है. ब्याज दरें कम होने पर ऐसे फंडों के एनएवी में अल्पावधि में वृद्धि होने की संभावना रहती है और ब्याज दर में वृद्धि होने पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ता है. तथापि दीर्घावधि के निवेशक इन उतार-चढ़ावों से परेशान नहीं हो सकते हैं.
संतुलित योजनाओं का उद्देश्य विकास और नियमित आय दोनों ही प्रदान करना है क्योंकि ऐसी योजनाएं इक्विटी और निश्चित आय प्रतिभूतियों दोनों में इनके प्रस्ताव दस्तावेजों में दर्शाए अनुपात में निवेश करती हैं. ये मध्यम वृद्धि की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं. शेयर बाजारों में शेयर की कीमतों में उतार चढ़ाव होने के कारण भी ये फंड प्रभावित होते हैं. हालांकि, ऐसे फंडों के एनएवी के शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में अस्थिर होने की संभावना कम होती है.
क्या म्यूच्यूअल फंड में निवेश के लिए बैंक में खाता होना आवश्यक है?
आप अगर इस सोच में हैं कि म्यूच्यूअल फंड में कैसे निवेश करें , इस बात का ध्यान हमेशा रहे कि किसी भी बैंक में खाता होना अनिवार्य है , KYC / CKYC PAN और आधार कार्ड आदि का होना भी अनिवार्य है | ऐसा प्रावधान इसलिए किया गया जिससे अनैतिक निवेशक म्यूच्यूअल फंड के माध्यम से काला धन शोधन जैसे अवैध कार्य को अंजाम न दे सकें | कुछ बैंक और म्यूच्यूअल फंड की मूल कंपनी एक होती है अर्थात , दोनों एक ही कॉर्पोरेट समूह का हिस्सा होते हैं लेकिन जहां बैंक RBI के अधीन होते हैं और उनके द्वारा शासित होते हैं , वहीं म्यूच्यूअल फंड SEBI द्वारा संचालित और नियंत्रित होते हैं | आप ऐसे कई म्यूच्यूअल फंड कंपनी पायेंगे जिनका नाम और एक प्रमाणित बैंक का नाम एक है लेकिन ये याद रहे कि दोनों अलग कंपनी हैं और दोनों का कार्य और संचालन अलग और एक दूसरे से पूर्णतया स्वतंत्र है | आपके लिए ज़रूरी नहीं है कि आप उस बैंक में बचत खाता खोलें जिस बैंक के नाम वाले म्यूच्यूअल फंड में या ऐसी ही किसी और सहयोगी संस्था में आप निवेश करने जा रहे है |
बैंक विविध म्यूच्यूअल फंड्स के लिए एक वितरक की तरह भी कार्य करते हैं जो म्यूच्यूअल फंड्स को अपने ग्राहकों में क्रॉस सेल करते हैं | यद्यपि बैंकों के पास बाज़ार में उपलब्ध सारे म्यूच्यूअल फंड्स नहीं होते , परन्तु जिनके साथ उनका गठजोड़ हैं , उन म्यूच्यूअल फंड्स का विक्रय अपने वितरण के माध्यम से बैंक करते हैं | आप ऐसे म्यूच्यूअल फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं , जो उन बैंकों के साथ नहीं जुड़े निवेश खाता हुए हैं जो इनके विक्रय में सहायक हैं , जैसे आपका बैंक जिसमें आपका खाता है |
निवेश शुरू करने जा रहे हैं? जानिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ेगी
निवेश के समय लोग अमूमन नॉमिनेशन की डिटेल्स छोड़ देते हैं. हालांकि, इस बात की सलाह दी जाती है कि नॉमिनेशन का ब्योरा जरूर दें.
लंबी अवधि के लिए फाइनेंशियल प्रोडक्टों में निवेश करते वक्त यह तय कर लेना अहम है कि किस खाते का इस्तेमाल इसके लिए किया जाएगा.
केवाईसी कराना होगा
कोई भी फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट करने से पहले यह कदम अनिवार्य है. पैन, आधार, पासपोर्ट जैसे पहचान से जुड़े डॉक्यूमेंट और पते का प्रूफ तैयार रखना चाहिए. इस तरह निवेश के वक्त इनकी प्रतियां देना आसान होता है.
नॉमिनेशन
निवेश के समय लोग अमूमन नॉमिनेशन की डिटेल्स छोड़ देते हैं. हालांकि, इस बात की सलाह दी जाती है कि नॉमिनेशन का ब्योरा जरूर दें. अगर बाद में नॉमिनी बदलने की जरूरत पड़ती है तो निवेशक को हर निवेश खाता एक निवेश के लिए नया नॉमिनेशन रजिस्टर करना चाहिए ताकि निवेशक की मौत होने के बाद केवल उसी के हाथों में पैसा जाए जिसे वह देना चाहता था.
ज्वाइंट/सिंगल होल्डिंग
होल्डिंग को मैनेज करना निवेश निवेश खाता में एक अहम पहलू है. ऑपरेशन का मोड सेलेक्ट करने में बहुत ध्यान देना चाहिए. होल्डिंग का क्रम भी काफी मायने रखता है. कारण है कि फर्स्ट होल्डर को प्राइमरी होल्डर के तौर पर माना जाता है. सभी तरह के कम्यूनिकेशन और पेमेंट अमूमन उन्हीं से होते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान?
आपको निवेश से जुड़े सभी रिकॉर्ड संभालकर रखने चाहिए. इनमें निवेश की तारीख, इनवेस्टमेंट अकाउंट/फोलियो नंबर, होल्डिंग का तरीका, नॉमिनेशन, बैंक अकाउंट नंबर इत्यादि शामिल हैं. इन्हें बिल्कुल अपडेट रखने की जरूरत होती है.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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