इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें

बाजार में निवेश से पहले इन 5 बातों को ध्यान रखें युवा निवेशक, मिलेगी कामयाबी
आइए जानते हैं कि युवाओं को बाजार में निवेश के लिए उतरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आइए जानते हैं कि युवाओं को बाजार में निवेश के लिए उतरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
भारत के युवा निवेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं. लाखों लोगों ने महामारी के दौरान शेयर बाजार का रुख किया है. सितंबर 2020 में भारत की बड़ी सिक्योरिटी डिपॉजिटरी CDSL (सेंट्रल डिपॉजिटरीज सर्विसेज लिमिटेड) ने डीमैट अकाउंट्स में अप्तायशित 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे 2.5 करोड़ अकाउंट की रिकॉर्ड ऊंचाई को छूआ है. इसमें रोचक बात यह हा कि नए अकाउंट में से अधिकतर को 25 से 39 साल के बीच के युवाओं ने खोला है. आइए जानते हैं कि युवाओं को बाजार में निवेश के लिए उतरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
अपने लक्ष्यों को तय करें
चाहें आप अभी कॉलेज से निकलें हैं और एक नई स्मार्टवॉच के लिए कुछ अतिरिक्त पैसे चाहते हैं या 30 साल की उम्र से पहले कोई डील, यह जरूरी है कि अपने निवेश के सफर से पहले आप अपने छोटे और लंबी अवधि के लक्ष्यों को निर्धारित कर लें. यह ध्यान रखें कि आप अपनी सच्चाई को देखें.
जोखिमों का आकलन करें
निवेश की शुरुआत करने से पहले यह देखें कि आप उसमें कितनी गहराई तक जा सकते हैं. यह हमेशा सुरक्षित रहता है कि आप छोटी शुरुआत करें और सफर के साथ चलें. अपनी जोखिम को सहने का स्तर बेहद बारीकी से देखें और तय करें कि आप कहां पैसा लगाना चाहते हैं. आपके सपने दिल से आते हैं लेकिन यह कदम पूरी तरह दिमाग से तय होता है.
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एसेट्स में विभिन्नता लाएं
यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव लगा रहता है. खुद को सुरक्षित करने के लिए एसेट्स में वितरित करना तरीका है. आप पूरी तरह से जोखिम से बच नहीं सकेंगे, लेकिन कुछ अच्छे चुनाव से आप उसे निश्चित काबू में कर सकेंगे. यह सुनिश्चित करें कि आपका पोर्टफोलियो किसी एक कंपनी या इंडस्ट्री पर निर्भर नहीं हो.
अपनी उम्मीदों को काबू में रखें
96 साल के अमेरिकी बड़े निवेशक Charlie Munger के मुताबिक बड़ा पैसा खरीदारी और बेचने में नहीं, बल्कि इंतजार करने में है. वह सही हैं. हम तुरंत बड़े रिटर्न की उम्मीद करते हैं. यह वजह है कि अधिकतर निवेशक और ट्रेडर्स बाजार में छह महीने से ज्यादा की अवधि के लिए नहीं रह पाते हैं.
जल्दी निवेश शुरू करें
यह बेहद महत्वपूर्ण है. आप उस समय निवेश की शुरुआत करें, जब आपके पास समय हो. छोटी शुरुआत करें लेकिन कहीं से करें. और हर महीने इसमें पैसा लगाएं. अगर आप क्वालिटी एसेट्स चुनते हैं, तो नियमित तौर और समझदारी से निवेश करें.
(By: Amit Dhakad, Co-founder, CEO, and CTO, Market Pulse)
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शेयरों में निवेश से पहले ये 5 बातें जान लें, फायदे में रहेंगे
आपके अनुभव ही आपको एक सफल शेयर निवेशक बनाने में मददगार साबित होंगे.
आज हम 5 प्रमुख बातें बता रहे हैं, जो शेयरों में निवेश से पहले ध्यान में रखना चाहिए:
1. सही कंपनी का चुनाव
आप उन्हीं कंपनियों के शेयरों में निवेश करें, जिनके मुनाफे में साल दर साल वृद्धि हो रही हो. अगर किसी कंपनी ने अपने शेयरधारकों की पूंजी पर कम से कम 20% लाभ कमाया हो, तभी आपको निवेश के लिए वह शेयर चुनना चाहिए.
अगर आप किसी कंपनी के शेयर को पांच साल से अधिक की अवधि के लिए चुनते हैं तब आपको उस कंपनी के विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और मुनाफा कमाने का मौका मिलता है.
बहुत छोटी अवधि ( 3 से 6 महीने) में किसी शेयर का प्रदर्शन कंपनी की बुनियादी बातों से कम और शेयर बाजार की चाल एवं भावनाओं से अधिक प्रेरित होता है. अगर आप लंबी अवधि के लिए किसी कंपनी के शेयर में निवेश करते हैं तो शेयर की सही कीमत बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती.
2. निवेश में अनुशासन
शेयर में निवेश सट्टेबाजी नहीं है. यह वास्तव में सीखने की लंबी प्रक्रिया है. शेयर में निवेश से आप अपनी गलतियों से सबक सीखते हैं. पर्याप्त रिसर्च और विशेषज्ञों की सलाह आदि कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनसे निवेश या सीखने की प्रक्रिया सरल हो जाती है.
3. निवेश में विविधता का ध्यान रखें
किसी एक कंपनी के शेयर में अपने कुल निवेश योग्य रकम का 10% से ज्यादा निवेश नहीं करें. आपके पोर्टफोलियो में बहुत अधिक शेयर भी नहीं होने चाहिए. इसकी वजह इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें यह है कि हर शेयर पर नजर रखना और उनका प्रदर्शन चेक करना मुश्किल काम होता है.
अगर आप कोई और काम कर रहे हैं और शेयर बाजार में कम सक्रिय रहते हैं तो लंबी अवधि के निवेश के हिसाब से आपको 10 कंपनियों के शेयर में ही निवेश करना चाहिए. आप एक एसेट एलोकेशन टूल का प्रयोग कर सकते हैं जिससे आपको यह पता लगेगा कि आपको शेयरों के अलावा अन्य निवेश माध्यम में भी इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं.
4. निवेश की निगरानी
किसी कंपनी के शेयर में अपने निवेश पर निगाह बनाए रखें. महत्वपूर्ण घटनाक्रम के समय अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा भी करें. जिन कंपनियों में आपका निवेश है, उनके तिमाही परिणामों की घोषणा पर नजर रखें. सप्ताह में कम से कम एक बार अपने पोर्टफोलियो वर्कशीट पर शेयर की कीमतों में हुए बदलाव के बारे में लिखते रहें.
अगर शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव हो रहा है तो उस समय शेयरों की कीमत में बदलाव को नोट करना ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस बात पर ध्यान दें कि जिन वजहों से आपने पहले उस कंपनी का शेयर खरीदा वे अब भी प्रासंगिक हैं या नहीं.
5.गलतियों से लें सबक
सालाना पोर्टफोलियो समीक्षा में निवेश की अपनी गलतियों को पहचानें और उनसे सीखें. आपके खुद के अनुभव का कोई मुकाबला नहीं है. आपके अनुभव ही आपको एक सफल शेयर निवेशक बनाने में मददगार साबित होंगे. ध्यान रखें कि आप गलती को दोहराएं नहीं.
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अगर आप करते हैं शेयर मार्केट में निवेश तो ज़रूर पढ़े यह खबर!
व्यापर, डेस्क रिपोर्ट। भारतीय लोग अक्सर अपनी बचत (savings) करने की मानसिकता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्धि रखते हैं। आटे के डिब्बे से निकले नोट की बात करें या गुल्लक में रखे चिल्लर की, हर घर में यह किस्से बड़ी आम सी बात है। बचत करने की और पैसे को सुरक्षित रखने की आदत में ज्यादातर भारतीय केवल लाइफ इंश्योरेंस (life insurance) और सरकारी पॉलिसी (government policies) तक ही सिमट इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें कर रह गए, कारण था सिर्फ एक, “पैसा डूबना का डर”। इसी कारण के चलते ज्यादातर भारतीयों ने खुद को स्टॉक मार्केट से हमेशा दूर रखा। शेयर को जुआ और निवेशक (investor) को जुआरी की श्रेणी में रख अक्सर लोग स्टॉक मार्केट में पैसा डालने से बचते रहे हैं।
वर्ष 2019 लोगों की बचत( savings) के लिए इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें काल बनकर आया। कोरोना की चपेट ने लोगों को नौकरियों से हटवा दिया, धंधों पर ताले डलवा दिए, मरीज़ का बिस्तर और कोरोना के इंजेक्शन मानो पैसा लीलने की मशीन बन गए। ऐसा में कई लोग अपने जीवन में कमाया हुआ सबकुछ लुटाकर खाली हाथ हो गए।
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जब आमदनी के सारे स्त्रोत बंद होने लगे और लोगों को हर जगह से उम्मीद खत्म होती हुई नज़र आई तब लोगों ने स्टॉक मार्केट का रुख करना शुरू किया। ऐसे में scam 1992 के हर्षद मेहता (Harshad Mehta) और भारत के सबसे बड़े इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) को अब लोग नाम और शक्ल से पहचान ने लगे थे। रोज़ स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग की नई ऐप्स (new apps) बाजार में आने लगी और अब बचत करने वाले भारतीय धीरे धीरे कुछ पैसा स्टॉक मार्केट (stock market) में लगाने लगे। आलम यह हुआ कि आज सेंसेक्स और निफ्टी (Sensex and Nifty) रोज़ नए रिकॉर्ड छू रहे हैं।
इन सभी परिस्थितियों का फायदा न केवल इन्वेस्टर्स ने उठाया बल्कि कंपनियों के लिए भी यह अपने आईपीओ (IPO) जारी करने का बेहतरीन अवसर था। फिर होना क्या था zomato, burger King , paras defence limited, और न जानें कितनी ही कंपनी बाजार में आईपीओ(IPO)लेकर आईं।
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आपको बता दें आईपीओ (Initial Public Offerings) के माध्यम से कोई भी प्राइवेट कंपनी अपने शेयर को शेयर बाज़ार में BSE या NSE में एंट्री (list) कराती है। लिस्ट करने के बाद जब लोग कंपनी के शेयर खरीदते हैं तब ये प्राइवेट न रहते हुए पब्लिक कंपनी हो जाती हैं। लोगों से लिए गए इस पैसे को कंपनी लोन के भुगतान के लिए, कंपनी के विस्तार के लिए, या रोज़ के काम काज जैसे क्षेत्रों में उपयोग करती है। IPO जारी करने साथ लोगों को open और closed डेट दी जाती है जिनमें वे शेयर खरीदने के लिए अपना लॉट फिक्स कर सकते हैं। लॉट साइज (Lot size) वो होता है जिसमें निवेशकों को एक फिक्स अमाउंट का शेयर लॉट खरीदना होते हैं। अक्सर आईपीओ में मिले शेयर की कीमत बाज़ार की कीमत से कम होती है जिससे निवेशक को लाभ मिलता है। पर ध्यान रखने योग्य बात यह भी इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें है कि जब तक आपकी IPO खरीदने की बोली स्वीकृत या निरस्त नहीं की जाती तब तक आपके द्वारा लगाया गया पैसा अकाउंट में ब्लॉक कर दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल आप इस बीच नहीं कर सकते हैं।
आइए जानें कौनसे IPO आने वाले हैं जो मचा सकते हैं धमाल और आपको कर सकते हैं मालामाल।
आने वाले IPO जिनका स्टॉक मार्केट के दिग्गजों और निवेशकों को बेसब्री से इंतज़ार है वो हैं LIC, PAYTM, UTKARSH SMALL FINANCE BANK, STERLITE POWER, KEVENTER AGRO, PHARM EASY, FINO PAYMENT BANK, POLICY BAZAR, BAJAJ ENERGY के साथ और भी अन्य आईपीओ (IPO)। अब देखना ये होगा इनमें से कितने आईपीओ निवेशकों की उम्मीदों को पूरा करने में कारगर साबित होगे और कितने उनके शेयर मार्केट के इस डर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
DISCLAIMER:- MPBreakingnews दी गई जानकारी की जिम्मेदारी नहीं लेता है। इन्वेस्ट करने से पहले अच्छे से मार्केट की जानकारी प्राप्त करें।
टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट्स चुुनने से पहले ध्यान रखें ये 5 बातें
आप आखिरी समय में एक व्यावहारिक इंस्ट्रूमेंट का चुनाव कैसे कर सकते हैं? क्या आपको स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करना चाहिए या मार्केट लिंक्ड प्रॉडक्ट्स में? इस तरह का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जानें हर सवाल का जवाब।
हाइलाइट्स
- ज्यादा रिस्क वाले इंस्ट्रूमेंट का चुनाव करने पर फाइनैंशल नुकसान भी उठाना पड़ सकता है
- PPF में 15 साल का लॉक-इन होता है, ELSS में 3 से 5 साल का लॉक-इन होता है
- किसी प्रॉडक्ट का अंतिम चुनाव करने से पहले, अपने रिटर्न की सम्भावना का मूल्यांकन करें
- कुछ ऐसे टैक्स सेविंग प्रॉडक्ट्स हैं जहां इन्वेस्टमेंट, रिटर्न, और मैच्योरिटी पर टैक्स बेनिफिट मिलता है
आप आखिरी समय में एक व्यावहारिक इंस्ट्रूमेंट का चुनाव कैसे कर सकते हैं? क्या आपको स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करना चाहिए या इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें मार्केट लिंक्ड प्रॉडक्ट्स में? इस तरह का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? यहां ऐसी 5 बातें बताई गई हैं जिनकी मदद से आप अपने लिए सबसे अच्छे टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स का पता लगा सकते हैं।
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कितना रिस्क लेना चाहते हैं?
हर इन्वेस्टर की इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें रिस्क लेने की क्षमता अलग होती है। ज्यादा रिस्क वाले इंस्ट्रूमेंट का चुनाव करने पर फाइनैंशल नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। लेकिन, सिर्फ कम रिस्क वाले इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करने पर कम रिटर्न मिलता है जो आपके फाइनैंशल लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए काफी नहीं भी हो सकता है। इसलिए, अपनी रिस्क उठाने की चाहत के अनुसार अपने इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट का चुनाव करना जरूरी है। उदाहरण के लिए, कम रिस्क उठाने की चाहत रखने वाले इन्वेस्टर्स, PPF, NPS, टैक्स सेविंग FD, इत्यादि में इन्वेस्ट कर सकते हैं जबकि ज्यादा रिस्क उठाने की चाहत रखने वाले इन्वेस्टर्स, ELSS या ULIP में इन्वेस्ट करने का ऑप्शन चुन सकते हैं।
इन सभी इन्वेस्टमेंट्स पर इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिल सकता है। इसके अलावा, आपको अपने टोटल रिस्क को कंट्रोल में रखने के लिए इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें अलग-अलग रिस्क और ROI क्षमता वाले एक से अधिक इन्वेस्टमेंट्स की मदद से अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करके रखना चाहिए। इसके अलावा, आप मार्केट के उतार-चढ़ाव के झटकों को बर्दाश्त करने और मनचाहा रिटर्न पाने के लिए SIP के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करके ELSS जैसे ज्यादा रिस्की प्रोडक्ट्स के रिस्क को भी कम कर सकते हैं।
लिक्विडिटी की जरूरत
सभी टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स में लॉक-इन होता है। उदाहरण के लिए, PPF में 15 साल का लॉक-इन होता है, ELSS में 3 से 5 साल का लॉक-इन होता है, टैक्स सेवर FD में 5 साल का लॉक-इन होता है इत्यादि। यदि आप कम लॉक-इन पीरियड वाले प्रॉडक्ट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप ELSS में इन्वेस्ट कर सकते हैं; दूसरी तरफ यदि आप लम्बे लॉक-इन पीरियड वाले प्रॉडक्ट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं लेकिन इन्वेस्टमेंट के बदले लोन भी लेना चाहते हैं तो PPF या NSC आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं। यदि आप कम रिस्क वाले टैक्स सेवर में इन्वेस्ट करना चाहते हैं जिसका लॉक-इन पीरियड मध्यम यानी 5 साल के आसपास हो लेकिन आपको लोन फसिलिटी की जरूरत नहीं है तो आप FD, सीनियर सिटिज़न्स सेविंग्स स्कीम्स, इत्यादि ऑप्शन चुन सकते हैं।
रिटर्न की उम्मीद
अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों की मांग को समझना किसी भी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटिजी का मुख्य अंग होता है - आम तौर पर टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स का चुनाव करते समय भी इसमें बदलाव नहीं होना चाहिए। इसलिए, किसी प्रॉडक्ट का अंतिम चुनाव करने से पहले, अपने रिटर्न की सम्भावना का मूल्यांकन करें और इस बात का पता लगा लें कि उसमें इन्वेस्ट करने पर आप समय पर अपने फाइनैंशल लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे या नहीं। उदाहरण के लिए, यदि आप मध्यम से अधिक रिस्क उठाने की चाहत रखते हैं और आपको किसी फाइनैंशल लक्ष्य को पूरा करने के लिए 12% का ऐनुअल रिटर्न चाहिए तो आप एक 5 स्टार रेटिंग और शानदार ट्रैक रिकॉर्ड वाली ELSS स्कीम में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच सकते हैं।
कमिटमेंट इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें पीरियड
जब बात इन्वेस्टमेंट को जारी रखने और फिर से इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत की बात आती है तो कुछ टैक्स सेविंग प्रोडक्ट्स अन्य प्रोडक्ट्स की तुलना में ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक ELSS में मौजूदा फाइनेंसियल वर्ष में एक बार (एक सिंगल लम्प सम पेमेंट के साथ) इन्वेस्ट कर सकते हैं लेकिन अगले साल छोड़ सकते हैं। इसी तरह, आप एक टैक्स सेविंग FD या NSC में एक लम्प सम अमाउंट इन्वेस्ट कर सकते हैं। इसमें आपको डिपोजिट पीरियड के दौरान और कोई इन्वेस्टमेंट करना नहीं पड़ेगा। दूसरी तरफ, कई टैक्स सेवर्स ऐसे होते हैं जिनके लिए लॉन्ग टर्म कमिटमेंट की जरूरत पड़ती है। कहने का मतलब है कि भविष्य में इन्वेस्टमेंट बंद करने पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप टैक्स बचाने के लिए एक एंडोमेंट प्लान खरीदते हैं लेकिन उसे एक साल के बाद चालू रखना नहीं चाहते हैं तो उसे मैच्योरिटी पीरियड से पहले बंद करने पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। जब तक आपको अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लॉन्ग टर्म कमिटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती तब तक आपको टैक्स सेविंग प्रोडक्ट्स से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसमें भी लॉन्ग टर्म कमिटमेंट की जरूरत पड़ती है।
टैक्स कुशलता
मार्केट में कुछ ऐसे टैक्स सेविंग प्रॉडक्ट्स हैं जहां इन्वेस्टमेंट, रिटर्न, और मैच्योरिटी पर टैक्स बेनिफिट मिलता है। ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स को "EEE” (एक्सेम्प्ट-एक्सेम्प्ट-एक्सेम्प्ट का संक्षिप्त रूप) कहा जाता है, कहने का मतलब है कि ऊपर बताए गए तीनों पैरामीटर्स यानी इन्वेस्टमेंट, रिटर्न, और मैच्योरिटी पर टैक्स नहीं लगता है। PPF एक ऐसा ही इंस्ट्रूमेंट है। दूसरी तरफ, कुछ इंस्ट्रूमेंट्स के मामले में रिटर्न पर टैक्स लगता है तो कुछ इंस्ट्रूमेंट्स के मामले में मैच्योरिटी पर टैक्स लगता है। ऐसे प्रोडक्ट्स को क्रमशः "ETE” (एक्सेम्प्ट टैक्स्ड एक्सेम्प्ट) और "EET” (एक्सेम्प्ट एक्सेम्प्ट टैक्स्ड) कहा जाता है। ELSS एक "EET” इन्वेस्टमेंट का उदाहरण है क्योंकि इसमें एक फाइनेंसियल वर्ष में 1 लाख रु. के LTCG पर 10% टैक्स लगता है जबकि टैक्स सेवर FD, “ETE” केटेगरी में आता है क्योंकि इसमें मिलने वाले इंटरेस्ट पर व्यक्ति के लागू होने योग्य टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है। इसलिए किसी भी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट का चुनाव करते समय उसकी टैक्स कुशलता को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है।
निष्कर्ष के तौर पर, टैक्स प्लानिंग आम तौर पर एक साल तक चलने वाली प्रक्रिया है, न कि आखिरी समय में की जाने वाली प्रक्रिया, ताकि कोई बड़ी गलती न हो। लेकिन, यदि आपके पास समय नहीं है तब भी आपको यह जरूर देख लेना चाहिए कि आपके टैक्स सेविंग सम्बन्धी उपाय, आपके फाइनैंशल लक्ष्यों, रिस्क उठाने की चाहत, और लिक्विडिटी सम्बन्धी जरूरतों के अनुरूप हों। मुझे उम्मीद इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें है कि इन 5 उपायों की मदद से आप सोच-समझकर इन्वेस्टमेंट से जुड़े फैसले ले पाएंगे। कोई संदेह होने पर, अपने फाइनेंसियल सलाहकार से बात करने में संकोच न करें।