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मुक्त व्यापार क्षेत्र

मुक्त व्यापार क्षेत्र

मुक्त व्यापार की नीति से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपरिभाषा देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। इसके तहत विभिन्न अर्थव्यवस्था वाले देशों के ख़रीददार और विक्रेता स्वेच्छा से सरकार, वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या किसी अन्य प्रतिबंध मुक्त व्यापार क्षेत्र की चिंता किये बिना व्यापार कर सकते हैं।

इसे सुनेंरोकेंमुक्त व्यापार आयात और निर्यात के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने की नीति है। विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के खरीदारों और विक्रेता स्वैच्छिक रूप से माल और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या प्रतिबंध लागू करने के बिना सरकार के व्यापार कर सकते हैं। मुक्त व्यापार व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद के विपरीत है।

विकासशील देशों के लिए व्यापार की शर्तें प्रतिकूल क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंइसका परिणाम यह हुआ कि विकासोन्मुख देशों के पास निर्यात में माँगी जाने वाली वस्तुओं की पर्याप्त पूर्ति नहीं है और अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त करना कठिन हो गया है जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक आयात को भी कम करना पड़ता है जो विकास की गति को अवरुद्ध कर देता है ।

मुक्त व्यापार क्षेत्र के संबंध में कर प्रावधान क्या हैं?

इसे सुनेंरोकेंमुक्त व्यापार समझौता (FTA) यह दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता है। एक मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा एवं बेचा जा सकता है, जिसके लिये बहुत कम या न्यून सरकारी शुल्क, कोटा तथा सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं।

4 भारतीय विदेशी व्यापार प्रतिकूल क्यों हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसके विपरीत यदि निर्यात आयातों से कम होते हैं तो व्यापार सन्तुलन प्रतिकूल (Unfavourable) होता है। प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन के कारण विदेशी विनिमय या विदेशी मुद्रा कोष में कमी आती है तथा अनुकूल व्यापार सन्तुलन के कारण विदेशी विनिमय के कोष में वृद्धि होती है।

विकासशील अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग – अधिकांश विकासशील देशों में पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन पाये जाते हैं, मुक्त व्यापार क्षेत्र किन्तु पूँजी व तकनीकी ज्ञान की कमी, कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी, विशेषज्ञों के अभाव, परिवहन-साधनों की कमी आदि के कारण ये अपने प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं कर पाये हैं।

दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र पर कौन सा समझौता हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार समझौता (साप्टा) को 1995 में लागू मुक्त व्यापार क्षेत्र किया गया।

भारतीय मूल की ब्रिटिश गृह मंत्री के बयान से खफा हुआ भारत, सरकार ने दी सफाई

भारत के साथ फ्री ट्रेड डील ( मुक्त व्यापार समझौता) को अटकते देख ब्रिटेन ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा कि हम भारत के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध बनाना चाहते हैं. ब्रिटेन मुक्त व्यापार क्षेत्र की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन के बयान के बाद भारत ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि कोई भी समझौता होता है वह दोनों पक्षों के लाभ को देखते हुए ही होता है.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जेम्स क्लेवरली ( फोटोः गेटी )

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 15 अक्टूबर 2022, 11:00 AM IST)

भारतीय मूल की ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन के भारतीय प्रवासियों को लेकर दिए गए बयान के मुक्त व्यापार क्षेत्र बाद से ही भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) अटक जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. ब्रिटिश गृह मंत्री ने मुक्त व्यापार समझौते का विरोध करते हुए कहा था कि इससे भारतीय प्रवासियों की भीड़ बढ़ जाएगी. ब्रिटेन ने अब इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि ब्रिटेन भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाना चाहता है.

क्या कहा ब्रिटेन ने
ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली से भारतीय प्रवासियों के बारे में गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की टिप्पणियों और एफटीए डील के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन का सहयोग कई क्षेत्रों में मजबूत रहा है. हम इस डील के द्वारा व्यापार क्षेत्र में भी सहयोग को मजबूत बनाना चाहते हैं.

तय समय सीमा में डील नहीं होगी पूरी
ब्रिटेन के ट्रेड सेक्रेटरी केमी बडेनोच ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि हम इस डील पर अभी भी काम कर रहे हैं. भारत से कई मुद्दों पर बातचीत जारी है. डील की गति के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोशिश है. इसलिए यह डील तय समय सीमा दीवाली तक नहीं हो पाएगी. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने इससे पहले कहा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच यह डील दीवाली से पहले हो जाएगी.

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भारत ने दी थी कड़ी प्रतिक्रिया
ब्रिटेन की गृह मंत्री की टिप्पणी पर भारत ने भी प्रतिक्रिया दी थी. मोदी सरकार ने कहा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच वीजा और प्रवास से संबंधित बातचीत चल रही है. अभी इस तरह के बयान का कोई औचित्य नहीं बनता है. भारत ने यह भी कहा था कि भविष्य में कोई भी समझौता दोनों तरफ के हितों को देखते हुए किया जाएगा.

क्या कहा था ब्रिटेन की गृह मंत्री ने
ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते का कड़ा विरोध किया था. ब्रिटिश मैगजीन स्पेक्टेटर मुक्त व्यापार क्षेत्र को दिए एक इंटरव्यू में ब्रेवरमैन ने कहा था कि ब्रिटिश लोगों ने ब्रेग्जिट से हटने के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र इसलिए वोट नहीं किया था कि भारतीयों के लिए ब्रिटेन की सीमा इस तरह से खोल दिया जाए. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रवासी ब्रिटेन में अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय बिताते हैं. इस डील से ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाएगी.

क्या है मुक्त व्यापार समझौता
इस डील की मदद से ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लीज ट्रस ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में जान फूंकना चाहती हैं, वहीं भारत इस डील से अपने कामगारों और पढ़ने जाने वाले छात्रों के लिए वीजा में रियायात का मांग कर रहा है. इस डील की मदद 2030 तक दोनों देश के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने की उम्मीद है.

भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत 24 नवंबर से होगी शुरू

भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत 24 नवंबर से शुरू होगी. यह एफटीए वार्ता की एक प्रकार से मुक्त व्यापार क्षेत्र बहाली होगी क्योंकि भारत और जीसीसी के बीच दो दौर की वार्ता 2006 और 2008 में हो मुक्त व्यापार क्षेत्र मुक्त व्यापार क्षेत्र चुकी है.

Updated: November 17, 2022 12:38 PM IST

भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत 24 नवंबर से होगी शुरू

भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की खातिर मुक्त व्यापार समझौते पर 24 नवंबर को वार्ता की शुरुआत कर सकते हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

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जीसीसी खाड़ी क्षेत्र के छह देशों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का संघ है.

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘जीसीसी के अधिकारी वार्ता शुरू करने के लिए यहां आएंगे, इसकी शुरुआत 24 नवंबर से होगी.’’

भारत संयुक्त अरब अमीरात के साथ इस वर्ष मई में मुक्त व्यापार समझौता कर चुका है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 16 नवंबर को कहा था कि भारत अब नया मुक्त व्यापार समझौता शुरू करेगा.

यह एफटीए वार्ता की एक प्रकार से बहाली होगी क्योंकि भारत और जीसीसी के बीच दो दौर की वार्ता 2006 और 2008 में हो चुकी है.

भारत सऊदी अरब और कतर जैसे खाड़ी देशों से मुख्य रूप से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है. वहीं मोती, बहुमूल्य रत्न, धातु, लोहा और इस्पात, रसायन आदि का भारत इन देशों को निर्यात करता है.

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जीसीसी को भारत से किया जाने वाला निर्यात 2021-22 में 58.26 फीसदी बढ़कर करीब 44 अरब डॉलर हो गया. 2020-21 में यह 27.8 अरब डॉलर ही था.

भारत के कुल निर्यात में इन छह देशों की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 10.4 फीसदी हो गई जो 2020-21 में 9.51 फीसदी थी. इसी प्रकार आयात भी 85.8 फीसदी बढ़कर 110.73 अरब डॉलर हो गया जो 2020-21 में 59.6 अरब डॉलर था.

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तुर्की के क्षेत्रीय मुक्त-व्यापार समझौते

Why Do You Need to Buy a House in 2022?

क्षेत्रीय व्यापार समझौता उन देशों को अनुमति देता है, जो ज्यादातर भौगोलिक क्षेत्र में स्थित हैं, उनके बीच के विदेशी व्यापार अवरोधों को दूर करके व्यापार को पारस्परिक रूप से उदार बनाने के लिए। आज की कुछ मुक्त व्यापार क्षेत्र आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विश्व व्यापार संगठन के नियमों की अक्षमता और नए बाजार के उद्घाटन के संदर्भ में बहुपक्षीय व्यापार आदेश की अपर्याप्तता ने देशों को द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार समझौते करने के लिए प्रेरित किया है।

देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) नेटवर्क के विस्तार के साथ, कई देशों ने एफटीए भागीदारों से अपना माल उपलब्ध कराया है, और एफटीए नेटवर्क से बाहर के देशों को तरजीही व्यापार के कुछ अवसरों से वंचित किया गया है। इसने सरकारों को FTA नेटवर्क बनाने के लिए प्रेरित किया है।

इस संदर्भ में, तुर्की ने उन देशों के साथ आपसी लाभ के आधार पर इसी तरह के समझौतों का निष्कर्ष निकाला है, जिनके साथ यूरोपीय संघ ने मुक्त व्यापार समझौतों का निष्कर्ष निकाला है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एफटीए नेटवर्क बनाने की प्रवृत्ति और सीमा शुल्क संघ ढांचे के भीतर है।

तुर्की ने 38 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 11 को मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ संपन्न किया गया है, उनकी यूरोपीय संघ की सदस्यता के कारण समाप्त कर दिया गया है। शेष 22 एफटीए (ईएफटीए, इजरायल, मैसेडोनिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, फिलिस्तीन, ट्यूनीशिया, मोरक्को, मिस्र, अल्बानिया, जॉर्जिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया, चिली, मॉरीशस, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मोल्दोवा, फरो आइलैंड्स, सिंगापुर, कोसोवो, वेनेजुएला) , और यूनाइटेड किंगडम) वर्तमान में प्रभावी हैं।

ईएफटीए, सर्बिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, और मोंटेनेग्रो के साथ मौजूदा एफटीए के दायरे को अद्यतन करने और विस्तार करने के लिए संशोधन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए हैं। सर्बिया के साथ हस्ताक्षरित व्यवस्था 1 जून 2019 को लागू हुई। इसके अलावा, इसका उद्देश्य जॉर्जिया, मलेशिया और मोल्दोवा के साथ वार्ता को समाप्त करना है ताकि जल्द ही एफटीए को अद्यतन किया जा सके।

अनुमोदन प्रक्रिया में एफ.टी.ए.

लेबनान, सूडान और कतर के एफटीए आंतरिक अनुमोदन प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद लागू होंगे।

वार्ता प्रक्रिया में एफ.टी.ए.

यूक्रेन, जापान, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ बातचीत एफटीए वार्ता के दायरे में सक्रिय रूप से जारी है, जिसे आधिकारिक तौर पर 17 देशों के साथ शुरू किया गया है। मेक्सिको, पेरू, कोलंबिया, MERCOSUR, इक्वाडोर, कैमरून, चाड, गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सेशेल्स, जिबूती, और पाकिस्तान के साथ वार्ता में तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इन वार्ताओं के दायरे में, वस्तु व्यापार के अलावा, यूक्रेन के साथ सेवा व्यापार, पेरू और मेक्सिको के साथ सेवा व्यापार और निवेश, सेवा व्यापार, निवेश और जापान के साथ सार्वजनिक खरीद पर भी चर्चा की जा रही है।

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