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लिक्विडिटी

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एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर लिक्विडटी की कमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. कुल सीडी 21 अक्टूबर के समय 2.41 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इस अवधि में 57 हजार करोड़ रुपये था. घोष ने रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉन्ड प्रतिफल भी अप्रैल 2022 के बाद 2.लिक्विडिटी 55 प्रतिशत बढ़ा है और अक्टूबर 2022 में 6.92 प्रतिशत रहा. रिपोर्ट के अनुसार पॉजिटिव बात ये है कि डिपॉजिट जुटाने और कर्ज देने को लेकर जो होड़ है, वह ‘एएए’ दर्जे वाले कर्जदारों तक सीमित है.

क्रेडिट ग्रोथ एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में क्रेडिट ग्रोथ पिछले एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर 18 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ काफी पीछे चल रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैंकिंग सिस्टम में कैश की कमी की मुख्य वजह आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए बैंकों से अतिरिक्त कैश को वापस लेना है. वहीं RBI द्वारा पिछले 10 महीने से रिटेल मुद्रास्फीति के तय सीमा से ऊपर बने रहने की वजह से रेपो रेट में इजाफा किया जा रहा है. पिछले छह महीने में आरबीआई ने रेटो रेट में 1.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है.

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रिटेल मुद्रास्फीति को 4% लिक्विडिटी पर रखना है RBI का लक्ष्य

SBI की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई रिटेल मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर रखना चाहता है. ब्याज दर बढ़ने से पहले अप्रैल 2022 के दौरान बैंकिंग सिस्टम में एवरेज नेट ड्यूरेबल लिक्विडिटी 8.3 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब घटकर 3 लाख करोड़ रुपये के करीब रह गई है. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार ने दिवाली के हफ्ते में कैश बैलेंस का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया है, जिसकी वजह से लिक्विडिटी के स्तर में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है. इसके साथ ही सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की ओर से अपने कर्मचारियों को दिए गए बोनस से भी लिक्विडिटी लिक्विडिटी बढ़ी है.

एलएएफ मौद्रिक नीति में इस्तेमाल किये जाने वाला एक उपाय है. इसके जरिये रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकदी प्रबंधन के लिये रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का उपयोग करता है. एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति लिक्विडिटी घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकों में एक तरफ ब्याज दर बढ़ी है, दूसरी तरफ नकदी को सोच-विचार कर कम किया गया है. लेकिन एक चीज अभी भी नहीं बदली है. वह है कर्ज को लेकर जोखिम का पर्याप्त रूप से प्रबंधन.

कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी

उन्होंने कहा कि एक तरफ कर्ज की मांग एक दशक के उच्चस्तर पर है, जबकि कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार भले ही बैंकिंग सिस्टम में नेट एलएएफ घाटा देखा जा रहा है. हालांकि मार्केट सूत्रों का कहना है कि मुख्य डिपॉजिट की लागत के ऊपर लोन को लेकर जो रिस्क है, उसका ध्यान नहीं लिक्विडिटी रखा गया है.

उदाहरण के लिये एक वर्ष से कम अवधि का कार्यशील पूंजी कर्ज 6% से कम दर पर दिया जा रहा है और यह एक महीने लिक्विडिटी व तीन महीने के ट्रजरी बिल की दर से जुड़ा है, जबकि 10 और 15 वर्ष के कर्ज की लागत 7% से कम है. यहां पर 10 साल की अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियां करीब 7.46% के आसपास की दर पर कारोबार रही हैं. वहीं 91 दिन की अवधि वाले ट्रेजरी बिल 6.44% की दर पर कारोबार कर रहे हैं, जबकि 364 दिन के ट्रेजरी बिल की लागत 6.97% प्रतिशत है.

बैंक एफडी या लिक्वि‍डिटी फंड? सुरक्ष‍ित न‍िवेश के ल‍िए बेहतर व‍िकल्‍प कौन, जान‍िए

बैंक एफडी या लिक्वि‍डिटी फंड? सुरक्ष‍ित न‍िवेश के ल‍िए बेहतर व‍िकल्‍प कौन, जान‍िए

जानिए आपके लिए निवेशे के कौन से हैं बेहतर विकल्‍प (फोटो-Freepik)

रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों की ओर से एफडी पर ब्‍याज दर में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई मई से अभी तक 190 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत है। वहीं अभी हाल ही में एसबीआई बैंक, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने टर्म डिपॉजिट पर 2 करोड़ से कम जमा पर ब्‍याज में बढ़ोतरी की है।

इन बैंकों के लिक्विडिटी ब्‍याज में बढ़ोतरी के कारण एफडी के इंटरेस्‍ट रेट हाई हो चुके हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्‍प हो चुका है। कई एक्सपर्ट के अनुसार, मुद्रास्फिति को मात देने के लिए एफडी पर वर्तमान ब्‍याज अच्‍छा है। हालांकि कई एक्‍सपर्ट का मानान है कि निवेशकों को लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा स्‍कीम बेहतर हो सकता है।

लिक्विडी फंड क्‍या है?

लिक्विड फंड 91 दिनों या 3 महीने तक की मैच्‍योरिटी वाली फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी सिक्योरिटीज, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश किया जा सकता है। एक्‍सपर्ट मनोज डालमिया ने कहा कि लिक्विड फंड में कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब रिडीम कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई लॉक इन पीरियड नहीं है। लिक्विड फंड शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दोनों विकल्‍प के साथ आता है और इसमें इंडेक्सेशन लाभ भी हैं।

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फिक्‍स डिपॉजिट (FD) क्या हैं?

फिक्‍स डिपॉजिट में कोई 7 दिनों से लेकर 10 साल तक निवेश कर सकता है, लेकिन रिटर्न केवल लंबी अवधि में अधिक होता है और कम समय में बचत खातों में समान रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है। मनोज डालमिया के अनुसार, बैंक सावधि जमा में लॉक इन पीरियड होता है और जल्दी निकासी करना केवल दंड के साथ ही संभव है। यह ब्याज आय को कम करता है।

मनोज डालमिया के मुताबिक, लिक्विड फंड और बैंक एफडी दोनों का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म सरप्लस को कम करने और कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न गेन करने के लिए किया जा सकता है। वहीं आप लिक्विड फंड में कभी भी पैसे की निकासी लिक्विडिटी कर सकते हैं।

RBI ने शुरू की 15000 करोड़ की ऑन-टैप लिक्विडिटी, बैंकों से रेस्टोरेंट्स और ब्यूटी पार्लर ले सकेंगे लोन

कोरोन वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित कॉन्टैक्ट-इनटेंसिव सेक्टर्स के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा ऐलान किया है. कॉन्टैक्ट इंटेंसिव सेक्टर के लिए आरबीआई ने 15,000 करोड़ रुपए की ऑन-टैप लिक्विडिटी की शुरुआत की है. इससे रेस्टोरेंट्स, बस ऑपरेटर्स, टूरिज्म, ब्यूटी पार्लर और एविएशन सर्विसेज को अतिरिक्त लेंडिंग सपोर्ट मिलेगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, RBI वित्तीय स्थिरता का माहौल सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

आरबीआई लिक्विडिटी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई का ध्यान लिक्विडिटी का समान रूप से वितरण करना है. हमें इकोनॉमी को वापस से ग्रोथ के रास्ते पर ले जाने के लिए सक्रिय रुख अख्तियार करने की जरूरत है. दास ने कहा कि इंडस्ट्री में 36,545 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी डाली गई है. गवर्नमेंट सिक्योरिटीज 1.0 (G-Sec) के तहत 40,000 करोड़ रुपए की सिक्योरिटीज खरीदने के लिए एक अन्य अभियान चलाया जाएगा

NBFCs और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को RBI का तोहफा, Special Liquidity scheme का ऐलान

NBFCs

नई दिल्ली: गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यानी NBFCs को काफी लंबे लिक्विडिटी समय से लिक्विडिटी की समस्या ( Liquidity crunch ) से जूझ रहे हैं अब फाइनली Reserve Bank of India ने nbfcs or housing finance companyको बड़ी राहत देते हुए स्पेशल लिक्विडिटी परपज व्हीकल एसपीवी के जरिए स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम ( SPL Liquidity scheme ) देने का ऐलान किया है आपको बता दें कि मई के महीने में भी सरकार की तरफ से एनबीएफसी के लिए 30000 करोड रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम का ऐलान किया गया था

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी एसबीआई कैप ( SBI CAP ) ने एसएलएस ट्रस्ट ( SLS TRUST ) नाम से एसपीवी बनाया है। इसी ट्रस्ट के जरिए एनबीएफसी ( NBFCs ) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ( HFCs ) को लिक्विडिटी स्कीम ( Liquidity Scheme ) से जुड़ा जाने का प्लान है। हालांकि स्कीम से जोड़ने के लिए कुछ शर्तें रखी गई है और इसका फायदा उन शर्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को ही दिया जाएगा।

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