ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं

साथ ही, ETF पैसिव कैटेगरी के फंड हैं – यही वजह है कि इनके रिटर्न इंडेक्स जैसे रहते हैं और खर्च यानी एक्सपेंस रेश्यो भी अन्य म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम रहता है.
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ: निवेश का बेहतर विकल्प
मुंबई- अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो सही शेयर में निवेश का निर्णय लेना आसान नहीं है। इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी कारोबारी संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहीं पर निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) सामने आता है।
ईटीएफ एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करता है। इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती प्वॉइंट में से एक है।
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण प्रदान करता है। एक विविध पोर्टफोलियो किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है, जो कि किसी स्टॉक में निवेश करने के मामले में नहीं होता है। केवल ईटीएफ ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की जरूरत पड़ती है। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
ETF in Hindi ईटीएफ क्या है
ETF in Hindi ईटीएफ क्या है, Exchange Traded Fund एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड क्या होते हैं और इनमें कैसे निवेश किया जाता है. ETF कैसे म्यूच्यूअल फंड्स से अलग होते हैं, ETF की संरचना कैसे होती है और इसके फायदे क्या होते हैं.साथ ही जानिये कि ETF में निवेश करने से आप अपने निवेश के रिस्क को कैसे कम कर सकते हैं.
ETF in Hindi
ETF in Hindi – लोकप्रिय निवेश का साधन
ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड वास्तव में इंडेक्स फण्ड होते हैं जो कि स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों की तरह ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं ही ख़रीदे और बेचे जाते हैं. विश्व भर में ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड रिटेल निवेशकों और संस्थागत निवेशकों में बहुत ही लोकप्रिय निवेश का साधन है. हम यह कह सकते हैं कि यह एक सस्ता निवेश का साधन है क्योंकि इस फण्ड में चार्जेज आम तौर पर दुसरे फंड्स के मुकाबले कम होते हैं. आप इन्हें अपने ब्रोकर से अथवा सीधे फण्ड हाउस से भी खरीद सकते हैं. जहां म्यूच्यूअल फण्ड दिन के आखिर में NAV पर लिए जाते हैं, ETF ट्रेडिंग के घंटों में ही उस समय के ट्रेडिंग के वास्तविक कीमतों पर ख़रीदे और बेचे जा सकते हैं. यानि ETF में डे ट्रेडिंग भी संभव है.
ETF की संरचना अपने इंडेक्स पर ही आधारित होती है. उदाहरन के लिए निफ्टी या सेंसेक्स इंडेक्स.
सेंसेक्स ETF में Sensex में शामिल 30 शेयरों में उनके मार्किट कैपिटल के अनुसार वैसे ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं ही निवेश किया जाता जैसे उनका सेंसेक्स में महत्त्व है. इसी प्रकार निफ्टी ETF में भी Nifty शेयरों में निवेश किया जाता है. इसी प्रकार उद्योग आधारित इंडेक्स जैसे फार्मा इंडेक्स, बैंकिंग इंडेक्स या मिड कैप, स्माल कैप इंडेक्स अथवा कमोडिटी आधारित ETF जैसे गोल्ड ETF हो सकते हैं.
ETF in Hindi – फायदे
खरीदने बेचने में आसान. क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स (सेंसेक्स या निफ्टी आदि) में शामिल शेयर अलग अलग उधोगों से शामिल किये जाते हैं, इंडेक्स ETF में विविधिता आ जाती है जिससे निवेश के रिस्क में कमी हो जाती है. ETF सुविधाजनक हैं, आप सेंसेक्स के तीस और निफ्टी के पचास शेयरों में एक साथ निवेश कर सकते हैं. उसी प्रकार आप वास्तविक गोल्ड या सोना ना खरीद कर गोल्ड ETF खरीद सकते हैं ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं जो की अधिक सुविधाजनक है. ETF में कम राशि से निवेश की जा सकती है. आप ETF में SIP भी ले सकते हैं.
जिन लोगों को शेयर बाजार की ज्यादा जानकारी नहीं है या शेयर बाजार में अधिक रिस्क लेने से बचना चाहते हैं उनके लिए म्यूचुअल फंड और ETF में निवेश करना आसन भी है कम रिस्क वाला भी. ETF आपके निवेश को Diversity यानि विविधता प्रदान करता है.
यहाँ हमने ईटीएफ क्या है ETF in Hindi सरल भाषा में समझाने की कोशिश की है फिर भी यदि आपका इससे सम्बंधित कोई प्रश्न ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं है तो टिप्पणी में पूछ सकते हैं, मैं जवाब देने की कोशिश करूंगा.
डेट ETF में होगी कितनी कमाई, कितना है जोखिम? जानें कैसे आपके काम आएंगे ये विकल्प
- Khushboo Tiwari
- Publish Date - July 5, 2021 / 04:06 PM IST
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.
Debt ETF: मई में कुल 4 ETF लॉन्च हुए थे जिनमें 444 करोड़ रुपये का निवेश आया. इनमें हेल्थकेयर के दो ETF थे और एक अमेरिकी बाजार में निवेश वाला ETF था. चौथा फंड था एक्सिस का ट्रिपल ए बॉन्ड प्लस एसडीएल ETF – 2026 मैच्योरिटी. नाम भारी भरकम है, और निवेशकों को समझना मुश्किल हो सकता है. ये है एक डेट कैटेगरी का ETF. ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और डेट यानी वो कैटेगरी जिनमें शेयरों में निवेश ना कर बॉन्ड, कमर्शियल पेपर्स आदि में निवेश होता है. डेट का मतलब है कंपनियों को उधारी देकर उसपर मिलने वाले ब्याज से कमाई.
क्या है ये डेट ETF?
डेट एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स (Debt ETF) के जरिए निवेशकों को मौका मिलता है कि वे फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में निवेश कर सकें और साथ ही उन्हें ETF के फायदे भी मिल सकें. निवेशक इससे म्यूचुअल फंड के जरिए डेट के सुरक्षित निवेश के साथ ही स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदने-बेचने की सुविधा का भी फायदा उठा सकें.
ये ETF किसी भी अन्य शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं. शेयर बाजार के कारोबारी समय के दौरान इनमें खरीदारी या इन्हें बेचने की ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं सुविधा होती है, वो भी लाइव भाव पर यानी लगातार बदलते भाव पर.
जैसे इक्विटी कैटेगरी के ETF किसी एक इंडेक्स को आधार मानकर उसके तहत आने वाले शेयरों में निवेश करते हैं वैसे ही डेट ETF भी किसी एक इंडेक्स को आधार मानकर उसके अंतर्गत आने वाले सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. इससे निवेशकों को जानकारी रहती है कि उनका फंड किन सिक्योरिटीज में पैसा लगा रहा है.
कहां होता है निवेश?
सरकारी सिक्योरिटीज, सरकारी कंपनियों के बॉन्ड्स, गिल्ट्स, NCDs, बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, डिबेंचर्स आदि में निवेश किया जाता है.
इन सभी की रेटिंग, फंड में वेटेज जैसी जानकारी आपको इंडेक्स के जरिए पता चल जाता है. म्यूचुअल फंड होने के कारण इनमें निवेशक को डेट सिक्योरिटीज का एक बास्केट कम रकम में भी खरीदने का मौका मिलता है.
डेट ETF जिस इंडेक्स को आधार मानता है उनका मैनेजमेंट कोई रेटिंग एजेंसी या स्टॉक एक्सचेंज करता है.
एक्सपर्ट्स की सलाह रहती है कि कोई भी ETF चुनने से पहले उसमें ट्रैकिंग एरर जरूर देख लें – यानी तय इंडेक्स के मुकाबले इस फंड का प्रदर्शन कैसा है.
(Disclaimer: Money9.com खरीदारी या बिकवाली पर कोई सलाह नहीं देता. कोई भी निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर के सलाह लें)
Nifty 50 ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका
कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है।
कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, हमारे सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी एक्सपोजर के तत्व की आवश्यकता होती है, चाहे वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से हो या सीधे स्टॉक या इन दोनों के मिले जुले माध्यम से हो। लेकिन, अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो निवेश करने के लिए सही कंपनी पर निर्णय लेना आसान नहीं है और इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ सामने आता है। ईटीएफ, जो एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे एक म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है।
आपके फायदे की बात: निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न तो 'फंड ऑफ फंड्स' में लगाएं पैसा, बीते 1 साल में दिया 51% तक का रिटर्न
बढ़ती महंगाई में अगर आप अपने निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न चाहते हैं ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं तो आप म्यूचुअल फंड की 'फंड ऑफ फंड्स' कैटेगरी में निवेश कर सकते हैं। इसने बीते 1 साल में 51% तक का रिटर्न दिया है। आज हम आपको म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी के बारे में बता रहे हैं।
'फंड ऑफ फंड्स' क्या हैं?
फंड ऑफ फंड्स म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम्स हैं जो दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करती हैं। लेकिन यह इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) तक सीमित नहीं है। उदाहरण के लिए अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा, फंड मैनेजर जिस भी स्कीम में पैसा लगाना चाहे लगा सकता है।