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Trading क्या है?

Trading क्या है?
TRADING KYA HAI

पुट ऑप्शन – पुट ऑप्शन की खरीद, बिक्री, फॉर्मूला और ट्रेडिंग

आइए हम पुट ऑप्शन के बेसिक्स पर चर्चा करते हैं और फिर हम पुट ऑप्शन प्रीमियम और ट्रेडिंग के लिए आगे बढ़ेंगे:

Put Options क्या है?

पुट ऑप्शन एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशेष प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस के रूप में भी जाना जाता है, पर बेचने की बाध्यता नहीं देता है׀

पुट ऑप्शन को कई अंडरलाइंग एसेट्स जैसे स्टॉक, करेंसी, और कमोडिटी पर भी ट्रेड किया जा सकता है।

वे एक विशेष प्राइस से नीचे के एसेट की प्राइस में गिरावट के खिलाफ हमारे ट्रेडों की रक्षा करने में हमारी सहायता करते हैं׀

प्रत्येक पुट कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग सिक्योरिटी के 100 शेयर शामिल होते हैं।

ट्रेडर्स को पुट खरीदने या बेचने के लिए अंडरलाइंग एसेट का मालिक होना आवश्यक नहीं है।

एक निश्चित पीरियड में, किसी विशेष प्राइस पर एसेट बेचने के लिए, पुट खरीदार के पास अधिकार है, लेकिन बाध्यता नहीं।

जबकि, विक्रेता के पास स्ट्राइक प्राइस पर एसेट खरीदने की बाध्यता होती है यदि ऑप्शन के मालिक ने उनके पुट ऑप्शन का उपयोग किया है।

Put Options खरीदने से क्या तात्पर्य है?

पुट खरीदी पुट ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है।

जब ऑप्शन ट्रेडर के पास किसी विशेष स्टॉक पर बेयरिश व्यू होता है, तो वह एसेट की प्राइस में गिरावट से प्रॉफिट के लिए पुट ऑप्शन की खरीदी कर सकता है।

प्रॉफिट कमाने की इस स्ट्रेटेजी के लिए एसेट का प्राइस एक्सपायरेशन डेट से पहले पुट ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से नीचे मूव करनी चाहिए।

उदाहरण:

मान लीजिए कि शेयर 4900 रूपये पर ट्रेड कर रहा है और एक महीने के समय में एक्सपायर होने वाला 70 रूपये की स्ट्राइक प्राइस के साथ पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है।

आप उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले सप्ताहों में उनकी अर्निंग रिपोर्ट के बाद स्टॉक की प्राइस में तेजी से गिरावट आएगी।

दिए गए उदाहरणों का पे-ऑफ चित्र नीचे दिए गए चित्र जैसा होगा:

अगर कीमतें उम्मीद के अनुसार गिरती हैं तो हम अनलिमिटेड प्रॉफिट कमा सकते हैं।

लेकिन अगर हमारा ट्रेड हमारी उम्मीदों के अनुसार नहीं होता है, तो हमारा लॉस केवल प्रीमियम प्राइस तक लिमिटेड होगा जिसका हमने भुगतान किया था।

आप Elearnoptions का उपयोग करके लॉन्ग पुट ऑप्शन स्ट्रेटेजीज का अभ्यास कर सकते हैं׀

पुट ऑप्शन बेचने से क्या तात्पर्य है?

पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू गंवाने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।

एक बार जब पुट एक खरीदार को बेच दिया जाता है, तो विक्रेता को स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने की बाध्यता होती है, यदि ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है।

लाभ कमाने के लिए स्टॉक प्राइस को स्ट्राइक प्राइस से ऊपर होना चाहिए।

यदि एक्सपायरेशन डेट से पहले अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है, तो खरीदार को बिक्री करने पर प्रॉफिट होता है।

खरीदार को पुट बेचने का अधिकार है, जबकि विक्रेता को इसके लिए बाध्यता है और वह स्पेसिफिक स्ट्राइक प्राइस पर पुट खरीदता है।

हालांकि, यदि पुट स्ट्राइक प्राइस से ऊपर है, तो खरीदार नुकसान उठाने के लिए खड़ा होता है।

उपरोक्त चित्र से हम यह कह सकते हैं कि प्रॉफिट प्रीमियम तक लिमिटेड है जबकि यदि प्राइस हमारी अपेक्षा के विपरीत मूव करते हैं तो हमें अनलिमिटेड लॉस हो सकता है।

पुट ऑप्शन फार्मूला:

यदि आप पुट ऑप्शन की वैल्यू की गणना करना चाहते हैं, तो हमें 2 पैरामीटर की आवश्यकता होगी:

• एक्सरसाइज प्राइस
• अंडरलाइंग एसेट की करंट मार्केट प्राइस

यदि ऑप्शन का उपयोग किया जाता है, तो हम नीचे दिए गए सूत्र द्वारा, पुट ऑप्शन की वैल्यू का पता लगा सकते हैं:

वैल्यू= एक्सरसाइज प्राइस – अंडरलाइंग एसेट की मार्केट प्राइस

यदि ऑप्शन का उपयोग नहीं किया जाता, तो इसकी कोई वैल्यू नहीं होती हैं׀

पुट ऑप्शन प्रीमियम:

पुट ऑप्शन प्रीमियम की गणना करने के लिए, आपको आवश्यकता होगी:

• इन्ट्रिन्सिक वैल्यू
• टाइम वैल्यू

इन्ट्रिन्सिक वैल्यू की गणना करने के लिए, आपको अंडरलाइंग स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस और स्ट्राइक प्राइस की आवश्यकता होती है।

इन दोनों के बीच अंतर को इन्ट्रिन्सिक वैल्यू के रूप में जाना जाता है।

टाइम वैल्यू इस बात पर निर्भर करती है कि करंट डेट से एक्सपायरेशन डेट कितनी दूर है। साथ ही, वोलेटाइलिटी जितनी अधिक होगी, टाइम वैल्यू भी उतनी ही अधिक होगी׀

Put Trading क्या है? Options ट्रेडिंग:

एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है:

1. स्पेकुलेशन:

पुट ऑप्शन का व्यापक रूप से ट्रेडर द्वारा तब उपयोग किया जाता है जब अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में आपेक्षित गिरावट होती है׀

2. इंकम जनरेशन:

ट्रेडर्स सिक्योरिटी को होल्ड करने के स्थान पर शेयरों पर पुट ऑप्शन को बेच भी सकते हैं׀

3. टैक्स मैनेजमेंट:

ट्रेडर्स केवल पुट ऑप्शन पर टैक्स का भुगतान करके स्टॉक पर होने वाले कैपिटल लाभ पर भारी टैक्स का भुगतान करना कम कर सकते हैं।

आप StockEdge वेब वर्जन का उपयोग करके अगले दिन ट्रेडिंग करने के लिए स्टॉक फ़िल्टर करने के लिए ऑप्शन स्कैन का उपयोग भी कर सकते हैं׀

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पुट ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशिष्ट प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस भी कहा जाता है, पर बेचने की कोई बाध्यता नहीं देता है।
  • पुट खरीदी पुट ऑप्शन की ट्रेडिंग के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है।
  • पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू खोने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।
  • एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन, और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है।

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Algo Trading: क्या सच में हाई रिटर्न देती है एल्गो स्ट्रैटेजी? नितिन कामत ने कही ये बात

दावे किए जाते हैं इस तरह से ट्रेडिंग करके हाई रिटर्न मिलता है.

दावे किए जाते हैं इस तरह से ट्रेडिंग करके हाई रिटर्न मिलता है.

हाइलाइट्स

दावे किए जाते हैं कि एल्गो ट्रेडिंग के जरिए गारंटीड रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत को लगता है कि ये केवल लालच देने को कहा जाता है.
कामत ने कहा- पूर्व में मिले रिटर्न भविष्य की परफॉर्मेंस या परिणामों की गारंटी नहीं होते.

नई दिल्ली. इन दिनों एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) की काफी चर्चा है. सोशल मीडिया पर दावे किए जाते हैं कि एल्गो ट्रेडिंग के जरिए गारंटीड रिटर्न हासिल किया जा सकता है. लेकिन जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. नितिन कामत ने मंगलवार को कहा कि यह एक गलत अवधारणा (Misconception) है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देते हैं.

जेरोधा के को-फाउंडर ने यह बात मार्केट रेगुलेटर सेबी द्वारा ताजा गाइडलाइन्स जारी करने के बाद कही है. सेबी ने अन-रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स द्वारा ट्रेडिंग के लिए एल्गोरिदमिक स्ट्रैटेजीज़ ऑफर करने वाले को लेकर एक गाइडलाइन्स जारी की हैं. कामत का मानना​है कि इन मानदंडों के साथ एल्गोरिथम ट्रेडिंग में खामियों को दूर किया गया है.

क्या निर्देश दिए सेबी ने और क्यों?
बता दें कि सेबी ने एक सर्कुलर जारी करते हुए निर्देश दिया था कि जो स्टॉक ब्रोकर एल्गो ट्रेडिंग सर्विस दे रहे हैं, उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व में प्राप्त हुए रिटर्न या भविष्य में मिलने वाले संभावित रिटर्न्स अथवा एल्गोरिटमद के परफॉर्मेंस का कोई रेफरेंस नहीं देना है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एल्गो ट्रेडिंग एक तकनीक है, जो कुछ तय नियमों के हिसाब से अपने आप ट्रेड करती है. ऐसी ही सर्विस मुहैया कराने वाली कुछ फर्म्स निवेश पर हाई रिटर्न का लालच देकर लोगों को रिझाने की कोशिश कर रही हैं. सेबी ने निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस तरह का निर्देश जारी किया है.

एल्गो ट्रेडिंग से हाई रिटर्न के दावे करने वालों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपनी स्ट्रैटेजीज़ को रेटिंग्स तक दी हैं. इस रेटिंग को देखकर एक आम निवेशक आसानी से विश्वास कर सकता है. यह एक तरह से स्ट्रैटेजी बेचने वालों की भ्रामक रणनीति है.

नितिन कामत ने क्या-क्या कहा?
ट्विटर पर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देते हैं. ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है. लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं.”

मार्केट रेगुलेटरी ने एल्गोरिदम के जरिए पूर्व में या भविष्य के संभावित रिटर्न का लालच देने वाले ऐसे स्टॉक ब्रोकर को बैन भी किया है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे प्लेटफॉर्म से नाता रखते थे. सेबी ने ऐसे किसी भी दावे को अपने प्लेटफॉर्म या वेबसाइट से हटाने के निर्देश भी दिए थे.

नितिन ने कहा कि एक एल्गो स्ट्रैटेजी Trading क्या है? उतनी ही अच्छी होती है, जितना कि उसे बनाने वाला व्यक्ति. वह व्यक्ति डर, लालच और अन्य चीजों से प्रभावित होता है. आगे उन्होंने कहा कि हम सब जानते है कि पूर्व में मिले रिटर्न भविष्य की परफॉर्मेंस या परिणामों की गारंटी नहीं होते.

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Swing trading क्या है? स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक सिलेक्शन कैसे करें?

आप चाहें तो mutual funds मे भी निवेश कर सकते हैं परंतु यह सिर्फ एक पुराना तरीका है जिसमें सिर्फ लॉन्ग टर्म में ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा कारगर विकल्प Trading क्या है? है जिससे मदद से आप अपने पैसे पर कम समय में अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं ।

स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग तथा scalping समान ही है परंतु जो इसे अन्य प्रकारों से भिन्न बनाती है वह यह है कि इसमें आपके पास अपने निवेश संबंधी निर्णय को लेने के लिए पर्याप्त समय होता है जिसमें आप अपने तार्किक विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेते हैं

आज के इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्रेडिंग क्या है तथा उससे संबंधित विषयों के बारे में अध्ययन करेंगे ।

Table of Contents

Swing trading क्या है?

Swing trading, trading एक ऐसा प्रकार है जिसमें किसी कंपनी के शेयर को 1 दिन से अधिक समय के लिए खरीदा जाता है शेयर को खरीदने से लेकर बेचने की अवधि 1 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए हो सकती है।

यह ट्रेडिंग मार्केट में short term gain तथा medium term gains के लिए की जाती है यह ट्रेडिंग का एक ऐसा रूप होता है जिसमें ट्रेडिंग एक तय समय के लिए की जाती है स्विंग ट्रेडिंग मे इस तय समय में हुए मार्केट में शेयर के प्राइस मूवमेंट से लाभ प्राप्त किया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा प्रभावी होती है क्योंकि जहां एक तरफ निवेशकों को अपने निवेश पर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न अर्जित करने के लिए 1 साल या उससे अधिक का समय देना होता है वही एक स्विंग ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में अच्छे लाभ कमा कर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करना होता है क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग की मदद से आप हफ्ते मैं अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

इस ट्रेडिंग का उपयोग कोई भी आम व्यक्ति लॉयर डॉक्टर, बिजनेसमैन ,आर्किटेक्ट या कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की जॉब करता है वह कर सकता है।

इस ट्रेडिंग की मदद से आप शॉर्ट टर्म में शेयर के प्राइस मूवमेंट से पैसे कमा सकते हैं जिसमें टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके आप शेयर के प्राइस मूवमेंट का पता लगाकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में किसी शेयर में कितनी वृद्धि हो सकती है।

Swing trading में stock selection कैसे करें?

स्विंग ट्रेडिंग अन्य ट्रेडिंग के सिद्धांतों पर ही कार्य करती है ।परंतु इसमें व्यक्ति के पास अपने निर्णय लेने हेतु समय होता है। जिससे वह अपने नुकसान को सीमित कर सकता है। जिस प्रकार अन्य ट्रेडिंग प्रकारों में लाभ तथा हानि दोनों हो सकती हैं उसी प्रकार इसमें भी जोखिम रहता है। इसलिए यदि आप अच्छी तरह से स्टॉक का चयन करें तो आप अपने नुकसान को कम तो कर ही सकते हैं ।साथ ही साथ अपने लाभ की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

स्टॉक चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

मौलिक विश्लेषण

सर्वप्रथम किसी कंपनी के स्टॉक के चयन हेतु आपके पास उस कंपनी के विषय में कुछ मौलिक विश्लेषण होने चाहिए जैसे कि उस Trading क्या है? कंपनी का वैल्यूएशन कितना है वह कंपनी किस क्षेत्र में कार्यरत है तथा इससे पहले उसने कैसा कार्य किया है।

लिक्विडिटी

स्विंगट्रेडिंग करने से पहले आपको उसकी तरलता यह लिक्विडिटी के बारे में जान लेना चाहिए यदि उस शेयर की लिक्विडिटी अच्छी है तो आप कम समय में उससे अच्छा रिटर्न कमा पाएंगे।

ट्रेंड व मार्केट चाल

स्विंग ट्रेड करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आप उस कंपनी के पुराने डाटा के आधार पर आने वाले समय में उस शेयर में होने वाले बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं इसके आधार पर आपको उसके ट्रेंड शेयर की औसत चाल तथा उसके प्राइस मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी।

अन्य स्टॉक के साथ तुलना

किसी कंपनी को चयन करने से पहले आपको उस कंपनी के सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए जिससे आपको शेयर की जानकारी अच्छी तरीके से हो सके।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इसका समय काल 1 दिन से कुछ हफ्ते तक का होता है अतः आपको इसके विश्लेषण हेतु टाइम फ्रेम की आवश्यकता होती है। जिससे आप उसका सटीक आंकलन करके लाभ प्राप्त कर सकें।

चार्ट का अध्य्यन मे आपको मार्केट का विस्तृत आंकलन करने की आवश्यकता होती है इसके लिए आप चार्ट के weekly टाइम फ्रेम या day time frame का उपयोग कर सकते हैं साथ ही ट्रेडिंग की प्लानिंग हेतु 1घंटे या 4घंटे के टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें?

यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग से लाभ प्राप्त करना है तो आपको सही समय पर शेयर में एंट्री करने की आवश्यकता होती है।यह तय करने हेतु आपको मार्केट में विभिन्न रणनीतियां का उपयोग करना है। तथा किसी की सहायता से आप अपना लाभ भी तय कर सकते हैं।

Support and resistance

शेयर बाजार में सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि सपोर्ट मार्केट में खरीदारी को प्रदर्शित करता है ।अर्थात यहां खरीदारी का ज्यादा दबाव होता है ।तथा रेजिस्टेंस सप्लाई को अर्थात् बिकवाली को प्रदर्शित करता है तो यदि आप किसी शेयर मे एंट्री लेते हैं तो आप यह सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की सहायता से कर सकते हैं।यदि मार्केट कहीं स्ट्रांग सपोर्ट बना रहा है तो आप वहां छोटे स्टॉपलॉस के साथ एंट्री लेने की योजना बना सकते हैं तथा रेजिस्टेंस पर उसको बेच सकते हैं।

मूविंग एवरेज

मूविंग एवरेज मार्केट की औसत चाल को बताने का कार्य करता है चार्ट के तकनीकी विश्लेषण में 21,33,50 ,100,एवं 200 मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है। यह मार्केट के पिछले कुछ दिनों की औसत चाल के अनुसार आपको भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव का डाटा बताता है।इसकी सहायता से आप अपनी एंट्री की योजना बना सकते हैं।

इंडिकेटर का उपयोग

मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर उपलब्ध हैं जो आपको मार्केट की भिन्न-भिन्न दशाओं से अवगत कराते हैं आप इन इंडिकेटर्स का उपयोग करके प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की रणनीति को बना सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग मार्केट में कम समय में निवेश करके मुनाफा कमाने हेतु कारगर है। परंतु यदि आपस में सफल होना चाहते हैं तो आपको इसे सावधानी के साथ रिस्क मैनेजमेंट की सहायता से करना चाहिए। क्योंकि यदि आपको अपने लाभ के साथ-साथ अपने नुकसान के बारे में भी पता रहेगा तो आप मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकेंगे।

Trading kya hai? Trading कितने प्रकार का होता है? पूरी जानकारी हिंदी में ।

आखिर Trading kya hai ? यह सवाल ज्यादातर स्टॉक मार्केट में आए नए लोगों को बहुत परेशान करता है आजकल स्टॉक मार्केट में कई नए small ratailers आ रहे हैं और वे लोग ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट मैं अंतर को नहीं समझ पा रहे हैं तो आइए आज हम ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के बारे में इस लेख में पूरा विस्तार से समझते हैं यदि आप स्टॉक मार्केट में नए हैं तो आपको ट्रेडिंग क्या है और इन्वेस्टमेंट क्या है इनके बारे में संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए और इस पोस्ट में मैं आपको यही बताने की पूरी कोशिश करूंगा तो आप सभी इस पोस्ट को ध्यान से अंत तक जरूर पढ़ें।

ट्रेडिंग क्या है? Trading Kya Hai?

ट्रेडिंग का हिंदी मतलब होता है व्यापार आसान शब्दों में कहें तो ट्रेडिंग का मतलब होता है खरीदने और बेचने का व्यापार यानी कि किसी वस्तु या सेवा हो कम दामों में खरीद कर अधिक दामों में बेचना और उससे मुनाफा प्राप्त करना व्यापार या ट्रेडिंग कहलाता है।

TRADING KYA HAI

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग क्या है?

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग भी इसी प्रकार का होता है परंतु इसने लोग किसी वस्तु या सेवा को नहीं खरीदते या बेचते बल्कि स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के लिए लोग बड़े-बड़े कंपनियां व छोटे कंपनियों के शेयर को खरीदकर व उन्हें बेचकर मुनाफा प्राप्त करते हैं स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है इसका मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने व बेचने में हुए मुनाफे को स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग कहते हैं यदि वह 1 साल के समय अवधि से अधिक हो गया तो उसे ट्रेडिंग नहीं इन्वेस्टिंग कहा जाता है

उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी भी कंपनी का शेयर खरीद रहे होंगे तो कोई दूसरा व्यक्ति उसी कंपनी के शेयर को बेच रहा होगा तथा उससे वह मुनाफा व नुकसान प्राप्त कर रहा होगा ।
चलिए हम Trading क्या है? अपने डैली लाइफ में उसे करके आपको बताते हैं यदि हम किसी सब्जी मंडी में जाते हैं और ₹50 की कोई सब्जी लाते हैं और उसी को ₹60 में किसी कस्टमर को बेच देते हैं और रोजाना यही काम करते हैं तो यह ट्रेडिंग कहलाता है।

ठीक इसी प्रकार से स्टॉक मार्केट में भी होता है जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी का शेयर कम दामों में खरीदता है तथा उसका दाम बढ़ने पर अधिक दामों में बेच Trading क्या है? देता है तथा वह उससे कुछ मुनाफा प्राप्त कर लेता है वह उसे 1 साल के समय अवधि के अंदर बेच देता है तो उसे ट्रेडिंग कहते हैं।

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग को काफी रिस्की कहते हैं क्योंकि इसमें कोई नहीं जानता कि शेयर के भाव का Movment कैसा होगा| अगर शेयर से जुड़ी कुछ अच्छी खबर आए तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी और जब शेयर से जुड़ी कोई बुरी खबर है तो उस Share के प्राइस में मंदी दिखाई देगी ।


स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं ?

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग चार प्रकार के होते हैं

  1. Scalping Trading
  2. Intraday Trading
  3. Swing Trading
  4. Positional Trading

scalping ट्रेडिंग क्या है ?

Scalping ट्रेडिंग वह trading है जिसमें ट्रेडर कंपनी के शेयर को कुछ सेकण्ड और कुछ मिनटों के लिए ही खरीदता है और बेचता है तथा उससे मुनाफा प्राप्त करता है। ऐसे ट्रेडर को Scalpers कहा जाता है और आपको यह बता दूं कि यह ट्रेडिंग बहुत ही ज्यादा रिस्की होता है

Intraday ट्रेडिंग क्या हैं ?

Intraday trading वह trade है जिसमें कंपनी के शेयर को एक ही दिन में खरीदा तथा बेचा जाए। मतलब यह हुआ कि वह trade जिसमे trader मार्किट सुबह(9:15 AM) खुलने के बाद कंपनी के शेयर को खरीद लेते हैं तथा मार्केट बंद(3:30 PM) होने से पहले उसे बेच देते हैं Intraday ट्रेडिंग कहते है। यह ट्रेडिंग Scalping ट्रेडिंग से थोड़ा कम रिस्की होता है।

Swing trading क्या है ?

Swing trading यह Scalping और Intraday दोनो से अलग है यह कुछ दिनों और कुछ हप्तों के लिये किया जाता है। लेकिन इसमें भी शेयर को खरीदना और बेचना मार्केट खुलने और बंद होने के बीच में ही किया जाता है।
इसमें ट्रेडर किसी भी कंपनी के शेयर को कम दामों में खरीदता है तथा उसे कुछ दिनों व कुछ हप्तों के लिए Hold कर रखता है तथा प्राइस बढ़ने पर उसको बेच देता है तथा मुनाफा प्राप्त कर लेता है। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट देखने की आवश्यकता नहीं होती है ।यह उन लोगों के लिए है जो जॉब में है व स्टूडेंट है तथा शेयर मार्केट से पैसा कमाना चाहते हैं।

positional trading क्या है ?


Positional trading वह trade है जिसमे शेयर को कुछ महीनों के लिए Hold कर के रखा जाता है तथा इसमे मार्किट के छोटे-मोटे up-down से trader को कुछ फर्क नही पड़ता है यह लंबे समय के लिये होता है तथा यह सबसे कम रिस्की होता है इसमें मार्किट के long term movement को कैप्चर करने के लिये किया जाता है।

Trading और Investment में अंतर

1.Trading में शेयर को (Sort term) छोटे अवधि के लिये खरीदा जाता है और, Investment में शेयर को (long term)लंबे अवधि के लिये खरीदा जाता है।

2.Trading करने वाले को Traders और Investment करने वाला को Investors कहते हैं।

3.Trading करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना चाहिए और इन्वेस्टमेंट करने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस की जानकारी होनी चाहिए।

4.Trading की अवधि 1 साल की होती है और वही Investment की अवधि 1 साल से अधिक होती है।

5.Trading छोटे अवधि के मुनाफे के लिये किया जाता है और Investment लंबे अवधि के मुनाफे के लिये किया जाता है।

Trading के फायदे और नुकसान

ट्रेडिंग छोटे अवधि में अधिक पैसा कमाने के लिए किया जाता है ,जबकि long term (लंबे समय) से इसकी तुलना करें तो यह नुकसानदायक है।

क्योंकि मार्केट गिरने से हम शेयर को टॉप पर ही बेच देते हैं जबकि मार्केट नीचे आने के तुरंत या कुछ समय बाद उतनी ही तेजी से ऊपर जाता है और लंबे समय में होने वाले अधिक प्रॉफिट पानी से हम वंचित रह जाते हैं ।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे कर सकते हैं ?

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग व इन्वेस्टिंग करने के लिए हमे शेयर मार्केट का ज्ञान Trading क्या है? होना चाहिए तथा हमें टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस का भी जानकारी होना चाहिए सबसे महत्वपूर्ण बात ट्रेडिंग करने के लिए हमें एक अकाउंट की आवश्यकता होती है जिसे डिमैट अकाउंट कहते हैं।

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आज हमने क्या सीखा ?

आज हमने सीखा कि Trading Kya Hai? स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं व हम Trading कैसे कर सकते हैं तथा ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या है।

मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी Trading क्या है? यह लेख Trading kya hai पसंद आई होगी । इसे पढ़कर Trading से जुड़े सारे सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे और मैंने पूरी कोशिश की है कि आपके मन में Trading Kya Hai Hindi me से लेकर जो सवाल है वो सब इस पोस्ट के माध्यम से आप तक पहुँचा सकूँ।
यदि आपके मन में कुछ सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में अपने सवाल पूछ सकते है मैं आपके सवालों के जवाब देने की पूरी कोशिश करूंगा और इस पोस्ट को जितना हो सके उतना शेयर करें ताकि सभी लोगों को Trading व स्टॉक मार्केट और उससे जुड़ी सभी जानकारियां आप सभी तक पहुंचते रहें और आप सभी अपना प्यार ऐसे ही बनाए रखें।

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