विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023

हालांकि, कई देशों ने ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी करके जोखिम को कम करने की कोशिश की है। ब्राजील ने इस महीने ब्याज दरों को स्थिर रखा, लेकिन लगातार 12 वृद्धि के बाद ही इसकी बेंचमार्क दर 13.75% पर बनी हुई है। नाइजीरिया के केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को दरों में 15.5 फीसदी की बढ़ोतरी की, जो अर्थशास्त्रियों की अपेक्षा से काफी अधिक है।
कैसे थमेगी महंगाई? RBI ऐसा क्या चाहता है, जिसके लिए सरकार राजी नहीं, यहां समझिए पूरा माजरा
क्या है उपाय
1980 के दशक की शुरुआत में भी डॉलर ने इसी तरह रुलाया था। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के नीति निर्माताओं ने मुद्रा बाजारों में एक समन्वित हस्तक्षेप की घोषणा विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 की थी। इसे प्लाजा समझौते के रूप में जाना जाता है। डॉलर की हालिया रैली और अन्य देशों पर आ रहे संकट ने इस बात को हवा दी है कि यह एक और प्लाजा समझौते का समय हो सकता है। लेकिन व्हाइट हाउस ने इस विचार को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जिससे यह अभी संभव नहीं दिखता है।
मुसलमानों के लेकर क्या है पांच गलत फहमी, आंकड़े बता रहे हैं सच
इस्लाम में महिला की शादी की उम्र और बच्चे पैदा करने के कुछ निर्धारित विचारों के चलते उनके बारे में काफी हद तक पुरानी और गलत धारणाएं बना ली गई हैं मुसलमानों के लेकर बनाई गई इन आम धारणाओं में कितनी सच्चाई है और कितनी कल्पना, कभी यह जानने की कोशिश की है
इसी महीने में शुरुआत राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे ने शादी, शिक्षा, आबादी और अन्य कई मसलों पर आंकड़े जारी किए थे. एनएफएचएस-5 के इसी डेटा का इस्तेमाल करते हुए दिप्रिंट उन पांच मिथकों का गलत साबित किया है, जिन्हें लेकर अक्सर मुस्लिम समुदाय पर आरोप लगाए जाते रहे हैं
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Explainer : तो यूं अमेरिका दूसरे देशों में एक्सपोर्ट कर रहा महंगाई. बर्बाद हो जाएंगे छोटे देश, बड़ों की होगी बुरी हालत
Interest Rates Hike : मौजूदा वैश्विक स्थिति ने उभरते बाजारों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। विश्व बैंक ने हाल ही में आगाह किया था कि साल 2023 में वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ गया है। यह इसलिए है, क्योंकि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक महंगाई को थामने के लिए लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं। इससे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय संकटों की एक सीरीज देखने को मिल सकती है।
Interest Rates Hike : दुनिया के कई देशों के बाद अब भारत में भी ब्याज दर विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 बढ़ने की पूरी उम्मीद
हाइलाइट्स
- चीन की करेंसी युआन 14 साल के सबसे निचले स्तर पर आई
- ब्रिटिश पाउंड सोमवार को रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया था
- मौजूदा वैश्विक स्थिति ने उभरते बाजारों के लिए पैदा किया खतरा
- इस समय प्रेशर कूकर की तरह है वैश्विक वित्तीय प्रणाली
अमेरिका आक्रामक होकर बढ़ा रहा दरें
हाल ही में हमने देखा था कि अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। महंगाई दर में अभी भी कोई खास कमी नहीं आई है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) का पूरा फोकस इस महंगाई पर काबू पाने पर है। इसके लिए वह लगातार प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है। हाल ही में यूएस फेड ने ब्याज दर में लगातार तीसरी बार 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। आगे भी फेड ने इसी तरह की बढ़ोतरी के संकेत दिये हैं। इससे अमेरिकी डॉलर बिना लगाम के घोड़े की तरह भागता चला जा रहा है और अन्य देशों की करेंसीज को नीचे धकेल रहा है। यूएस फेड साल 1980 के दशक की शुरुआत में जितना आक्रामक था, उतना ही आज है। दरों में इजाफे से होने वाली उच्च बेरोजगारी और मंदी को सहन करने के लिए यह तैयार है। लेकिन यह इंटरनेशनल ग्रोथ के लिए अच्छा नहीं है। दूसरे देशों को जबरदस्ती अपने यहां दरें बढ़ानी पड़ रही हैं।
दूसरे देशों को जबरदस्ती बढ़ानी पड़ रही दरें
अगर दुनिया के अन्य देश अमेरिका के बाद अपने यहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करें, तो इसके काफी बुरे परिणाम होंगे। विदेशी निवेशक उन देशों में रिटर्न कम होने के चलते अपना निवेश निकालने लगेंगे। इससे देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा। यूएस फेड के बाद पिछले हफ्ते स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, ताइवान, नाइजीरिया और फिलीपींस में केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी शुक्रवार को ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की पूरी उम्मीद है।
RBI MPC Meet : होम लोन, कार लोन हो या पर्सनल लोन, सब पर ब्याज दरें बढ़ना लगभग तय, जानिए कितना हो सकता है इजाफा
अमेरिकियों को फायदा बाकी को नुकसान
फेड के इस रुख से डॉलर विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 कई बड़ी करेंसीज की तुलना में दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इससे विदेशों में शॉपिंग करने वाले अमेरिकियों को काफा फायदा हुआ है। अमेरिका के लिए विदेशों से वस्तुएं आयात करना सस्ता हो गया है। वहीं, यह दूसरे देशों के लिए काफी बुरी खबर है। युआन, येन, रुपया, यूरो और पाउंड जैसी करेंसीज के मूल्य में भारी गिरावट आई है। इससे कई देशों के लिए फूड और फ्यूल जैसी आवश्यक वस्तुओं का आयात करना अधिक महंगा हो गया है। यह लगातार बढ़ रहा है। यूएस फेड एक तरह से महंगाई को दूसरे देशों में एक्सपोर्ट कर रहा है। वह अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाल रहा है।
दशकों के निचले स्तर पर करेंसीज
क्योंकि डॉलर शून्य में मजबूत नहीं हो सकता। यह किसी की तुलना में मजबूत होता है। चीन की करेंसी युआन काफी लुढ़क गई है। चीनी युआन 14 साल के सबसे निचले स्तर पर है। यहां तक कि जापान को भी अपनी करेंसी येन को गिरने से बचाने के लिए डॉलर बेचकर येन खरीदने पड़े हैं। वहीं, यूरोपीय सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने चेतावनी दी है कि यूरो में तेज गिरावट महंगाई को बढ़ाने का काम कर रही है। ब्रिटिश पाउंड सोमवार को डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया था।
दुनिया को मंदी के करीब ले जाने पर आमादा केंद्रीय बैंक. अमेरिका, यूरोप में मंदी से क्या अछूता रहेगा भारत ?
इस समय प्रेशर कूकर की तरह है वैश्विक वित्तीय प्रणाली
यूके की स्थिति दिखाती है कि कैसे वैश्विक निवेशक सरकार की आर्थिक विकास योजना को बाधित कर सकते हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बाजारों को स्थिर करने की कोशिश में एक इमरजेंसी बांड खरीद कार्यक्रम की घोषणा की है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, वैश्विक वित्तीय प्रणाली इस समय एक प्रेशर कूकर की तरह है। इस समय देशों के पास विश्वसनीय नीतियां होनी चाहिए और किसी भी गलत कदम पर तुरंत सुधार जरूरी है।
उभरते बाजारों के लिए खतरा
मौजूदा वैश्विक स्थिति ने उभरते बाजारों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। विश्व बैंक ने हाल ही में आगाह किया था कि साल 2023 में वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ गया है। यह इसलिए है, क्योंकि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक महंगाई को थामने के लिए लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं। वर्ल्ड बैंक ने कहा कि इससे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय संकटों की एक सीरीज देखने को मिल सकती है। जो अभी भी महामारी से जूझ रहे हैं, उन्हें स्थायी नुकसान पहुंचेगा।
जिनके पास भारी कर्ज उन्हें सबसे अधिक खतरा
सबसे बड़ा खतरा उन देशों को है, जिन्होंने डॉलर में कर्ज लिया है। लोकल करेंसीज में भारी गिरावट से इन कर्जों को वापस चुकाना काफी महंगा हो गया है। इससे सरकारों को अन्य क्षेत्रों में खर्चों में कटौती को मजबूर होना पड़ता है। इससे महंगाई बढ़ेगी और लोगों की जेब पर भारी असर पड़ेगा। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी भी चिंता का विषय है। श्रीलंका में डॉलर की कमी ने इस देश को दिवालिया कर दिया है।
कई देशों ने बढ़ाई दरें
हालांकि, कई देशों ने ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी करके जोखिम को कम करने की कोशिश की है। ब्राजील ने इस महीने ब्याज दरों को स्थिर रखा, लेकिन लगातार 12 वृद्धि के बाद ही इसकी बेंचमार्क दर 13.75% पर बनी हुई है। नाइजीरिया के केंद्रीय बैंक ने मंगलवार विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 को दरों में 15.5 फीसदी की बढ़ोतरी की, जो अर्थशास्त्रियों की अपेक्षा से काफी अधिक है।
कैसे थमेगी महंगाई? RBI ऐसा क्या चाहता है, जिसके लिए सरकार राजी नहीं, यहां समझिए पूरा माजरा
क्या है उपाय
1980 के दशक की शुरुआत में भी डॉलर ने इसी तरह रुलाया था। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के नीति निर्माताओं ने मुद्रा बाजारों में एक समन्वित हस्तक्षेप की घोषणा की थी। इसे प्लाजा समझौते के रूप में जाना जाता है। डॉलर की हालिया रैली और अन्य देशों पर आ रहे संकट ने इस बात को हवा दी है कि यह एक और प्लाजा समझौते का समय हो सकता है। लेकिन व्हाइट हाउस ने इस विचार को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जिससे यह अभी संभव नहीं दिखता है।
मुसलमानों के लेकर क्या है पांच गलत फहमी, आंकड़े बता रहे हैं सच
इस्लाम में महिला की शादी की उम्र और बच्चे पैदा करने के कुछ निर्धारित विचारों के चलते उनके बारे में काफी हद तक पुरानी और गलत धारणाएं बना ली गई हैं मुसलमानों के लेकर बनाई गई इन आम धारणाओं में कितनी सच्चाई है और कितनी कल्पना, कभी यह जानने की कोशिश की है
इसी महीने में शुरुआत राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे ने शादी, शिक्षा, आबादी और अन्य कई मसलों पर आंकड़े जारी किए थे. एनएफएचएस-5 के इसी डेटा का इस्तेमाल करते हुए दिप्रिंट उन पांच मिथकों का गलत साबित किया है, जिन्हें लेकर अक्सर मुस्लिम समुदाय पर आरोप लगाए जाते रहे हैं
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शिक्षा , इतिहास , अर्थशास्त्र, राजनीति और अन्य समसामयिक विषयों पर पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के विश्लेषण इस चनल पर लगातार मिलता है. आजाद, खुली और स्वस्थ पत्रकारिता को अपने अनुभव से लेकर आते हैं.
ये चैनल पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के विश्लेषणों का चैनल है. गिरिजेश वशिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार हैं. वो इन्डिया टुडे ग्रुप, दिल्ली आजतक, ज़ी, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, सहारा समय समेत अनेक महत्वपूर्ण समाचार संस्थानों में संपादक के स्तर पर जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं और पिछले 34 साल से लगातार सक्रिय हैं.
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विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर
एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है।
रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, चार नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गयीं।
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर डॉलर मुद्रा के मूल्य में आई कमी या विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 बढ़त के प्रभावों को दर्शाया जाता है।
आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में देश का स्वर्ण भंडार 70.5 करोड़ डॉलर घटकर 37.057 अरब डॉलर रह गया।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 23.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.39 अरब डॉलर रह गया है।
आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्राभंडार भी 2.विदेशी मुद्रा ब्लॉग 2023 7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर रह गया।
भाषा राजेश राजेश रमण
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)