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अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?
News18 हिंदी 24-10-2022 News18 Hindi

'Mutual fund'

बीएल आहूजा ने पुलिस को बताया कि वह बैंक कर्मचारी माहेश्वरी को 2013 से जानते थे, जब वह ICICI बैंक में काम करता था. आहूजा ने कहा कि माहेश्वरी ने उन्हें सलाह दी कि वह पैसे बैंक में रखने के बजाय म्यूचुअल फंड में लगाएं. आहूजा ने 2018 में उन्हें 1 करोड़ रुपये के दो चेक दिए.

निवेशक दीर्घकाल में निवेश में वृद्धि को लेकर म्यूचुअल फंड में नियमित तौर पर राशि जमा करने की योजना (Systematic Investment Plan) पर भरोसा कर रहे हैं

Pan Aadhaar Link.सीबीडीटी ने एक अधिसूचना में कहा कि आधार की देरी से सूचना देने पर 500 रुपये का विलंब शुल्क लगेगा. यह जुर्माना शुल्क अगले तीन माह यानी 30 जून, 2022 तक के लिए होगा. उसके बाद करदाताओं को 1,000 रुपये का जुर्माना चुकाना होगा.

सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय़ किया.इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के ज्यादातर ट्रस्टी किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिए यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है.

भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2021 में इक्विटी और कर्ज के जरिये 9 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. अगर ओमिक्रॉन के चलते हालात खराब नहीं हुए तो इसमें 2022 के दौरान और अधिक मजबूती आने की उम्मीद है

इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) योजनाओं को जुलाई में शुद्ध रूप से 22,583 करोड़ रुपये का निवेश मिला है. यह लगातार पांचवां महीना है जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह सकारात्मक रहा है. इस दौरान फ्लेक्सी-कैप श्रेणी (Flexicap Funds) को सबसे अधिक निवेश प्राप्त हुआ.

सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधनों को मंजूरी दे दी. इन नियमों के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों को अपने नई फंड पेशकशों में जोखिम के स्तर के अनुसार अधिक निवेश करने की जरूरत होगी. इससे कोष चलाने वालों की म्यूचुफंड में खुद की भागीदारी सुनिश्चित होगी.

Aadhaar Linking : अगर आप भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं तो ये जान लें कि सरकार की सलाह है कि आप इसे आधार कार्ड से लिंक जरूर कराएं. आप ऑनलाइन, ऑफलाइन के अलावा एसएमएस और ईमेल्स के जरिए भी म्यूचुअल फंड को आधार से लिंक कर सकते हैं.

शेयरखान बाई बीएनपी परिबा के निवेश समाधान प्रमुख गौतम कालिया ने कहा, ‘‘अप्रैल महीने में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े. इससे बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला, लेकिन इसके तुरंत बाद तेजी से सुधार हुआ. म्यूचुअल फंड इकाइयों ने अप्रैल में इस गिरावट का उपयोग इक्विटी निवेश बढ़ाने में किये.’’

1 जनवरी के बाद कई नियमों में बदलाव हो चुके हैं या फिर कई बड़े नियम बदलने वाले हैं. कहीं नियम बदल रहे हैं, कहीं मिलने वाली सुविधाओं में बदलाव हो रहा है तो कहीं हमारी जेब पर असर पड़ने वाला है. ऐसे में हम नजर डाल रहे हैं इस महीने में होने वाले बड़े बदलावों पर.

जानिए कैसे करें विदेशी शेयर बाजार में निवेश और पाएं बंपर रिटर्न


नई दिल्‍ली. निडर निवेशकों के लिए इस दुनिया में अवसरों की भरमार है। भारत का शेयर बाजार तेजी से ऊपर जा रहा है। अभी हाल ही में निफ्टी और सेंसेक्स ने अब तक की वृद्धि के अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत, विश्व की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था में से एक है। लेकिन, दुनिया भर में ऐसे कई अन्य शेयर बाजार भी हैं जो लगभग इसी तरह का रिटर्न दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, नैसडैक 100 इंडेक्स - जिसमें दुनिया भर की 100 सबसे बड़ी गैर-वित्तीय कंपनियां शामिल हैं। यह इंडेक्स पिछले पांच साल में दोगुना से भी ज्यादा हो गया है, और लगभग 23त्न रिटर्न दिया है। अब सवाल उठता है कि एक भारतीय निवेशक ऐसे शेयर में कैसे निवेश कर सकता है जिसका मूल्य तेजी से बढ़ रहा है, जैसे अमेजन का। निडर निवेशकों के लिए सौभाग्य की बात है कि एमएफ के जरिए यह आसानी से किया जा सकता है।

ffgfhrt


अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड्स
भारत की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां तीन अलग-अलग प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फंड्स प्रदान करती हैं। पहले प्रकार के फंड्स वे फंड्स हैं जिनका निवेश सीधे वैश्विक बाजारों में किया जाता है। उसके बाद कुछ फंड्स ऐसे हैं जिन्हें फीडर फंड्स कहा जाता है जिनका निवेश एक मौजूदा वैश्विक फंड में किया जाता है। तीसरे प्रकार के फंड्स ऐसे फंड्स हैं जिनका निवेश तरह-तरह के अंतरराष्ट्रीय फंड्स में किया जाता है। इस श्रेणी में मिलने वाले रिटर्न इतने अलग-अलग क्यों हो सकते हैं इसका एक और कारण है फंड का मकसद। उदाहरण के लिए, कुछ फंड ऐसे होते हैं जिनका निवेश एक विशेष क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? के आधार पर किया जाता है, उसके बाद कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जिनका निवेश विषय-वस्तु जैसे कमोडिटी लिंक्ड फंड्स, गोल्ड बेस्ड फंड्स के आधार पर किया जाता है।

निवेश से पहले देखे फंड का रिकॉर्ड
2016 में, कई फंड्स का रिकॉर्ड बहुत अच्छा था, कुछ गोल्ड और कमोडिटी-लिंक्ड फंड्स से 50त्न से 70त्न तक रिटर्न मिला था, जिनके कारण अंतरराष्ट्रीय फंड श्रेणी में तेजी आने से 16त्न रिटर्न मिला है। लेकिन, इन फंडों के बिना, और सिर्फ इक्विटी आधारित फंडों को ध्यान में रखने से, औसत रिटर्न में गिरावट आने के कारण यह 10त्न से भी नीचे चला गया। ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल की अवधि में उसी गोल्ड और कमोडिटी फंड से निगेटिव या बहुत कम यहां तक कि सिर्फ एक अंक में रिटर्न मिला था।

टैक्स देनदारी को सही से समझे
अंतरराष्ट्रीय फंड्स का टैक्सेशन अलग-अलग होता है। हाइब्रिड वैश्विक फंड जो घरेलु कंपनियों में अपनी कोष का कम से कम 65त्न निवेश करते हैं और बाकी विदेशी फंडों पर एक नियमित इक्विटी फंड की तरह टैक्स लगता है जबकि दीर्घकालिक लाभ पर एक साल बाद टैक्स नहीं लगता है। इसलिए निवेश से पहले कितना टैक्स देना होगा इसको पता करें।

रिसर्च कराएगी अच्छी इनकम
कुल मिलाकर, भारत-क्रेंद्रित फंड़स के समूह में एक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड को शामिल करना निवेश प्रेमी निवेशकों के लिए एक बहुत चालाकी भरा कदम साबित हो सकता है। किसी विशेष फंड का चयन करने से पहले पर्याप्त खोजबीन और अलग-अलग फंडों से संबंधित अपने विकल्पों पर सोच-विचार करना न भूलें।

जोखिम और विविधता को समझे
फाइनेंस की दुनिया में, विविधता से आपको अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों, वित्तीय लेखपत्रों या उद्योगों में अपना पैसा लगाकर जोखिम को रोकने में मदद मिलती है। इसलिए इसको जानें।

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नई दिल्‍ली. निडर निवेशकों के लिए इस दुनिया में अवसरों की भरमार है। भारत का शेयर बाजार तेजी से ऊपर जा रहा है। अभी हाल ही में निफ्टी और सेंसेक्स ने अब तक की वृद्धि के अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत, विश्व की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था में से एक है। लेकिन, दुनिया भर में ऐसे कई अन्य शेयर बाजार भी हैं जो लगभग इसी तरह का रिटर्न दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, नैसडैक 100 अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? इंडेक्स - जिसमें दुनिया भर की 100 सबसे बड़ी गैर-वित्तीय कंपनियां शामिल हैं। यह इंडेक्स पिछले पांच साल में दोगुना से भी ज्यादा हो गया है, और लगभग 23त्न रिटर्न दिया है। अब सवाल उठता है कि एक भारतीय निवेशक ऐसे शेयर में कैसे निवेश कर सकता है जिसका मूल्य तेजी से बढ़ रहा है, जैसे अमेजन का। निडर निवेशकों के लिए सौभाग्य की बात है कि एमएफ के जरिए यह आसानी से किया जा सकता है।

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अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड्स
भारत की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां तीन अलग-अलग प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फंड्स प्रदान करती हैं। पहले प्रकार के फंड्स वे फंड्स हैं अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? जिनका निवेश सीधे वैश्विक बाजारों में किया जाता है। उसके बाद कुछ फंड्स ऐसे हैं जिन्हें फीडर फंड्स कहा जाता है जिनका निवेश एक मौजूदा वैश्विक फंड में किया जाता है। तीसरे प्रकार के फंड्स ऐसे फंड्स हैं जिनका निवेश तरह-तरह के अंतरराष्ट्रीय फंड्स में किया जाता है। इस श्रेणी में मिलने वाले रिटर्न इतने अलग-अलग क्यों हो सकते हैं इसका एक और कारण है फंड का मकसद। उदाहरण के लिए, कुछ फंड ऐसे होते हैं जिनका निवेश एक विशेष क्षेत्र के आधार पर किया जाता है, उसके बाद कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जिनका निवेश विषय-वस्तु जैसे कमोडिटी लिंक्ड फंड्स, गोल्ड बेस्ड फंड्स के आधार पर किया जाता है।

निवेश से पहले देखे फंड का रिकॉर्ड
2016 में, कई फंड्स का रिकॉर्ड बहुत अच्छा था, कुछ गोल्ड और कमोडिटी-लिंक्ड फंड्स से 50त्न से 70त्न तक रिटर्न मिला था, जिनके कारण अंतरराष्ट्रीय फंड श्रेणी में तेजी आने से 16त्न रिटर्न मिला है। लेकिन, इन फंडों के बिना, और सिर्फ इक्विटी आधारित फंडों को ध्यान में रखने से, औसत रिटर्न में गिरावट आने के कारण यह अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? 10त्न से भी नीचे चला गया। ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल की अवधि में उसी गोल्ड और कमोडिटी फंड से निगेटिव या बहुत कम यहां तक कि सिर्फ एक अंक में रिटर्न मिला था।

टैक्स देनदारी को सही से समझे
अंतरराष्ट्रीय फंड्स का टैक्सेशन अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? होता है। हाइब्रिड वैश्विक फंड जो घरेलु कंपनियों में अपनी कोष का कम से कम 65त्न निवेश करते हैं और बाकी विदेशी फंडों पर एक नियमित इक्विटी फंड की तरह टैक्स लगता है जबकि दीर्घकालिक लाभ पर एक साल बाद टैक्स नहीं लगता है। इसलिए निवेश से पहले कितना टैक्स देना होगा इसको पता करें।

रिसर्च कराएगी अच्छी इनकम
कुल मिलाकर, भारत-क्रेंद्रित फंड़स के समूह में एक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड को शामिल करना निवेश प्रेमी निवेशकों के लिए एक बहुत चालाकी भरा कदम साबित हो सकता है। किसी विशेष फंड का चयन करने से पहले पर्याप्त खोजबीन और अलग-अलग फंडों से संबंधित अपने विकल्पों पर सोच-विचार करना न भूलें।

जोखिम और विविधता को समझे
फाइनेंस की दुनिया में, विविधता से आपको अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों, वित्तीय लेखपत्रों या उद्योगों में अपना पैसा लगाकर जोखिम को रोकने में मदद मिलती है। इसलिए इसको जानें।

विदेशी बाजार में निवेश: पैसा लगाने से पहले समझें जरूरी बातें, फिर करें शुरुआत

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News18 हिंदी 24-10-2022 News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "विदेशी बाजार में निवेश: पैसा लगाने से पहले समझें जरूरी बातें, फिर करें शुरुआत"

नई दिल्ली. निवेशक इन दिनों विदेशी शेयरों में भी निवेश कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के हिसाब से 2021-22 में भारतीयों ने 19,611 मिलियन डॉलर का निवेश विदेशी बाजारों में किया है. इससे पिछले साल यह महज 12,684 मिलियन डॉलर था.

भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 (ढाई लाख) डॉलर विदेश भेज सकता है. रिजर्व बैंक ने समय के साथ इस सीमा में बढ़ोतरी की है. साल 2004 में जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब इसकी सीमा महज 25 हजार डॉलर थी. म्यूचुअल फंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करना आसान हो गया है. इसका प्रोसेस कुछ यूं है…

यहां एक महत्वपूर्ण बात ये है, चूंकि आपने भारतीय रुपये में निवेश किया है तो यह निवेश LRS के तहत कवर नहीं होते हैं. ACE MF के आंकड़ों को देखा जाए तो 15 अक्टूबर तक ऐसी 63 स्कीमें बाजार में मौजूद थीं, जो विदेशों में निवेश कराती हैं. इनमें निवेश लगातार बढ़ रहा है.

विदेशों में निवेश करना आसान

हेक्सागन वेल्थ के हेक्सागन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक श्रीकांत भागवत कहते हैं कि इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का बढ़ा है. भागवत मनीकंट्रोल के सिंपली सेव पॉडकास्ट में बतौत मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, कई मंच सामने आए हैं, जिससे भारतीय निवेशकों के लिए न केवल विदेशों में निवेश करना आसान हो गया है, बल्कि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के विकास में भाग लेना भी संभव हो गया है, जिनके उत्पादों और ऑफरिंग्स का उपयोग हम लगभग हर दिन करते हैं, जैसे कि Apple, Alphabet (Google), Facebook इत्यादि. भागवत कहते हैं, “इन सबसे ऊपर, इकोसिस्टम की उपलब्धता के साथ हमने पिछले एक दशक में अमेरिकी बाजार में एक शानदार तेजी देखी है, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा है.”

कैसे लगाएं विदेशी बाजारों में पैसा

श्रीकांत भागवत ने बताया कि आपको डायवर्सिफिकेशन को ध्यान में रखना चाहिए, न कि अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? पैसा बनाने के बारे में. और यदि आप डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो आपको सभी जियोग्राफिक्स को देखना होगा. आप सिर्फ अमेरिकी इक्विटी बाजारों को ही क्यों देख रहे हैं? दुनियाभर में कई अच्छे बिजनेस हैं. तो आपको सभी बाजारों को देखना चाहिए.

यदि आप कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो अच्छी कंपनियां खोजकर सीधे उनके स्टॉक लेने चाहिएं. परंतु यदि आप नहीं कर सकते हैं तो आपको पैसिवली मैनेज्ड (इंडेक्स) फंड्स पर फोकस करना चाहिए. निवेश करते समय गलती की गुंजाइश नहीं होती. हर गलती का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. यदि आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सीधा विदेशों बाजारों पर ध्यान न लगाएं. आपको पहले भारतीय बाजारों में मौजूद म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? चाहिए. जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़ेगी, आप विदेशों के इंडेक्स को समझने लगेंगे और वहां निवेश करना आपके लिए आसान हो जाएगा. अपने पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी पैसा विदेशी बाजारों में लगाना चाहिए.

फंड ऑफ फंड्स को लेकर न हों कंफ्यूज, यहां पाएं पूरी जानकारी

Fund of Funds: ग्लोबल FoF ऐसे फंड होते हैं, जो ग्लोबल फंड्स या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) की यूनिट में एक ज्योग्राफिक मेंडेट के साथ निवेश करते हैं

  • Himali Patel
  • Publish Date - September 22, 2021 / 01:22 PM IST

फंड ऑफ फंड्स को लेकर न हों कंफ्यूज, यहां पाएं पूरी जानकारी

ग्लोबल लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में सीधे निवेश करने के बजाय, FoF निवेशकों को विदेशी बाजारों में निवेश करने का आसान और कम जोखिम भरा तरीका ऑफर करते हैं

निवेशकों के तौर पर हम सभी डिवेलपिंग टेक्नोलॉजी और लार्ज इनोवेशन कॉर्पोरेशन तक पहुंच चाहते हैं, जो ग्रोथ में अहम भूमिका निभाते हैं. इस लिहाज से अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी में निवेश करने के लिए म्युचुअल फंड सबसे किफायती विकल्प बना हुआ है. ग्लोबल एक्सपोजर वाले म्यूचुअल फंड ज्यादातर फंड ऑफ फंड्स (FoF) होते हैं, जो भारतीय एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) द्वारा अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए ऑफर किए जाते हैं. सरल शब्दों में कहें तो भारत में ग्लोबल FoF ऐसे फंड होते हैं, जो ग्लोबल फंड्स या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) की यूनिट में एक ज्योग्राफिक मेंडेट के साथ निवेश करते हैं.

FoF में हिस्सेदारी कैसे काम करती है

ग्लोबल लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में सीधे निवेश करने के बजाय, FoF निवेशकों को विदेशी बाजारों में निवेश करने का आसान और कम जोखिम भरा तरीका ऑफर करते हैं. इक्विटी या बॉन्ड में सीधे निवेश करने की जगह इस फंड का मैनेजर अन्य म्यूचुअल फंडों के पोर्टफोलियो को मैनेज करता है.

एक FoF उसी फंड हाउस या किसी अन्य फंड हाउस द्वारा मैनेज स्कीम में निवेश कर सकता है. पोर्टफोलियो को कई तरह के रिस्क सहने और निवेशकों के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया है. डिफरेंट फंड कैटेगरी में निवेश करने के चलते निवेशकों को विविधता से अधिक फायदा मिलने की संभावना होती है.

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको अपनी भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना हाई ग्रोथ देखने को मिलती है. इसके अलावा, यह कंट्री-स्पेसिफिक रिस्क को कम करने में मदद करता है.

कौन निवेश कर सकता है

फंड ऑफ फंड्स उन छोटे निवेशकों के लिए बेहतरीन विकल्प है, जो ज्यादा जोखिन उठाना नहीं चाहते. पोर्टफोलियो में विविधता लाने से रिस्क घटता है. यह सीमित मासिक निवेश की क्षमता रखने वालों के लिए भी अच्छा साधन है. पांच साल या उससे अधिक समय तक निवेश करने वाले व्यक्ति भी इस फंड में निवेश कर सकते हैं.

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