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पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है
Business में portfolio management वह होता है जो ऐसे project और कार्यक्रम बनाता है, जिसके द्वारा किसी कंपनी या संस्थान को अधिक से अधिक मुनाफा हो और नुकसान की गुंजाइश काफी कम हो।

भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?

म्यूचुअल फंड उद्योग एक प्रकार का निवेश वाहन है जो कई निवेशकों से स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करते हैं, संपत्ति आवंटित करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो संरचित और उनके प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित निवेश उद्देश्यों से मेल खाने के लिए प्रबंधित होते हैं। व्यक्ति और छोटे व्यवसाय म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें स्टॉक, बॉन्ड आदि के पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरधारक फंड के लाभ या हानि को आनुपातिक रूप से साझा करते हैं। आम तौर पर, म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव पर आधारित होता है, जो फंड के अंतर्निहित निवेश के प्रदर्शन को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

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Money Guru: म्यूचुअल फंड या PMS? एक्सपर्ट से जानिए क्या है आपके लिए निवेश का बेहतर विकल्प

Money Guru: आपके इन्वेस्टमेंट के पोर्टफोलियो के हिसाब से Mutual Fund या PMS क्या है बेहतर विकल्प. जानिए एक्सपर्ट की सलाह.

Money Guru: निवेश के लिए म्यूचुअल फंड लोगों के लिए हमेशा से एक बेहतर और आसान विकल्प के रूप में मौजूद रहा है. कोरोना महामारी के बाद से लोगों ने शेयर मार्केट में निवेश करना और तेज कर दिया है. ऐसे में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) को लेकर भी लोगों का रूझान बढ़ा है. आइए जानते हैं आपकी इन्वेस्टमेंट प्रोफाइल के हिसाब से MF या PMS क्या बेहतर है.

म्यूचुअल फंड क्या है?

वह इन्वेस्टर्स जो शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड के जरिए सिस्टमैटिक तरीके से मार्केट में निवेश कर सकते हैं. MF में कई सारे इन्वेस्टर्स एक कॉमन गोल के साथ मिलकर किसी फंड हाउस की म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं. यह SIP या एकमुश्त निवेश का भी विकल्प साबित होता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी इन्वेटर एडवाइजर की सलाह ले सकते पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.

⚡️कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश?

⚡️क्या है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस?

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PMS क्या है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस या PMS एक कस्टमाइज निवेश पोर्टफोलियो होता है, जिसमें बड़े निवेशक भाग लेते हैं. PMS में निवेश करने के लिए आपके पास 50 लाख रुपये तक की राशि होनी चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके टार्गेट के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. PMS में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट खुलवाना जरूरी होता है.

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस तीन तरह के होते हैं- डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होता है. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा रिटर्न पर आधारित कमीशन फीस भी मिलता है.

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म्यूचुअल फंड में कौन कर सकता है निवेश?

म्यूचुअल फंड में सभी इन्वेस्टर्स निवेश कर सकते हैं. इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती है. MF में आप अपने लक्ष्य के हिसाब से निवेश कर सकते हैं. Mutual Funds में डेट और इक्विटी में डायरेक्ट या रेगुलर निवेश होता है.

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में सभी पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है तरह के इन्वेस्टर्स निवेश को निवेश नहीं करना चाहिए. इसमें उन्हीं निवेशकों को भाग लेना चाहिए, जिनके पास कम से कम 50 लाख की राशि हो. इसके लिए आपको अपने इन्वेस्ट का अधिकार अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को देना होता है. PMS उन्हीं इन्वेस्टर्स के लिए ज्यादा सही होता है, जिन्हें अपने फंड मैनेजर पर पूरा भरोसा हो. यह उन इन्वेस्टर्स के उपयुक्त होता है, जिनके पास निवेश करने के लिए राशि तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए कम समय हो.

Portfolio manager क्या होता है?

Portfolio manager वह व्यक्ति या संस्था होती है जो किसी निवेशक व्यक्ति या निवेशक कंपनी की financial जरूरतों को समझते हुए, उनकी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, ऐसी रणनीति तैयार करता है, जिससे अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके और नुकसान की गुंजाइश को काफी कम किया जा सके। इस रणनीति को बनाने वाले व्यक्ति या संस्था को portfolio manager कहा जाता है।

निवेशक के द्वारा portfolio manager को ही रणनीति तैयार करके, उस पर पैसा लगाने की जिम्मेदारी दी जाती है।

Portfolio management के प्रकार

Portfolio management मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:-

  1. Active portfolio management अर्थात क्षत्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
  2. Passive portfolio management अर्थात निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
  3. Discretionary portfolio management अर्थात विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन
  4. Non – Discretionary portfolio management अर्थात गैर विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन

सक्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन (Active portfolio management)

इस प्रकार के पोर्टफोलियो प्रबंधन में portfolio manager के द्वारा मार्केट की चाल को देखते हुए रणनीति बनाई जाती है। ऐसा खासकर तब किया जाता है जब आपकी investment का अधिकतर हिस्सा शेयरों में invest हो। Portfolio manger का उद्देश्य अच्छी रिटर्न प्राप्त करना होता है इसीलिए जब शेयरों के दाम घटते हैं तो वह खरीद लेता है और जब दाम में बढ़ोतरी होती है, तो वह उसे बेच देता है।

Portfolio manage कैसे करें?

हम कुछ तरीके बताने वाले हैं जिनके जरिये आपको अपने पोर्टफोलियो को manage करने में मदद मिलेगी:-

  1. आप किसी professional की मदद ले सकते हैं। प्रोफेशनल market के movment के हिसाब से आपका portfolio manage करता है। कौन सा share कितने टाइम तक रखना है या कब खरीदना और बेचना है, यह सभी चीज़े एक professional ही manage करता है और time to time आपको update करता रहता है। यदि आप ऐसा करते है तो आपको personally अपने portfolio के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती।
  2. यदि आप स्वयं अपना पोर्टफोलियो manage कर रहे हैं तो आपको बाजार की बारीकियों से ज़रूर अवगत होना चाहिए। पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है तभी आप अपने portfolio को strong बना सकते हैं।
  3. यदि आपका portfolio, fund मैनेजर handle कर रहा है तो उससे कम से कम 3 महीने में अपने portfolio की regarding उससे चर्चा करें।
  4. जब भी आप स्वयं पोर्टफोलियो handle करें तो वह बाजार की चाल पर जरूर नजर बनाए रखें। यदि किसी भी कारण से बाजार में अस्थिरता आती है तो वह आपके पोर्टफोलियो को effect करती है।
  5. आप technical पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है और fundamental analysis जरूर सीखें, ताकि आप यह सुनिश्चित कर पाए कि कौन सा सstock कब खरीदना या पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है बेचना है। से updated रहे। Market की खबरों से updated रहे।
  6. यदि आप portfolio मैनेजर से अपना पोर्टफोलियो manage करवाते हैं तो वह आपकी जरूरतों को समझते हुए रणनीति तैयार करता है और उसी हिसाब से पोर्टफोलियो में stock रखता है।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज के इस post में हमने जाना कि portfolio meaning in hindi क्या होता है। इस पोस्ट में हमने आपको portfolio से संबंधित जानकारी से अवगत करवाया है। आशा करते हैं कि यह post आपको पसंद आया होगा। इस जानकारी को आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी जरूर शेयर करें।

यदि इस post से संबंधित कोई भी सुझाव आप हमें देना चाहते पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है हैं तो हमें कमेंट जरूर करें और यदि इस post से संबंधित कोई भी प्रश्न आप हम से पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।

Investors की जरूरतों को समझना, invest करने के लिए रणनीति तैयार करना, पोर्टफोलियो का निर्माण करना, portfolio की निगरानी रखना, सुरक्षा विश्लेषण करना इत्यादि।

Finance में पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है portfolio का अर्थ, किसी संस्था या कंपनी के द्वारा किए गए निवेश का एक collection होता है।

Portfolio पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है management मे एक ऐसी निवेश योजना को तैयार करना होता है जिससे किसी संस्था या व्यक्ति की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, उसे अधिक से अधिक फायदा मिल सके और कम से कम जोखिम हो।

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

National Pension System: एनपीएस (NPS) एक ऐसी योजना है कि जिसके तहत रिटायरमेंट के बाद नियमित आय का इंतजाम किया जाता है. इस योजना के तहत जब तक आप काम करते हैं, थोड़ी-थोड़ी राशि इस योजना के तहत निवेश की जाती है और उसके बाद रिटायरमेंट होने पर एक हिस्से को एकमुश्त निकाल कर बची राशि से नियमित तौर पर पेंशन सुनिश्चित किया जाता है. पेंशन कितना मिलेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि आपने कितनी राशि इस योजना के तहत जमा की है और इस पर कितना रिटर्न मिला है.

इसमें रिटर्न फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट च्वाइस पर पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है निर्भर करता है यानी कि आपके जमा पैसे किस अनुपात में इक्विटी, डेट या बॉन्ड इत्यादि में फंड मैनेजर निवेश कर रहे हैं. अगर आपको लगता है कि आपका पैसा कम बढ़ रहा है तो पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है आप घर बैठे ही फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट पैटर्न में बदलाव कर सकते हैं. पीएफआरडीए की वेबसाइट पर दिए गए 14 जनवरी 2022 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट, आईसीआईसीआई प्रू पेंशन फंड मैनेजमेंट, एसबीआई पेंशन फंड और यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस ने 15 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है.

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

एलाइस ब्रैडर, उपाध्यक्ष (क्लाइंट पोर्टफोलियो मैनेजर, प्रशांत क्षेत्र) , जेपी मॉर्गन एयूएम

बैंक ऑफ जापान की प्रोत्साहन घोषणा जैसी हाल की घटनाओं के कारण अंतरराष्टï्रीय निवेशकों की नजर एक बार फिर एशिया पर है। जेपी मॉर्गन ऐसेट मैनेजमेंट की उपाध्यक्ष (क्लाइंट पोर्टफोलियो मैनेजर, प्रशांत क्षेत्र) एलाइस ब्रैडर ने चंद्र किशोर कांत के साथ बातचीत में कहा कि भारत की वृहद चुनौतियों का कमोबेश असर देश के इक्विटी बाजार पर पड़ सकता है, लेकिन इससे वसूली में थोड़ा वक्त लग सकता है। बातचीत के प्रमुख अंश:

इक्विटी में निवेश के प्रति आपके क्लाइंटों में क्या धारणा है?
अधिकांश निवेशक अभी भी नियत आय वाले हैं। हालांकि मेरा कहना यह नहीं है कि नियत आय वाले निवेशकों ने अभी-अभी इक्विटी में निवेश की ओर रुख किया है। हालांकि फिर भी मेरा मानना है कि लोग एक बार फिर गंभीरतापूर्वक इक्विटी में निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं। क्लाइंट अब इक्विटी को परिसंपत्ति वर्ग में रख रहे हैं। कुछ लोग अधिक रिटर्न वाले इक्विटी उत्पादों में निवेश कर रहे हैं। इसलिए आप जोखिम से बचते हुए लगातार मासिक आय हासिल करना चाहते हैं, लेकिन सीधे इक्विटी बाजार में भी निवेशकों के लिएकाफी संभावनाएं मौजूद हैं।

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