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व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद

व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद
बीमार पड़ी अर्थव्यवस्था आईसीयू में ना पहुँचे इसके लिए कोरोना की पहली लहर में मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की थी.

कोरोना के चलते रिटेल कारोबारियों को 15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान, 20 फीसदी दुकानें बंद होने का खतरा

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 20 Jul 2020 09:07 AM (IST)

नई दिल्लीः दुनिया के कई देशों सहित भारत में भी कोरोना महामारी का प्रकोप छाया हुआ है. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद तो बड़ा नकारात्मक असर देखा ही गया है. वहीं कारोबारियों की मुश्किलों में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. ऐसे में व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जो कहा है वो बेहद चिंताजनक है.

100 दिनों में रिटेल कारोबारियों को 15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान-कैट व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत के खुदरा व्यापारियों या रिटेल कारोबारियों को पिछले 100 दिनों में 15.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है.

मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज का क्या हुआ?

अर्थव्यवस्था

कोरोना महामारी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अब भी बीमार पड़ी है. सोमवार को जारी हुए जीडीपी के आँकड़ों में थोड़ा सुधार दिख रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जहां क़रीब 8 फ़ीसदी गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा था. वहीं यह आंकड़ा 7.3 प्रतिशत पर ही थम गया है. और इसी अवधि की चौथी तिमाही में यानी जनवरी से मार्च के व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद बीच जहां 1.3% बढ़त का अंदाज़ा था, वहां 1.6% बढ़त दर्ज हुई है.

लेकिन इन आँकड़ों के आधार पर अब भी स्थिति ऐसी नहीं लगती व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद कि अर्थव्यवस्था तुरंत खड़ी होकर दौड़ने लगे.

अर्थव्यवस्था किस हद तक बीमार है और उसका इलाज कितना ज़रूरी है, इसका अंदाजा व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद चार-पाँच पैमानों से लगाया जा सकता है. जीडीपी के आँकड़े (जो सोमवार को जारी किए गए) बेरोजगारी दर (जो लगातार बढ़ रही है) महंगाई दर (खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं) और लोगों के खर्च करने की क्षमता (आमदनी नहीं तो खर्च कहाँ से करें).

20 लाख करोड़ का लेखा-जोखा

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26 मार्च 2020 - भारत में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद के प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज की घोषणा की गई थी ताकि मज़दूरों को जीने-खाने और घर चलाने संबंधी बुनियादी दिक़्क़तों का सामना ना करना पड़े. इस पैकेज में ग़रीबों के लिए 1.व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद 92 लाख करोड़ ख़र्च करने की योजना थी.

13 मई 2020 - वित्त मंत्री ने पहले दिन 5.94 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ब्यौरा दिया था जिसमें मुख्य रूप से छोटे व्यवसायों को क़र्ज़ देने और ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा बिजली वितरण कंपनियों को मदद के लिए दी जाने वाली राशि की जानकारी व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद दी गई.

14 मई 2020 - इस दिन 3.10 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणाएँ की थी.

15 मई 2020 - लगातार तीसरे दिन 1.5 लाख करोड़ रुपये ख़र्च करने का ब्यौरा दिया था जो खेती-किसानी के लिए था.

कहाँ-कहाँ कितना ख़र्च हुआ?

ये तो हुई घोषणाओं की बात. लेकिन धरातल पर इसमें से कितना ख़र्च हुआ? यही जानने के लिए हमने बात की पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग से.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि इसमें से 10 फ़ीसद भी 'असल ख़र्च' नहीं व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद हुआ.

उनके मुताबिक़, "आरबीआई का 8 लाख करोड़ का लिक्विडिटी पैकेज था, जिसे इसमें जोड़ा ही नहीं जाना चाहिए था. लिक्विडिटी आरबीआई ने अपनी तरफ़ से ऑफ़र किया, लेकिन बैंकों ने ली नहीं. इसका सबूत है कि क्रेडिट ग्रोथ. इस बार का क्रेडिट ग्रोथ अब भी 5-6 फ़ीसदी के बीच ही है, जो एतिहासिक रूप से कम है."

पूर्व वित्त सचिव का मानना है कि 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज में राहत की बात केवल 4-5 लाख करोड़ की ही थी, जो सरकार को ख़र्च करना था. इसमें से सरकार ने प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज के तहत प्रवासी मजदूरों के लिए ही 1 लाख करोड़ से 1.5 लाख करोड़ ख़र्च व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद किया. इसके अलावा कुछ और मदों में हुए ख़र्च को जोड़ कर देखें तो केंद्र ने 2 लाख करोड़ से ज़्यादा इस पैकेज में ख़र्चा नहीं किया है."

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