क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा

तकनीक की दुनिया में भारत की धमक, अब नोट या सिक्के नहीं डिजिटल करेंसी का भी होगा इस्तेमाल
ऑनलाइन पेमेंट के बाद अब सरकार डिजिटल करेंसी लेकर आ रही है. 1 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल करेंसी लांच करेगी. ई-रुपया के तरह इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा.
By: पूनम पनोरिया | Updated at : 30 Nov 2022 06:28 PM (IST)
1 दिसंबर से लॉन्च हो जाएगा डिजिटल रुपया
जीवन यापन के लिए जरूरी चीजों में से एक है मुद्रा, जिसे हम रुपया या पैसा भी कहते हैं. पुराने समय से लेकर आधुनिक जीवन में इसके इस्तेमाल के तरीके में लगातार बदलाव हुआ है. पहले जहां लोग वस्तुओं के लेन-देन से चीजों को आपस में इस्तेमाल करते थे, वहीं उसके कुछ समय बाद अलग-अलग धातु की मुद्रा बाजार में आ गई और फिर कागजी नोटों का भी देन-लेन शुरू हुआ. लेकिन आज के दौर में चीजें लगातार बदल रही हैं, लोगों की आवश्यकता के मुताबिक इनमें बदलाव किए जा रहे हैं.
इस समय यदि हम कहीं कुछ खरीदारी या फिर खाना-खाते हैं तो कैश के साथ-साथ ऑनलाइन पेमेंट का विकल्प भी है. अधिकतर लोग ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं. वहीं बाकि लोग भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. धीरे-धीरे कैश पेमेंट का विकल्प कम होता जा रहा है. लोगों ने कैश रखना भी कम कर दिया है. क्योंकि किराने की दुकान, दूध, सब्जी वाले तक के पास ऑनलाइन पैसे लेने की सुविधा आ गई है.
इस कारण से लोग डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन अब आपको आने वाले समय में डिजिटल करेंसी भी देखने को मिलेगी. यानि की एक ई-रुपया होगा. जिसे किसी भी सामान्य नोट या करेंसी की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा. डिजिटल तौर पर इसका लेन-देन हो सकेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 1 दिसंबर को ये डिजिटल करेंसी लांच करने जा रही है. जिसके बाद आपकी जेब में ये डिजिटल करेंसी होगी.
भारत सरकार लगातार डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी में 1 दिसंबर को इस डिजिटल करेंसी को पायलट प्रोटेक्ट के तौर पर लांच किया जा रहा है. शुरुआत में देश के 4 शहरों में इसे लांच किया जाएगा जिसमें मुंबई, नई दिल्ली,बेंगलुरु और भुवनेश्वर शामिल हैं. इन शहरों में ग्राहक और व्यापारी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. ये डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा बैंक को उपलब्ध कराई जाएगी. शुरुआत में इन 4 शहरों के बाद इस डिजिटल करेंसी का विस्तार किया जाएगा और फिर अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला जैसे शहरों में भी इसे जारी किया जाएगा.
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1 दिसंबर को आरबीआई, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को डिजिटल करेंसी का टोकन जारी करेगी. जिसके बाद ये लोगों तक पहुंचेगा और इसका इस्तेमाल होगा.
इसे मौजूद करेंसी की तरह ही इसे इस्तेमाल में लाया जा सकेगा और लोगों की उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार किया जाएगा और फिर अन्य बैंको में भी इस करेंसी को लागू किया जाएगा. जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं.
नोट की जगह होगी इस्तेमाल
डिजिटल रुपया को सैंट्रल बैंक डिजिटल कंरेसी सीबीडीसी का नाम दिया गया है. ये डिजिटल करेंसी मौजूदा करेंसी की तरह इस्तेमाल में आसान होगी. इसका लेन-देन भी नार्मल ट्रांजेक्शन की तरह किया जा सकेगा.
ये एक तरह से डिजिटल टोकन होगा जो बाकि पैसों की तरह ही इस्तेमाल हो सकेगा. जिस प्रकार से अभी 5, 10, 50, 100, 500, और 2000 के नोटों का इस्तेमाल हम इस्तेमाल करते हैं, ठीक उसी तरह इस करेंसी का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. ये मौजूदा करेंसी की तरह ही होगी. इसमें भी इतने ही यूनिट होंगे. साथ ही जैसे हम अभी अलग-अलग ऐप के जरिए डिजिटल वॉलेट को यूज करते हैं, उसमें एक निश्चित रकम रख पाते हैं ठीक उसी तरह इसमें भी रकम रखकर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसे ऐप के जरिए इस्तेमाल कर सकेंगे और इस डिजिटल करेंसी को बैंक द्वारा जारी किया जाएगा.
कैसे काम करेगी डिजिटल करेंसी ?
आरबीआई के मुताबिक शुरुआत में इस करेंसी को खुदरा व्यापारियों के लिए लांच किया जा रहा है. ये एक तरह से आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी होगी. जिसे ग्राहक और व्यापारी बैंको के जरिए डिजिटल रुपये (ई-आर) या ई-रुपये की तरह इस्तेमाल में ला सकेंगे.
इसका इस्तेमाल एक लीगल टेंजर के साथ होगा. मौजूदा समय में कागजी और सिक्के जैसी मुद्रा की तरह ही इसकी वैल्यू होगी. ये पूरी तरीके से सुरक्षित होगी. क्योंकि केंद्रीय बैंक की तरफ से इस करेंसी को डिजिटल फॉम में एक लीगल टेंडर के साथ लांच किया जा रहा है और ये केंद्रीय बैंको की ओर से बाकि बैंको को जारी होगा. उन बैंको से लोगों तक पहुंचेगा. इसीलिए ये पूरी तरह से सुरक्षित होगा. बैंक इसमें सरकार और जनता के बीच ब्रिज का काम करेंगी.
बैंक में जमा कर सकेंगे डिजिटल करेंसी
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आरबीआई बैंक ने दो भागों नें बांटा है जिसमें सीबीडीसी- खुदरा और सीबीडीसी-रिटेल करेंसी है. इन दोनों चीजों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से इसका लेन-देन होने के साथ व्यापारिक जगहों पर क्यूआर कोड के जरिए इस्तेमाल होगा. इसके इस्तेमाल पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा. साथ ही इसे दूसरी करेंसी से भी बदला जा सकेगा यानि की इससे आप कागजी नोट भी ले सकेंगे. साथ ही बैंक में भी जमा करा सकेंगे.
देश की इकॉनामी को बढ़ावा देने के लिए इस करेंसी को लांच किया जा रहा है. इसीलिए सरकार इसे पहले लोगों के लिए उपयोग में आसान बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लांच कर रही है. अब देखना ये है कि लोगों के लिए ये कितना उपयोगी साबित होता है और इसके क्या फायदे देखने को मिलते हैं.
Published at : 30 Nov 2022 02:54 PM (IST) Tags: RBI DIGITAL RUPEE DIGITAL CURRENCY हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Explainer News in Hindi
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
RBI ने अभी इसे होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है और इसे होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट नाम दिया है. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग
देश की डिजिटल मुद्रा- ‘डिजिटल रुपया’ (e₹) का पहला पायलट परीक्षण 1 नवंबर से शुरू हो गया. केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू ‘डिजिटल रुपये’ के पहले पायलट परीक्षण में ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.
न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) का इस्तेमाल करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. डिजिटल रुपये के साथ कुल मिलाकर 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) (e₹-W) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.
आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC
डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.
जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.
लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया
भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.
दो तरह की CBDC
– रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और यूजर्स को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है. इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.
RBI को सीबीडीसी की शुरुआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी. यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग
डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.
कब होगा रिटेल सेगमेंट का ट्रायल
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.
RBI एक दिसम्बर क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा को लॉन्च करेगा खुदरा लेन-देन के लिए ‘डिजिटल रुपया’ समझिए e₹ के फायदे
-डिजिटल रुपया (e₹-R) किसी कमर्शियल बैंक की नहीं बल्कि RBI की जिम्मेदारी होगा
-e₹-R को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा
-डिजिटल रुपये का इस्तेमाल बिना बैंक अकाउंट के भी किया जा सकेगा
आरबीआई ने कहा है कि वह एक दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपये (e₹-R) के लिए पहली खेप लॉन्च करेगी। E₹-R एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा। यह कानूनी निविदाओं का प्रतिनिधित्व भी करेगा। आरबीआई ने यह भी बताया कि डिजिटल रुपया (e₹-R) उसी मूल्यवर्ग के जारी होंगे जिस मूल्य के कागजी नोट (1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 व 2000) या सिक्के (0.50, 1, 2, 5, 10, 20) जारी किए जाते हैं।
e₹-R कैसे काम करेगा?
– बैंक के जरिए e₹-R डिजिटल टोकन हासिल किया जा सकेगा। शुरू में आठ बैकों से ये टोकन मिलेंगे
– e₹-R डिजिटल वॉलेट में उपलब्ध होगा जिसे मोबाइल फोन या कंप्यूटर-लैपटॉप के जरिए इस्तेमाल करना संभव होगा
– यह सब्सिडियरीज यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा
– दुकानदार के यहां क्यूआर कोड के जरिए e₹-R डिजिटल वॉलेट से भुगतान करना होगा
– e₹-R का व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति व व्यापारियों के बीच लेनदेन किया जा सकेगा
– e₹-R पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा और इसे नकद की तरह बैंक में जमा कराया जा सकेगा
e₹-R को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा
इन बैंकों में मिलेगा e₹-R डिजिटल टोकन
ई डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा लोकेशन पर उपलब्ध होगा। रिटेल डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में चार बैंक शामिल होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक शामिल हैं। दूसरे चरण के पायलट प्रोजेक्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक व कोटक महिंद्रा बैंक शामिल रहेंगे।
इन शहरों से होंगी डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट की शुरुवात
खुदरा लेन-देन के लिए डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु व भुवनेश्वर जैसे शहरों को शामिल किया गया है। उसके बाद के चरणों में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला शहर शामिल होंगे शामिल होंगे। रिजर्व बैंक ने कहा है आवश्यकतानुसार अधिक बैंकों, उपयोगकर्ताओं और स्थानों को शामिल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
पायलट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इस पायलट से मिले अनुभवों के आधार पर भविष्य के पायलटों में e₹-R टोकन और आर्किटेक्चर की विभिन्न विशेषताओं और अनुप्रयोगों का परीक्षण किया जाएगा।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (central bank digital currency) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की गई। CBDC फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
आरबीआई CBDC की शुरुआत क्यों कर रहा है?
भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा। ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। रिजर्व बैंक का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।