इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण

4 ) टेक्निकल एनालिसिस का महत्व ध्यान में लेतें हुए ट्रेड के लिए टेक्निकली राइट एन्ट्री पॉइन्ट तय करना है। टेक्निकल एनालिसिस शेअर के चार्ट का करना होता है। सपोर्ट,रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन तो शेअर के चार्ट पर ही लगानी है। दूर के छोटे ऑप्शन का चार्ट "मुव्ह की तुलना करने के लिये" देखा जा सकता है।
शेयर बाजार में स्क्वायर ऑफ का मतलब
स्क्वायर ऑफ शब्द को समझने से पहले इंट्राडे ट्रेडिंग को समझना जरुरी है। आइए संक्षेप में, समझते हैं की इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होता है?
इंट्राडे ट्रेडिंग, जैसा कि नाम से ही मालूम होता है।
यह दो शब्दों से जुड़कर बना है – पहला ‘इंट्रा’ और दूसरा डे। मतलब एक ही दिन के अन्दर।
यदि कोई निवेशक शेयर या सिक्योरिटी की खरीदारी और बिक्री एक ही दिन में कर देता है।
तब यह ट्रेड इंट्राडे ट्रेड कहलाता है। यह प्रक्रिया (प्रोसेस) इंट्राडे ट्रेडिंग कही जाती है।
हाँ, यह भी हो सकता है। आपने ठीक पढ़ा। यदि आप इस अब तक इस शब्द से अनजान है। आपकी जानकारी के लिए बता दे।
शार्ट सेलिंग में शेयर को आप पहले बेच सकते हो। यदि शेयर आपके डीमैट अकाउंट में नहीं है फिर भी। शर्त एक होती है। आपको शेयर उसी दिन बाजार बंद होने से पहले खरीदना होगा।
स्क्वायर ऑफ का मतलब उदाहरण सहित
शेयर बाजार में स्क्वायर ऑफ का मतलब समझने के लिए हम इन उदाहरण से समझते हैं –
उदाहरण 1- यदि राम ने टाटा मोटर्स के 10 शेयर सुबह खरीदे। फिर शाम को बेच दिए। शाम को शेयर बेचना, अपनी पोजीशन को बंद करना है। पहले लिखा गया है शेयर को ‘शाम को बेचना’ इसका मतलब शाम को बेचना ही नहीं है निवेशक किसी भी समय उसी दिन बेच सकता है।
उदाहरण 2- इसके विपरीत दूसरी स्थिति एक और हो सकती है। कोई व्यक्ति, विकास सुबह सनफार्मा के 5 शेयर को शोर्टसेल करता है। बाद में खरीद लेता है। विकास ने भी शाम एक्सचेंज बंद होने से पहले अपनी पोजीशन बंद की।
उपरोक्त दोनों उदाहरणों में दोनों व्यक्तियों ने अपनी पोजीशन बंद की। यही स्क्वायर ऑफ है।
स्क्वायर ऑफ के प्रकार
स्क्वायर ऑफ दो प्रकार से हो सकता है –
- पहला, ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ
- दूसरा, मैनुअल स्क्वायर ऑफ
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ, ब्रोकर के द्वारा किया जाता है। जब किसी ट्रेडर की पोजीशन खुली रह जाती है। तब ब्रोकर का सिस्टम पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर देता है।
इस प्रकार की परिस्थिति आम तौर पर दो कारणों से होती है। पहला, जब निवेशक अपनी पोजीशन बना के भूल जाता है। दूसरी स्थिति में, निवेशक अपनी पोजीशन को बंद ही नहीं कर पाता। अक्सर ऐसा सर्किट लगने पर होता है।
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ के प्रकार
- टाइमर आधारित (Timer Based)
- मार्केट टू मार्केट (Market to Market Base)
टाइमर आधारित स्क्वायर ऑफ मोड में, निवेशक की पोजीशन पहले से निर्धारित समय पर हो जाती है। यह समय अलग अलग ब्रोकर के हिसाब से तय होता है। आम तौर पर, यह समय तीन बज कर दस मिनट होता है। दूसरी ओर, किसी ब्रोकर का समय तीन बजकर बीस मिनट भी हो सकता है।
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ का समय
ब्रोकर | ऑटो स्क्वायर ऑफ टाइम | ऑटो स्क्वायर ऑफ शुल्क |
---|---|---|
जेरोधा | 3:15 से 3:20 PM | रु 50 + 18% GST |
आईसीआईसीआई डायरेक्ट | 3:30 PM | रु 50 + 18% GST |
HDFC सिक्योरिटीज | 3:00 PM | रु 50 + 18% GST |
अपस्टॉक्स | 3:15 PM | रु 20 + 18% GST |
5 पैसा | 3:15 PM | रु 20 + 18% GST |
एंजेल ब्रोकिंग | 3:15PM | रु 50 + 18% GST |
SBIसिक्योरिटीज | 3:05 PM | रु 50 + 18% GST |
Intraday Trading Vs Delivery Trading: जानें इंट्राडे तथा डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है
शेयर मार्केट में निवेश करना वर्तमान इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण दौर में बेहद आसान बनता जा रहा है, लेकिन यहाँ निवेश करने के एक से अधिक विकल्प उपलब्ध हैं, जिनके बारे में एक निवेशक के तौर पर आपके लिए जानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कुछ शेयर मार्केट ट्रेडिंग अल्पकालिक अवधि के लिए होती हैं, जबकि कुछ ट्रेडिंग लंबी अवधि के निवेश के रूप में की जाती हैं।
हालाँकि शेयर बाज़ार में निवेश के कुछ अन्य तरीके भी हैं जैसे फ्यूचर एवं ऑप्शन में निवेश आदि, किन्तु आज इस लेख में हम मुख्यतः अवधि के आधार पर शेयर मार्केट में करी जाने वाली ट्रेडिंग के विषय में समझेंगे। इस प्रकार शेयर बाजार में दो तरीके से ट्रेडिंग करी जा सकती हैं, जिन्हें हम इंट्राडे ट्रेडिंग या डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग (Intraday Trading Vs Delivery Trading) के रूप में जानते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) क्या है?
जब कोई ट्रेडर या निवेशक एक ही ट्रेडिंग दिन के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री करता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) कहा जाता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग में शेयरों को कम समय में लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है, लंबी अवधि के निवेश के रूप में नहीं।
इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी ट्रेडिंग दिन में शेयर की कीमत में हुए परिवर्तन के आधार पर ट्रेडर लाभ अर्जित करते हैं, गौरतलब है कि, डिलीवरी ट्रेडिंग के विपरीत यहाँ कोई ट्रेडर किसी शेयर को पहले बेचकर बाद में खरीद भी सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण किया जाता है, जब ट्रेडर को किसी शेयर की कीमतों में गिरावट का अंदेशा होता है, ऐसे में ट्रेडर दिन की शुरुआत में शेयर बेच देते हैं तथा दिन के मध्य या अंत में जब शेयर के दाम गिर जाएं तो उसे खरीद लेते हैं।
स्क्वायर ऑफ के प्रकार
स्क्वायर ऑफ दो प्रकार से हो सकता है –
- पहला, ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ
- दूसरा, मैनुअल स्क्वायर ऑफ
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ, ब्रोकर के द्वारा किया जाता है। जब किसी ट्रेडर की पोजीशन खुली रह जाती है। तब ब्रोकर का सिस्टम पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर देता है।
इस प्रकार की परिस्थिति आम तौर पर दो कारणों से होती है। पहला, जब निवेशक अपनी पोजीशन बना के भूल जाता है। दूसरी स्थिति में, निवेशक अपनी पोजीशन को बंद ही नहीं कर पाता। अक्सर ऐसा सर्किट लगने पर होता है।
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ के प्रकार
- टाइमर आधारित (Timer Based)
- मार्केट टू मार्केट (Market to Market Base)
टाइमर आधारित स्क्वायर ऑफ मोड में, निवेशक की पोजीशन पहले से निर्धारित समय पर हो जाती है। यह समय अलग अलग ब्रोकर के हिसाब से तय होता है। आम तौर पर, यह समय तीन बज कर इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण दस मिनट होता है। दूसरी ओर, किसी ब्रोकर का समय तीन बजकर बीस मिनट भी हो सकता है।
ऑटोमैटिक स्क्वायर ऑफ का समय
ब्रोकर | ऑटो स्क्वायर ऑफ टाइम | ऑटो स्क्वायर ऑफ शुल्क |
---|---|---|
जेरोधा | 3:15 से 3:20 PM | रु 50 + 18% GST |
आईसीआईसीआई डायरेक्ट | 3:30 PM | रु 50 + 18% GST |
HDFC सिक्योरिटीज | 3:00 PM | रु 50 + 18% GST |
अपस्टॉक्स | 3:15 PM | रु 20 + 18% GST |
5 पैसा | 3:15 PM | रु 20 + 18% इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण GST |
एंजेल ब्रोकिंग | 3:15PM | रु 50 + 18% GST |
SBIसिक्योरिटीज | 3:05 PM | रु 50 + 18% GST |
स्टॉक मार्केट में Out of the Money ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें ?
दूर का ऑप्शन, इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण जी हाँ दोस्तों, जो की हमेशा एक्ट्रॅक्टिव्ह दिखता है। हमें ललचाता भी है अपने परफॉर्मन्स से! यह हो जाता है 5 रूपये से 50 का 100 का या उससे भी ज्यादा। है ना?
दूर का छोटा ऑप्शन याने की ऐसा ऑप्शन जो अंडरलेयिंग असेट (शेअर,इंडेक्स) के "चालू कीमत से काफी दूर होता है।" यह हम सभी को मालूम है। कीमत के उतार-चढ़ाव से ऑप्शन में हलचल होती है। "तेज और बड़े बदलाव से" ही दूर के ऑप्शन में बड़ी बढ़त या गिरावट आती है। इस पर हमारा इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण एकमत हो सकता है।
और इस पर भी की बड़े मुव्ह किसी बड़े फंडामेंटल या टेक्निकल के कारण ही आतें है। इसलिए स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल न्यूज़ या टेक्निकल सेट अप को बनते हुए देखकर ही Out Of The Money ऑप्शन्स में B.T.S.T. का ट्रेड लिया जाता है।
दूर का कॉल ऑप्शन ( Out Of The Money Call Option)
उदाहरण
1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस 5 रूपये के फर्क से है। तो Rs. 500 से ज्यादा की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 505, 510, 515, . कॉल ऑप्शन आउट ऑफ़ द मनी कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा कॉल ऑप्शन Rs. 550 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।
स्टॉक मार्केट में Out of the Money ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें ?
दूर का ऑप्शन, जी हाँ दोस्तों, जो की हमेशा एक्ट्रॅक्टिव्ह दिखता है। हमें ललचाता भी है अपने परफॉर्मन्स से! यह हो जाता है 5 रूपये से 50 का 100 का या उससे भी ज्यादा। है ना?
दूर का छोटा ऑप्शन याने की ऐसा ऑप्शन जो अंडरलेयिंग असेट (शेअर,इंडेक्स) के "चालू कीमत से काफी दूर होता है।" यह हम सभी को मालूम है। कीमत के उतार-चढ़ाव से ऑप्शन में हलचल होती है। "तेज और बड़े बदलाव से" ही दूर के ऑप्शन में बड़ी बढ़त या गिरावट आती है। इस पर हमारा एकमत हो सकता है।
और इस पर भी की बड़े मुव्ह किसी बड़े फंडामेंटल या टेक्निकल के कारण ही आतें है। इसलिए स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल न्यूज़ या टेक्निकल सेट अप को बनते हुए देखकर ही Out Of The Money ऑप्शन्स में B.T.S.T. का ट्रेड लिया जाता है।
दूर का कॉल ऑप्शन ( Out Of The Money Call Option)
उदाहरण
1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस 5 रूपये के फर्क से है। तो Rs. 500 से ज्यादा की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 505, 510, 515, . कॉल ऑप्शन आउट ऑफ़ द मनी कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा कॉल ऑप्शन Rs. 550 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।