निवेशों पर प्रभाव

आरओआई = (आरएम टूल्स के लाभ) / (आरएम टूल्स की लागत) * 100
वैश्वीकरण का विकासशील देशों / भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - Impact of Globalization on Developing Countries / Indian Economy
वैश्वीकरण का विकासशील देशों / भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - Impact of Globalization on Developing Countries / Indian Economy
वैश्वीकरण के विकासशील देशों / भारतीय अर्थव्यवस्था पर दोनों तरह के लाभकारी तथा हानिकारक प्रभाव पड़ है मुख्य लाभकारी तथा हानिकारक प्रभावों का वर्णन इस प्रकार है-
वैश्वीकरण के लाभकारी प्रभाव
(क) विदेशी व्यापार में वृद्धिः
वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत विदेशी व्यापार के सम्बन्ध में अपनाई गई नीतियों में फलस्वरूप विश्व व्यापार में भारत के भाग में वृद्धि हुई है। 1990-91 में विश्व व्यापार में भारत का भाग 053 प्रतिशत था। 1995-96 में यह बढ़ कर 0.50 प्रतिशत तथा 2010-11 बढ़ कर 1.96 प्रतिशत हो गया। भारत का विश्व व्यापार में हिस्सा तालिका 1 में दिखाया गया है।
विदेशी व्यापार की उदारवादी नीतियों के फलस्वरूप विश्व व्यापार में भारत के भाग में वृद्धि हुई है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी निर्यातों का प्रतिशत भाग निवेशों पर प्रभाव निस्तर बढ़ रहा है। 1990-91 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में निर्यात का भाग 6 प्रतिशत था 2010-11 में यह बढ़ कर 23.39 प्रतिशत हो गया।
(ख) निवेशों पर प्रभाव विदेशी निवेश में वृद्धिः
भारत में वैश्वीकरण में फलस्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा पोर्टफोलियो विदेशी निवेश दोनों में काफी वृद्धि हुई है।
(i) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से तात्पर्य विदेशी कंपनियों द्वारा अन्य देश में पूर्ण स्वामित्व वाली कम्पनियाँ बनाने और उनका प्रबन्ध करने से है।
इसके अंतर्गत प्रबंध करने के उद्देश्य से अशी को खरीद कर अधिग्रहण की गई कम्पनी भी शामिल है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की विशेषता मेजबान देश की घरेलू कम्पनियों को अपने प्रबंध में लेना या अन्य देश में प्रबन्ध के उद्देश्य से पूर्ण स्वामित्व निवेशों पर प्रभाव वाली कम्पनियाँ बनाना है। इस तरह के निवेश में उत्तम का पूरा जोखिम विदेशी निवेशक उठाता है और विदेशी निवेशक ही उद्यम के पूरे लाभ या हानि के लिये जिम्मेदार होता है।
(ii) पोर्टफोलियो निवेश: इस तरह के निवेश में विदेशी निवेशक, विदेशी कम्पनिया या विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय कम्पनियों के अशो या ऋणपत्रों में निवेश करते हैं। इस तरह के निवेश में विदेशी निवेशक मेजबान देश की व्यावसायिक इकाई का प्रबंध अपने हाथों में नहीं लेते, बल्कि उस इकाई का प्रबंध एवं नियन्त्रण घरेलू देश पर ही छोड़ दिया जाता है।
भारत में विदेशी निवेश में काफी बड़ी मात्रा में बढोत्तरी हुई है। वर्ष 1990-91 में कुल विदेशी निवेश 103 मिलियन यूएस डॉलर था वर्ष 2007-08 में विदेशी निवेश बढ़ कर 62 106 मिलियन यूएस डॉलर हो गया। भारत में बढ़ ते विदेशी निवेश के कारण भुगतान शेष में सुधार आया है तथा देश के विदेशी मुद्रा कोपों में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। वैश्विक मंदी के कारण 2008-09 में विदेशी निवेशों के अंतप्रवाह में कमी आई। 2008-09 में विदेशी निवेश कम होकर 23.983 मिलियन यूएस डॉलर रह गया। वर्ष 2009-10 तथा 2010-11 में विदेशी निवेश पुन बढ़ कर कमश 70.139 मिलियन यू.एस. डॉलर तथा 84,372 मिलियन यू.एस. डॉलर हो निवेशों पर प्रभाव गया।
(iii) विदेशी सहयोगों में वृद्धि. वैश्वीकरण से भारतीय कम्पनियों के साथ विदेशी कम्पनियों के सहयोग में वृद्धि हुई है। ये सहयोग तकनीकी सहयोग या वित्तीय सहयोग या दोनों के रूप हो सकते हैं
वित्तीय सहयोग में विदेशी साझेदार वित्त प्रदान कराता है. जबकि तकनीकी सहयोग में विदेशी साझेदार आधुनिक तकनीक प्रदान कराता है। विदेशी सहयोगों में विदेशी कम्पनिया भारतीय कम्पनियों के साथ मिलकर भारत में बहुत से उद्यम स्थापित कर रही है।
(iv) विदेशी विनिमय कोषों में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण के फलस्वरूप विदेशी विनिमय कोपी में काफी वृद्धि हुई है। सन् 1991 में भारत का विदेशी विनिमय कोष 4,388 करोड़ था वह अप्रैल 2012 में बढ़ कर 15,24,328 करोड़ हो गया। इस प्रकार विदेशी विनिमय कोपों में 347 गुणा वृद्धि हुई है।
(v) बाजार का विस्तार वैश्वीकरण की नीति से बाजार का विस्तार हुआ है।
इससे भारतीय व्यावसायिक इकाईया पूरे विश्व में व्यवसाय करने में लगी है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए राष्ट्रीय सीमाएं महत्वहीन हो गई है भारतीय कम्पनिया जैसे-इफासिस, टाटा कंसलटेंसी, विप्रो, टाटा स्टील, रिलायंस, आदि विश्व के देशों में व्यापार कर रही है।
(vi) तकनीकी विकास वैश्वीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी तकनीक का अर्तप्रवाह हुआ है। इससे औद्योगिक इकाईयों में नवीनतम तकनीक का प्रयोग होने लगा है। इससे उनकी उत्पादकता बढ़ी है।
(vii) ब्रांड - विकास: वैश्वीकरण से ब्रांडेड वस्तुओं का प्रयोग बढ़ा है। यह केवल टिकाऊ वस्तुओं में ही नहीं, बल्कि साधारण उत्पादों, जैसे- जूस, स्नैक्स, कपड़ों, खाद्यान्नों आदि में भी होने लगा है। इससे उत्पादों की क्वालिटी में सुधार आया है।
(viii) पूंजी बाजार का विकासः वैश्वीकरण से भारतीय पूंजी बाजार का विकास हुआ है। विदेशी निवेशक अब अधिक मात्रा में भारतीय पूंजी बाजारों में निवेश करने लगे है। भारत में विदेशी निवेश में बहुत वृद्धि हुई है।
(ix) सेवा क्षेत्र का विकास: वैश्वीकरण से भारतीय सेवा क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ है। विदेशी कम्पनियों के दूर संचार, बीमा क्षेत्र, बैंकिंग सेवाओं में आने से इन सेवा क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई है, जैसे भारत में अब मोबाइल फोन बहुत सस्ते व काफी प्रचलित हो गए हैं।
(x) रोजगार में वृद्धिः वैश्वीकरण से रोजगार अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है।
विदेशी कम्पनिया भारत में अपनी व्यावसायिक व उत्पादन इकाईया स्थापित कर रही है। इससे भारतीयों के लिए रोजगार अवसर बढ़े है जैसे विदेशी बीमा कम्पनियों, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार कम्पनियों में बहुत से लोगों को रोजगार मिला है।
(xi) प्रतिभा पलायन में कमी: वैश्वीकरण से बहुराष्ट्रीय निगमों ने भारत में अपनी व्यावसायिक इकाईया स्थापित की है। इनमें प्रतिभावान भारतीय प्रबंधकों, इंजीनियरों आदि को बहुत ही अच्छे वेतन व अच्छी कार्यदशाओं में नियुक्त किया जाता है। इससे भारत में अच्छे रोजगार अवसर मिलने के कारण जीवन स्तर में सुधार वैश्वीकरण से भारत के लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है। प्रतिभावान व्यक्तियों के भारत से विदेशों में पलायन में कमी आई है।
(xii) अब अच्छी क्वालिटी की वस्तुए कम कीमत पर मिलने लगी है। वैश्वीकरण से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, जैसे- टेलीविजन, ए.सी. मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर आदि की कीमतों में कमी आई है। अब मध्यम वर्ग के लोग भी इन उत्पादों का प्रयोग करने लगे है।
उद्यम कर्ता, क्या आप जानते हैं कि शिक्षा निवेशकों की नज़र क्या पकड़ती है?
शिक्षा उद्योग निवेश के लिए सबसे अधिक मांग किए जाने वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर रहा है। 1.4 मिलियन से अधिक स्कूलों और 36,000 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ, इस उद्योग के पास उद्यम कर्ता को देने के लिए बहुत कुछ है।
प्रत्येक निवेशक की एक अलग मानसिकता होती है, जो शिक्षा फ्रेंचाइज़र के लिए चीजों को थोड़ा सा जटिल बनाती है। कुछ लोग तथ्यों पर अपने फैसले का आधार रखते हैं जबकि कुछ उद्योग को सही दिशा देने वाले रुझानों के आधार पर अपने विचारों को रेखांकित करते हैं।
कुछ जोखिम लेने के तैयार होते है, जबकि अन्य सुरक्षित रास्ता पसंद करते हैं। लेकिन कुछ चीजें हैं जो प्रत्येक निवेशक में समान है।
यहां हम वास्तव में निवेशक क्या सोचते है, के उपर एक नज़र निवेशों पर प्रभाव डालेंगे:
मेल (मैच)
एक उद्यमी के रूप में, आपको उनके परिप्रेक्ष्य से देखना चाहिए कि क्या आपका व्यवसाय या आईडिया निवेश के लायक है।
आपको अपने निवेशक के साथ-साथ खुद को भी यकीन दिलाना चाहिए कि व्यवसाय में निश्चित समय अवधि में निवेश के अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है।
निवेशक भी वही चीज़ ढूंढ रहे हैं जहां वे अपना पैसा निवेश कर सकते हैं और व्यापार को प्रारंभिक बढ़ावा दे सकते है।
निवेशकों के पिछले निवेशों पर ध्यान देने से आपको यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि इसमें निवेश करने के लिए आपका व्यावसायिक आईडिया निवेशकों के मानदंडों से मेल खाता है या नहीं।
उद्देश्यपूर्ण विचार
उद्देश्यपूर्ण और दिलचस्प आईडिया निवेशकों को आकर्षित करते हैं। एज्युकेटर्स ऐसी नई संकल्पना के साथ आ सकते है जो निवेशक को तुरंत पसंद आए, जिससे आपके शिक्षा व्यवसाय के लिए निवेश प्राप्त हो सकता है।
निवेशक अपने पैसे लगाने में फ़्रैंचाइज़र की विचारधारा और आईडिया पर उसके आत्मविश्वास को लेकर बहुत चुनिंदा होते है। एक स्मार्ट निवेशक किसी संभावित व्यावसायिक आईडिया को कभी भी नज़रअंदाज नहीं करेगा यदि वह उसमें आपके अटल आत्मविश्वास को देखता है।
बाज़ार का कद
निवेशक ऐसे व्यवसायों की तलाश करते हैं जो उनके कौशल और लक्ष्यों से मेल खाते है। बाज़ार का कद निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे यह जानना चाहते हैं कि आपका ब्रांड कितना बड़ा है, यह मौजूदा बाज़ार में कैसे हलचल पैदा करेगा।
एक अनूठा कॉन्सेप्ट हलचल तो पैदा कर सकता है लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसका प्रभाव कितने लंबे समय तक रहता है। बाज़ार स्पष्ट विचारों से भरा पड़ा है लेकिन आपका आईडिया लंबे समय तक अपने सिद्धांतों पर बने रहकर, प्रतिरोध का सामना करने और मौजूदा समस्याओं को चुनौती देने में सक्षम होना चाहिए, केवल तभी एक निवेशक अपने पैसे इसमें निवेश करने के लिए आश्वस्त होगा।
आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश के आरओआई की गणना कैसे करें?
आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश के आरओआई की गणना कैसे करें?
उत्पाद विकास के लिए आवश्यकता प्रबंधन (आरएम) उपकरण आवश्यक हैं, लेकिन इन निवेशों पर प्रतिफल क्या है? दूसरे शब्दों में, खर्च को सही ठहराने के लिए आप आवश्यकता प्रबंधन टूल के लाभों की गणना कैसे करते हैं? आरओआई को मापते समय विचार करने के लिए कई कारक हैं, जिसमें कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि और संचालन लागत में कमी शामिल है। इन लाभों को समझकर, आप आवश्यकता प्रबंधन टूल में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं।
ROI क्या है?
आरओआई एक प्रदर्शन उपाय है जिसका उपयोग किसी निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करने या कई अलग-अलग निवेशों की दक्षता की तुलना करने के लिए किया जाता है। आरओआई सीधे निवेश से "धन" रिटर्न को मापने की कोशिश करता है और आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
तो, आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण के लिए ROI क्या है?
आवश्यकताओं के लिए आरओआई प्रबंधन उपकरण आरएम उपकरण की लागत से विभाजित लाभ (कर्मचारी उत्पादकता में वृद्धि, संचालन लागत में कमी, आदि) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। प्रतिशत प्राप्त करने के लिए इस अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है।
लेकिन आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण के लिए ROI की गणना कैसे मदद करती है?
कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि और संचालन लागत में कमी सहित आवश्यकता प्रबंधन उपकरणों के लिए कई लाभों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इन लाभों को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं। आरओआई की गणना करते समय, निर्णय लेने से पहले निवेश के सभी संभावित लाभों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इस जानकारी के साथ, आप इस बारे में एक सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे कि आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण आपके संगठन के लिए सही हैं या नहीं।
आवश्यकता प्रबंधन टूल के लिए ROI की गणना करना:
आरओआई एक प्रदर्शन उपाय है जिसका उपयोग किसी निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करने या कई अलग-अलग निवेशों की दक्षता की तुलना करने के लिए किया जाता है। आरओआई सीधे निवेश से "धन" रिटर्न को मापने की कोशिश करता है और आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
आरओआई = (आरएम टूल्स के लाभ) / (आरएम टूल्स की लागत) * 100
सबसे पहले, आपको प्रत्येक परियोजना के लिए स्टाफिंग लागत की गणना करनी होगी। हमारे उदाहरण में यह 2,400,000 अमरीकी डालर है। फिर कुल परियोजना लागत के प्रतिशत के रूप में उद्योग के औसत पुनर्विक्रय का उपयोग यह गणना करने के लिए करें कि आपकी परियोजना पर कितना पुनर्विक्रय होगा। हमारे मामले में यह लगभग 30% (लगभग 720,000 USD) है। आवश्यकताओं के मुद्दों के कारण संपूर्ण पुनर्विक्रय आमतौर पर लगभग 70% होता है। नतीजतन, अक्षमताओं के कारण आवश्यकताओं के पुनर्विक्रय की लागत लगभग 504,000 अमरीकी डालर है।
यदि हम मानते हैं कि एक अच्छा आवश्यकता प्रबंधन समाधान विकास लागत में 10% की कटौती कर सकता है, तो लागत बचत $50,400 (504,000 USD x 0,1) है। यदि आप निवेश पर लाभ को व्यय (आपके आवश्यकता प्रबंधन सॉफ़्टवेयर का खरीद मूल्य) से विभाजित करते हैं, तो यह पता लगाना आसान है कि आप समय के साथ कितना पैसा बचाएंगे। दूसरी ओर, उपकरण की निवेश लागत प्रत्येक विक्रेता के मूल्य निर्धारण मॉडल के आधार पर भिन्न हो सकती है।
आवश्यकता प्रबंधन उपकरण के लिए आरओआई की गणना के लिए विचार:
RM टूल के लिए ROI की गणना करते समय विचार करने के लिए कई कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि
- संचालन लागत में कमी
- बेहतर उत्पाद विकास
इन लाभों को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं। आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करते समय आरओआई याद रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है।
आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण कई लाभ प्रदान करते हैं जो आपकी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार कर सकते हैं। इन निवेशों के आरओआई को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं।
निष्कर्ष:
आरओआई, या निवेश पर लाभ, एक गणना है जो आपको यह समझने में मदद करती है कि आपके आवश्यकता प्रबंधन उपकरण कार्यान्वयन ने कितना लाभ अर्जित किया है। RM टूल्स के लिए ROI की गणना करने के लिए, आपको निम्नलिखित जानकारी जाननी होगी: आपके टूल्स लाइसेंस की लागत, टूल का उपयोग करने वाले कर्मचारियों द्वारा बिताया गया समय, और RM टूल्स के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न राजस्व में वृद्धि। देखें कि संगठनों ने ओर मुड़कर कितने घंटे बचाए हैं विज़र सॉल्यूशंस ट्रेसिबिलिटी मैट्रिक्स उत्पादन, परीक्षण योजना, पुन: प्रयोज्य, और कई अन्य विभिन्न चुनौतियों के लिए उनकी आवश्यकता प्रबंधन समाधान के रूप में।
आर्थिक राशिफल, 26 नवंबर 2022
काम की अधिकता के चलते पारिवारिक उपेक्षा न करें। किसी भी धार्मिक विवाद में उलझना ठीक नहीं रहेगा। आजीविका के क्षेत्र में चल रहे प्रयास फलीभूत होंगे। राजनैतिक सहयोग मिलेगा, जिससे आपके कार्य पूरे होंगे। स्वास्थ्य के प्रति उदासीन न रहें। वाणी पर संयम रखें, मुसीबत से बचेंगे। विरोधी परास्त होंगे।
वृषभ आर्थिक राशि: विरोधी परास्त होंगे
राशि से द्वादश भाव में राहु मंगल का अशुभ योग यद्यपि मनोमालिन्य कारक है, तो भी आपका दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा। धन, पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शारीरिक व मानसिक क्लेश मिल सकता है। छात्रों का परीक्षा की दिशा में किया गया श्रम सार्थक होगा। आपके कार्यों से विरोधी परास्त होंगे।
मिथुन आर्थिक राशि: पारिवारिक जीवन सुखमय होगा
आज मकर राशि का चंद्रमा आपके पराक्रम की वृद्धि कर रहा है। धन और ऐश्वर्य वृद्धि से शत्रु ईर्ष्या करेंगे। पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। शासन सत्ता का सहयोग रहेगा। रूका हुआ कार्य संपन्न होगा। किसी मूल्यवान वस्तु के खोने या चोरी की आशंका बन रही है। फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखें अन्यथा आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।
कर्क आर्थिक राशि: योजनाओं को बल मिलेगा
राशि स्वामी चंद्रमा सप्तम भाव में संचार कर रहा है। यह किसी अन्तर्विरोध को जन्म दे सकता है। व्यावसायिक योजनाओं को बल मिलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। मनोरंजन के अवसर प्राप्त होंगे। पुराने किए गए निवेशों से अच्छा लाभ मिलेगा।
सिंह आर्थिक राशि: लेन-देन में सावधानी रखें
आज आपकी राशि पर चंद्रमा षष्ठम का और तृतीय भाव में तुला राशिगत केतु अभिष्ट सिद्धि कारक है। गृहोपयोगी निवेशों पर प्रभाव वस्तुओं में वृद्धि होगी। अधीनस्थ कर्मचारी या किसी रिश्तेदार के कारण तनाव मिल सकता है। रूपए-पैसे के लेन-देन में सावधानी रखें। ससुराल पक्ष से लाभ होगा। वाहन प्रयोग में सावधानी रखें।
कन्या आर्थिक राशि: अपने मतभेद दूर रखें
आज आपकी राशि से द्वितीय केतु सप्तम गुरू योग बना हुआ है। अतः आप कुछ विशेष कर दिखाने की उधेड़बुन में रहेंगे। आर्थिक दिशा में सफलता मिलेगी। वाणी की सौम्यता आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगी। साझेदारी में बिजनस कर रहे हैं तो काम से अपने मतभेद दूर रखें, तभी लाभ होगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। खान-पान में संयम बरतें, बाहर के खान-पान से बचें। ससुराल पक्ष से लाभ होगा।
तुला आर्थिक राशि: निवेश से अच्छा लाभ होगा
राशि पर चतुर्थ घर का चंद्रमा प्रथम भाव में केतु आज आपके पुरूषार्थ और पराक्रम की वृद्धि करेगा। रोजगार की तलाश करने वाले युवाओं को शुभ समाचार मिलने की संभावना है। आर्थिक दिशा में किए गए प्रयास सफल होंगे और निवेश से भी अच्छा लाभ होगा। खान-पान पर संयम रखें। ससुराल पक्ष से लाभ होगा। कार्यक्षेत्र में किसी भी तरह के झगड़ा व विवाद से बचें।
वृश्चिक आर्थिक राशि: विरोधियों का पराभव होगा
राशि का स्वामी वृष राशि का होकर सप्तम भाव में पुराने रोग ऋण से छुटकारा दिलाएगा। व्यावसायिक दिशा में सफलता मिलेगी और अपने कार्यों को लेकर सजग रहेंगे। खान-पान में संमय रखें। अनावश्यक व्यय का सामना करना पड़ सकता है। विरोधियों का पराभव होगा। रोजी रोजगार की दिशा में अच्छी सफलता मिलेगी।
धनु आर्थिक राशि: आर्थिक कार्यों में सफलता मिलेगी
आपकी राशि के स्वामी बृहस्पति मीन राशि पर मार्गी हो चुके हैं, अतः गुप्त शत्रु और ईर्ष्यालु साथियों से सावधान रहें। आर्थिक दिशा में सफलता मिलेगी। वाणी की सौम्यता आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगी। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। व्यापारिक कार्यों में अच्छा लाभ होगा और नए ऑर्ड्स भी प्राप्त होंगे।
मकर आर्थिक राशि: सहयोग लेने में सफल होंगे
आपकी राशि पर द्वितीय शनि तृतीय गुरू का प्रभाव है। दशम भाव में केतु विवेकपूर्ण कार्य संपादन रोजी रोजगार की दिशा में सफलता मिलेगी। प्रियजनों की तरफ से उपहार व सम्मान का लाभ मिलेगा। दूसरों से सहयोग लेने में सफल होंगे, जिससे आपके अटके कार्य पूरे होंगे। यात्रा देशाटन की स्थिति सुखद व लाभप्रद होगी। नौकरी पेशा जातक अपने कार्यों में स्पष्टता रखें।
कुंभ आर्थिक राशि: पद व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी
राजनैतिक दिशा में किए गए प्रयास फलीभूत होंगे। शासन व सत्ता का सहयोग मिलेगा। नौकरी पेशा जातकों के पद व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। किसी अभिन्न मित्र से मिलाप की संभावना है। आय और व्यय में संतुलन बनाकर रखें। मकर का चंद्रमा निकट व दूर की सकारणीय यात्रा का प्रसंग प्रबल करेगा।
मीन आर्थिक राशि: व्यावसायिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी
आज आपकी राशि से चंद्रमा एकादश राज्य विजय कारक है। पुराने झगड़ों व झंझटों से मुक्ति मिलेगी। व्यावसायिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। उपहार व सम्मान का लाभ मिलेगा। किसी कार्य के संपन्न होने से आपके स्वभाव व वर्चस्व में वृद्धि होगी। ससुराल पक्ष से तनाव मिलेगा। मैत्री संबंध मधुर होंगे।