एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें

5. विदेशी मुद्रा बढ़ने से आम लोगों को भी फायदा मिलता है। इससे सरकारी योजनाओं में खर्च करने के लिए पैसा मिलता है।
रुपये पर दबाव बना रहेगा, निकट भविष्य में 79-80 के आसपास रहने का अनुमान: विशेषज्ञ
नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) कच्चे तेल और अन्य जिंसों की ऊंची कीमतों की वजह से देश की मुद्रा रुपये पर दबाव बने रहने की आशंका है और यह डॉलर के मुकाबले 79-80 के स्तर के आसपास स्थिर एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें हो सकता है। रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिये भारतीय रिजर्व एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें बैंक (आरबीआई) के पास सीमित गुंजाइश के बीच विशेषज्ञों ने यह बात कही।
रूस के यूक्रेन पर एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें हमले के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें में इस साल पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। रूस के हमले से कच्चे तेल का दाम एक साल के उच्चस्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को अमेरिकी करेंसी के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड 78.34 (अस्थायी) के निचले स्तर पर बंद हुआ।
देश अपनी कुल तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत और गैस का 50 प्रतिशत आयात के जरिये पूरा करता है। ऐसे में कच्चे तेल तथा जिंसों के दाम में तेजी से देश का बाह्य वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा है। भारत का एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें कच्चे तेल का आयात बिल मई में दोगुना से अधिक होकर 19.19 अरब डॉलर पहुंच गया था।
अर्थव्यवस्था को तेजी प्रदान करेगा विदेशी मुद्रा एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें भंडार
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Budget 2022 से पहले भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट
आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट देखी गई है. आंकड़ों के मुताबिक, 21 जनवरी को वीकेंड के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 678 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 634.287 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 14 जनवरी को विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 बिलियन डॉलर बढ़कर 634.965 बिलियन डॉलर हो गया था. 3 सितंबर, 2021 को वीकेंड में विदेशी मुद्रा किटी $ 642.453 बिलियन के साथ अबतक के अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
भारतीय रिजर्व बैंक के 21 जनवरी को समाप्त हुए वीकेंड आंकड़ो के मुतबिक भंडार में गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियो (एफसीए) में गिरावट के कारण थी, जो पूरे भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. बता दें कि रिपोर्टिंग वीक में एफसीए 1.155 अरब डॉलर से घटकर सीधा 569.582 अरब डॉलर रह गया.
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एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें
बुनियादी वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतें बांग्लादेशी समाज के आर्थिक तौर पर कमज़ोर तबक़ों को बहुत दर्द पहुंचा रही हैं।
पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। श्रीलंका बुनियादी चीजों की गंभीर कमी से ग्रस्त है और एक गंभीर भुगतान शेष (बीओपी- बैलेंस ऑफ पेमेंट) संकट के बीच, वहां पेट्रोल, दवाईयां व विदेशी मुद्रा खत्म हो रही है।
जनता की नाराजगी के चलते, सरकार के विरोध करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन शुरु हो गए। जिससे राजनीतिक संकट भी पैदा हो गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनकी कैबिनेट को इस्तीफा भी देना पड़ा और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति हुई।
बांग्लादेश में कई लोगों को डर है कि वहां भी बढ़ते हुए व्यापार घाटे और विदेशी कर्ज के भार के चलते ऐसी ही स्थिति बन सकती है। 2022 के शुरुआती चार महीनों में निर्यात 32.9 फ़ीसदी की धीमी रफ़्तार से बढ़ा, जबकि विदेशों में रहने वाले बांग्लादेशियों से आने वाला पैसा, जो विदेशी मुद्रा का एक अहम स्त्रोत् है, उसमें इस अवधि में पिछले साल की तुलना में 20 फ़ीसदी की कमी आई और यह गिरकर 7 बिलियन डॉलर ही पहुंचा।
विदेशी मुद्रा भंडार के पांच बड़े फायदे
1. विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेते होता है। साल 1991 में देश को सिर्फ 40 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च का बोझ उठाया जा सकता है।
2. बड़ा विदेशी मुद्रा रखने वाला देश विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें हो सकते हैं।
3. सरकार जरूरी सैन्य सामान एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके साथ कच्चा तेल, दूसरी जरूरी सामान की आयत में बढ़ा नहीं आती है।