शुरुआती गाइड

डिजिटल सिग्नल

डिजिटल सिग्नल
Key Points

120Amp मिग वेल्डिंग मशीन गैस के बिना सिंगल फेज डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग 0

120Amp मिग वेल्डिंग मशीन गैस डिजिटल सिग्नल के बिना सिंगल फेज डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग

सभी नए मिनी एमआईजी वेल्डर तेजी से दुनिया भर में सबसे अधिक वांछित बहुमुखी इन्वर्टर वेल्डर में से एक बन रहे हैं। मिनी 120Amp सिंगल फेज फ्लक्स कोर्ड डिजिटल सिग्नल वेल्डिंग मशीन 1kg वायर बिना गैस के; उन लोगों के लिए सटीक रूप से डिज़ाइन किया गया है जो एक विश्वसनीय ब्रांड से सटीक वेल्ड चाहते हैं, जिसमें एन्हांसमेंट, स्थिरता और निर्भरता प्रदान करने में एक सिद्ध पृष्ठभूमि हो, जो हर बार सही सुचारू परिणाम की गारंटी देता है।इन्वर्टर फ्लक्स कोर्ड एमआईजी वेल्डिंग मशीन सबसे उन्नत इन्वर्टर सहक्रियात्मक तकनीक डिजिटल सिग्नल को अपनाती है, यह DIY उपयोगकर्ताओं के लिए अविश्वसनीय पोर्टेबिलिटी प्रदान करती है, बाहरी मरम्मत और रखरखाव, धातु निर्माण, आदि के लिए आदर्श है।

के विनिर्देश मिनी फ्लक्स कोर्ड वेल्डिंग मशीन

नमूना मिनी FCW-120SNY
पावर इनपुट 220V 50/60HZ
इनपुट क्षमता 4.0kva
नो लोड वोल्टेज 51वी
वेल्डिंग चालू 20-120ए
इलेक्ट्रोड रॉड 1.6-2.5 मिमी
तार का व्यास 0.8 / 1.0 मिमी
साइकिल शुल्क ३५%
वजन 7.0 किग्रा

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर

सूची डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर (Digital Signal Processor या DSP) एक विशेश माइक्रोप्रोसेसर है जिसे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग के लिये विशेष रूप से डिजाइन किया गया होता है। वास्तविक-समय (डिजिटल सिग्नल Real-Time) में डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग करने के लिये कुछ विशेष इन्स्ट्र्क्शन्स को बहुत तेज गति से कार्यान्वित करना आवश्यक होता है। .

एफपीजीए

बोर्ड पर लगा हुआ अल्टेरा का एक FPGA जिलिंक्स कम्पनी द्वारा निर्मित एक एफपीजीए फिल्ड-प्रोग्रामेबल गेट अरे या एफपीजीए (FPGA) एक विशेष प्रकार का अंकीय एकीकृत परिपथ है जिसे प्रयोक्ता अपनी आवश्यकतानुसार विन्यासित करके विविध प्रकार के कार्य करा सकता है। विन्यास करने के लिये प्रोग्राम करना पड़ता है। चूँकि निर्माण के बाद प्रयोक्ता द्वारा इसकी आन्तरिक बनावट को बदला जा सकता है, इसलिये इसे 'फिल्ड प्रोग्रामेबल' कहते हैं। एफपीजीए का प्रयोग करके वे सारे लॉजिकल कार्य किये/कराये जा सकते हैं जो 'एसिक' (ASICs) द्वारा किये जाते हैं। .

माइक्रोप्रोसेसर (हिन्दी: सूक्ष्मप्रक्रमक) एक ऐसा डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जिसमें लाखों ट्रांजिस्टरों को एकीकृत परिपथ (इंटीग्रेटेड सर्किट या आईसी) के रूप में प्रयोग कर तैयार किया जाता है। इससे कंप्यूटर के केन्द्रीय प्रक्रमण इकाई (CPU या सीपीयू) की तरह भी काम लिया जाता है।। हिन्दुस्टान लाइव। २४ जनवरी २०१० इंटीग्रेटेड सर्किट के आविष्कार से ही आगे चलकर माइक्रोप्रोसेसर के निर्माण का रास्ता खुला था। माइक्रोप्रोसेसर के अस्तित्व में आने के पूर्व सीपीयू अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक अवयवों को जोड़कर बनाए जाते थे या फिर लघुस्तरीय एकीकरण वाले परिपथों से। सबसे पहला माइक्रोप्रोसेसर १९७० में बना था। तब इसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक परिकलकों में बाइनरी कोडेड डेसिमल (बीसीडी) की गणना करने के लिए किया गया था। बाद में ४ व ८ बिट माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग टर्मिनल्स, प्रिंटर और ऑटोमेशन डिवाइस में किया गया था। विश्व में मुख्यत: दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर उत्पादक कंपनियां है - इंटेल (INTEL) और ए.एम.डी.(AMD)। इनमें से इन्टैल कंपनी के प्रोसेसर अधिक प्रयोग किये जाते हैं। प्रत्येक कंपनी प्रोसेसर की तकनीक और उसकी क्षमता के अनुसार उन्हे अलग अलग कोड नाम देती हैं, जैसे इंटेल कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं पैन्टियम -1, पैन्टियम -2, पैन्टियम -3, पैन्टियम -4, सैलेरॉन, कोर टू डुयो आदि.उसी तरह ए.एम.डी. कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं के-5, के-6, ऐथेलॉन आदि। .

माइक्रोकंट्रोलर

माइक्रोचिप का PIC 18F252 माइक्रोकन्ट्रोलर (८-बिट, १६-किलोबाइट फ्लैश, ४० मेगा हर्ट्स, DIP-28) माइक्रोकन्ट्रोलर (Microcontroller or MCU) एक आइ॰ सी॰ (एकीकृत परिपथ) है जिसमें पूरा कम्प्यूटर समाहित होता है; अर्थात् एक ही आई॰ सी॰ के अन्दर कम्प्यूटर के चारों भाग (इन्पुट, आउटपुट, सीपीयू और स्मृति या भण्डारण) निर्मित होते हैं। वस्तुतः यह भी एक प्रकार का माइक्रोप्रोसेसर ही है किन्तु इसकी डिजाइन में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि यह आत्मनिर्भर हो (किसी कार्य के लिये दूसरी आई॰ सी॰ की जरूरत कम से कम या नहीं हो); तथा सस्ता हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये प्रायः RAM व ROM भी अन्तःनिर्मित कर दिये जाते हैं जबकि माइक्रोप्रोसेसरों को काम में लाने के लिये RAM व ROM अलग से लगाना पडता है। .

संकेत प्रक्रमण या संकेत प्रसंस्करण दो तरह से किया जाता है.

यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ डिजिटल सिग्नल नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।

डिजिटल सिगनल क्या है? | डिजीटल तकनीक के लाभ

Digital signal वह सिग्नल है जो physical quantities को manipulate इस तरीके से करता है कि उसके समान रूप को हम अकीय रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं अर्थात् discrete value के रूप में दर्शाया जा सकता है।

Digital शब्द, digit term को refer करता है। डिजीटल कम्प्यूटर, केल्कुलेटर, वीडियो गेम, टेलीविजन आदि डिजीटल परिपथ को प्रयोग करके बनाए जाते हैं।

डिजिटल सिगनल क्या है

Digital variables में केवल discrete values ही होती हैं। Digital variables, real variable नहीं होते हैं।

डिजीटल तकनीक के लाभ

  • डिजीटल सिस्टम को डिजाइन करना आसान है (DigitalSystems are Generally Easier to Design)– डिजीटल सिस्टम को switching circuit प्रयोग करके बनाया जाता है जिसमें धारा (current) और वोल्टेज (voltage) की exact डिजिटल सिग्नल value की आवश्यकता नहीं होती है। इन switching circuits की कार्यविधि, वेल्यू की परास (range of value) पर आधारित होती है। जैसे-निम्न या उच्च (low or high)। इसलिए डिजीटल सिस्टम को एनालॉग सिस्टम की तुलना डिजिटल सिग्नल में डिजाइन करना अधिक आसान है।
  • डिजीटल सिस्टम शोर से कम प्रभावित डिजिटल सिग्नल होते हैं (Digital Systems are Less Affected by Noise)– चूंकि डिजीटल सिस्टम में धारा (current) और वोल्टेज की exact value महत्वपूर्ण नहीं होती हैइसलिए डिजीटल सिस्टम की noise (unwanted or spurious variation in voltage or current) कोई बाधापूर्ण स्थिति (critical condition) उत्पन्न नहीं करती है। इसलिए डिजीटल डिजिटल सिग्नल डिजिटल सिग्नल सिस्टम noise से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं।
  • डिजीटल जानकारी को स्टोर करना आसान है (Storing Digital Information is Easy)-डिजीटल सिस्टम में जानकारी को store करने का तरीका सीधा व सरल है। फ्लिप-फ्लॉप व लैच को प्रयुक्त करके हम जानकारी को लम्बे समय तक स्टोर कर सकते हैं।
  • कम कीमत (Low Cost)-इसमें हम बहुत सारे components को एक डिजिटल सिग्नल चिप पर fabricate कर सकते हैं जिससे डिजीटल सिस्टम की कीमत बहुत कम होती है।
  • सटीकता एवं परिशुद्धता (Accuracy and Precision)-डिजीटल सिस्टम में हम कुछ और switching circuits को जोड़कर, number of digits को precisely तथा accurately, handle कर सकते हैं। जबकि analog system में हम दो या तीन digit तक ही accurately handle कर सकते हैं क्योंकि analog system में current और voltage की value component value के अनुक्रमानुपाती (proportional) होती है।
  • दक्षता (Efficiency)-डिजीटल डाटा को हम more efficiently transmit तथा manipulate कर सकते हैं।
  • प्रोग्रामेबल (Programmable)-डिजीटल परिपथ के controlling operations को हम अपनी आवश्यकतानुसार change कर सकते हैं क्योंकि ये programmable होते हैं।

किस प्रकार का डिवाइस डिजिटल सिग्नल को किसी ऐसे रूप में रूपांतरित करता है, जो उपयोगकर्ता के लिए सुगम होता है?

Key Points

एक इनपुट डिवाइस आने वाले डाटा और निर्देशों को बाइनरी कोड में विद्युत संकेतों के एक पैटर्न में परिवर्तित करता है जो एक डिजिटल डिजिटल सिग्नल कंप्यूटर के लिए समझ में आता है।

एक आउटपुट डिवाइस प्रक्रिया को उलट डिजिटल सिग्नल देता है, डिजीटल संकेतों को उपयोगकर्ता के लिए सुगम रूप में अनुवादित करता है।

एक आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर हार्डवेयर उपकरण का कोई भी टुकड़ा है जो सूचना को मानव-पठनीय रूप में परिवर्तित करता है। यह टेक्स्ट, ग्राफिक्स, टैक्टाइल, ऑडियो और वीडियो हो सकता है।

अतः इसका सही उत्तर आउटपुट डिवाइस है।

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