विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है?

करेंसी का डिप्रीशीएशन तब होता है जब फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट पर करेंसी की कीमत घटती है. करेंसी का डिवैल्यूऐशन तब होता है जब कोई देश जान बूझकर अपने देश की करेंसी की कीमत को घटाता है. जिसे मुद्रा का अवमूल्यन भी कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. साल 2015 में People’s Bank of China (PBOC) ने अपनी मुद्रा चीनी युआन रेनमिंबी (CNY) की कीमत घटाई.
भीम आधार पे
भुगतान का सबसे आसान और सस्ता तरीका आधार भुगतान है। भारत का नागरिक जिसके पास आधार नंबर है, वह इस भुगतान विधि का उपयोग कर सकता है। भारतीयों के लगभग 43 करोड़ खाते आधार से लिंक हैं; और वे इस आधार सक्षम भुगतान मोड का उपयोग कर सकते हैं।
आधार भुगतान ऐप के लाभ:
ग्राहकों के लिए संव्यवहार करना आसान है, जबकि व्यापारियों को स्मार्टफोन, ऐप और फिंगरप्रिंट स्कैनर की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं.
करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है? भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
लॉकडाउन है, कोई बात नहीं, ऐसे खरीदें ऑनलाइन सोना
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इस दौरान लोग बैंकों से भी सोना खरीदते हैं. इस साल अक्षय तृतीया रविवार 26 अप्रैल को पड़ी है. ऐसे में बैंक रविवार को भी खुले रहे और उन्होंने इस दिन को ध्यान में रखते हुए सोने की बिक्री की. इसके अलावा बैंक ऑनलाइन E-Gold भी उपलब्ध करा रहे हैं.
- सोने में निवेश का एक तरीका सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी है, यह बॉन्ड सरकार जारी करती है.
- सर्राफा बाजार बंद होने के चलते बड़ी संख्या में ज्वैलर ऑनलाइन सोना खरीदने का विकल्प दे रहे हैं
- फर्म कितना पूंजीकृत है?
- व्यापार में कब से है?
- फर्म का प्रबंधन कौन विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है? करता है और इस व्यक्ति के पास कितना अनुभव है?
- फर्म के साथ किन और कितने बैंकों के रिश्ते हैं?
- प्रत्येक माह यह कितनी मात्रा में लेन-देन करता है?
- ऑर्डर आकार के संदर्भ में इसकी तरलता की गारंटी क्या है?
- इसकी मार्जिन पॉलिसी क्या है?
- यदि आप अपनी स्थिति को रातोंरात पकड़ना चाहते हैं तो इसकी रोलओवर नीति क्या है?
- क्या फर्म पॉजिटिव कैरी से गुजरती है, अगर कोई है तो?
- क्या फर्म रोलओवर ब्याज दरों में प्रसार को जोड़ता है?
- यह किस तरह का मंच प्रदान करता है?
- क्या इसके पास कई ऑर्डर प्रकार हैं, जैसे “ऑर्डर कैंसिल विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है? ऑर्डर” या “ऑर्डर ऑर्डर भेजता है”?
- क्या यह ऑर्डर मूल्य पर आपके स्टॉप लॉस को निष्पादित करने की गारंटी देता है?
- क्या फर्म के पास एक डीलिंग डेस्क है?
- यदि आपका इंटरनेट कनेक्शन खो गया है और आपके पास एक खुली विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है? स्थिति है तो आप क्या करते हैं?
- क्या फर्म वास्तविक समय में पी एंड एल जैसे सभी बैक-एंड कार्यालय कार्य प्रदान करती है?
- यूरो : 57.6%
- जापानी येन : 13.6%
- कैनेडियन डॉलर : 9.1%
- ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
- स्वीडिश क्रोना : 4.2%
- स्विस फ्रैंक : 3.6%
ट्रेंडिंग तस्वीरें
नई दिल्लीः अक्षय तृतीया का दिन है, लेकिन लॉकडाउन के कारण बंदी का आलम है. अगर कोरोना ने नाक में दम न किया होता तो आज बाजार चढ़े होते और पीली धातु खूब सुनहली होई होती. जमकर सोने की खरीदारी होती और नए-नए रिकॉर्ड बन सकते थे, लेकिन शहनाई बजने का यह मौसम इस साल सुनसान है. लोग जेवर-गहने भी खरीदने नहीं निकल सके हैं. फिर भी आप सोना खरीद सकते है.
खरीदिए E-सोना
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इस दौरान लोग बैंकों से भी सोना खरीदते हैं. इस साल अक्षय तृतीया रविवार 26 अप्रैल को पड़ी है. ऐसे में बैंक रविवार को भी खुले रहे और उन्होंने इस दिन को ध्यान में रखते हुए सोने की बिक्री की. इसके अलावा बैंक ऑनलाइन E-Gold भी उपलब्ध करा रहे हैं. HDFC बैंक अपने ग्राहकों को मैसेज भेज कर अपने E-Gold ऑफर के बारे में बता रहा है.
अपने विदेशी मुद्रा ब्रोकर का भुगतान कैसे करें
मार्केट मेकर लुभाने व्यापारियों के लिए इस्तेमाल करते हैं। वे कोई विनिमय शुल्क या नियामक शुल्क, कोई डेटा शुल्क विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है? और सबसे अच्छा, कोई कमीशन नहीं देने का वादा करते हैं । नए व्यापारी के लिए बस व्यापार व्यवसाय में तोड़ना चाहते हैं, यह सच होने के लिए बहुत अच्छा लगता है।
लेनदेन की लागत के बिना व्यापार स्पष्ट रूप से एक फायदा है। हालांकि, अनुभवहीन व्यापारियों के लिए सौदेबाजी की तरह लगने वाला सबसे अच्छा सौदा उपलब्ध नहीं हो सकता है – या यहां तक कि एक सौदा भी। यहां हम आपको दिखाएंगे कि विदेशी मुद्रा ब्रोकर शुल्क / कमीशन संरचनाओं का मूल्यांकन कैसे करें और वह ढूंढें जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करेगा।
आयोग की संरचनाएं
विदेशी मुद्रा में दलालों द्वारा कमीशन के तीन रूपों का उपयोग किया जाता है। कुछ फर्म एक निश्चित प्रसार की पेशकश करते हैं, अन्य एक चर प्रसार की पेशकश करते हैं और फिर भी अन्य लोग प्रसार के प्रतिशत के आधार पर कमीशन लेते हैं। तो सबसे अच्छा विकल्प कौन सा है? पहली नज़र में, ऐसा लगता है कि निश्चित प्रसार सही विकल्प हो सकता है, क्योंकि तब आपको पता होगा कि वास्तव में क्या उम्मीद है। हालांकि, इससे पहले कि आप कूदें और एक चुनें, आपको कुछ चीजों पर विचार करने की आवश्यकता है।
एक ब्रोकर के मामले में जो एक वैरिएबल स्प्रेड प्रदान करता है, आप एक ऐसी स्प्रेड की अपेक्षा कर सकते हैं जो कई बार 1.5 पिप्स जितनी कम हो या पांच पिप्स जितनी ऊंची हो, यह मुद्रा जोड़ी के ट्रेड होने और मार्केट की अस्थिरता के स्तर पर निर्भर करता है।
कुछ ब्रोकर बहुत कम कमीशन लेते हैं, शायद एक पाइप के दो-दसवें हिस्से को, और फिर आप से प्राप्त ऑर्डर फ्लो को एक बड़े मार्केट मेकर को दे देंगे, जिनके साथ उनका पेशेवर रिश्ता है। ऐसी व्यवस्था में, आप एक बहुत ही तंग फैलाव प्राप्त कर सकते हैं जो केवल बड़े व्यापारियों तक ही पहुंच सकता है।
विभिन्न दलाल, विभिन्न सेवा स्तर
तो आपके व्यापार पर कमीशन के नीचे की रेखा के प्रभाव का प्रत्येक प्रकार क्या है? यह देखते हुए कि सभी दलालों को समान नहीं बनाया जाता है, यह उत्तर देने के लिए एक कठिन प्रश्न है। इसका कारण यह है कि आपके व्यापार खाते के लिए सबसे अधिक लाभप्रद वजन होने पर खाते में लेने के लिए अन्य कारक हैं।
उदाहरण के लिए, सभी ब्रोकर समान रूप से बाजार बनाने में सक्षम नहीं हैं । विदेशी मुद्रा बाजार एक है पर्ची के बिना बाजार, जो बैंकों, का मतलब है कि प्राथमिक बाजार निर्माताओं, अन्य बैंकों और कीमत एग्रीगेटर्स (खुदरा ऑनलाइन दलालों), के आधार पर के साथ रिश्ते हैं पूंजीकरण और साख प्रत्येक संगठन की। इसमें कोई गारंटर या एक्सचेंज शामिल नहीं हैं, बस प्रत्येक खिलाड़ी के बीच क्रेडिट समझौता है । इसलिए, जब यह एक ऑनलाइन बाजार निर्माता की बात आती है, उदाहरण के लिए, आपके ब्रोकर की प्रभावशीलता बैंकों के साथ उनके संबंधों पर निर्भर करती है, और ब्रोकर उनके साथ कितनी मात्रा में करते हैं। आमतौर पर, उच्च-मात्रा वाले विदेशी मुद्रा खिलाड़ियों को तंग फैलता है।
एक विदेशी मुद्रा ब्रोकर चुनना
एक व्यापारी के रूप में, आपको ब्रोकर को तय करने के प्रकार के अलावा, ब्रोकर पर निर्णय लेते समय हमेशा कुल पैकेज पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, कुछ ब्रोकर उत्कृष्ट प्रसार की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन उनके प्लेटफार्मों में प्रतियोगियों द्वारा पेश की जाने वाली सभी घंटियाँ और सीटी नहीं हो सकती हैं। जब एक ब्रोकरेज फर्म के चयन, आप निम्नलिखित की जांच करनी चाहिए:
Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?
डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)
What is US Dollar Index and Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?
डॉलर इंडेक्स क्या है?
डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.
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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?
डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.
हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.
डॉलर इंडेक्स का इतिहास
डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.
डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.