स्टॉक मार्केट के कार्य

DMA has always been available for institutions, but through a broker. Can this be offered to retail without broker? Yeah, but retail investors use a broker for the platform (UI, UX, different order types, reporting, etc) on which they trade, DMA is not suitable. 1/3— Nithin Kamath (@Nithin0dha) July 27, 2020
शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष
शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।
शेयर बाजार के कार्य
1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल स्टॉक मार्केट के कार्य जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।
3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।
4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।
5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।
बड़ा बदलाव संभव, निवेशकों को सीधा स्टॉक एक्सचेंज से व्यापार करने की अनुमति दे सकता है SEBI
शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए ये खबर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। निवेशक जल्द ही ब्रोकर्स की बजाय सीधे स्टॉक एक्सचेंज से शेयर की खरीद व बिक्री कर सकते हैं। बाजार नियामक सेबी कथित तौर पर खुदरा निवेशकों को डायरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए) की अनुमति देने पर विचार कर रहा है।
यदि नियामक निर्णय के साथ आगे बढ़ता है, तो भारत का ब्रोकिंग उद्योग एक बड़ा बदलाव देखेगा। यह उनके अस्तित्व को भी खतरे में डाल सकता है। मालूम हो कि मौजूदा समय में निवेशक शेयरों की खरीद-बिक्री सीधे एक्सचेंज से नहीं कर सकते हैं। निवेशक ब्रोकर्स के जरिए लेन-देन करते हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष 10 ब्रोकर अकेले उद्योग के आकार का 63 फीसदी से अधिक योगदान देते हैं। इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बीएसई होगा। साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), जो आने वाले समय में आईपीओ की तैयारी कर रहा है। इस रिपोर्ट के बाद कल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का स्टॉक नौ फीसदी चढ़ा।
भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में से एक, Zerodha के सह-संस्थापक नितिन कामथ ने ने ट्विटर पर लिखा कि डीएमए उपलब्ध है, लेकिन ब्रोकर के माध्यम से। क्या बिना ब्रोकर के रिटेल की पेशकश की जा सकती है? एक ब्रोकर के लिए सबसे बड़ा काम ग्राहक के सवालों, शिकायतों आदि को संभालना है। उद्योग के पास इसके लिए हजारों कर्मचारी हैं। क्या एक्सचेंज इस पर नियंत्रण कर सकते हैं और ग्राहक की शिकायतों के बाद खुद को विनियमित करने के लिए एक नियामक के रूप में भी कार्य कर स्टॉक मार्केट के कार्य सकते हैं?
भारतीय ऑनलाइन ट्रेडिंग उद्योग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। मार्च 2019 की एचडीएफसी सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री इंटरनेट ट्रेडिंग का हिस्सा वित्त वर्ष 2013 में 22 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2018 में 29 फीसदी हो गया है। जैसे-जैसे वित्तीय जागरूकता बढ़ रही है, अधिक से अधिक मिलेनियल्स स्टॉक ट्रेडिंग की ओर बढ़ रहे हैं।
शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए ये खबर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। निवेशक जल्द ही ब्रोकर्स की बजाय सीधे स्टॉक एक्सचेंज से शेयर की खरीद व बिक्री कर सकते हैं। बाजार नियामक सेबी कथित तौर पर खुदरा निवेशकों को डायरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए) की अनुमति देने पर विचार कर रहा है।
यदि नियामक निर्णय के साथ आगे बढ़ता है, तो भारत का ब्रोकिंग उद्योग एक बड़ा बदलाव देखेगा। यह उनके अस्तित्व को भी खतरे में डाल सकता है। मालूम हो कि मौजूदा समय में निवेशक शेयरों की खरीद-बिक्री सीधे एक्सचेंज से नहीं कर सकते हैं। निवेशक ब्रोकर्स के जरिए लेन-देन करते हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष 10 ब्रोकर अकेले उद्योग के आकार का 63 फीसदी से अधिक योगदान देते हैं। इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बीएसई होगा। साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), जो आने वाले समय में आईपीओ की तैयारी कर रहा है। इस रिपोर्ट के बाद कल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का स्टॉक नौ फीसदी चढ़ा।
भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में से एक, Zerodha के सह-संस्थापक नितिन कामथ ने ने ट्विटर पर लिखा कि डीएमए उपलब्ध है, लेकिन ब्रोकर के माध्यम से। क्या बिना ब्रोकर के रिटेल की पेशकश की जा सकती है? एक ब्रोकर के लिए सबसे बड़ा काम ग्राहक के सवालों, शिकायतों आदि को संभालना है। उद्योग के पास इसके लिए हजारों कर्मचारी हैं। क्या एक्सचेंज इस पर नियंत्रण कर सकते हैं और ग्राहक की शिकायतों के बाद खुद को विनियमित करने के लिए एक नियामक स्टॉक मार्केट के कार्य के रूप में भी कार्य कर सकते हैं?
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— Nithin Kamath (@Nithin0dha) July 27, 2020
भारतीय ऑनलाइन ट्रेडिंग उद्योग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। मार्च 2019 की एचडीएफसी सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री इंटरनेट ट्रेडिंग का हिस्सा वित्त वर्ष 2013 में 22 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2018 में 29 फीसदी हो गया है। जैसे-जैसे वित्तीय जागरूकता बढ़ रही है, अधिक से अधिक मिलेनियल्स स्टॉक ट्रेडिंग की ओर बढ़ रहे हैं।
Stock Market Kya Hai? 2021 में, भारत में कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?
स्टॉक मार्केट एक ऐसा मंच है, जहां से आप शेयर, बांड और डेरिवेटिव खरीद एवं बेच सकते हैं और कोई भी सूचीबद्ध कंपनी इसे जारी कर सकता है.
क्या आप स्टॉक मार्केट, शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज जैसे शब्दों से कंफ्यूज हैं? भारत में कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं? इस तरह के सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इस आर्टिकल में मिलने वाला है धैर्य पूर्वक आखिर तक पढ़िए.
शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है?
शेयर या स्टॉक को ज्यादातर समय परस्पर उपयोग किया जाता है. किंतु इन दोनों के संचालन में थोड़ा अंतर देखा जाता है. पहले यह जान लेते हैं कि शेयर एवं स्टॉक किसे कहते हैं.
स्टॉक – जब कई शेयरों को एक साथ रखा जाता है, तो इसे स्टॉक कहा जाता है. किसी कंपनी के स्टॉक की कीमत उस स्टॉक की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है. कंपनी सीधे स्टॉक को जारी नहीं कर सकता है.
शेयर – किसी भी कंपनी की सबसे छोटी हिस्सेदारी की इकाई को शेयर कहा जाता है. कोई भी रजिस्टर कंपनी अपना शेयर जारी कर सकता है. याद रखेगा शेयर का मूल्य स्टॉप से हमेशा कम होता है.
शेयरों के बड़े रूप को ही स्टॉक कहते हैं. दोनों ही एक ही बाजार में खरीद फरोख्त होता है. स्टॉक बाजार या शेयर बाजार एक ऐसा बाजार है, जहां विभिन्न प्रकार के बांड, शेयर स्टॉक और प्रतिभूतियों का कारोबार होता है.
स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है?
स्टॉक मार्केट उन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है जो सार्वजनिक निवेशकों को खरीदने और बेचने के लिए इक्विटी शेयरों की सूची बनाती हैं.
स्टॉक एक्सचेंज बुनियादी ढाँचे हैं जो उन इक्विटी प्रतिभूतियों, या शेयरों के व्यापार की सुविधा प्रदान करते हैं.
स्टॉक एक्सचेंज के बिना, कंपनियों के पास शेयरों को सूचीबद्ध करने के लिए कोई औपचारिक तंत्र नहीं हो सकता है, और शेयर बाजार के बिना, एक्सचेंजों के अस्तित्व का कोई कारण नहीं होगा.
स्टॉक एक्सचेंज इलेक्ट्रॉनिक या मैनुअल हो सकते हैं, और वे शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) के आकार के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं.
शेयर क्या होता है? एक छोटे से मूल्य का भौतिक प्रतिनिधित्व हैं, और शेयरों के मालिक होने का मतलब है स्टॉक मार्केट के कार्य कि आप कंपनी के एक हिस्से के मालिक हैं.
भारत में कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?
भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)।शेयर बाजार के प्रकार: देश में शेयर बाजार दो प्रकार के होते हैं.
प्राथमिक शेयर बाजार
प्राथमिक बाजार जहां परलकंपनियां या व्यवसाय अपना पंजीकरण कराते हैं. कंपनियां अपने शेयरों की पेशकश करके धन जुटाने के लिए प्राथमिक शेयर बाजार में प्रवेश करती हैं.
जब कोई कंपनी प्राथमिक शेयर बाजार में खुद को पंजीकृत करती है और पहली बार अपने शेयर बेचने की पेशकश करती है, तो इसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के रूप में जाना जाता है.
सेकेंडरी शेयर मार्केट
कंपनी के शेयरों की वास्तविक ट्रेडिंग सेकेंडरी शेयर मार्केट में होती है. किसी कंपनी का शेयर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के बाद, निवेशक ट्रेडिंग में शामिल हो सकते हैं, यानी बिक्री या खरीद, कीमतों पर जो बाजार की गतिविधियों द्वारा नियंत्रित होती हैं.
आप सेकेंडरी शेयर मार्केट में केवल ब्रोकर के माध्यम से शेयरों में ट्रेड कर सकते हैं. वर्तमान डिजिटल युग में, आप आसानी से एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं, जिसके बाद आपको ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर बाजारों में व्यापार करने की अनुमति है.
भारत में स्टॉक मार्केट को कौन नियंत्रित करता है?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), 1992 में SEBI अधिनियम के तहत गठित, भारत में शेयर बाजारों को नियंत्रित और मॉनिटर करता है. शेयर बाजारों के समग्र प्रशासनिक नियंत्रण के साथ-साथ, सेबी को शेयर बाजारों के लिए निरीक्षण करने और नियम बनाने की भूमिका भी सौंपी जाती है.
स्टॉकब्रोकर कौन होते हैं?
आपके लिए यह समझना अनिवार्य है कि आप शेयर बाजारों में केवल ब्रोकर के माध्यम से ही व्यापार कर सकते हैं. स्टॉकब्रोकर वित्तीय मध्यस्थ होते हैं, जो आपको उनकी सेवाओं के लिए ब्रोकरेज शुल्क लेते हुए व्यापार करने में सक्षम बनाते हैं.
स्टॉक ब्रोकर / ब्रोकरेज फर्म सेबी के साथ पंजीकृत हैं और निवेशक और शेयर बाजारों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं.
आप स्टॉक मार्केट में कैसे ट्रेड कर सकते हैं?
इंटरनेट के आगमन से पहले, आपको दलालों से मिलने और लेनदेन के लिए उन्हें निर्देश देने की आवश्यकता थी. लेकिन अब स्टॉक ब्रोकर डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं, जहां आप निम्न के माध्यम से ट्रेड कर सकते हैं.
- वेब ट्रेडिंग अनुप्रयोग
- टर्मिनल सॉफ्टवेयर
- मोबाइल आधारित ऐप्स.
अगर आपको शेयर मार्केट का ज्ञान है तो आप इससे बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं. देखा गया है कि जानके अब मैं ज्यादातर लोग अपनी पूंजी गवां बैठते हैं.
इन दिनों बहुत ही आसानी से डिमैट अकाउंट खुल जाता है. आप घर बैठे अपने स्मार्टफोन से डीमेट अकाउंट को अपडेट कर सकते हैं.
मुझे लगता है कि आपको Stock Market Kya Hai से संबंधित लेख पसंद आया होगा. इससे संबंधित अन्य कोई स्टॉक मार्केट के कार्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट में लिख सकते हैं.
स्टॉक एक्सचेंज क्या है Stock Exchange के क्या कार्य हैं? आसान अर्थ Hindi में
0 आशुतोष नायक (Editor) अगस्त 22, 2021
स्टॉक एक्सचेंज क्या है और यह कैसे काम करता है। शेयर बाजार में स्टॉक एक्सचेंज का क्या अर्थ होता है। और इसके क्या कार्य होते हैं। किस तरह किसी कंपनी के शेयर खरीदने और बेचने में स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत होती है। भारत में स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना कब हुई, और यहां के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज कौन कौन हैं। उनके क्या नाम हैं।
ऐसे तमाम सवाल आपके दिमाग में घूम रहे होंगे और आपकी स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े सारे सवालों के जवाब देने के लिए आज हम लेकर आए हैं इस आर्टिकल को जहां आपको ना सिर्फ स्टॉक एक्सचेंज क्या है यह बताएंगे बल्कि आपको स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ी हर वो जानकारी देने की कोशिश करेंगे जो शेयर स्टॉक मार्केट के कार्य बाजार में इन्वेस्ट या ट्रेड करने से पहले आपको जाननी जरूरी है। तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है
स्टॉक मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज ठीक उसी तरह होता है। जैसे किसी शहर में किसी सामान का एक मार्केट जैसे सब्जी मंडी गल्ला मंडी या कपड़ों का मार्केट। आपके आस पास भी कोई न कोई मार्केट जरूर होगा। जहां समान के खरीददार और बिक्रेता दोनों होते हैं। ठीक ऐसे ही स्टॉक एक्सचेंज होता है। जहां पर शेयर के खरीददार और बिक्रेता दोनों मिलते हैं। असल मायने में स्टॉक एक्सचेंज को ही शेयर बाजार कहते हैं। बस यहां आम बाजार की तरह हम अकेले ही थैला लेकर नहीं जा सकते और न ही शेयर खरीद सकते। बल्कि यहां हमें यदि शेयर खरीदने होते हैं, तो हमें स्टॉक ब्रोकर की जरूरत होती है। स्टॉक ब्रोकर के जरिये ही स्टॉक एक्सचेंज से हम शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं।
तो क्या स्टोक्स एक्सचेंज के पास शेयर होते हैं
जी नहीं, स्टॉक एक्सचेंज के पास शेयर नहीं होते। जैसा कि हमने पहले ही आपको बताया कि स्टॉक एक्सचेंज हमारे आम बाजारों की तरह ही सिर्फ एक बाजार है। जहां पर शेयर की खरीद और बिक्री होती है। जबकि शेयर के खरीदार और विक्रेता कंपनी या हम ही लोग होते हैं। जैसे आम बाजारों में होता है। ऐसे ही स्टॉक एक्सचेंज भी शेयर की खरीद और बिक्री की एकमात्र जगह है। जहां पर ऑनलाइन, शेयर के खरीदार और विक्रेता स्टॉक ब्रोकर के जरिए शेयर की खरीदारी और बिक्री करते हैं। यह सारा कुछ ऑनलाइन होता है सो इसे हम वर्चुअल मार्केट भी कह सकते हैं।
भारत में कौन कौन से स्टॉक एक्सचेंज हैं
वैसे तो भारत में कई स्टॉक एक्सचेंज हैं, लेकिन प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज 2 ही हैं। एक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई). जब भी कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में उतरती है। यानी कि अपना आईपीओ (IPO) लॉन्च करती है तो वह इन्हीं दो स्टॉक एक्सचेंज एनएसई NSE और बीएसई BSE में लिस्ट होती है। और इन्हीं दो स्टॉक एक्सचेंज से सभी लोग शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं।
जानिए शेयर बाजार कैसे बना दो खरब का मार्केट
नई दिल्ली। शेयर बाजार की शुरुआत आजादी मिलने से 107 साल पहले ही हो चुकी थी। लेकिन उस समय तरीका बिल्कुल अलग था। 1840 में पहली बार शेयर बाजार की शुरुआत मुंबई में बरगद के पेड़ के नीचे 22 लोगों के साथ शुरु की गई। मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के वृक्ष के नीचे सभी लोग दलाल एकत्रित होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। हालांकि कुछ सालों बाद ये दलाल महात्मा गांधी रोड पर बरगद के वृक्ष के नीचे जुटने लगे। धीरे-धीरे शेयर दलालों की संख्या बढती गई ।
एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय चार गुजराती स्टॉक मार्केट के कार्य और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है। ये सभी 1840 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के स्टॉक मार्केट के कार्य नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी होती रही। 1875 में इन्होंने अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया।
आजादी मिलने के 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भारत सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया। साल 1980 में बीएसई को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया। 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी, बीएसई और सेसेक्स जैसे इंडेक्स बनाए गए। 2000 में डेरिएटिव मार्केट के लिए इसे खोला गया। 25 जनवरी 2001 को डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे बीएसई का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा जाता है। साल दर साल विस्तार के बाद आज यहां हर काम टेक्नॉलिजी से होता है।
सेबी का स्थापना
1980 के दशक तक बीएसई बहुत कम पारर्दशिता के साथ कार्य करती थी। इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी। तब 1988 भारत सरकार ने सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की।
एनएसई की शुरूआत
वर्ष 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के चलते बॉम्बे स्टॉका एक्सचेंज क्रैश हो गया। तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने बीएसई की प्रतिस्पर्धा के लिए एक और स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत की बात कही। नवंबर 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शुरूआत हुई। ऑपरेशन के कुछ ही दिनों के बाद एनएसई भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज माकेर्ट बन गया।