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व्यापारियों की राय के आधार पर रेटिंग

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अमरीका की नजर में इंडियन इकोनॉमी के तीन सच, किस पर करें यकीन

नई दिल्ली। भारतीय अर्थशास्त्रियों जहन से अभी तक यह बात नहीं गई होगी जब दावोस में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख गीता गोनीनाथ ने यह कहा था कि वैश्विक मंदी की सबसे बड़ी वजह भारत है। इस बात को एक महीना भी नहीं हुआ है। एक महीने में चीजें इतनी बदल गई हैं कि अमरीकी आर्थिक संस्था यूएसटीआर ने भारत को विकसित देशों की श्रेणी में रख दिया है। आज अमरीका की ही एक संस्था वर्ल्ड पापुलेशन रिव्यू ने दावा किया है कि भारत ने ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे धकेलकर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। वहीं दूसरी ओर अमरीका व्यापारियों की राय के आधार पर रेटिंग की रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की इकोनॉमी आने वाले वित्तीय वर्ष में भी पटरी पर नहीं आने वाली है। अमरीका की ओर से भारत के लिए आए तीन सच। अब सवाल ये है कि इन तीनों में से किस पर यकीन करें? मूडीज की रिपोर्ट पर विश्वास करें जबकि आरबीआई खुद चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का अनुमान 5 फीसदी लगा चुका है। या भारत की इकोनॉमी को महिमामंडित करने वाली उन दो रिपोर्ट पर सही मान लें, जिनके विपरीत धरातल पर कुछ और ही दिखाई दे रहा है।

India and American Flag

अमरीका ने इसलिए बताया विकसित
पहले यूएसटीआर की बात करते हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा कि भारत एक विकसित देश है। क्योंकि उसका वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी 0.5 फीसदी से ज्यादा है। वास्तव में इस सच के पीछे की कहानी कुछ और है। अमरीका भारत को जीएसपी का दर्जा नहीं देना चाहता है। ताकि भारतीय प्रोडक्ट्स अमरीका में सस्ते दामों में ना बिक सके। अगर ऐसा होता है जो अमरीकी इकोनॉमी को ठेस लगती है। ऐसे में अमरीका ने चाल चली और देश को विकसित देशों की श्रेणी में डालकर भारत के जीएसपी डिमांड के सारे रास्ते बंद कर दिए।

वित्तीय परिस्थितियों के अनुसार बदलती हैं रैंकिंग
वहीं दूसरी दूसरे सच की बात करें अमरीकी खोजी संस्थान वल्र्ड पापुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट के तहत भारत ने ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे धकेलते हुए दुनिया की 5वीं बड़ी इकोनॉमी का तमगा हासिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत की जीडीपी 29 खरब 40 अरब डॉलर के बराबर हो गई है जो ब्रिटेन से एक खरब और फ्रांस से दो खरब डॉलर से अधिक है। किसी भी देश की वित्तीय स्थिति के अनुसार ही देश की जीडीपी आगे पीछे होती है। 2017 में भी भारत छठे पायदान पर आया था। उसके बाद 2018 में भारत फिर एक पायदान फिसल गया और 7वीं पोजिशन पर आ गया। समय और परिस्थितियों के अनुसार यह बदलती रहती हैं।

मूडीज रिपोर्ट में इंडियन इकोनॉमी की सच्चाई
अब बात जरा मूडीज की रिपोर्ट की करते हैं, जिसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार बहुत सुस्त रहने की आशंका है। मूडीज ने वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीपी अनुमान को भी करीब एक फीसदी घटाकर 6.7 फीसदी से 5.8 फीसदी कर दिया है। मूडीज ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता जैसे ही दिखाई देने लगी थी, कोरोना वायरस का साया मंडारने लगा है। एजेंसी ने आशंका जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर आने की गति बहुत सुस्त रह सकती है। मूडीज के अनुसार कोरोना वायरस से विश्व भर की वृद्धि प्रभावित होगी और इस कारण एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने की गति धीमी रहने की आशंका है। दुनिया की सबसे उभरती अर्थव्यवस्था का एक सच यह भी है। जिसे देश की मौजूदा सरकार पचाने में नाकाम साबित हुई है।

आखिर इंडियन इकोनॉमी का महिमंडन क्यों?
अमरीकी एजेंसियों की ओर से आखिर महिमामंडन क्यों किया जा रहा है, यह एक बड़ा सवाल है। जब भारत इकोनॉमी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है ऐसे में छोटे से पैमाने को आधार बनाकर क्यों भारत और उसकी जनता को मुगालते में रखने की कोशिश हो रही है? इसका बात का जवाब है अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत आगमन। जो कई मामलों में काफी अहम है। मिनी ट्रेड होने के साथ भारत द्वारा जीएसपी का दर्जा देने की बात कही जाएगी। वहीं डोनाल्ड ट्रंप चाहेंगे की भारत अमरीकी प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क कम करें। वहीं कुछ व्यक्तिगत राजनीतिक कारण भी है। जिसे साधकर ट्रंप अमरीका में होने वाले आगामी राष्ट्रपति चुनाव को जीतने के फिराक में है। वहीं अमरीका में गुजरातियों का बड़ा जमघट है। अमरीका में रह रहे कुल भारतीय वोटर्स में से 40 फीसदी गुजराती हैं। ऐसे में अमरीकी राष्ट्रपति का भारत दौरा यह काफी अहम है।

Paytm शेयर के फिरेंगे दिन! इस ब्रोकरेज फर्म ने जताई 64 फीसदी उछाल की संभावना

 लिस्टिंग के बाद से ही पेटीएम की पैरेंट कंपनी One 97 Communications में गिरावट जारी है. अब तक यह करीब 48 फीसदी टूट चुका है.

लिस्टिग के बाद से ही पेटीएम की पैरेंट कंपनी One 97 Communications में गिरावट जारी है. अब तक यह करीब 48 फीसदी टूट चुका है. अब इस शेयर में गिरावट थमने की उम्‍मीद बाजार एनालिस्‍ट्स लगा रहे हैं. ब्रोकरेज फर्म ICICI सिक्‍योरिटीज़ ने पेटीएम शेयर (Paytm Share) को बाय रेटिंग दी है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 21, 2022, 12:42 IST

नई दिल्‍ली. Paytm shares Price : लिस्टिंग के बाद से ही पेटीएम का शेयर (Paytm Share) अपने निवेशकों को घाटा दे रहा है. लिस्टिंग के बाद इसमें करीब 48 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. यही नहीं, वार्षिक आधार पर यह शेयर 2022 में 39 फीसदी टूट चुका है. सोमवार को भी 12 बजे पेटीएम का शेयर 0.77 फीसदी गिरकर 827 रुपए पर ट्रेड कर रहा था. लेकिन, अब इस स्‍टॉक से जुड़ी कुछ अच्‍छी खबरें आ रही है.

ब्रोकरेज और रिसर्च फर्म आईसीआईसीआई सिक्‍योरिटीज़ (ICICI Securities) ने अब इसे Buy रेटिंग दी है. वहीं Bloomberg की एक रिसर्च में सामने आया है कि इस महीने पेटीएम के शेयर में बिकवाली की बजाय खरीददारी की राय बाजार विश्‍लेषकों ने ज्‍यादा दी है. इससे अब उम्‍मीद की जा रही है कि पेटीएम के शेयरों की कीमतों में सुधार होगा.

64 फीसदी उछाल की संभावना

आईसीआईसीआई सिक्योरिटी (ICICI Securities) ने अब पेटीएम पर 1,352 रुपये का लक्ष्य (Paytm Share Target Price) देते हुए Buy रेटिंग दी है. ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि इस स्टॉक में वर्तमान लेवल से आगे 64 फीसदी तेजी देखने को मिल सकती है. ICICI सिक्‍योरिटीज़ का व्यापारियों की राय के आधार पर रेटिंग कहना है कि वैल्यूएशन और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से जुड़ी चिंताएं स्टॉक पर अपना असर दिखाती नजर आई है. हालांकि फाइनेंशियल सर्विसेस बिजनेस में उम्मीद से कम मॉनिटाइजेशन और प्रतिकूल रेगुलेटरी रूख कंपनी के लिए जोखिम साबित हो सकते है.

खरीददारी की ज्‍यादा सलाह

Bloomberg ने भी इस महीने जो आंकड़े एकत्रित किए थे, उनसे पता चला है कि लिस्टिंग के बाद से फरवरी के व्यापारियों की राय के आधार पर रेटिंग पहले हफ्ते में इस पेटीएम की पैरेंट कंपनी One 97 Communications Ltd के स्‍टॉक को लेकर जितनी भी सिफारिशें आई हैं, उनमें बिकवाली की तुलना में खरीदारी की सिफारिशें ज्यादा है.

दिसबंर 2021 की तीसरी तिमाही (Q3 2022 Paytm Results) में Paytm को 778.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जो कि पिछले साल के इसी अवधि में 535.5 करोड़ रुपये था. हालांकि इस अवधि में कंपनी की आय में सालाना आधार पर 88 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है और यह पिछले साल के इसी अवधि से 772 करोड़ रुपये से बढ़कर ₹1,456 करोड़ रुपये पर आ गई है.

इसके अलावा 31 दिसंबर 2021-22 को समाप्त तिमाही में उपभोक्ताओं को पेटीएम की भुगतान सेवाएं 254 करोड़ रुपये से 60 फीसदी बढ़कर 406 करोड़ रुपये हो गईं. वही, व्यापारियों को भुगतान सेवाएं समीक्षाधीन तिमाही में 269 करोड़ रुपये से दोगुनी से अधिक 586 करोड़ रुपये हो गईं.

(Disclaimer: यहां बताए गए स्‍टॉक्‍स ब्रोकरेज हाउसेज की सलाह पर आधारित हैं. यदि आप इनमें से किसी में भी पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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