Trading के फायदें

क्या आप ट्रेडर पर ट्रेड कर सकते हैं

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स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते समय इन कुछ बातों का ज़रूर रखें ध्यान

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स्टॉक मार्केट में निवेश से मिलनेवाले ऊंचे रिटर्न्स की वजह से लोग हमेशा से ही स्टॉक मार्केट की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन इक्विटीज़ में पैस बनाना कभी-भी आसान नहीं होता. इसके लिए रिसर्च के साथ-साथ मार्केट की समझ होना भी ज़रूरी है, जिसके लिए बहुत धीरज और अनुशासन की ज़रूरत होती है.

नीचे हम कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में ट्रेडिंग करने से पहले आपको ज़रूर ध्यान देना चाहिए:

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1. ट्रेडिंग कॉस्ट
ट्रेडिंग कॉस्ट में ब्रोकरेज, टैक्स और मार्जिन फ़ंड कॉस्ट तीनों ही शामिल होते हैं. इन तीनों में से ब्रोकरेज का हिस्सा बड़ा होता है. यदि ब्रोकरेज की राशि में बचत की जा क्या आप ट्रेडर पर ट्रेड कर सकते हैं सके तो ट्रेडिंग कॉस्ट कम हो जाती है और लाभ बढ़ जाता है.
मंथली अनलिमिटेड ट्रेडिंग क्या आप ट्रेडर पर ट्रेड कर सकते हैं प्लान्स में ग्राहकों की ब्रोकरेज पर सबसे ज़्यादा बचत होती है. इस प्लान में ग्राहकों को एक सेग्मेंट के लिए अनलिमिटेड संख्या में ट्रेड्स के लिए एक निश्चित मासिक शुल्क देना होता है.
एक इन्ट्राडे ट्रेडर एक दिन में औसतन 20 ट्रेड्स करता है और 15 रु प्रति ट्रेड ब्रोकरेज के हिसाब से एक महीने में 6000 रुपए के ब्रोकरेज का भुगतान करता है. वहीं अनलिमिटेड ट्रेडिंग प्लान्स लगभग 899 रुपए प्रति माह पर ही मिल जाते हैं, जिससे आपकी बड़ी बचत होती है.

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2. रिसर्च और ऐनालिसिस टूल्स
लाभ को बनाए रखने के लिए एक ट्रेडर को रिसर्च और ऐनालिसिस करने के लिए अच्छे ट्रेडिंग टूल्स की ज़रूरत होती है. टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस किसी भी ट्रेडर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. ऐड्वांस चार्ट्स, रिपोर्ट्स और टैक्स स्टेटमेंट ग्राहकों का समय बचाने का काम करते हैं.

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3. ऑनलाइन ट्रेड में आसानी के लिए

ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए ग्राहक को एक आसान से यूज़र इन्टरफ़ेस की ज़रूरत होती है. इससे ट्रेंडिंग तेज़ी से होती है, असमंजस नहीं होता और ग़लतियां कम होती हैं.

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4. जोखिम कम करने के लिए
स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिम भरा है. इस जोखिम को कम करने के लिए जोखिम को समझने और उसका समंजन करने की ज़रूरत होती है.
बाज़ार में निवेश करने के लिए सबसे ज़रूरी बात ये है कि सारा निवेश केवल एक ही जगह न करें. फिर चाहे लार्ज-कैप और मिड-कैप के बीच चुनाव हो या ग्रोथ और इनकम स्टॉक्स के बीच में. जोखिम को नियंत्रण में रखने की इस सलाह पर ज़रूर अमल करें. साथ, ही, थोड़े से रिसर्च से आप ऐड्वांस ऑर्डर टाइप्स ढूंढ़ सकते हैं, जो आपके जोखिम को एक तरह से सीमित कर देंगे.
मोटे तौर पर इन ऐड्वांस ऑर्डर टाइप्स को दो भागों में बांटा जा सकता है- कंडिशनल ऑर्डर्स, ये ऐसे ऑर्डर्स होते हैं जिन्हें किसी निश्चित ट्रिगर पर भरना होता है; जबकि ड्यूरेशनल ऑर्डर्स को निश्चित समय सीमा में एग्ज़ेक्यूट किया जाता है. उदाहरण के लिए स्टॉप लिमिट ऑर्डर ग्राहकों के बीच हिट हुआ है- यह प्राइज़ रेंज सेट करने की सुविधा देता है; ऐसा बिंदु जहां से ऑर्डर ट्रिगर होगा और वह लिमिट प्राइज़, जिस पर ऑर्डर को एग्ज़ेक्यूट किया जाएगा. यहां बाज़ार की हलचल के छूट जाने की कमी तो रह जाएगी, लेकिन यह जोखिम को एक हद तक सीमित कर देगा.

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5. ग्राहक सेवा
स्टॉक्स में ट्रेड करना एक इंटरैक्टिव प्रक्रिया है. ब्रोकर और ग्राहक के बीच लगातार संवाद होना ज़रूरी है. जहां अधिकतर ट्रेडिंग प्लैटफ़ॉर्म्स ग्राहक को अपनी सेवाएं फ़ोन, ईमेल, ऑनलाइन हेल्प डेस्क वगैरह के ज़रिए देते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि अपने निवेश के लिए क्या आप ट्रेडर पर ट्रेड कर सकते हैं ट्रेडिंग पार्टनर चुनने से पहले आप इस बात की जांच कर लें कि आपको यह सेवाएं किस तरह मिलेंगी.
अपना फ़ैसला लेने से पहले हर ट्रेडर को अपनी उम्मीद और उपलब्ध विकल्पों के बीच सही स्टॉक और ब्रोकर को ध्यान से शॉर्टलिस्ट कर लेना चाहिए. ट्रेडिंग कॉस्ट, प्लैटफ़ॉर्म के फ़ीचर्स, मार्जिन और लीवरेज सुविधा, ग्राहक सेवा और रिसर्च एम्पावरमेंट वगैरह, कुछ ऐसे मुख्य बिंदु हैं, जिनके बारे में जानकारी जुटा लेनी चाहिए. सार यह है कि सही इन्वेस्टमेंट इन्स्ट्रुमेंट के साथ साथ एक सशक्त ब्रोकर या ट्रेडिंग प्लैटफ़ॉर्म का चुनाव आपको अपने ट्रेडिंग के लक्ष्यों तक ज़रूर पहुंचा देगा.

Pre Open Market में क्या होता है? ट्रेडिंग के टॉप सीक्रेट्स!

स्टॉक मार्केट की जानकारी रखने वाले या स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने वाले लगभग सभी लोगों को ये पता है कि मार्केट खुलने से पहले 09:00 AM से लेकर 09:15AM के बीच एक सेशन होता है जिसे हम Pre Open Market के नाम से जानते हैं. लेकिन बहुत से लोगों को ये नहीं पता है कि प्री ओपन मार्केट के में होता क्या है और इस बीच शेयर्स की प्राइस क्यूँ घटती-बढती है और फिर प्री ओपन मार्केट सेशन के बाद शेयर्स की ओपनिंग प्राइस कैसे तय की जाती है?

आज हम इसी को डिकोड करने की कोशिश करेंगे कि Pre Open Market सेशन के दौरान होता क्या है? एक आम आदमी या रिटेल ट्रेडर प्री ओपन मार्केट में हिस्सा ले कर कैसे शेयर्स की प्राइस बढ़ने या घटने से पहले उसे खरीद या बेच सकता है?

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Pre Open Market सेशन क्या है?

प्री ओपन मार्केट के कांसेप्ट को NSE ने स्टार्ट किया था जो खासतौर पर रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के हित को ध्यान में रख कर बनाया गया था. इसके बारे में हम आगे और डिटेल में समझेंगे. उससे पहले हम ये जान लेते हैं कि Pre Open Market सेशन होता क्या है?

दरअसल प्री ओपन मार्केट को तीन हिस्सों में डीवाइड किया गया है जिनमें अलग-अलग तरह के काम और कैलकुलेशंस होते हैं:

  1. ऑर्डर एंट्री सेशन: यह सेशन 09:00 AM से लेकर 09:07 AM तक या कभी-कभी 09:08 AM तक चलता है. इस सेशन के दौरान ट्रेडर्स मार्केट में बाय या सेल ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं, उन्हें मॉडिफाई कर सकते हैं या चाहे तो अपने आर्डर को 09:07 AM से पहले कैंसिल भी कर सकते हैं.
  2. ऑर्डर मैचिंग सेशन: 09:08 AM से लेकर 09:12 AM तक चलने वाले इस सेशन के क्या आप ट्रेडर पर ट्रेड कर सकते हैं दौरान प्लेस किये गए ऑर्डर्स को डीमांड और सप्लाई के बेसिस पर कैलकुलेट करके एक एवरेज निकाला जाता है जिससे प्रत्येक शेयर की एक निश्चित या आईडीयल या संतुलित ओपनिंग प्राइस तय होती है.
  3. बफर सेशन: यह सेशन 09:12 AM से लेकर 09:15 AM तक चलता है जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्री ओपन मार्केट के बाद रेगुलर मार्केट ठीक प्रकार से खुले जिसमें सभी लोग बिना किसी रुकावट के ट्रेड कर सके.

मुझे लगता है ओपनिंग प्राइस को लेकर अभी भी आपके मन में डाउट्स ज़रूर होंगे कि डीमांड और सप्लाई को कैसे कैलकुलेट कर के ओपनिंग प्राइस तय किया जाता है. इस पूरे प्रोसेस को NSE ने अपने ऑफिसियल वेबसाइट पर बड़े ही सरल तरीके से एक टेबल के ज़रिये समझाया है. जिसकी एक झलक आप ऊपर के इमेज में देख सकते हैं. इसे डिटेल में समझने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.

ओपनिंग प्राइस तय करने के लिए NSE द्वारा दर्शाए गए टेबल को समझने में यदि आपको कोई कठिनाई हो रही हो तो कृपया हमें संपर्क करें. आपकी मदद कर के हमें बेहद खुशी होगी.

Pre Open Market सेशन क्यूँ बनाया गया?

प्री ओपन मार्केट का कांसेप्ट इसलिए लाया गया था ताकि ट्रेडर और इन्वेस्टर्स को हाई वोलिटिलिटी से बचाया जा सके. मार्केट में न जाने कितने ऐसे ट्रेडर और इन्वेर्स्टर हैं रेगुलरली मार्केट न्यूज़, इवेंट्स, अनाउंसमेंट, डीवीडेंट और रिजल्ट्स जैसी चीज़ों को ट्रैक नहीं कर पाते हैं. ऐसे में रातों रात इस तरह के इवेंट्स से शेयर की प्राइस में अचानक बढ़ोत्तरी या गिरावट देखने को मिल सकती हैं. इसी चीज़ को स्टेबल करने के लिए प्री ओपन मार्केट सेशन का कांसेप्ट लेकर आया गया.

क्या कोई भी Pre Open Market में ट्रेड कर सकता है?

प्री ओपन मार्केट को लेकर बहुत से मिथ (मिथक) फैले हैं कि नार्मल लोग जैसे कि रिटेल ट्रेडर्स प्री ओपन मार्केट में ट्रेड नहीं कर सकते, ये सिर्फ बड़े ट्रेडर और इंस्टीट्यूशन के लिए हैं. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है.

प्री ओपन मार्केट सेशन में कोई भी ऑर्डर प्लेस करके शेयर्स को बाय या सेल कर सकता है. प्री ओपन मार्केट सेशन सभी के लिए है.

कई ब्रोकर अपने कस्टमर को हाई वोलिटिलिटी से बचने के लिए बाई डिफ़ॉल्ट इस फीचर को बंद ही रखते हैं लेकिन आप अपने ब्रोकर से संपर्क करके इस फीचर को कभी भी इनेबल करवा सकते हैं. बस ध्यान ये रहे कि प्री ओपन मार्केट में ऑर्डर प्लेस करते समय आपको सिर्फ लिमिट ऑर्डर या मार्केट ऑर्डर का ही आप्शन सेलेक्ट करना है. अगर आपको लगता है कि किसी न्यूज़ या किसी अन्य वजह से किसी शेयर का प्राइस बढ़ या घट सकता है और आप सोच रहे हैं कि प्रीवियस क्लोज्ड प्राइस पर उस शेयर को बाय या सेल कर लें तो आप ऐसा नहीं कर सकते हैं. आपका ऑर्डर सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिकली रिजेक्ट कर दिया जाएगा.

ट्रेडिंग के सीक्रेट्स

प्री ओपन मार्केट सेशन का इस्तेमाल करके आप ऐसे स्टॉक्स को आईडेंटीफाई कर सकते हैं जिनमें प्री ओपनिंग के बाद भारी गिरावट या बढ़ोत्तरी हुयी हो. ऐसे स्टॉक को फ़िल्टर कर के आप उन स्टॉक में अपने अनुसार ट्रेड कर सकते हैं. Pre Open Market सेशन के बाद और रेगुलर मार्केट ओपन होने से पहले आप NSE ऑफिसियल वेबसाइट पर जा कर स्टॉक्स को फ़िल्टर कर सकते हैं.

हम उम्मीद करते हैं कि आप समझ गए होंगे कि प्री ओपन मार्केट क्या है, इसकी ज़रुरत क्यूँ थी और इसका इस्तेमाल कर के कैसे आप अपने ट्रेडिंग स्किल को और भी बेहतर बना सकते हैं. स्टॉक मार्केट से जुडी अन्य किसी भी तरह की जानकारी हासिल करने के लिए आप हमसे बेझिझक संपर्क कर सकते हैं.

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