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एसेट क्लासेस

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विदेशी शेयर बाजार से प्रॉफिट कमाना चाहते हैं तो निवेश की इन गलतियों से बचें

घरेलू बाजार के खराब रिटर्न के बाद आप अंतरराष्ट्रीय मार्केट में निवेश कर सकते हैं लेकिन इसका सही तरीका क्या है?

शंकर शर्मा और देविना मेहरा

हमने 2019 में मॉर्निंगस्टार सम्मेलन में एक प्रेजेंटेशन दी जिसने निवेशकों के बीच काफी हलचल पैदा कर दी थी। प्रेजेंटेशन का विषय यह था कि भारतीय इक्विटी बाजार ने पिछले 10, 5, 3 और 1 वर्ष की अवधि में बेहद निराशाजनक रिटर्न दिए हैं ।

2010 से अब तक, डॉलेक्स (अमेरिकी डॉलर में सेंसेक्स) 6% नीचे है। इसका मतलब है कि अमेरिकी डॉलर में भारतीय बाजारों ने पिछले 10 साल में नेगेटिव रिटर्न दिया है। 2019 के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं।

2019 के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं।

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बाकी बाजारों की बात छोड़ भी दें, तब भी यह बात ध्यान देने लायक है कि तुर्की जैसे बाजार ने भी भारत से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे भी ज्यादा चौंका देने वाली बात यह है कि FD और बॉन्ड जैसे दुनिया भर के फिक्स्ड रिटर्न देने वाले प्रोडक्ट्स ने भी भारत के शेयर बाजार से ज्यादा रिटर्न दिया।

इन डेटा से इमर्जिंग मार्केट और खासकर भारतीय निवेशकों के लिए एक बात साफ हो गई कि एक देश, एक मुद्रा, एक एसेट का रिस्क लॉन्गटर्म रिटर्न और रिस्क मैनेजमेंट के लिए ठीक एसेट क्लासेस नहीं है। लिहाजा इंटरनेशनल डायवर्सिफिकेशन यानी अमेरिकी या यूरोपीय बाजारों में निवेश बढ़ा है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके परिणाम भी अच्छे नहीं रहे।

अंतरराष्ट्रीय बाजार खासतौर पर अमेरिकी बाजार, पिछले 2 महीनों में भारतीय बाजारों के मुकाबले कहीं ज्यादा गिरे हैं। तो अब हर किसी के दिमाग में यह सवाल है कि अंतरराष्ट्रीय निवेश में गलती कहां हुई थी?

इस सवाल का जवाब आसान नहीं हैं। इसकी शुरुआत आसान जवाब से करते हैं। अंतराराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन एक बहुत कठिन और जटिल प्रक्रिया है। व्यावहारिक रूप से इसका कोई सीधा या आसान तरीका नहीं है। सही मायने में डॉलर एक्स्पोज़र से अलग कोई सही डायवर्सिफिकेशन नहीं देते हैं।

विदेशी शेयर बाजार में निवेश कनरे का कोई आसान तरीका नहीं है। आइए हम जानते हैं कि विदेश बाजार में निवेश करने के क्या ऑप्शन हैं।

फीडर फंड के जरिए

अंतराराष्ट्रीय निवेश का सबसे आसान तरीका लोकल फंड हाउस के जरिए अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय फंडों के फीडर फंड में निवेश करना है।

फीडर फंड की मुश्किल

सबसे पहले, इन फीडर फंड्स से आपको असल डायवर्सिफिकेशन नहीं मिलता है। अब, आपने एक के एसेट क्लासेस बजाय दो बाजारों में निवेश किया है पर इससे डायवर्सिफिकेशन नहीं मिलता। ये फीडर फंड्स का खर्च यानी एक्सपेंस रेशियो 2-3% के लगभग होता है जो कि असल में काफी अधिक है।

इस खर्च का अनुपात इतना ज्यादा इसलिए है क्योंकि विदेश के फीडर फंड बेचने वाले भारतीय फंड हाउस को बिना किसी काम के फीस मिल मिलती है। आप अपने फंड पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों फंड मैनेजर को फीस देते हैं। साथ ही आपके फीडर फंड को लेकर घरेलू फंड मैनेजरों की कोई जवाबदेही नहीं होती है। क्योंकि असल निवेश प्रबंधन तो न्यूयॉर्क या लंदन में बैठा कोई व्यक्ति या फंड हाउस कर रहा होता है। घरेलू इकाई महज एक मध्यस्थ होती है।

इंटरनेशनल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) खरीदना

इंटरनेशनल मार्केट में निवेश करने का यह सबसे पॉपुलर तरीका है। फीडर फंड्स की तुलना में इसकी एक बात अच्छी होती है कि इसकी कॉस्ट कम होती है।

अब सवाल यह है कि निवेशक कैसे तय करता है कि कौन सा ETF खरीदना है? इन ETF के माध्यम से किन बाजारों में निवेश करना है? वह रिस्क और रिटर्न को कैसे संतुलित करें?

बाजार और अलग-अलग ऐसेट क्लासेस का एक सही पोर्टफोलियो बनाने के क्या मायने हैं और यह कैसे तय करें?

ETF निवेश के लिहाज से सबसे सटीक है। जानकार निवेशकों के लिए ही ठीक काम करते हैं या कर सकते हैं क्योंकि सबसे अहम यह फैसला रहता है कि किस समय और किस अनुपात में कौन सा ETF खरीदना है।

और जहां तक अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के शेयर या अन्य सिक्योरिटीज खरीदने का संबंध है वह आम निवेशकों के बस की बात नहीं है क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर जोखिम और अस्थिरता हो सकती है।

याद रखें, विश्व स्तर पर, अमेरिका सहित, स्टॉक समय-समय पर 20-50% तक गिर जाते हैं। यह गिरावट तभी आ सकती है जब उनके नतीजे पूर्व अनुमान से थोड़ा भी कम आए।

अंतरराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन का सही तरीका क्या है?

ऊपर बताए गए कोई भी तरीका सही अंतरराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन नहीं देता है। कि सभी रास्तों की अपने-अपने समस्यायें हैं।

अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए और डायवर्सिफिकेशन के लिए एक ही सही रास्ता है और वह है टॉप डाउन ऐसेट एलोकेशन का, यानी कि सही तरीके से एसेट्स का आवंटन करना।

बिना इस बात को समझे और व्यवहार में लाए केवल एक फीडर फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश भी कितना खतरनाक हो सकता है। नैस्डेक के हाल के प्रदर्शन से यह साफ है जब पिछले 1 महीने के भीतर ही अधिकांश शेयर 40-50% नीचे आ गए।

गौर करने की बात यह है कि किसी भी समय किसी ना किसी एसेट क्लास में तेजी होती है। मसलन, 1998 में टेक्नोलॉजी, 2004-07 तक इमर्जिंग मार्केट्स, 2003-08 तक कमोडिटी, 2010 से अमेरिकी फिक्स्ड और 2009 से फिक्स्ड इनकम। जबकि इस दौरान बाकी एसेट क्लास में सुस्ती रहती है।

अंतरराष्ट्रीय निवेश करने के लिए आप जिस फंड मैनेजर को चुने उसमें यह क्षमता होनी चाहिए कि वह अलग अलग ऐसेट क्लासेस जैसे अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, कमोडिटी इत्यादि को समझ कर पोर्टफोलियो बना सके।

इससे भी अहम बात है कि आपके फंड मैनेजर के पास इन आवंटन को तेजी से मैनेज करने का कौशल होना चाहिए। यानी जो पोर्टफोलियो बनाया है उसको समय-समय पर कैसे चेंज करें और आवंटित करें। अगर आप सही तरीक से आवंटन नहीं करते तो भी आपका नुकसान होना तय है।

अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि फंड मैनेजर ऐसा होना चाहिए जो आपकी आवश्यकताओं को समझे और आपके निवेश की योजना बनाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध हो बजाय इसके की निवेश प्रबंधन की प्रक्रिया आप से हजारों मील दूर हो जिसके बारे में आपको सीधे-सीधे कुछ पता भी नहीं लगा सके।

शंकर शर्मा और देविना मेहरा एक ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट एंड सिक्योरिटीज फर्म, फर्स्ट ग्लोबल के संस्थापक हैं।

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एपीके फाइल क्या है?

.apk एक्सटेंशन वाली फ़ाइल एक Google Android ऐप फ़ाइल है जिसका उपयोग Android उपकरणों पर ऐप्स (एप्लिकेशन) इंस्टॉल करने के लिए किया जाता है। इसे आधिकारिक IDE Google Android Studio का उपयोग करके एक निष्पादन योग्य फ़ाइल के रूप में बनाया गया है, और अंतिम उपयोगकर्ताओं द्वारा डाउनलोड और इंस्टॉल करने के लिए Google Play स्टोर पर अपलोड किया गया है। Google Play स्टोर पर प्रकाशित करने से पहले एपीके फाइलें जनरेट की जा सकती हैं और मैन्युअल इंस्टॉलेशन के लिए उपलब्ध कराई जा सकती हैं। यह उत्पन्न एपीके पैकेज फ़ाइल की कार्यक्षमता और व्यवहार का परीक्षण करने में मदद करता है। इसलिए, किसी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एपीके फ़ाइल एक विश्वसनीय स्रोत से है और इसमें कोई मैलवेयर नहीं है।

एपीके फ़ाइल प्रारूप

APK फ़ाइलों को ZIP फ़ाइल स्वरूप में संपीड़ित के रूप में पैक किया जाता है जिसे किसी भी ज़िप फ़ाइल खोलने वाले सॉफ़्टवेयर के साथ खोला जा सकता है। ऐसी फ़ाइल के .apk एक्सटेंशन का नाम बदलकर .zip किया जा सकता है और फ़ाइल को किसी भी ज़िप एप्लिकेशन में खोल सकते हैं या इसकी सामग्री को निकाल सकते हैं।

एपीके पैकेज सामग्री

एक एकल एपीके फ़ाइल में सभी आवश्यक फाइलें होती हैं जो इसकी स्थापना और निष्पादन के लिए आवश्यक होती हैं। एक एपीके फ़ाइल, जब एक ज़िप एप्लिकेशन के साथ निकाली जाती है, तो इसमें निम्नलिखित फाइलें और फ़ोल्डर्स होते हैं।

  • मेटा-आईएनएफ/ : निर्देशिका जिसमें मेनिफेस्ट फ़ाइल, हस्ताक्षर और संग्रह में संसाधनों की एक सूची है
  • lib/ : विशिष्ट प्लेटफॉर्म से संबंधित संकलित कोड वाली निर्देशिका जैसे armeabi-v7a, x86, arm64-v8a, आदि।
  • res/ : छवियों जैसे गैर-संकलित संसाधनों वाली निर्देशिका
  • एसेट/ : एप्लिकेशन एसेट वाली निर्देशिका, जिसे एसेटमैनेजर द्वारा पुनर्प्राप्त किया जा सकता है।
  • androidManifest.xml : एपीके फ़ाइल का नाम, संस्करण जानकारी और सामग्री शामिल है
  • classes.dex : ये संकलित जावा क्लासेस हैं जिन्हें Dalvik वर्चुअल मशीन और Android रनटाइम द्वारा चलाया जा सकता है
  • resources.arsc : संकलित संसाधन फ़ाइल जैसे तार
एंड्रॉइड डिवाइस पर एपीके फाइल कैसे इंस्टॉल करें?

अपने Android उपकरणों पर एक एपीके फ़ाइल स्थापित करने के लिए, निम्न चरणों का उपयोग किया जा सकता है।

आईडीबीआई बैंक ने जोधपुर में नए क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया

बिजऩेस रेमेडीज/ जोधपुर
आईडीबीआई बैंक ने आज जोधपुर में 17, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, रतनदा, जोधपुर में अपना नया क्षेत्रीय कार्यालय खोले जाने की घोषणा की। इस क्षेत्र में आईडीबीआई बैंक की शाखाएं राजस्थान के 11 जिलों में फैली हुई हैं। इसमें आईडीबीआई बैंक की परिसंपत्तियां, देनदारियां, क्रेडिट सॉल्यूशन सेंटर स्पोक लोकेशन, रिटेल एसेट सेंटर, रिकवरी, कलेक्शन और अन्य विभाग भी शामिल हैं।
क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सुरेश खटनहार ने मुख्य महाप्रबंधक और जोनल प्रमुख, श्री रंजन कुमार रथ और जोधपुर के क्षेत्रीय प्रमुख, सिद्धार्थ कुमार की उपस्थिति में किया। यह नया क्षेत्रीय कार्यालय आईडीबीआई बैंक की विस्तार योजनाओं और जोधपुर क्षेत्र में अपने खुदरा ऋण खंड के लिए पहचान किए गए व्यापार के अवसरों को पूरा करेगा। उद्घाटन के अवसर पर आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सुरेश खटनहार ने कहा, कि इस विस्तार के साथ, हमारा उद्देश्य अपने ग्राहकों की विभिन्न बैंकिंग आवश्यकताओं के लिए खुदरा खंड में अपने उत्पाद और सेवा पेशकशों में पर्याप्त वृद्धि हासिल करना है। यह पहल 10,000 से अधिक नए ग्राहकों को जोडऩे और जोधपुर क्षेत्र के लिए चालू वित्त वर्ष में 15त्न से अधिक की व्यावसायिक वृद्धि प्राप्त करने के लिए बैंक की समग्र योजना के अनुरूप है। बैंक ने एसेट क्लासेस ग्राहकों को खुशी प्रदान करने के लिए कई परिष्कृत डिजिटल पहल की है।

DU Hostels Re-opening: दिल्ली यूनिवर्सिटी में हॉस्टल खुलने में लग सकता है थोड़ा समय, जानें कब तक खुलेंगे DU के हॉस्टल

Delhi University Hostel Reopening Latest Update: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में आने वाली 17 फरवरी से ऑफलाइन क्लासेस शुरू हो जाएंगी. एक लंबे समय से छात्र डीयू (DU Reopening) के फिर से खुलने का इंतजार कर रहे थे. इसके लिए कई छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किए. हालांकि अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुछ ही दिनों में ऑफलाइन क्लासेस शुरू हो जाएंगी. इस बीच ताजा जानकारी ये है कि डीयू (DU) में फिजिकल क्लासेस तो शुरू हो जाएंगी लेकिन यहां के हॉस्टल (Delhi University Hostel) खुलने में अभी थोड़ा वक्त और लग सकता है. ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि इस तारीख तक हॉस्टल तैयार नहीं किए जा सकेंगे.

हॉस्टल एलॉटमेंट में लग सकता है समय –

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्टल एलॉटमेंट में अभी समय लग सकता है. इस बारे में डीयू के अधिकारियों (DU Officials) का कहना है कि हॉस्टल में एडमिशन के लिए आवेदनों को छांटने आदि के काम में समय लग सकता है. इसलिए हॉस्टल जल्दी एलॉट नहीं किए जा सकेंगे. हालांकि उनकी पूरी कोशिश है कि जितनी जल्दी हो सके हॉस्टल फिर से खोल दिए जाएं.

दो साल से बंद हैं हॉस्टल –

डीयू के हॉस्टलों को खोलना इतना आसान नहीं है क्योंकि वे पिछले दो सालों से बंद हैं. हॉस्टल रीओपेन करने के पहले बहुत से पहलुओं पर विचार करना होगा और बहुत सी तैयारियां भी करनी होंगी.

डीडीएमए से इजाजत मिलने के बाद दिल्ली के स्कूल, कॉलेज वगैरह सब खोले जा रहे हैं और लगभग सभी शिक्षण संस्थानों में ऑफलाइन क्लासेस शुरू कर दी गईं हैं. हालांकि जेएमआई में अभी भी क्लासेस शुरू नहीं हुई हैं और वहां के छात्र इसकी मांग जोरों पर उठा रहे हैं.

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