Trading के फायदें

आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए

आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए
  • अगर आपके सामने कोई झूठ बोल रहा है, तो उस समय आने वाली गट फीलिंग को अनदेखा कर दें। जी हां, आप किसी व्यक्ति के झूठ के आधार पर कोई निर्णय नहीं ले सकतीं। मनोविज्ञान के हिसाब से अगर देखा जाए, तो हर व्यक्ति के झूठ बोलने का अलग तरीका होता है। ऐसे में आप अपनी गट फीलिंग को न सुनें या उसे सही साबित करने की कोशिश न करें। झूठ बोलने वाले व्यक्ति की बॉडी लैंग्वेज, बोलने का तरीका और दूसरे लक्षण उसके झूठ की ओर इशारा करते हैं। ऐसे में उन्हें अनदेखा कर आगे की ओर बढ़ना चाहिए। उसके झूठ को सच साबित करने के चक्कर में अपनी ऊर्जा खराब न करें।
  • जब किसी को नौकरी पर रख रही हैं, तब भी अपनी गट फीलिंग की अनदेखी करें। आप किसी को भी सिर्फ इस वजह से नौकरी पर नहीं रख सकती हैं कि इस काम के लिए आपका मन हामी भर रहा है। गट फीलिंग को नजरंदाज करते हुए आपको उसकी योग्यता, प्रतिबद्धता आदि को ध्यान में रखते हुए उसे नौकरी देनी होगी।

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तेल कंपनियों ने आज के लिए पेट्रोल और डीज़ल का भाव जारी कर दिया है. लगातार तीन दिन तक स्थिर रहने के बाद पेट्रोल और डीज़ल के भाव में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अलका कुमारी

Updated on: Jul 15, 2021 | 11:58 PM IST

तेल कंपनियों ने आज (गुरुवार, 15 जुलाई 2021) के लिए पेट्रोल और डीज़ल का भाव जारी कर दिया है. लगातार तीन दिन तक स्थिर रहने के बाद पेट्रोल और डीज़ल के भाव में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है.

कैंडिडा डाइट करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कैंडिडा खमीर का एक रूप है जो हमारे मुंह और आंतों में रहता है। यह पाचन की सुविधा के लिए पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायता करता है। लेकिन चूंकि अधिकांश चीजें हानिकारक होती हैं, इसलिए कैंडिडा की अधिकता भी हानिकारक होती है। यदि आंत में कैंडिडा बढ़ जाता है, तो यह आंतों की दीवार को तोड़ देता है और रक्त के साथ मिल जाता है। खून बह रहा है कैंडिडा मशरूम हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। जननांग अंगों, मुंह से कान की नलिका और शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं क्योंकि आंत में पारगम्यता बढ़ जाएगी। पाचन संबंधी समस्याएं मनोवैज्ञानिक समस्याओं को साथ लाती हैं। कैंडिडा कवक के कारण आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए होने वाली इन समस्याओं को रोकने के लिए, "कैंडिडा आहार"हमें करना चाहिए। तो यह कैंडिडा कवक आहार वास्तव में क्या है, आइए कुछ विस्तार से जानें।

कैंडिडा आहार क्या है?

सबसे पहले, हमें कैंडिडा आहार पर रहते हुए अपने शरीर में खमीर कवक के विकास को रोकना चाहिए। दूसरे शब्दों में, हमें आहार से चीनी, आटा, खमीरयुक्त खाद्य पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों को बाहर करना चाहिए।

अनावश्यक या अत्यधिक एंटीबायोटिक्स कैंडिडा कवक के विकास का समर्थन करते हैं। हमारी आंतों में "फायदेमंद" बैक्टीरिया कैंडिडा के विकास को रोकते हैं। हमारी आंतों में इन "फायदेमंद" बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक्स लेने से कम किया जा सकता है। शरीर में कैंडिडा के अतिवृद्धि के परिणामस्वरूप:

  • थकान
  • सूजन
  • अपच
  • त्वचा की समस्याएं (सोरायसिस, एक्जिमा)
  • खमीर संक्रमण
  • जोड़ों का दर्द
  • जीभ पर, मुंह या गले के अंदर थ्रश का बनना (सफेद धब्बे)
  • अशांति
  • दस्त या कब्ज जैसी समस्या हो सकती है।

कैंडिडा आहार कैसा होना चाहिए?

कैंडिडा आहार का लक्ष्य उस वातावरण को कम करना है जिसमें कवक बढ़ता है। यह वजन कम करने या वसा जलाने का इरादा नहीं है। कैंडिडा को गुणा न करने के लिए, हमें अपने जीवन से चीनी को हटा देना चाहिए और एक विरोधी भड़काऊ आहार का पालन करना चाहिए।

कैंडिडा आहार में खाने के लिए खाद्य पदार्थ

  1. कम वसा वाले लाल और कुक्कुट मांस
  2. कम स्टार्च वाली सब्जियां (डंडेलियन, पत्ता गोभी)
  3. कम चीनी वाले फल (एवोकैडो)
  4. साबुत अनाज (एक प्रकार का अनाज, जई)
  5. स्वस्थ वसा (जैतून का तेल, नारियल का तेल)
  6. जड़ी बूटी और मसाले (हल्दी, जीरा, धनिया)

कैंडिडा आहार में निषिद्ध खाद्य पदार्थ

  1. चिपचिपा अनाज खाद्य पदार्थ (मकई)
  2. उच्च चीनी सामग्री वाले फल (अंजीर)
  3. दूध और डेयरी उत्पाद (पनीर, दही)
  4. उच्च वसा वाले मांस

कैंडिडा आहार कब तक लेना चाहिए?

हमारी आंतों में कैंडिडा फंगस को कम करने के लिए 7-14 दिनों का आहार पर्याप्त है। लेकिन अधिक गंभीर और आवर्तक लक्षणों के मामले में, आप 6-12 सप्ताह तक कैंडिडा आहार का पालन कर सकते हैं।

इसके अलावा, कैंडिडा आहार पर रहने वालों की टिप्पणियां हाल ही में कैनन कराटे कैंडिडा आहार के साथ सकारात्मक रूप से बढ़ने लगीं। इसलिए, यह साबित हो गया है कि अगर हम स्वस्थ और संतुलित आहार खाते हैं तो हम अपने पेट के स्वास्थ्य को मजबूत कर सकते हैं। हम अपच, दस्त और कब्ज जैसी बीमारियों को कम कर सकते हैं। इस प्रकार, हम अपने सामान्य स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं, अपनी भलाई में सुधार करते हैं और अपने पाचन तंत्र का समर्थन करते हैं। बेशक, कैंडिडा आहार की लंबाई आपके लक्षणों की गंभीरता और अवधि पर भी निर्भर करती है। इसके अलावा, परहेज़ करने से पहले, आपको अपने लिए सबसे उपयुक्त पोषण योजना के लिए किसी विशेषज्ञ आहार विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। स्वास्थ्य पहले आता है!

गट फीलिंग या सिक्स्थ सेंस पर कब करें भरोसा

अकसर लोगों के दिमाग में यह प्रश्न आता है कि यह गट फीलिंग खुद-ब-खुद दिमाग में आती है, तो क्या इसे हर बार सुनना सही है? गट फीलिंग पर कब दें ध्यान जब आपको उसमें पूरा अनुभव हो : आपकी गट फीलिंग.

गट फीलिंग या सिक्स्थ सेंस पर कब करें भरोसा

अकसर लोगों के दिमाग में यह प्रश्न आता है कि यह गट फीलिंग खुद-ब-खुद दिमाग में आती है, तो क्या इसे हर बार सुनना सही है?
गट फीलिंग पर कब दें ध्यान
जब आपको उसमें पूरा अनुभव हो : आपकी गट फीलिंग कभी भी काम कर सकती है। फिर आप किसी नए व्यक्ति से बात कर रही हों या सड़क पार कर रही हों। गट फीलिंग आपको कभी भी सचेत कर सकती है। लेकिन उस पर हमेशा ध्यान देना भी सही नहीं होता। इसके लिए आपको पूरा अनुभव होना जरूरी है। इस बात पर ध्यान दें कि आपकी गट फीलिंग कब-कब बिल्कुल सही होती है। किस स्थिति में वो आपको सचेत करती है। अनुभवों के आधार पर ही अपनी गट फीलिंग पर विश्वास करें। अगर पहले किसी मामले आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए में आपकी गट फीलिंग सही साबित हो चुकी है तो आप भविष्य में भी वैसी ही गट फीलिंग पर विश्वास कर सकती हैं।
जब दूसरे विकल्प की जरूरत महसूस हो: आमतौर पर गट फीलिंग तब सही होती है, जब वह बात आपके शरीर से संबंधित होती है। तो, जब भी आपको लगे कि आपके शरीर को आराम की जरूरत है या फिर आपको किसी बीमारी के लक्षण खुद में नजर आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए आएं, पर डॉक्टर उसे गंभीरता से न ले, तो अपनी गट फीलिंग पर विश्वास करें। बहुत सारे ऐसे उदाहरण हैं, जब डॉक्टर को दिखाने और टेस्ट करवाने के बावजूद टेस्ट में कुछ नहीं आता, लेकिन शरीर नियमित रूप से आराम मांगता है। अपने अंदर की आवाज पर ध्यान दें और खुद को आराम दें।
जब घर खरीद रही हों :
हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना घर हो, लेकिन कभी लोग पैसों की कमी या किसी अन्य कारण से अपनी खुशियों के साथ समझौता कर लेते हैं। लेकिन एक रिसर्च से पता लगा है कि जब बात बड़ी खरीद की होती है, तो उस समय अपनी अंदर की आवाज पर ही ध्यान देना चाहिए। अपनी गट फीलिंग पर ध्यान देने वाले लोग उन लोगों के मुकाबले ज्यादा खुश होते हैं, जो सीधे तौर पर पैसों पर ध्यान देते हैं।

खुद से करें कुछ सवाल
कई बार ऐसा होता है कि हमारा दिमाग कुछ कहता है और गट फीलिंग कुछ और। उस स्थिति में यह समझना मुश्किल होता है कि दिमाग की सुनी जाए या गट फीलिंग पर ध्यान दिया जाए। ऐसी स्थिति में सबसे पहले खुद से ही सवाल करें और जो पहला जवाब आपके दिमाग में आए, उसे ही सुनें। यह इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि उस आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए समय दिमाग में हजारों विचार दौड़ रहे होते हैं, लेकिन अपने मन पर विश्वास करें।
इन स्थितियों को करें अनदेखा

  • अगर आपके सामने कोई झूठ बोल रहा है, तो उस समय आने वाली गट फीलिंग को अनदेखा कर दें। जी हां, आप किसी व्यक्ति के झूठ के आधार पर कोई निर्णय नहीं ले सकतीं। मनोविज्ञान के हिसाब से अगर देखा जाए, तो हर व्यक्ति के झूठ बोलने का अलग तरीका होता है। ऐसे में आप अपनी गट फीलिंग को न सुनें या उसे सही साबित करने की कोशिश न करें। झूठ बोलने वाले व्यक्ति आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए की बॉडी लैंग्वेज, बोलने का तरीका और दूसरे लक्षण उसके झूठ की ओर इशारा करते हैं। ऐसे में उन्हें अनदेखा कर आगे की ओर बढ़ना चाहिए। उसके झूठ को सच साबित करने के चक्कर में अपनी ऊर्जा खराब न करें।
  • जब किसी को नौकरी पर रख रही हैं, तब भी अपनी गट फीलिंग की अनदेखी करें। आप किसी को भी सिर्फ इस वजह से नौकरी पर नहीं रख सकती हैं आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए कि इस काम के लिए आपका मन हामी भर रहा है। गट फीलिंग को नजरंदाज करते हुए आपको उसकी योग्यता, प्रतिबद्धता आदि को ध्यान में रखते हुए उसे नौकरी देनी होगी।

जहर पर खामोशी कब तक? इस सप्ताह सालों और दशकों

जहर पर खामोशी कब तक? इस सप्ताह आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए सालों और दशकों बाद पहली बार जी हां, पहली बार संसद में मिलावट जैसे भारत के सबसे अहम् विषय पर चर्चा हुई। संसद में .

जहर पर खामोशी कब तक?

इस सप्ताह सालों और दशकों बाद पहली बार जी हां, पहली बार संसद में मिलावट जैसे भारत के सबसे अहम् विषय पर चर्चा हुई। संसद में सभी ने स्वीकार किया कि देश में 70% खाद्य पदार्थ नकली हैं, लेकिन सांसदों ने यह आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए कहकर कि -'मिलावट रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए' अपने कार्य की इतिश्री समझ ली। उपसभापति पीजे कुरियन और सत्ताधारी बीजेपी समेत कई पार्टियों के सांसदों ने खाने-पीने की चीजों में होने वाली मिलावट से निपटने के लिए कदम उठाने की मांग की, लेकिन हुआ वही जो अब तक होता रहा है. पूरा मसला टांय, टांय फिस्स। कितने शर्म की बात है कि इतने गंभीर विषय पर चर्चा के बाद संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी उठे और बोले- 'मिलावट को लेकर सदस्यों की चिंताएं जायज है और वे संबंधित मंत्री को सबकी भावनाओं से अवगत करवा देंगे।' इसी के साथ पूरे देश को प्रभावित करनेवाला इतना गंभीर मुद्दा दफन हो गया।

सारी समस्या यही है कि देश की इस सबसे बड़ी समस्या को कोई गंभीरता से ले ही नहीं रहा। अरे, नहीं चाहिए SEZ, नहीं चाहिए भूमि अधिग्रहण, नहीं जरूरत एयरपोर्ट, रेल और सड़क की। जान है तो जहान है। आज हर भारतीय की सबसे बड़ी जरूरत है कि उसे बिना मिलावट का जीवन जीने का अवसर मिले। वो क्वॉलिटी ऑफ लाइफ जी सके। प्रधानमंत्री साहब, स्वच्छता तो तब मायने रखेगी जब जिंदगी बचेगी। क्या आपके अजेंडे में मिलावट रोकने पर सबसे पहले अंकुश लगाना नहीं है? अगर नहीं रखा है तो आज यह देश की पुकार है कि मिलावट समाप्त करना देश की प्राथमिकता नंबर 1 होनी चाहिए। मिलावट करनेवालों को 'कैपिटल पनिशमेंट' दो। कोई इसका विरोध नहीं करेगा। इसके लिए तो बिल्कुल निरंकुश बनना ही पड़ेगा। इस कॉलम से लेकर विभिन्न प्लेटफार्मों, सेमिनारों और भाषणों में देश के इस सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे को मैंने लिखा, उठाया और चर्चा की लेकिन नीचे के सरकारी बाबू/कॉन्स्टेबल से लेकर पीएम तक किसी ने इस सबसे अहम विषय को तवज्जो नहीं दी है। मिलावट से कैंसर सहित रोगों के हैंपर, उसकी व्यापकता और भयावहता से हर कोई वाकिफ है लेकिन हर कोई अच्छे दिन, काला धन, 15 लाख, डिग्री, भारतमाता की जय, गौ माता, बीफ बैन के मकड़जाल में उलझा हुआ है। कितना शर्मनाक है कि आपकी हमारी सब्जी में एसिटोन मिलाकर स्लो प्वाइजन दे रहे लोगों को पकड़े जाने पर ज्यादा से ज्यादा 6 महीने की ही सजा मिलती है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था की हालत देखते हुए ऐसा गुनाह करनेवाला छूटते ही दुगुना दम लगाकर जुट जाता है, क्योंकि उसे पता है आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए कि छूटने के चांस 99.99% हैं। पश्चिम और अरब देशों में इसे बेहद गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

प्रधानमंत्री साहब इस समय वर्तमान पीढ़ी को नैसर्गिक अन्न, फल, पानी, दूध, हवा, दवा चाहिए जिसमें मिलावट न की गई हो। 'एसिटोन' नामक नासूर ने देश का वर्तमान और भविष्य दोनों बर्बाद कर रखा है लेकिन हम राममंदिर, आरक्षण, सरकार और सत्ता में ही उलझे हुए हैं। मोदीजी, सारे मुद्दे त्यागकर सिर्फ इसे अपना लो और अगर आप इन जीवनोपयोगी चीजों की मिलावट खत्म कर देते हो तो 25 साल तक राज करोगे और आपको वोट देनेवाला पहला मतदाता मैं होऊंगा। तीन दिन पहले मित्र अनिल पाठक ने जब से कहा कि मैं अपने आम भेजना चाहता हूं तो दिल बल्लियों उछल पड़ा क्योंकि यही एक आम है जिसके बारे में मैं दिल पर हाथ रखकर कहा जा सकता है कि वह पूरा ऑर्गेनिक है। बिल्कुल पेड़ से तोड़ा गया। नैसर्गिक तरीके से पके आम की मिठास का कोई जवाब नहीं होता। मोदी साहब, हम सारे भारतीय ऐसा ही जीवन जीना चाहते हैं। पिछली सरकारों और नेताओं ने क्या किया इसकी मीमांसा करने के बदले अगर आप एसिटोन से बढ़ाई और पकाई सब्जियों, जहरीले फलों, दाल, मिलावटी मसालों से आम देशवासियों को निजात दिला दें तो यह पीढ़ियां आपके गुण गाएंगी। काश! कोई इसकी गंभीरता को समझ पाता।

टीवी पत्रकारों का नया ट्रेंड बेहद खतरनाक है। धरना, प्रदर्शन या जुलूस कवर करते वक्त भीड़ के बीच जाकर गुस्से से तमतमा रहे लोगों के बीच गैरजिम्मेदाराना तरीके से कहना कि 'यहां के लोग बेहद आक्रोश में है, गुस्सा सारी सीमाएं लांघ रहा है, कुछ भी हो सकता है' क्या हिंसा के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता? धिक्कार है ऐसे जर्नलिज्म को।

आपको आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए

hopeforthebest साधर्मिक का सम्मान, यहीं है मेरा अरमान ! For Donate & Adopt Sadharmik Families Palak Shah : आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए +919825433715 Kaushik Sanghvi .

14, Ellora Park society, Near Naranpura Four Cross Road, Opp Jain Temple, Naranpura, Ahmedabad - 380013
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