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फाइनेंस का महत्त्व?

फाइनेंस का महत्त्व?
जिनके पास संपत्ति या प्रॉपर्टी है उन लोगों को Inflation का फायदा होता है क्योंकि कीमतें बढ़ने से उनकी संपत्ति की कीमतें भी बढ़ जातीं हैं। इसके उलट यदि कोई प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है तो कीमतें बढने से उसको मनचाही प्रॉपर्टी खरीदने के लिए और अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।

लोक वित्त (Public Finance)

प्रस्तुत राजस्व Public Finance पुस्तक बी. काॅम. तृतीय वर्ष Awadhesh Pratap Singh University, Rani Durgavati Vishwavidyalaya, Dr Harisingh Gour University, Barkatullah University, Vikram University हेतु लोक वित्त प्रश्न-पत्र हेतु निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है।

एक नया अध्याय नीति आयोग पर सम्मिलित किया गया है। आजकल जन-जीवन को प्रभावित करने में राजस्व की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में बजट का इन्तजार केवल अर्थशास्त्री एवं राजनेता ही नहीं करते वरन् आम आदमी एवं गृहणियां भी इसमें गहरी अभिरुचि रखती हैं। इस दृष्टि से राजस्व के विभिन्न अंगों का ज्ञान छात्रों के लिए नितान्त आवश्यक है। पुस्तक में पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी अध्यायों का समावेश है।

पुस्तक में विषय-वस्तु का विवेचन बहुत ही सरल भाषा में किया गया है ताकि छात्रों को इसे समझने में कठिनाई न हो। जहां भी आवश्यक समझा गया, अंग्रेजी शब्दावली का भी प्रयोग किया गया है। सारा विवेचन भारतीय सन्दर्भ में है, जिससे छात्रों को देश की अर्थव्यवस्था की सुचारु रूप से जानकारी हो सके। पुस्तक की यह विशेषता है कि इसमें विषय से सम्बन्धित बिल्कुल नवीनतम आंकड़े दिए गए हैं।

फाइनेंस का महत्त्व?

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आर्थिक भागीदारी में महिलाओं के महत्व को समझा जाए

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सन् 2013 में प्रारंभ हुए भारतीय महिला बैंक को वर्तमान सरकार ने कुछ कारणों से बंद करने का प्रयत्न किया था। बैंक की शुरुआत जोर-शोर से की गई थी। परंतु अपनी शुरुआत से लेकर आज तक इस बैंक ने कुछ ख़ास बढ़ोतरी नहीं की। अगर सरकार को वाकई इस बैंक की कोई सार्थकता नहीं लग रही है, तो इसे बंद करने में उसे हिचक क्यों हुई ? क्या इस बैंक के नाम पर लिंगभेद को दूर करने का एक दिखावा मात्र किया जा रहा है ? इस सत्य को समझे जाने की बहुत आवश्यकता है कि किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी हो या अन्य कोई और, दिखावे से कभी उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सका है।

आ रहा है नया बैंक, RBI ने सेंट्रम और भारतपे के कंसोर्टियम को स्मॉल फाइनेंस बैंक का दिया लाइसेंस

आ रहा है नया बैंक, RBI ने सेंट्रम और भारतपे के कंसोर्टियम को स्मॉल फाइनेंस बैंक का दिया लाइसेंस

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Oct 12, 2021 | 8:32 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को सेंट्रल फाइेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Centrum Financial Services Limited) और भारतपे (BharatPe) के कंसोर्टियम को एक स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFB) लाइसेंस जारी किया. सेंट्रम ने एक नियामक फाइलिंग में कहा, लगभग 6 वर्षों के अंतराल के बाद एक नया बैंक लाइसेंस जारी किया गया है. सेंट्रम और भारतपे की क्षमताओं में दिखाए गए विश्वास के लिए हम आरबीआई को धन्यवाद देते हैं.

नए स्मॉल फाइनेंस बैंक का नाम यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक(Unity Small Finance Bank) होगा. यूनिटी नाम के रूप में सेंट्रम और BharatPe दोनों के लिए कई मायने में जबरदस्त महत्व है. यह पहली बार है जब दो साझेदार बैंक बनाने के लिए समान रूप से एकजुट हो रहे हैं. बयान में कहा गया है कि सेंट्रम के एमएसएमई और माइक्रो फाइनेंस व्यवसायों को यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक में मिला दिया जाएगा.

भारत का पहला सही मायने में डिजिटल बैंक का होगा निर्माण

भारतपे के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर ने कहा, मैं एसएफबी लाइसेंस के साथ भारतपे और सेंट्रम की एकता को सौंपने के लिए आरबीआई को धन्यवाद देना चाहता हूं. हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अथक और स्मार्ट तरीके से काम करेंगे और भारत का पहला सही मायने में डिजिटल बैंक का निर्माण करेंगे.

आपको बता दें कि सेंट्रम-भारतपे ने संकट ग्रस्त सहकारी बैंक पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक (PMC Bank) का अधिग्रहण किया है. आरबीआई से अधिग्रहण की मंजूरी मिलने के बाद सेंट्रम और डिजिटल भुगतान सेवा प्रदाता स्टार्टअप कंपनी भारतपे इसमें 1,800 करोड़ रुपए लगाने वाली है.

सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक फरवरी, 2021 को पीएमसी बैंक के अधिग्रहक कर लघु बैंक बनाने का प्रस्ताव रखा था. पीएमसी बैंक सितंबर 2019 से रिजर्व बैंक के प्रशासन के तहत काम कर रहा था. इस बैंक में जमाकर्ताओं का 10,723 करोड़ रुपए से अधिक धन अब भी फंसा है. इसी तरह बैंक के कुल 6,500 करोड़ रुपये के कर्ज वसूली में फंसे हैं जिन्हें एनपीए घोषित किया गया है.

नोटबंदी के दौर में 10 लाख नौकरियां देगा यह सेक्‍टर

नोटबंदी के दौर में 10 लाख नौकरियां देगा यह सेक्‍टर

नोटबंदी के फैसले के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों का महत्व और बढ़ गया है। केपीएमजी-एनएसडीसी की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2022 के बीच देश में बैंकिंग, फाइनेंस सर्विसेज व इंश्योरेंस सेक्टर में करीब 10 लाख अतिरिक्त नौकरियों के पैदा होने का अनुमान है। अगर आप भी रुपयों के मैनेजमेंट में रुचि रखते हैं, तो लगातार बढ़ रहे इस सेक्टर में अपना करियर सुरक्षित कर सकते हैं।

करियर के लिहाज से बैंकिंग हमेशा से एक सुरक्षित फील्ड रहा है। इस क्षेत्र में निरंतर प्रगति व सुधार भी हो रहे हैं। आज एक बड़ी आबादी के पास अपने बैंक खाते हैं, हाथों में डेबिटक्रेडिट कार्ड हैं। ई-बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं हैं, जिन्होंने बैंकिंग के भविष्य को और ज्यादा उज्जवल बना दिया है। इससे बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है। सभी बैंक और वित्तीय संस्थाओं को अपनी व्यवस्थाओं को और मजबूत करने के लिए पेशेवर लोगों की आवश्यकता पड़ रही है। साथ ही, नए बैंकों को फाइनेंस का महत्त्व? लाइसेंस दिए जाने की योजना से इस क्षेत्र में और अवसर सृजित होने की संभावना बढ़ गई है।

Inflation Meaning in Hindi

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति क्या है हालांकि इसे परिभाषित करना आसान नहीं है. Inflation यानी मुद्रास्फीति का शाब्दिक अर्थ है मुद्रा का फैलना. तकनीकी परिभाषा में ना जाकर मुद्रास्फीति की जानकारी आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं. देखेंगे कि फाइनेंस का महत्त्व? इसका क्या असर होता है लोगों की जेब पर, उद्योगों पर और देश के विकास पर.

Inflation Meaning in Hindi

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति का अर्थ मुद्रास्फीति शब्द में ही छिपा है. मुद्रा यानी करेंसी और स्फीति यानी बढ़ना, फूलना या फैलना. यानी जब किसी अर्थव्यवस्था में लोगों के पास खरीदने के लिए मुद्रा बढ़ जाती है तो उस अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का बढ़ना कहा जाएगा। यानि जब वस्तुओं की मांग (Demand) बढ़ती है और उसी के अनुसार वस्तुओं की पूर्ती (Supply) नहीं बढ़ती है तो उस स्थिती को मुद्रास्फीति या Inflation कहते हैं।

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति क्या है

आइये इसे आसान उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिये एक अर्थव्यवस्था में सब लोगों के पास एक हजार रुपये हैं. वे इसी से एक दूसरे से सामान खरीदते और बेचते हैं. अब यदि इस अर्थव्यवस्था में किसी कारण से एक सौ रुपये और आ जाते हैं और अन्य परिस्थितियाँ नहीं बदलती हैं . अब इस अर्थव्यवस्था में कुल ग्यारह सौ रुपये हो गए. अब वह अतिरिक्त सौ रुपये जो लोगों की जेब में फाइनेंस का महत्त्व? आ गए वे उसके लिए भी मांग (Demand) पैदा करेंगे. इसी मांग के अनुसार पूर्ती (फाइनेंस का महत्त्व? Supply) नहीं बढ़ने के कारण वस्तुओं की कीमतें बढेंगी. इसी वस्तुओं को बढ़ने की गणना को Inflation कहा जाता है.

मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के दो कारण हो सकते हैं.

मांग जन्य मुद्रास्फीति

जब लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा हो जाता है और वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है तो उसके फलस्वरूप कीमतें बढ़ने लगतीं हैं.

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति कैसे गिनते हैं

इसे भी आसानी से समझते हैं. मान लीजिये आज से ठीक एक साल पहले आपने एक कमीज सौ रुपये में खरीदी. आज यदि उस कमीज की कीमत एक सौ पांच रुपये हो गयी है तो उस कमीज के लिए मुद्रा स्फीति पांच प्रतिशत बढ़ गयी. भारत में मुद्रास्फीती का नापने के लिए दो मूल्य सूचकाँक है थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) तथा औद्योगिक श्रमिक हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index). इन सूचकांको की गणना के लिए आम जरूरत की लगभग सभी वस्तुओं की कीमत को लिया जाता है जिनमें शामिल हैं भोज्य पदार्थ, खनिज, बिजली, इंधन, यातायात, चमड़ा, कागज़, लकड़ी, रबर जैसी सैंकड़ों वस्तुओं की कीमतें. जरुरी सामान की लिस्ट को समय के अनुसार बदला भी जाता है. उदहारण के लिए टाइपराइटर और वीसीआर जैसी वस्तुओं को हटा कर माइक्रोवेव ओवेन, मिनरल वाटर, कंप्यूटर, फ्रिज, डिश ऐन्टेना जैसी वस्तुओं को शामिल करना.

Inflation पर नियंत्रण

Inflation पर नियंत्रण करने का जिम्मा केंद्रिय बैंक पर होता है। भारत में यह काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी मॉनिटरी पॉलिसी से करता है। RBI ब्याज दरों और CRR दरों को बढ़ा कर मनी सप्लाइ को कम कर सकता है। अधिक Inflation होने से RBI बैंकों के ब्याज दर बढ़ा देता है जिससे लोन लेना महँगा हो जाता है जो कि उद्योगों के विकास में बाधक बन सकता है। इसके विपरीत जब Inflation में कमी आती है तो ब्याज दरों को कम करके विकास को बड़ाने के उपाय किये जाते हैं।

उंचीं ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को कम करती हैं क्योंकि कम लोग ऋण लेते हैं। जब बैंक ऋण देते हैं तो ऋण की वापसी आम तौर पर बैंक खातों में जमा की जाती है जो धन की आपूर्ति का हिस्सा होते हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति ऋण वापस करता है और कोई नया ऋण नहीं लिया जाता है तो बैंक जमा राशि बढ़ती है जिससे धन की आपूर्ति में कमी आती है। इसी प्रकार ब्याज दरों में कमी होने पर अधिक लोग लोन लेते हैं जिससे धन बैंकों से निकल कर लोगों के पास आता है जिससे मुद्रा आपूर्ति बढ़ने लगती है।

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