शेयर बाजार पर आय

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेच दिया जाता है तो 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. चाहे आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी शेयर बाजार पर आय का ही टैक्स लगेगा. अगर आपकी कर योग्य आय ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस शेयर बाजार पर आय पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.
ITR Update : क्या शेयर शेयर बाजार पर आय बाजार में हुए नुकसान पर मिलेगी टैक्स छूट, क्या कहता है आयकर कानून? एक्सपर्ट से समझें पूरा गणित
- News18Hindi
- Last Updated : July 28, 2022, 12:01 IST
हाइलाइट्स
शेयरों से मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है.
लांग टर्म कैपिटल लॉस का समायोजन सिर्फ लांग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही किया जाता है.
शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस की भरपाई आप लांग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों ही तरह से कर सकते हैं.
नई दिल्ली. वैसे तो शेयर बाजार में कोई भी नुकसान उठाने के लिए निवेश नहीं करता है, लेकिन यहां पैसे लगाना और रिटर्न पाना अनिश्चितताओं का खेल है. अगर आपको फायदा होता है तो उस पर टैक्स चुकाना पड़ता है, लेकिन क्या नुकसान होने पर टैक्स छूट का लाभ भी मिलता है.
इस सवाल का जवाब टैक्स एक्सपर्ट शेयर बाजार पर आय से पूछा तो आयकर कानून के कई रोचक नियमों के बारे में जानकारी मिली. आयकर कानून कहता है कि अगर आपको किसी वित्तवर्ष में शेयर बाजार में नुकसान हुआ है तो टैक्स की गणना करते समय इसकी भरपाई की जा सकती है. आप अपने नुकसान को टैक्स में समायोजित कर अपनी देनदारी को घटा सकते हैं.
Tax on Equity Instruments : शेयर मार्केट में किए गए निवेश पर कितना देना होता है टैक्स? जानिए पूरी डिटेल
जानिए इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर कितना लगता है टैक्स
- विभिन्न इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स पर होते हैं अलग-अलग टैक्स नियम
- होल्डिंग पीरियड पर आधारित होता है कैपिटल गेन टैक्स
- निवेशक को मिलने वाले रिटर्न को कम कर देती है टैक्स देनदारी
- इक्विटी किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो का होता है महत्वपूर्ण हिस्सा
नई दिल्ली : स्मार्टफोन्स रखने वाले लोगों की संख्या और डिजिटल भुगतान में हो रही बढ़ोतरी के साथ ही देश में इक्विटी में निवेश (Investment in Equity) करने वाले भी बढ़ रहे हैं। इक्विटी किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो (Portfolio) का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इक्विटी में निवेश कर आप काफी अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। हालांकि, यहां जोखिम भी अधिक है। अगल-अलग इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स (Equity Instruments) के लिए टैक्स के नियम भी अलग-अलग होते हैं। निवेश पर लगने वाला कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) होल्डिंग की अवधि पर आधारित होता है। स्टॉक्स और इक्विटी ऑरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स के लिए लॉन्ग टर्म एक साल से अधिक अवधि का माना जाता है। वहीं, यूलिप के मामले में ऐसा नहीं है।
जरूर जान लें निवेश पर टैक्स देनदारी
निवेशकों को किसी भी निवेश इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने से पहले टैक्स देनदारी की जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए। टैक्स निवेशक के रिटर्न को कम कर देता है। विभिन्न इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में टैक्स के अलग-अगल नियम होते हैं। आइए इन इंस्ट्रूमेंट्स पर टैक्स देनदारी (Tax on Investment) के बारे में जानते हैं।
स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड शेयरों में निवेश
अगर आप एक्सचेंजों पर लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं, तो यहां एक साल से अधिक की अवधि को लॉन्ग टर्म माना जाता है। यहां शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15.6 फीसदी है। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10.4 फीसदी है। शेयरों पर हुई डिविडेंड आय पर टैक्स निवेशक के आयकर स्लैब के अनुसार लगता है। सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स की बात करें, तो यह डिलीवरी सौदे पर 0.1 फीसदी लगता है। यह टैक्स खरीदार और बिकवाल दोनों को देना होता है। वहीं, इंट्राडे सौदे पर सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स 0.025 फीसदी है। इसका भुगतान सिर्फ बेचने वाले को करना होता है।
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इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड
इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में भी लॉन्ग टर्म एक साल से अधिक की अवधि का माना जाता है। यहां शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 15.6 फीसदी है। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10.4 फीसदी है। डिविडेंड पर टैक्स की बात करें, तो यह निवेशकों के आयकर स्लैब के अनुसार लगता है। इसके अलावा इस इंस्ट्रूमेंट में सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स 0.001 फीसदी है।
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स में लॉन्ग टर्म एक साल से अधिक की अवधि का माना जाता है। यहां निवेशकों को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 15.शेयर बाजार पर आय 6 फीसदी देना होता है। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 10.4 फीसदी है। यहां डिविडेंड आय पर कोई टैक्स नहीं है। सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स की बात करें, तो यहां यह डिलीवरी पर 0.001 फीसदी लगता है। यह टैक्स सिर्फ बेचने वाले को देना होता है।
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शेयर बाजार में अगर आप एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देते हैं तो इसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है। इस तरह से हुई कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है। वहीं फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है। इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है। यानी 2.5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, उसके ऊपर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स
अगर आप शेयर बाजार में 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है। हालांकि, अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक ही है, तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स
अगर शेयर बाजार में आप 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाती है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है, जबकि उससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स लगता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं। हालांकि, अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक ही है, तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है।
शेयर मार्केट से हुई कमाई पर कैसे बनती है टैक्स की देनदारी, जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब
taxation on Share Selling : सैलरी, किराये और बिजनेस से होने वाली आय पर इनकम टैक्स लगता है. लेकिन क्या शेयरों की खरीद-बिक्री और इस पर होने वाले मुनाफे पर भी टैक्स लगता है? जी हां, शेयरों की खरीद-बिक्री और इससे होने वाले लाभ पर टैक्स लगता है. शेयरों की बिक्री से होने वाली आय या घाटा ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है. शेयरों की बिक्री करने शेयर बाजार पर आय वाले को इस कमाई पर उसे टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी. लेकिन 2018 के बजट में शेयर बाजार पर आय शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है. शेयरों शेयर बाजार पर आय की बिक्री करने वाले को इस कमाई पर उसे टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी. लेकिन 2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.