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वायदा बाजार हमें क्या बताता है?

वायदा बाजार हमें क्या बताता है?
Moneycontrol 15-06-2022 Hindi.Moneycontrol.com Team

निफ्टी और बैंक निफ्टी सीमित दायरे में, जानें कौन सी रेंज देख रहे हैं राइटर्स और राजेश पालवीय के ट्रेड्स

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© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त निफ्टी और बैंक निफ्टी सीमित दायरे में, जानें कौन सी रेंज देख रहे हैं राइटर्स और राजेश पालवीय के ट्रेड्स फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले बाजार में आज कंसोलिडेशन का मूड दिख रहा है। निफ्टी और बैंक निफ्टी एक सीमित दायरे में घूम रहे हैं। निफ्टी 15500 और 15700 पर पुट राइटर्स और 15800 पर कॉल राइटर्स का पलड़ा भारी है। बैंक निफ्टी में ये आंकड़ा 33300 और 33400 पर है। ऐसे में हम ऑप्शंस के आंकड़ों के जरिये ये समझने की कोशिश करेंगे की राइटर्स कल की एक्सपायरी के लिए लिए कौन सी रेंज देख रहे हैं। सीएनबीसी-आवाज़ के फ्यूचर एक्सप्रेस शो में आज के हमारे एक्सपर्ट एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय हैं। राजेश ने अपनी शानदार कॉल्स के साथ सस्ता ऑप्शन भी दिया वायदा बाजार में आज इन स्टॉक्स में FRESH LONG बनते हुए दिखे IGL, PEL, BAJAJ FINSERV और POLY CAB वायदा बाजार में आज इन स्टॉक्स में SHORT COVERING बनती हुई दिखी GNFC, DEEPAK NITRITE, BALKRISHNA IND और CHOLA INVEST वायदा बाजार में आज इन स्टॉक्स में FRESH SHORTS बनते हुए दिखे TATA COMM, TATA CHEM, ABFRL और ONGC NIFTY की रेंज आज निफ्टी में दोपहर 12 बजे के दौरान 15700, 15800 और 15900 के लेवल्स पर सबसे ज्यादा कॉल राइटर्स एक्टिव दिखाई दिये दूसरे दिन एक खिलाड़ी की कॉल ने दिया 7% का रिटर्न, कमजोर बाजार में आज एक्सपर्ट्स कहां लगा रहे हैं दांव? आज निफ्टी में दोपहर 12 बजे के दौरान 15700, 15600 और 15500 के लेवल्स पर सबसे ज्यादा पुट राइटर्स एक्टिव दिखाई दिये NIFTY BANK की रेंज आज बैंक निफ्टी में दोपहर 12 बजे के दौरान 33500, 33600 और 33700 के लेवल्स पर सबसे ज्यादा कॉल राइटर्स एक्टिव दिखाई दिये आज बैंक निफ्टी में दोपहर 12 बजे के दौरान 33000, 33100 और 33200 के लेवल्स पर सबसे ज्यादा पुट राइटर्स एक्टिव दिखाई दिये एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय की बाजार पर राय एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय ने बाजार पर राय देते हुए कहा कि बाजार एक सीमित दायरे में ट्रेड करता हुआ दिखाई दे रहा है। निफ्टी का ऊपर बैंड 15850 पर दिखाई दे रहा है जबकि निचला सपोर्ट 15450 के आस-पास है। निफ्टी एक रेंज बाउंड होकर कारोबार कर रहा है। इसमें क्या पोजीशन होगी और कल किस लेवल पर जाता हुआ दिखाई देगा वह तो कारोबार के अंतिम आधे घंटे में ही पता चल पायेगा। Maruti Suzuki पर 39 ब्रोकरेजेस से मिली बाय, 8 से होल्ड और 6 से सेल रेटिंग, आपकी क्या होगी स्टॉक पर रणनीति? यदि आज निफ्टी 15850 के स्तर के करीब बंद होने में कामयाब हो जाता है और कल इसमें इस स्तर के ऊपर ब्रेकआउट आता है तो इसमें कल के सत्र में 15950 के स्तर के साथ ही 16000 के स्तर भी देखने को मिल सकते हैं। हालांकि आज इंडेक्स पर हमारी न्यूट्रल कॉल होगी। राजेश पालवीय के आज के ट्रेडिंग आइडियाज Cholamandalam Investment June Fut : खरीदें- 944 रुपये, लक्ष्य-970 रुपये, स्टॉपलॉस-928 रुपये Divis Lab June Fut : खरीदें- 3573 रुपये, लक्ष्य-3660 रुपये, स्टॉपलॉस-3530 रुपये TVS Motor June Fut : खरीदें- 755 रुपये, लक्ष्य-790 रुपये, स्टॉपलॉस-738 रुपये आज का सस्ता ऑप्शन : Hero MotoCorp राजेश पालवीय ने सस्ता ऑप्शन बताते हुए कहा कि आज हमनें सस्ता ऑप्शन ऑटो वायदा बाजार हमें क्या बताता है? सेक्टर से चुना है। ऑटो सेक्टर के दोपहिया गाड़ियों में दिग्गज कंपनी हीरो मोटोकॉर्प की जून सीरीज की 2700 के स्ट्राइक वाला कॉल ऑप्शन खरीदने से कमाई के रास्ते खुल सकते हैं। उन्होंने इसकी ये कॉल 33 रुपये के आस-पास खरीदें। इसमें कुछ दिनों में 50 से 55 रुपये के टारगेट देखने को मिल सकते हैं। साथ ही इसमें 23 रुपये के स्तर पर स्टॉपलॉस भी लगाना चाहिए। (डिस्क्लेमरः Moneycontrol.com पर दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें। )

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Gold Options: गोल्ड ऑप्शंस क्या है, जानिए कैसे हो सकती है बंपर कमाई

What Is Gold Options

What Is Gold Options: गोल्ड को अपने पोर्टफोलियो में रखने की चाहत हर किसी की होती है. बहुत से निवेशक और ट्रेडर कम रिस्क के साथ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे लोगों के लिए ऑप्शंस (How To Buy Gold Options) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है. दरअसल, ऑप्शंस में निवेश के जरिए अपने रिस्क को सीमित किया जा सकता है और अधिक से अधिक मुनाफा भी कमाया जा सकता है.

आज की इस रिपोर्ट में हम गोल्ड ऑप्शंस की बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे और साथ में यह भी समझेंगे कि इसमें निवेश से हमें क्या फायदा मिल सकता है और क्या नुकसान है.

कैसे कर सकते हैं गोल्ड ऑप्शंस में ट्रेडिंग
कमोडिटी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए और अगर आपके पास अकाउंट पहले से हैं तो ब्रोकर को बोलकर ऑप्शंस (Gold Futures & Options) की ट्रेडिंग के लिए उसे एक्टिव करा सकते हैं. निवेशक ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर सकता है. ऑप्शंस वायदा कारोबार के तहत आने वाला एक अनोखा प्रोडक्ट है और इसमें ट्रेडिंग के जरिए जोखिम कम होने के साथ ही असीमित मुनाफा कमाया जा सकता है. मान लीजिए कि आप ऑप्शंस के खरीदार हैं तो बेहद कम प्रीमियम चुकाकर पूरा कॉन्ट्रैक्ट उठा सकते हैं. मतलब यह हुआ कि आपका जोखिम आपके द्वारा जमा किया गया प्रीमियम ही है और मुनाफा अनलिमिटेड. हालांकि इसके विपरीत बिकवाल होने की स्थिति में जोखिम असीमित और मुनाफा सीमित हो जाता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
आखिर में हम आपको बताते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या फायदे होते हैं. जानकारों का कहना है कि मान लीजिए कि अगर कोई निवेशक गोल्ड ऑप्शंस के कॉन्ट्रै्क्ट में कॉल खरीदता है तो तेजी होने पर निवेशक को फायदा मिलेगा और अगर पुट ऑप्शंस खरीदता है तो गिरावट पर लाभ मिलेगा. वहीं कॉल ऑप्शंस को बेचने वाले कॉल राइटर्स को गिरावट पर फायदा मिलता है और पुट ऑप्शंस को बेचने वाले पुट राइटर्स को तेजी पर फायदा मिलता है. बता दें कि कॉल राइट करने वालों की कमाई सिर्फ प्रीमियम होती है लेकिन उनका नुकसान असीमित होता है. जानकार कहते हैं कि वायदा बाजार के मुकाबले ऑप्शंस में रिस्क कम और रिटर्न ज्यादा मिलता है. इसके अलावा हेजिंग का टूल भी होने की वजह से निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा होती है.

Gold rate today, 30 March 2021: डॉलर की मजबूती से कमजोर पड़ा सोना, चांदी भी फिसली

Gold rate today, 30 March 2021: वैश्विक बाजार में कमजोरी आने से वायदा बाजार में सोमवार को सोने - चांदी के भावों में कमजोरी रही.

Published: March 30, 2021 9:20 AM IST

Gold Price Today Gold Rate Today

Gold rate today, 30 March 2021: सोमवार को वायदा बाजार में सोने के भावों (Sone ke bhav) में गिरावट आते हुए देखी गई, जबकि होली के अवसर पर हाजिर बाजार बंद रहे. डॉलर में आई मजबूती सोने के भावों में गिरावट आते हुए देखी गई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोमवार को सोने के भाव (Sone ke bhav) में एक फीसदी से ज्यादा की कमजोरी आई. कमजोर वैश्विक संकेतों (Weak global cues) से घरेलू वायदा बाजार में भी सोने का भाव 350 रुपये प्रति 10 ग्राम से ज्यादा टूटा और चांदी भी एक फीसदी से ज्यादा फिसली. देश का सर्राफा बाजार सोमवार को होली के त्योहार के अवसर पर बंद रहा, जबकि घरेलू वायदा बाजार शाम के सत्र में कारोबार के लिए खुला. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के जून वायदा अनुबंध में शाम 7.13 बजे पिछले सत्र से 352 रुपये यानी 0.78 फीसदी की कमजोरी के साथ 44,759 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था. वहीं, चांदी के मई अनुबंध में बीते सत्र से 752 रुपये यानी 1.16 फीसदी की गिरावट के साथ 64,053 रुपये प्रति किलो पर बना हुआ था.

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कमोडिटी बाजार के जानकार केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि डॉलर में आई मजबूती से वैश्विक बाजार में सोने और चांदी में आई कमजोरी के कारण देश के वायदा बाजार में बुलियन में नरमी का रुख बना हुआ है.

वैश्विक बाजार कॉमेक्स पर सोने के जून अनुबंध में बीते सत्र से 21.85 डॉलर यानी 1.26 फीसदी की गिरावट के साथ 1,710.45 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था. वहीं, चांदी के मई अनुबंध में बीते सत्र से 1.84 फीसदी की गिरावट के साथ 24.65 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था.

जानकार बताते हैं कि आर्थिक आंकड़ों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती के संकेत मिलने और कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम में प्रगति से डॉलर में मजबूती देखी जा रही है. डॉलर जब मजबूत होता है तो उसमें निवेश मांग बढ़ने से बुलियन की चाल मंद पड़ जाती है.

दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स सोमवार को फिर मजबूती के साथ कारोबार कर रहा था. डॉलर इंडेक्स बीते सत्र से 0.09 फीसदी की बढ़त के साथ 92.85 पर बना हुआ था.

केडिया ने कहा कि वैक्सीनेशन कार्यक्रम की प्रगति और अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी के संकेत मिलने से बुलियन में निवेश मांग सुस्त पड़ गई है जिसके चलते सोने और चांदी दोनों में गिरावट आई है.

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क्यों सुलग उठी रसोई?

महीने के राशन का बिल बिना सामान बढ़ाए भी बढ़ा जा रहा है. एक लीटर सरसों तेल की कीमत 192 रुपए लीटर तक पहुंच गई, जो बीते साल के करीब डेढ़ गुना ज्यादा है.

कीमतों में आग पिछले एक साल के दौरान विभिन्न कारणों से खाद्य तेल की कीमतें बढ़ रही हैं

शुभम शंखधर

  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2021,
  • (अपडेटेड 10 जून 2021, 9:10 PM IST)

पश्चिम दिल्ली के टैगोर गार्डन में रहने वाले 40 वर्षीय अजय कुमार को इन दिनों कोरोना वायरस के अलावा महंगाई भी डरा रही है. महीने के राशन का बिल बिना सामान बढ़ाए भी बढ़ा जा रहा है. एक लीटर सरसों तेल की कीमत 192 रुपए लीटर तक पहुंच गई, जो बीते साल के करीब डेढ़ गुना ज्यादा है.

बीते साल (25 मई, 2020) भाव 132 रुपए लीटर का था. लेकिन हर स्तर पर खलबली मचाकर रखने वाले मौजूदा समय के कड़ाह में सरसों ही नहीं, खाद्य तेल का पूरा बाजार ही खौल रहा है. वनस्पति, सोया तेल, सूरजमुखी, मूंगफली सभी के भाव चढ़े हैं (देखें ग्राफिक्स). खाद्य तेलों में यह तेजी ठीक उस समय देखने को मिली है, जब देश में एक के बाद एक सामान्य मॉनसून, तिलहन की रिकॉर्ड पैदावार और लॉकडाउन के कारण मांग में नरमी है. यानी कीमतों में इजाफे का कोई भी कारण घरेलू नहीं. महंगाई अंतरराष्ट्रीय है.

तो आंच हम पर क्यों?
भारत में तिलहन की पैदावार बीते पांच वर्षों में 44 फीसद से ज्यादा बढ़ी है. साल 2020-21 में कुल 365.65 लाख टन तिलहन की पैदावार का पूर्वानुमान है. 2015-16 में कुल 252.51 लाख टन तिलहन पैदा हुई थी. हालांकि इस रिकॉर्ड पैदावार के बाद भी हम अपनी जरूरत का आधे से कम खाद्य तेल उपलब्ध करवा पाते हैं.

देश में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 19 किलोग्राम की मौजूदा खपत के आधार पर कुल 2.5 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग है, इसमें से 1.05 करोड़ टन की आपूर्ति ही घरेलू स्तर पर हो पाती है. बाकी 60 फीसद खपत आयात पर निर्भर है. विभिन्न कारणों से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तिलहन और खाद्य तेल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, जिसका असर घरेलू बाजार पर भी देखने को मिल रहा है.

विश्व बाजार में क्यों लगी है आग?
देश में कुल खाद्य तेल आयात में 86 फीसद हिस्सेदारी पाम और सोयाबीन तेल की है. तो पहले बात पाम ऑयल की. मलेशिया और इंडोनेशिया दुनिया के सबसे बड़े पाम ऑयल निर्यातक देश हैं. यहां पाम ऑयल की कीमतें बीते एक साल में तेजी से बढ़ी हैं. बुर्सा मलेशिया डेरेवेटिव्ज एक्सचेंज पर वायदा बाजार हमें क्या बताता है? पाम ऑयल के वायदा ने मई में 4,525 रिंगिट का ऊपरी भाव छुआ.

बीते साल मई में कीमतें 1,939 रिंगिट के निचले स्तर तक गईं थीं. इस हिसाब से कीमतें सालभर में 133 फीसद से ज्यादा बढ़ीं. फिलहाल, भाव 3,910 रिंगिट के करीब हैं. यानी 1 टन पॉम ऑयल की कीमत करीब 67,000 रुपए. (1 जून को) के स्तर पर है.

पाम ऑयल की कीमतों में तेजी का गणित समझाते हुए द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआइ) के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर बी.वी. मेहता कहते हैं, ''पाम ऑयल क्षेत्र गहन श्रम वाला क्षेत्र है. यहां बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत होती है. दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक देशों में शुमार मलेशिया में पाम ऑयल क्षेत्र की निर्भरता प्रवासी मजदूरों पर है.’’

कोविड के कारण बॉर्डर बंद हुए, जिस वजह से श्रमिकों की कमी हुई और उत्पादन प्रभावित हुआ. वे तेजी का एक और बड़ा कारण खाद्य तेलों की मांग का ईंधन क्षेत्र में बढ़ना भी मानते हैं. इंडोनेशिया के बायोडीजल कार्यक्रम में मिश्रण के लिए 30 फीसद पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी वजह से मांग में लगातार इजाफा हो रहा है.

अब बात सोयाबीन की. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की कीमत बीते एक साल में 80 फीसद से ज्यादा बढ़ी है. हालांकि पिछले दो हफ्तों से कुछ नरमी देखने को मिली है. फिलहाल, सोयाबीन का जुलाई में 1,542 डॉलर (1 जून) के करीब वायदा कारोबार कर रहा है, जो 12 मई को 1,667 डॉलर के स्तर पर था. बीते साल 1 जून को भाव 840 डॉलर के करीब थे. ब्राजील और अमेरिका दुनिया के सबसे ज्यादा सोयाबीन पैदा करने वाले देश हैं.

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता खाद्य तेलों में तेजी की वजहें बताते हुए कहते हैं, ''चीन सोयाबीन की जबरदस्त खरीदारी किए जा रहा है, जो कीमतों में इजाफे का एक बड़ा कारण है.’’ 2021के पहले चार महीनों (जनवरी से अप्रैल) में चीन ने करीब 2.86 करोड़ टन सोयाबीन का आयात किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 17 फीसद ज्यादा है.

वे यह भी कहते हैं, ''दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक देश ब्राजील में आई बाढ़ के कारण फसल की कटाई और निर्यात प्रभावित हुआ. इसने सोयाबीन में तेजी की अवधारणा को बल दिया.’’ इसके अलावा अमेरिका और ब्राजील समेत कई देश सोयाबीन तेल का इस्तेमाल अक्षय ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) बनाने में भी कर रहे हैं. इस वजह से कोविड के बाद भी वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की मांग में कोई बड़ा असर नहीं दिखा.

देश में खाद्य तेल का आयात

तेजी रहेगी जारी
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हाल में जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के दौरान थोक और खुदरा महंगाई के बीच अंतर लगातार आपूर्ति बाधाओं और खुदरा मार्जिन अधिक रहने की ओर इशारा करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, ''मांग और आपूर्ति में असंतुलन बने रहने से दलहन और खाद्य तेल जैसे खाद्य पदार्थों की ओर से दबाव बने रहने की संभावना है, जबकि 2020-21 में अनाज की बंपर पैदावार के साथ अनाज की कीमतों में नरमी आ सकती है.’’

केडिया कमोडिटी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं, ''पूरी दुनिया में तेजी से वैक्सीन लगने के बाद ही मांग की वापसी होगी. ऐसे में कीमतों में किसी बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए.’’ हालांकि केडिया का मानना है कि नई फसल की आवक के बाद कीमतों में नरमी दिखेगी लेकिन यह पिछले साल के स्तर पर पहुंचेगी, ऐसी संभावना नहीं है. गौरतलब है कि चीन ने कोविड के थमने के बाद मांग की वापसी की उम्मीद के चलते ही बड़ी मात्रा में आयात किया है.

राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों की औसत कीमत

द सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड में क्रॉप एस्टीमेट कमेटी के चेयरमैन अनिल छतर कहते हैं, ''दीवाली तक खाद्य तेलों में किसी बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है. नई आवक के बाद भाव में कुछ नरमी जरूर आएगी.’’ 2020-2021 के दौरान जैसी तेजी देखने को मिली, वह अप्रत्याशित थी.

फिलहाल मंडियों में भाव सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊपर है. सरकार की ओर से सरसों का तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,650 रुपए प्रति क्विंटल का है, जबकि मंडी में भाव 7,800 रुपए के करीब है. वहीं सोयाबीन का एमएसपी 3,880 रुपए प्रति क्विंटल है. मंडी में भाव 7,500 रुपए के करीब है. अनिल बताते हैं कि बीते 15 दिनों में भाव 10 से 12 फीसद कम हुए हैं.

फिर कैसे मिले राहत?
खाद्य तेलों की कीमतों में यह इजाफा उस समय देखने को मिल रहा है, जब कोविड के कारण बड़ी संख्या में लोगों की आय और रोजगार प्रभावित हुए हैं. एसईएआइ का मानना है कि सरकार वायदा बाजार में सटोरिया गतिविधियों पर अंकुश लगाकर कीमतों पर काबू पा सकती है.

वायदा बाजार में खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के वायदे में डिलिवरी को अनिवार्य किया जा सकता है. इससे बाजार में केवल असली खरीदारों की ही भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी. इसके अलावा, 4 फीसद के अपर सर्किट को घटाकर 2 फीसद किया जा सकता है. ऐसा करने से वे लोग वायदा बाजार से दूर हो जाएंगे जो केवल पैसा कमाने के लिए बाजार का रुख करते हैं.

सुझाव यह भी है कि नीति निर्माताओं को स्पष्ट रखना होगा कि खाद्य तेलों में कितनी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है और उसी के हिसाब से रणनीति तैयार करनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि जब एक तरफ उपभोक्ता महंगा तेल खरीदने पर मजबूर है, ठीक उसी समय किसानों को घरेलू मंडियों में उसकी उपज के बेहतर दाम भी मिल रहे हैं.

आमतौर पर आयात पर निर्भर वस्तुओं की कीमतों में तत्काल राहत देने के लिए आयात शुल्क में कटौती को एक विकल्प के रूप में देखा जाता है, लेकिन उद्योग संगठन वायदा बाजार हमें क्या बताता है? की राय इस मोर्चे पर अलग है. मेहता कहते हैं, ''वैश्विक बाजार में अगर कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी रहता है तो आयात शुल्क में कटौती का कोई खास फायदा उपभोक्ता को नहीं मिल पाएगा.’’ साथ ही सरकार को भी राजस्व का नुक्सान उठाना पड़ेगा. बेहतर है कि सरकार पीडीएस के रास्ते तेल पर सब्सिडी देकर उपभोक्ता को सीधा फायदा पहुंचाए.

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