करेंसी ट्रेड

Foreign Trade Policy: अब रुपए में होगा इंटरनेशनल ट्रेड, वाणिज्य मंत्रालय ने फॉरन ट्रेड पॉलिसी में किया बदलाव
वाणिज्य मंत्रालय ने Foreign Trade Policy के अंतर्गत नियमों में बदलाव कर दिए गए हैं. जिसके बाद नए नियम के तहत हर तरह की बिलिंग, पेमेंट और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट सेटलमेंट रुपए में होंगे.
By: ABP Live | Updated at : 17 Sep 2022 10:24 PM (IST)
Edited By: Sandeep
Foreign Trade Policy Amendment : भारतीय आयातकों (Indian Importers) के लिए अच्छी खबर आ रही है. अब इंटरनेशनल ट्रेड रुपए में किया जा सकेगा. आपको बता दे कि वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) ने भारतीय करेंसी यानि रुपए (Rupee) में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड सेटलमेंट (Trade Settlement) को मंजूरी दी है.
नियमों में किये बदलाव
वाणिज्य मंत्रालय ने फॉरेन ट्रेड पॉलिसी (Foreign Trade Policy) के अंतर्गत नियमों में बदलाव कर दिए गए हैं. जिसके बाद नए नियम के तहत हर तरह की बिलिंग, पेमेंट और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट सेटलमेंट (Export-Import Settlement) रुपए में होंगे. यह बदलाव रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के सर्कुलर के मुताबिक किए हैं. इस करेंसी ट्रेड संबंध में DGFT यानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरन ट्रेड ने नोटिफिकेशन जारी किया है.
मंत्रालय ने दी मंजूरी
आपको बता दे कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने 2022 जुलाई महीने में बैंकों से कहा था कि वे निर्यात और आयात सौदे रुपए में करने के लिए इंतजाम करें. RBI ने भारतीय मुद्रा (Indian Currency) के प्रति वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए यह सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव रखा था. आरबीआई के इस निर्णय के अनुरूप वाणिज्य मंत्रालय के तहत गठित विदेश व्यापार महानिदेशालय (Directorate General of Foreign Trade- डीजीएफटी) ने अब विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy- FTP) में एक नया पैराग्राफ जोड़ा है.
खुलवाना होगा वोस्ट्रो अकाउंट
डीजीएफटी (DGFT) ने एक अधिसूचना में जानकारी में कहा कि आरबीआई के 11 जुलाई, 2022 के परिपत्र के अनुरूप पैराग्राफ 2.52 (डी) को अधिसूचित किया गया है जो भारतीय रूपये में आयात-निर्यात सौदों के निपटान, बिल बनाने और भुगतान की अनुमति देता है. इस अधिसूचना के जारी होने के बाद अब व्यापार सौदों का निपटान भारतीय रुपए में भी किया जा सकता है. इसके लिए भारत में अधिकृत डीलर बैंकों द्वारा विशेष वोस्ट्रो खाते खोलने जरूरी होंगे.
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अब सप्लायर्स को अपने खाते में मिलेंगे पैसे
RBI और वाणिज्य मंत्रालय ने सितंबर में ही देश के प्रमुख बैंकों के शीर्ष प्रबंधन और व्यापार निकायों के प्रतिनिधियों को रुपए में लेनदेन को बढ़ावा देने को कहा था. जिसके बाद अब भारतीय आयातक (Indian Importer) को इसकी मंजूरी मिल गई है. इस व्यवस्था से अपने आयात का भुगतान उन्हें भारतीय रुपए में मिलेगा. इस राशि को लेने के लिए देश के बैंक में विशेष वोस्ट्रो खाता खोलना होगा, जिसमे पैसे जमा होंगे. मालूम हो कि विदेशी आपूर्तिकर्ता (Foreign Suppliers) को सामान या सेवा की आपूर्ति के लिए दिए बिलों के एवज में यह राशि जमा की जाएगी.
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Published at : 17 Sep 2022 10:24 PM (IST) Tags: import export Commerce Ministry International Trade हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
क्रिप्टोकरेंसी अपडेट: बड़ी करेंसीज़ में हलचल नहीं, पर 10 पैसे वाली करेंसी 2519% बढ़ी
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आज लगातार दूसरे दिन बढ़त देखने को मिली है.
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आज लगातार दूसरे दिन बढ़त देखने को मिली है. हालांकि आज की बढ़त बेहद छोटी है. Quarashi (QUA) में पिछले 24 घंटों के दौरान जबरदस्त 2519.83 प्रतिशत का उछाल आया है. फिलहाल यह करेंसी $0.025170 (लगभग 1.96 रुपये) पर ट्रेड हो रही है.
- News18Hindi
- Last Updated : May 17, 2022, 10:13 IST
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आज लगातार दूसरे दिन बढ़त देखने को मिली है. हालांकि आज की बढ़त बेहद छोटी है. भारतीय समयानुसार आज सुबह 9:34 बजे तक ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट कैप (Global Crypto Market Cap) 0.12% फीसदी के मामूली से उछाल के साथ 1.30 ट्रिलियन डॉलर पर है. बड़ी क्रिप्टोकरेंसीज़ की बात करें तो बिटकॉइन और इथेरियम में भी मामूली उछाल है, जबकि कई करेंसीज़ लाल निशान में भी ट्रेड हो रही हैं.
Coinmarketcap के आंकड़ों के हिसाब से खबर लिखे जाने के समय तक बिटकॉइन (Bitcoin Price Today) 0.10% उछलकर $30,310.70 पर ट्रेड कर रहा था. पिछले 7 दिनों की बात करें तो इसमें 1.44% की गिरावट है. दूसरा सबसे बड़ा कॉइन इथेरियम का प्राइस (Ethereum Price Today) पिछले 24 घंटों में 0.21% बढ़कर $2,068.15 पर पहुंच गया. पिछले एक सप्ताह में यह करेंसी भी 10.37% गिरावट में ट्रेड हो रही है.
किस कॉइन का क्या हाल
-सोलाना (Solana – SOL) – प्राइस: $55.64, बदलाव: -0.40%
-कार्डानो (Cardano – ADA) – प्राइस: $0.5686, बदलाव: -1.68%
-एवलॉन्च (Avalanche) – प्राइस: $34.15, बदलाव: +0.20%
-बीएनबी (BNB) – प्राइस: $305.37, बदलाव: +1.55%
-शिबा इनु (Shiba Inu) – प्राइस: $0.00001241, बदलाव: करेंसी ट्रेड -0.97%
-एक्सआरपी (XRP) – प्राइस: $0.4341, बदलाव: +0.25%
-डोज़कॉइन (Dogecoin – DOGE) – प्राइस: $0.08978, बदलाव: -0.07%
-ट्रोन (Tron TRX) – प्राइस: $0.07023, बदलाव: +1.01%
सबसे ज्यादा उछलने वाले कॉइन
Coinmarketcap के अनुसार, पिछले 24 घंटों के भीतर सबसे ज्यादा बढ़ने वाले तीन कॉइन्स में Quarashi (QUA), Ballswap (BSP), और Metacyber (METAC) शामिल रहे. Ethos Project (ETHOS) नामक करेंसी पिछले 24 घंटों के दौरान 818.75 फीसदी उछल गई है. Quarashi (QUA) में पिछले 24 घंटों के दौरान जबरदस्त 2519.83 प्रतिशत का उछाल आया है. फिलहाल यह करेंसी $0.025170 (लगभग 1.96 रुपये) पर ट्रेड हो रही है, जबकि कल तक इसकी कीमत 10 पैसे से भी कम थी.
नंबर दो पर सबसे ज्यादा बढ़ने वाली क्रिप्टोकरेंसी है Ballswap (BSP). भारतीय करेंसी के हिसाब से इसकी कीमत 0.023 रुपये है. यह 2178.28 फीसदी की बढ़त हासिल कर चुकी है, जबकि Metacyber (METAC) 743.93 फीसदी के उछाल के साथ नंबर 3 पर है. इसकी कीमत 0.0000099 रुपये है.
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अंतराष्ट्रीय दवाब के बाजवूद रूस को मेडिकल उपकरण बेचेगा भारत, लोकल करेंसी में होगा व्यापार
रूस से व्यापार को लेकर बढ़ रहे अंतराष्ट्रीय दवाब के बावजूद भारत रूस को मेडिकल उपकरण बेचेगा। भारत और रूस की कंपनियों के बीच 22 अप्रैल को वर्चुलअ मीटिंग होगी। दोनों देश लोकल करेंसी में व्यापार करेंगे।
यूक्रेन पर हमले के चलते अंतराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहा रूस अब भारत से और मेडिकल सामानों की खरीद करना चाहता है। भारत में मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों और रूसी कंपनियों के बीच 22 अप्रैल को वर्चुअल मीटिंग होगी जिसमें मेडिकल सामानों की खरीद को लेकर बातचीत होगी। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ के मुताबिक दोनों देशों के ट्रेड ग्रुप मेडिकल उपकरण के आयात-निर्यात और एक्सचेंज मीडियम करेंसी को लेकर चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से दिल्ली और मॉस्को एक्सचेंज करेंसी को लेकर लगातार बात कर रहा है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार को आगे बढ़ाया जा सके। जानकारी के मुताबिक दोनों देशों ने करेंसी को लेकर आम सहमति बना ली है जिसमें लोकल करेंसी को ही इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है जैसा कोल्ड वॉर के दौरान किया जाता था।
गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमले के बाद से अंतराष्ट्रीय समुदाय ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। यूरोपीय यूनियन ने रूस के साथ व्यापार बंद कर दिया है यहां तक कि अपनी सीमा में घुसने वाले रूसी जहाजों को भी जब्त करना शुरू कर दिया है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन अपने सबसे पुराने और सबसे भरोसमंद दोस्त भारत की तरफ मदद की आस लगाए देख रहे हैं।
रूस भारत को भारी डिस्काउंट पर कच्चा तेल बेच रहा है जिससे अमेरिका नाराज है। अमेरिका गाहे-बगाहे चेतावनी देता रहा है कि रूस की मदद करने वाले देशों का भारी कीमत चुकानी होगी लेकिन भारत किसी भी अंतराष्ट्रीय दवाब में आए बिना रूस से लगातार व्यापारिक समझौते किए जा रहा है। युद्ध की इस घड़ी में भारत रूस के बाजार का बेताज बादशाह बना हुआ है। उम्मीद है कि भारत इस साल 2 बिलियन रूपये (26 मिलियन डॉलर) के सामान का निर्यात रूस को करेगा।
Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इनकी ट्रेडिंग के लिए लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (करेंसी ट्रेड करेंसी ट्रेड Representative Image)
Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
एक्सचेंज फीस
- क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी ट्रेड करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
- फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
नेटवर्क फीस
- क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
- आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.
वॉलेट फीस
- क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
- क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
(Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
(स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)
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1914 में छपा था पहला डॉलर, जानें क्या है दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी का इतिहास
डॉलर मौजूदा समय में विश्व की सबसे मजबूत करेंसी मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करेंसी की जरूरत थी। ये डॉलर से पूरी होती है।
रुपये ने डॉलर तोड़ा अपना पिछला रिकॉर्ड कर 79.99 के निचले करेंसी ट्रेड स्तर पर पहुंच गया है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार को बाजार खुले तो 1 डॉलर 80 रुपए से भी ऊपर हो गया। वैसे ग्राफ देखें तो इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से अधिक गिर चुका है। माना जा रहा है कि रुपए में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि फिलहाल अमेरिकी करेंसी ने यूरो को भी पीछे छोड़ दिया है। अपने जन्म के बाद ये पहला मौका है जब यूरो डॉलर से पिटा। ऐसे में रुपए को लेकर वैश्विक बाजार बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं है।
डॉलर मौजूदा समय में विश्व की सबसे मजबूत करेंसी मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करेंसी की जरूरत थी। ये डॉलर से पूरी होती है। ऐसे में हर देश के पास डॉलर का एक फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व रहता है, जिसका इस्तेमाल कर के वह देश की जरूरत की चीजों को आयात करता है। इस सारे खेल में सबसे अधिक फायदा होता है अमेरिका को, क्योंकि वह अपने डॉलर से किसी भी देश से अपनी जरूरत की कोई भी चीज खरीद सकता है। अपनी जरूरतों के लिए उसे सिर्फ कुछ अतिरिक्त डॉलर छापने होंगे।
अमेरिका की करेंसी की मजबूती का इतिहास पुराना है। डॉलर पहली बार 1914 में छपा था। अमेरिका में फेडरल एक्ट लागू होने के साथ केंद्रीय बैंक के रूप में फेडरल रिजर्व की स्थापना हुई। उसके 1 साल बाद करेंसी की प्रिंटिंग शुरू हुई। फेडरल बैंक ने एंड्रयू जैक्सन की तस्वीर के साथ 10 डॉलर मूल्यवर्ग में पहली बार नोट जारी किया था। उसके 3 दशक बाद डॉलर आधिकारिक तौर पर दुनिया की रिजर्व करेंसी बन गई।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों ने अमेरिकी सप्लाई के बदले में सोने का भुगतान किया था। उसके बाद अमेरिका सोने का सबसे ज्यादा स्टोरेज करने वाला देश बनव गया। लड़ाई खत्म हुई तो गोल्ड स्टैंडर्ड को खत्म करने के लिए देशों ने अपनी करेंसी को डॉलर के सामने सरेंडर कर दिया। अमेरिका में पहली पेपर करेंसी का इस्तेमाल 1690 में उस समय हुआ था, जब मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी ने कॉलोनियल नोट जारी किए थे। इन नोटों का इस्तेमाल सैन्य अभियानों के लिए फंडिंग के तौर पर होता था। अमेरिका ने 1785 में आधिकारिक तौर पर डॉलर के सिंबल को अपनाया। तब से ये लगातार चलन में है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार सभी विदेशी बैंकों के करेंसी भंडार में 59 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है। हालांकि अमेरिका की इस करेंसी की मजबूत स्थिति के बावजूद एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार करेंसी ट्रेड दुनिया की करेंसी की लिस्ट में यह 10वें नंबर पर है। इस लिस्ट में पहले नंबर पर कुवैती दीनार है। लेकिन फिर भी डॉलर के बगैर कुछ नहीं।