एक व्यापार

मूल्य क्षय

मूल्य क्षय

पृष्ठ : कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४१५

४१४ कुल सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन . यह अपना में सोने की गरल में परिचलन में डालता है और उसके बदले वहां से उपभोग वस्तुएं II, निकालता है। II में सोना अंशतः सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इस प्रकार उत्पादक पूंजी के स्थिर घटक स के वास्तविक तत्व के रूप में कार्य करता है। जब ऐसा नहीं होता, तब द्रव्य के रूप में विद्यमान II के अंश के नाते वह फिर अपसंचय निर्माण का तत्व बन जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि Iस के सिवा , जिसका विश्लेषण 35 हमने मागे के लिए रख छोड़ा है, वास्तविक संचय , यानी विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन को छोड़कर माधारण पुनरुत्पादन में भी द्रव्य का एकत्रीकरण अथवा अपसंचय अनिवार्यतः शामिल है। और चूंकि इसकी प्रति वर्ष पुनरावृत्ति होती है, इसलिए इससे उस कल्पना की व्याख्या हो जाती है, जिससे हमने पूंजीवादी उत्पादन के विश्लेषण की शुरूयात की थी, यानी यह कि पुनरुत्पादन के प्रारंभ में माल विनिमय के अनुरूप द्रव्य पूर्ति I और II के पूंजीपति वर्गों के हाथ में होती है। परिचलनगत द्रव्य मूल्य ह्रास के कारण क्षय होनेवाली स्वर्ण राशि को निकाल देने पर भी ऐसा संचय होता ही है। कहना न होगा कि पूंजीवादी उत्पादन जितना ही विकसित होता है, सभी के हाथों में उतना ही अधिक द्रव्य संचित होता है और इसलिए नये स्वर्ण उत्पादन से इस अपसंचय में प्रति वर्ष जुड़नेवाली मात्रा उतना ही कम होगी, यद्यपि इस प्रकार जोड़ी हुई निरपेक्ष मात्रा बहुत काफ़ी हो सकती है। हम यहां एक बार फिर टूक के ख़िलाफ़ उठाई गई आपत्ति * पर सामान्य रूप में वापस आ जाते हैं। यह कैसे संभव है कि प्रत्येक पूंजीपति वार्पिक उत्पाद से द्रव्य रूप में वेशी मूल्य निकाले , यानी परिचलन में वह जितना द्रव्य डालता है, उससे अधिक निकाले , क्योंकि परिचलन में डाले हुए मूल्य क्षय तमाम द्रव्य का स्रोत अंततोगत्वा स्वयं पूंजीपति वर्ग को ही मानना होता है ? हम पहले (अध्याय १७ में ) प्रतिपादित विचारों का सार प्रस्तुत करके इसका उत्तर १) यहां एक ही कल्पना आवश्यक है, वह यह है कि वार्पिक पुनरुत्पादन की संहति के विभिन्न तत्वों के विनिमय के लिए सामान्यतः पर्याप्त द्रव्य उपलब्ध होता है। इस कल्पना में इस तथ्य से कोई फर्क नहीं पड़ता कि माल मूल्य का एक अंश वेशी मूल्य का होता है। मान लीजिये कि समस्त उत्पादन स्वयं श्रमिकों के अधिकार मूल्य क्षय में है और इसलिए उनका वेशी श्रम खुद उन्हीं के लिए किया हुआ, न कि पूंजीपतियों के लिए किया हुअा वेशी श्रम है, तव परिचालित माल मूल्यों की मात्रा वही होगी और अन्य सब बातें यथावत रहें, तो उनके परिचलन के लिए वही द्रव्य राशि अावश्यक होगी। इसलिए दोनों ही प्रसंगों में प्रश्न केवल यह है : माल मूल्यों के इस कुल योग के विनिमय को संभव बनानेवाला द्रव्य कहां से आता है ? प्रश्न यह है ही नहीं : वेणी मूल्य को द्रव्य में बदल देने मूल्य क्षय के लिए द्रव्य कहां से आता है ? अगर इस बात पर वापस जायें, तो यह सच है कि प्रत्येक माल में स++बे समाहित होते हैं और इसलिए समस्त माल राशि के परिचलन के लिए एक और पूंजी स+प के परिचलन के लिए एक निश्चित द्रव्य राशि आवश्यक होती है और दूसरी मूल्य क्षय ओर पूंजीपतियों की प्राय , ७ क्षेत्र I की स्थिर पूंजी के अंतर्गत नवोत्पादित स्वर्ण के विनिमय का अध्ययन पाण्डुलिपि में नहीं है।-फे० एं०

भौतिकवादी सभ्यता के हो रहे दास : स्वामी भूमानंद

निर्विवाद रूप से व्याप्त मूल्य-संकट के निदान के लिए हम लोगों को उसके कारण का पता लगाकर उपचार करना है। मूल्य क्षय के लिए वर्तमान समाज को दोष देने के बजाय हम लोगों को पहले इसकी उत्पति का मूल्य क्षय पता लगाना.

निर्विवाद रूप से व्याप्त मूल्य-संकट के निदान के लिए हम लोगों को उसके कारण का पता लगाकर उपचार करना है। मूल्य क्षय के लिए वर्तमान समाज को दोष देने के बजाय हम लोगों को पहले इसकी उत्पति का पता लगाना चाहिए। यह बातें बुधवार को सीआईआरडी भवन में मूल्य क्षय स्वामी भूमानंद तीर्थ ने पत्रकार वार्ता में कही। स्वामी तीर्थ ने कहा कि हमारी सभ्यता पृथ्वी पर भौतिक, सांस्कृतिक और ज्ञान कोश में सबसे अधिक समृद्ध थी। वर्तमान में हमलोग भौतिकवादी सभ्यता के दास हो गए हैं। इससे प्रदूषण और ग्लोबल वर्मिंग समेत अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गई है। उथल-पुथल से गुजरेहजारों वर्ष तक हम लोग अनेक उथल-पुथल से गुजरे। केवल हमारी आध्यात्मिक संस्कृति, ज्ञान और मूल्यों के समान रूप से व्यक्तिगत एवं समाज के पूर्ण कल्याण को सुनिश्चित किया। नोटबंदी देशहित मेंस्वामी तीर्थ ने केंद्र सरकार के नोटबंदी पर कहा कि यह देशहित में है। जिस दिन रात में आठ बजे पांच सौ और हजार के नोट बंद करने की घोषणा की गई, उसे बारह बजे के बजाय उसी समय से लागू कर देना चाहिए था। चार घंटे के समय में लोगों ने काफी मूल्य क्षय मात्रा में सोना की खरीदारी की, जिससे उसका दाम बढ़ गया।

मूल्य क्षय

जल्दी खराब संपत्ति बेचने के लिए पावर.

459. ऐसी संपत्ति के अधिकार के हकदार व्यक्ति अज्ञात या अनुपस्थित है और संपत्ति तेजी से और प्राकृतिक क्षय के अधीन है, या मजिस्ट्रेट इसकी जब्ती की सूचना दी है जिसे अगर इसकी बिक्री मालिक के लाभ के लिए हो सकता है, या होता राय है कि यदि ऐसी संपत्ति का मूल्य कम से कम है कि 1 [पांच सौ] रुपए, मजिस्ट्रेट किसी भी समय इसे बेचा जा करने के लिए प्रत्यक्ष कर सकते हैं; और वर्गों 457 और 458 के प्रावधानों के रूप में लगभग साध्य हो सकता है, के रूप में इस तरह के बिक्री की शुद्ध आय को लागू नहीं होगी.

1आपराधिक प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2005 से प्रभावी द्वारा "दस" के लिए एवजी 23-6-2006.

टीबी रोग के खात्मे को प्रशिक्षु नर्सों ने निकाली रैली

मंडी में क्षय रोग के प्रति जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाते स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह।

जोनल अस्पताल मंडी में क्षय रोग के प्रति जागरूकता के लिए प्रशिक्षु नर्सों ने मंगलवार को रैली निकाली। जिलास्तरीय रैली को स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने हरी झंडी दिखाई। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को क्षय रोग से पूर्णतया मुक्त करने के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग सार्थक कार्य कर रहा है।

राज्य सरकार एमडीआर टीबी रोगियों के लिए उचित मूल्य की सार्वजनिक वितरण दुकानों से पोषाहार सहयोग देने की भी शुरुआत करने जा रही है। मंडी जिला में शीघ्र ही बहु दवाई प्रतिरोधक टीबी केंद्र स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में यह सुविधा केवल टांडा मेडिकल कॉलेज और टीबी सेनिटोरियम धर्मपुर में ही उपलब्ध है। राज्य के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार एवं निगरानी केंद्र कार्यरत हैं।

प्रदेश सरकार ने आशा वर्करों को इन केंद्रों के साथ जोड़ने की शुरुआत की है और इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। हिमाचल में जनवरी-दिसंबर 2015 तक क्षय रोग के कुल 14333 रोगियों का उपचार किया गया और सफलता की दर 90 प्रतिशत रही। बहु-दवाई प्रतिरोधक टीबी के 347 रोगी अपना इलाज करवा रहे हैं। मंडी जिला में इस अवधि के दौरान 2358 क्षय मूल्य क्षय रोगियों का उपचार किया गया और सफलता की दर 91 प्रतिशत रही। बहु-दवाई प्रतिरोधक टीबी के 62 रोगी अपना इलाज करवा रहे हैं। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष चंपा ठाकुर, मंडी जिला कांग्रेस के महासचिव चंद्रशेखर ठाकुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देस राज शर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जोगेंद्र ठाकुर और अन्य मौजूद रहे।

जोनल अस्पताल मंडी में क्षय रोग के प्रति जागरूकता के लिए प्रशिक्षु नर्सों ने मंगलवार को रैली निकाली। जिलास्तरीय रैली को स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने हरी झंडी दिखाई। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को क्षय रोग से पूर्णतया मुक्त करने के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग सार्थक कार्य कर रहा है।

राज्य सरकार एमडीआर टीबी रोगियों के लिए उचित मूल्य की सार्वजनिक वितरण दुकानों से पोषाहार सहयोग देने की भी शुरुआत करने जा रही है। मंडी जिला में शीघ्र ही बहु दवाई प्रतिरोधक टीबी केंद्र स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में यह सुविधा केवल टांडा मेडिकल कॉलेज और टीबी सेनिटोरियम धर्मपुर में ही उपलब्ध है। राज्य के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार एवं निगरानी केंद्र कार्यरत हैं।

प्रदेश सरकार ने आशा वर्करों को इन केंद्रों के साथ जोड़ने की शुरुआत की है और इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। हिमाचल में जनवरी-दिसंबर 2015 तक क्षय रोग के कुल 14333 रोगियों का उपचार किया गया और सफलता की दर 90 प्रतिशत रही। बहु-दवाई प्रतिरोधक टीबी के 347 रोगी अपना इलाज करवा रहे हैं। मंडी जिला में इस अवधि के दौरान 2358 क्षय रोगियों का उपचार किया गया और सफलता की दर 91 प्रतिशत रही। बहु-दवाई प्रतिरोधक टीबी के 62 रोगी अपना इलाज करवा रहे हैं। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष चंपा ठाकुर, मंडी जिला कांग्रेस के महासचिव चंद्रशेखर ठाकुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देस मूल्य क्षय राज शर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जोगेंद्र ठाकुर और अन्य मौजूद रहे।

स्वास्थ्य

किसी भी क्षेत्र की समृद्धि में नागरिक मूल्य क्षय स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विकास एवं प्रसार से ही जनसाधारण को स्वस्थ रखा जा सकता हैं। इसी पृष्ठ भूमि में देश में सबके लिये स्वास्थ्य की राष्ट्रीय नीति अपनाई गयीं इस नीति के अन्तर्गत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का इस प्रकार प्रसार किया जाना अपेक्षित है कि इस शताब्दी के अन्त तक कोई भी नागरिक इन सुविधाओं से वंचित न रह सके। राज्य सरकार द्वारा भी राष्ट्रीय नीति का अनुसरण करते हुए प्रदेश में विभिन्न चिकित्सा पद्वतियों के चिकित्सालय एवं औषद्यालय खोलने, पुराने एवं जीर्ण-शीर्ण चिकित्सालयों के सुदृढीकरण तथा सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं केन्द्रों के प्रसार किये जा रहे हैं। जनपद में 26 राजकीय सार्वजनिक चिकित्सालय एवं औषद्यालय कार्यरत हैं। एक क्षय मूल्य क्षय रोग चिकित्सालय भी कार्यरत है।

वर्ष 2015-16 में 26 एलोपैथिक चिकित्सालय/औषधालय, 15 होम्योपैथिक चिकित्सालय/औषधालय, 23 आयुर्वेदिक चिकित्सालय/औषधालय तथा 1 यूनानी चिकित्सालय/औषधालय कार्यरत हैं। इनमें से आयुर्वेदिक चिकित्सालयों/औषधालयों में कुल 112 शैय्याये, होम्योपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों में शून्य मूल्य क्षय शैय्यायें व यूनानी चिकित्सालयों/औषधालयों में कुल 4 शैय्यायें हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में कुल 245 डाक्टर, यूनानी चिकित्सालयों में कुल 1 डाक्टर व होम्योपैथिक चिकित्सालयों में कुल 16 डाक्टर कार्यरत हैं।

वर्ष 2015-16 में कुल टीकाकरण की संख्या इस प्रकार रही। बी0सी0जी0 के टीकों की संख्या 91819, डी0पी0टी0 के टीकों की संख्या 93063, मीसिल्स के टीकों की संख्या 99507, टी0टी0 (माॅं) के टीकों की संख्या 78495, आयरन (माॅं) के टीकों की संख्या 65480, आयरन (शिशु) के टीकों की संख्या 40630, विटा0 ए0 की संख्या 98122 एवं टी0टी0 (16 वर्ष) के टीकों की संख्या 51422, टी0टी0 ( 10 वर्ष ) के टीकों की संख्या 62185 रही। एन0एस0डी0 की संख्या 49, सी0यू0 की संख्या 18671, सी0सी0यूसर की संख्या 5596 एवं इन्स्टीट्यूशनल डिलीवरी संख्या 62707 रही।

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