आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं?

किसी भी देश की उन्नति वहां के वैज्ञानिक, राजनीतिक, अर्थशास्त्री, भूगोलवेत्ता एवं नीति निर्धारक के सहयोग से होती है और इनका सहयोग आर्थिक भूगोल से होता है आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत आर्थिक वस्तुओं का उत्पादन, उपभोग का स्थानीयकरण का अध्ययन किया जाता है। आरम्भ में प्रत्येक वस्तु का विश्व वितरण एवं उत्पादन का अध्ययन किया जाता था। इनका भौगोलिक पर्यावरण से सम्बन्ध तथा आर्थिक क्षेत्रों का सीमांकन करना भी इसके अध्ययन में समिलित किया जाता है।
आर्थिक भूगोल/परिचय
आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं [१] जिसमें भूतल पर मानवीय आर्थिक क्रियाओं,जैसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पायी जाने वाली विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं के वितरण प्रतिरूपों तथा उन कारकों एवं प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है जो भूतल पर इन प्रतिरूपों के क्षेत्रीय विभेदशीलता को प्रभावित करते हैं। आर्थिक भूगोल में मृदा, जल, जैव तत्त्व, खनिज, ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों, आखेट, मत्स्य पालन,पशुपालन, वनोद्योग, कृषि, विनिर्माण उद्योग, परिवहन,संचार, व्यापार, वाणिज्य,आदि आर्थिक क्रियाओं आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? तथा अन्य आर्थिक पक्षों एवं संगठनों के अध्ययनों को सम्मिलित करते है। [२] प्रारंभ में आर्थिक भूगोल को पहले मानव भूगोल एवं बाद में सामाजिक भूगोल की मुख्य शाखा माना गया था, परंतु वर्तमान में आर्थिक भूगोल स्वयं भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा बन गई है। आर्थिक भूगोल हमें ऐसे प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राप्ति और वितरण आदि से परिचित कराता है जिनके द्वारा वर्तमान में किसी देश की आर्थिक उन्नति हो सकती है। इसके द्वारा ही हमें पता चलता है कि किसी देश में आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? पाई जाने वाली प्राकृतिक संपत्ति का किस विधि द्वारा, कहां पर और किस कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है। भूगोल किसी राष्ट्र की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को निर्धारित कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति एक पर्वत श्रृंखला के साथ काम कर रहा है, तो परिवहन उसके लिए उतना कठिन हो सकता है जितना कि सोच नहीं सकता है। हालाँकि एक ही परिस्थिति में देश के धन को जोड़ने के लिए मूल्यवान खनिज उपलब्ध हो सकते हैं। नदियों को महंगे पुलों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन वे सस्ते परिवहन और बिजली उत्पादन कर सकते हैं। उत्तरी अमेरिका के मध्य को कभी ग्रेट अमेरिकन मरूस्थल कहा जाता था क्योंकि इसमें पेड़ों की कमी थी एवं इसमें खेती करना बहुत ही मुश्किल था। प्रेयरी घासें लगभग छह फीट ऊंची थी, लेकिन भूमि में उपजापन थी । परन्तु लोहे के हल के आविष्कार के साथ, यह भूमि बंजर से लाभदायक हो गई थी। इस प्रकार, अंतिम विश्लेषण में किसी राष्ट्र का अधिकांश अर्थशास्त्र कम से कम कुछ हद तक उसके भूगोल पर निर्भर है। आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत उसके कार्य-क्षेत्र, मानव के प्राथमिक एवं गौण व्यवसाय तथा क्रियाएं (शिकार करना, वस्तुएं एकत्रित आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? करना, लकड़ी काटना, मछली पकड़ना, पशुपालन, कृषि करने एवं खनन करने, आदि), विश्व के औद्योगिक प्रदेश एवं उनके प्रमुख उद्योग (लोहा-इस्पात, वस्त्र, आदि), परिवहन के साधन, पत्तन एवं नगरों का विकास तथा व्यापार, आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है।
आर्थिक भूगोल का अध्ययन इस बात की ओर संकेत करता है कि किस स्थान पर कौन सा विशेष उद्योग स्थापित किया जा सकता है। इसके अध्ययन से यह ज्ञात हो सकता है कि विशेष जलवायु के अनुसार किसी देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कच्चा माल, भोज्य पदार्थ अथवा यंत्र आदि कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं। आर्थिक भूगोल के अध्ययन से इन बातों का भी ज्ञान हो सकता है
सामग्री
भूगोल विषय के कई अंग होते हैं। प्राकृतिक वातावरण का वर्णन प्राकृतिक भूगोल में किया जाता है। मानवीय क्रियाओं का वर्णन मानवीय भूगोल का विषय है इन दोनों का एक दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन आर्थिक भूगोल का विषय है। इनके अतिरिक्त भिन्न-भिन्न देशों का वर्णन राजनीतिक भूगोल का लाता है पृथ्वी का विस्तार उसकी ग्रहों एवं नक्षत्रों से दूरी आदि का अध्ययन गणित संबंधी भूगोल का विषय है भूगोल के इन दोनों अंगों का संबंध किसी न किसी प्रकार आर्थिक भूगोल से अवश्य है। [४] आर्थिक भूगोल का विषय इतना विस्तृत है कि इसका संबंध न केवल भूगोल के भिन्न-भिन्न अगों से है परंतु अन्य विषय भी इससे संबंधित है। उदाहरण के लिए लोहे के कारखाने का वर्णन करते समय यह बताया जाता है कि लोहा और कोयला कहां मिलता है यह भूगर्भ विद्या का विषय है। कृषि की आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? उपज पढ़ते समय यह ज्ञात किया जाता है कि गेहूं और चावल भिन्न-भिन्न जलवायु में पैदा होते हैं अतः यह जलवायु विज्ञान का विषय है। विश्वत रेखा के निकट है घने वन क्यों है वहीं दूसरी ओर सहारा यूं वृक्ष क्यों नहीं है यह वनस्पति विज्ञान का विषय है।आर्थिक भूगोल में इन सभी विषयों की सहायता लेनी पड़ती है इसलिए आर्थिक भूगोल अनेक विषयों से संबंधित है।
आर्थिक भूगोल/परिचय
आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं [१] जिसमें भूतल पर मानवीय आर्थिक क्रियाओं,जैसे एक आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? स्थान से दूसरे स्थान पर पायी जाने वाली विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं के वितरण प्रतिरूपों तथा उन कारकों एवं प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है जो भूतल पर इन प्रतिरूपों के क्षेत्रीय विभेदशीलता को प्रभावित करते हैं। आर्थिक भूगोल में मृदा, जल, जैव तत्त्व, खनिज, ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों, आखेट, मत्स्य पालन,पशुपालन, वनोद्योग, कृषि, विनिर्माण उद्योग, परिवहन,संचार, व्यापार, वाणिज्य,आदि आर्थिक क्रियाओं तथा अन्य आर्थिक पक्षों एवं संगठनों के अध्ययनों को सम्मिलित करते है। [२] प्रारंभ में आर्थिक भूगोल को पहले मानव भूगोल एवं बाद में सामाजिक भूगोल की मुख्य शाखा माना गया था, परंतु वर्तमान में आर्थिक भूगोल स्वयं भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा बन गई है। आर्थिक भूगोल हमें ऐसे प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राप्ति और वितरण आदि से परिचित कराता है जिनके द्वारा वर्तमान में किसी देश की आर्थिक उन्नति हो सकती है। इसके द्वारा ही हमें पता चलता है कि किसी देश में पाई जाने वाली प्राकृतिक संपत्ति का किस विधि द्वारा, कहां पर और किस कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है। भूगोल किसी राष्ट्र की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को निर्धारित कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति एक पर्वत श्रृंखला के साथ काम कर रहा है, तो परिवहन उसके लिए उतना कठिन हो सकता है जितना कि सोच नहीं सकता है। हालाँकि एक ही परिस्थिति में देश के धन को जोड़ने के लिए मूल्यवान खनिज उपलब्ध हो सकते हैं। नदियों को महंगे पुलों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन वे सस्ते परिवहन और बिजली उत्पादन कर सकते हैं। उत्तरी अमेरिका के मध्य को कभी ग्रेट अमेरिकन मरूस्थल कहा जाता था क्योंकि इसमें पेड़ों की कमी थी एवं इसमें खेती करना आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? बहुत ही मुश्किल था। प्रेयरी घासें लगभग छह फीट ऊंची थी, लेकिन भूमि में उपजापन थी । परन्तु लोहे के हल के आविष्कार के साथ, यह भूमि बंजर से लाभदायक हो गई थी। इस प्रकार, अंतिम विश्लेषण में किसी राष्ट्र का अधिकांश अर्थशास्त्र कम से कम कुछ हद तक उसके भूगोल पर निर्भर है। आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत उसके कार्य-क्षेत्र, मानव के प्राथमिक आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? एवं गौण व्यवसाय तथा क्रियाएं (शिकार करना, वस्तुएं एकत्रित करना, लकड़ी काटना, मछली पकड़ना, पशुपालन, कृषि करने एवं खनन करने, आदि), विश्व के औद्योगिक प्रदेश एवं उनके प्रमुख उद्योग (लोहा-इस्पात, वस्त्र, आदि), परिवहन के साधन, पत्तन एवं नगरों का विकास तथा व्यापार, आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है।
आर्थिक भूगोल का अध्ययन इस बात की ओर संकेत करता है कि किस स्थान पर कौन सा विशेष उद्योग स्थापित किया जा सकता है। इसके अध्ययन से यह ज्ञात हो सकता है कि विशेष जलवायु के अनुसार किसी देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कच्चा माल, भोज्य पदार्थ अथवा यंत्र आदि कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं। आर्थिक भूगोल के अध्ययन से इन बातों का भी ज्ञान हो सकता है
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भूगोल विषय के कई अंग होते हैं। प्राकृतिक वातावरण का वर्णन प्राकृतिक भूगोल में किया जाता है। मानवीय क्रियाओं का वर्णन मानवीय भूगोल का विषय है इन दोनों का एक दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन आर्थिक भूगोल का विषय है। इनके अतिरिक्त भिन्न-भिन्न देशों का वर्णन राजनीतिक भूगोल का लाता है पृथ्वी का विस्तार उसकी ग्रहों एवं नक्षत्रों से दूरी आदि का अध्ययन गणित संबंधी भूगोल का विषय है भूगोल के इन दोनों अंगों का संबंध किसी न किसी प्रकार आर्थिक भूगोल से अवश्य है। [४] आर्थिक भूगोल का आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? विषय इतना विस्तृत है कि इसका संबंध न केवल भूगोल के भिन्न-भिन्न अगों से है परंतु अन्य विषय भी इससे संबंधित है। उदाहरण के लिए लोहे के कारखाने का वर्णन करते समय यह बताया जाता है कि लोहा और कोयला कहां मिलता है यह भूगर्भ विद्या का विषय है। कृषि की उपज पढ़ते समय यह ज्ञात किया जाता है कि गेहूं और चावल भिन्न-भिन्न जलवायु में पैदा होते हैं अतः यह जलवायु विज्ञान का विषय है। विश्वत रेखा के निकट है घने वन क्यों है वहीं दूसरी ओर सहारा यूं वृक्ष क्यों नहीं है यह वनस्पति विज्ञान का विषय है।आर्थिक भूगोल में इन सभी विषयों की सहायता लेनी पड़ती है इसलिए आर्थिक भूगोल अनेक विषयों से संबंधित है।
आप उपभोग करने के लिए सीमांत प्रवृत्ति की गणना कैसे करते हैं?
सीमान्तिक प्रवृत्ति (एमपीसी) को उपभोग करने के लिए सैद्धांतिक गणितीय गणना के बारे में जानें, जो किनेसियन गुणक में महत्वपूर्ण चर है।
किसी व्यक्ति की आय को बचाने के लिए उनकी सीमांत प्रवृत्ति को कैसे प्रभावित करता है?
यह पता चलता है कि एक व्यक्ति की आमदनी आम तौर पर कैसे बचाने के लिए उसकी सीमांत प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकती है और उसकी सीमांत प्रवृत्ति का उपभोग करती है।
किस तरह से एक मंदी की संभावना अर्थव्यवस्था में सीमांत-प्रवृत्ति-से-बचाने की दर को प्रभावित करती है?
सीखें कि मंदी को अक्सर बचाने के लिए सीमांत प्रवृत्ति में वृद्धि के साथ और यह कि क्या यह एक संबंधित प्रवृत्ति है
B2B ईकामर्स बिजनेस मॉडल नुकसान
अन्य व्यवसाय मॉडल की तरह, B2B ईकामर्स बिजनेस मॉडल कुछ दोष भी हैं, जो हैं:
सीमित बाजार
की तुलना में बी 2 सी मॉडल, इस प्रकार के व्यवसाय का एक सीमित बाजार आधार होता है क्योंकि यह व्यवसायों के बीच लेनदेन से संबंधित होता है। यह इसे छोटे और मध्यम ईकामर्स व्यवसायों के लिए एक जोखिम भरा उद्यम बनाता है।
लंबा निर्णय
यहाँ, अधिकांश खरीद निर्णयों में एक लंबी प्रक्रिया शामिल है क्योंकि इसमें दो व्यवसाय शामिल हैं। इस प्रक्रिया में कई आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? हितधारकों और निर्णय निर्माताओं पर निर्भरता शामिल हो सकती है।
उलटा संरचना
अन्य मॉडलों की तुलना में, उपभोक्ताओं के पास B2B व्यापार मॉडल में विक्रेताओं की तुलना में अधिक निर्णय लेने की शक्ति है। वे अनुकूलन की मांग कर सकते हैं, विनिर्देशों को लागू कर सकते हैं और मूल्य दरों को कम करने का प्रयास कर सकते हैं।
B2B वाणिज्य में रुझान
छोटी खरीदार खंड
हाल के आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं? बाजार के आँकड़े सुझाव है कि B2B खरीदारों में से लगभग आधे युवा, तकनीक-प्रेमी और परिष्कृत हैं। ये खरीदार ग्राहक द्वारा संचालित वेबसाइटों की तरह उपयोग में अधिक आसानी की उम्मीद करते हैं। युवा खरीदार खंडों की अनूठी खरीदारी प्राथमिकताएं B2B व्यवसायों को लंबी अवधि में बढ़ने में मदद करेंगी।
मोबाइल वाणिज्य
मोबाइल कॉमर्स यहां प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में एक प्रवृत्ति के रूप में रहने के लिए है। यह B2B मार्केटिंग का चेहरा बदल रहा है B42B ग्राहकों का 2% खरीद प्रक्रिया के दौरान मोबाइल उपकरणों का उपयोग करें। कीमतों की तुलना करने से लेकर अन्य सुविधाओं की अधिकता को देखने के लिए, नए युग के खरीदार खरीदारी करने के लिए अधिक से अधिक मोबाइल उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
निजीकरण
खरीदारी को और अधिक मोबाइल के अनुकूल बनाने के कार्य पर और अनुकूलित, वैयक्तिकरण एक और प्रवृत्ति है जो B2B . की मदद करेगी व्यवसाय लंबे समय में सफल होते हैं। दुनिया भर में बहुत सी कंपनियां पहले से ही परिष्कृत . को लागू कर रही हैं निजीकरण गतिशील मूल्य निर्धारण देने के लिए मूल्य अनुकूलन एल्गोरिदम के रूप में। अंततः व्यक्तिगत अनुभव बनाना आने वाले वर्षों में अधिक लाभदायक B2B बिक्री तक पहुंचने वाला होगा।
फिर भी, यह अंततः व्यवसाय पर निर्भर करता है कि वह अपने व्यापार के दृष्टिकोण, राजस्व लक्ष्य और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के आधार पर अपने उद्यम को आगे कैसे ले जाए।
सौंदर्य क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं तो नेल एक्सटेंशन फ्रेंचाइजी में निवेश करें
नाखून देखभाल उद्योग सौंदर्य उद्योग में सबसे अधिक बढ़ते क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है, क्योंकि यह महिलाओं के फैशन का एक अभिन्न अंग बन गया है। जबकि नेल कलर में बार-बार बदलाव की प्रवृत्ति बाजार के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, लेकिन बढ़ती फैशन और सौंदर्य चेतना, महिलाओं के बीच और उपभोक्ताओं की बढ़ती हुई क्षमता, उद्योग को प्रासंगिक बढ़ावा भी प्रदान कर रही है। सौंदर्य प्रसाधन, फैशन और नेल पॉलिश तकनीक के नए विकास ने नेल सैलून उद्योग में रुझान के लिए गति निर्धारित की है।
नाखून देखभाल खंड को बाधित करने वाले प्रमुख रुझानों में से एक है- नेल एक्सटेंशन। नाखून एक्सटेंशन ने लोकप्रियता में वृद्धि की तकनीक के साथ "नाखून उद्योग में क्रांति ला दी है"। पहले केवल मशहूर हस्तियों के लिए उपलब्ध, नाखून विस्तार सेवा अब छलांग और सीमा बढ़ रही है और एक अभूतपूर्व दर से विस्तार करना जारी है। नीचे निम्नलिखित कारण बताए गए हैं कि आपको नाखून विस्तार उद्योग में क्यों निवेश करना चाहिए।