एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर
पाबंदियों का सामना करने के बाद अब सख्त रेगुलेशंस की आशंकाओं के बीच, वर्चुअल एसेट को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। पाबंदियों का सामना करने के बाद अब सख्त रेगुलेशंस की आशंकाओं के बीच, इस वर्चुअल एसेट को कई गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ा है। भारत में क्रिप्टोकरेंसीज के फ्यूचर को लेकर अनिश्चितता के बावजूद, अनरेगुलेटेड डिजिटल एसेट्स खासकर बिटकॉइन में निवेश एसेट क्लास के रूप में मुद्रा का ट्रेंड 2020 के बाद काफी बढ़ा है। कई घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस से मिले डाटा से पता चलता है कि 1.5-2 करोड़ भारतीयों ने इस वर्चुअल एसेट क्लास के रूप में मुद्रा एसेट में निवेश किया है। इससे इस साल नवंबर में यह 10 अरब डॉलर के लेवल पर जा चुका है। क्रिप्टोकरेंसी अपनाने वालों की बढ़ती संख्या से देश में निवेश का तरीका बदल गया है, जो अभी तक गोल्ड और अन्य सुरक्षित एसेट्स में निवेश करते रहे हैं। बहुप्रतीक्षित क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफीशियल डिजिटल करेंसी बिल आने से पहले, वर्चुअल एसेट्स के अभी तक के सफर पर नजर डालते हैं।
2008: क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत
साल 2008 में एक सातोशी नाकामोटो नाम के छद्म नाम वाले एक डेवलपर द्वारा “बिटकॉइनः एक पीयर टू पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम” शीर्षक वाले पेपर के प्रकाशन के साथ क्रिप्टोकरेंसी का सफर शुरू हुआ था।
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2010: क्रिप्टो की पहली बिक्री
दो साल बाद, बिटकॉइन के इस्तेमाल से पहली बार कोई सामान बिका जब एक शख्स ने दो पिज्जा के बदलने में 10,000 बिटकॉइन का भुगतान किया। इस तरह, पहली बार क्रिप्टोकरेंसी के साथ कैश वैल्यू जुड़ गई। कुछ समय बाद ही लाइटकॉइन, नेमकॉइन और स्विफ्टकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी सामने आईं और डिजिटल असेट को लेकर आकर्षण बढ़ने लगा।
2013: RBI ने जारी किया क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित पहला सर्कुलर
भारत में क्रिप्टो इनवेस्टमेंट बढ़ने और जेबपे, पॉकेट बिट्स, कॉइनसिक्योर, कॉइनेक्स और यूनोकॉइन जैसे एक्सचेंजेस के सामने आने से, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 2013 में एक सर्कुलर जारी करके यूजर्स को वर्चुअल करंसी से जुड़े संभावित जोखिमों को लेकर आगाह किया।
2016-2018 : डिमोनेटाइजेशन और आरबीआई का क्रिप्टो पर बैंकिंग बैन
डिमोनेटाइजेशन के प्रयोग के चलते डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता मिलने से क्रिप्टो इनवेस्टमेंट को अनचाहा प्रोत्साहन मिला और टेक सेवी कस्टमर्स इन वर्चुअल असेट्स की ओर आकर्षित हुए। भारतीय बैंकों ने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस पर ट्रांजैक्शन को अनुमति देना चाही रखा, जिसके एसेट क्लास के रूप में मुद्रा चलते आरबीआई को 2017 में एक अन्य सर्कुलर जारी करके वर्चुअल कॉइंस को लेकर अपनी आशंकाएं सामने रखनी पड़ीं। आखिर में, 2017 के अंत में आरबीआई और वित्त मंत्रालय द्वारा एक चेतावनी जारी करके कहना पड़ा कि वर्चुअल करंसी लीगल टेंडर नहीं हैं।
मार्च, 2018 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डिजिटल टैक्स (सीबीडीटी) ने वित्त मंत्रालय को वर्चुअल करंसीजी पर प्रतिबंध के लिए एक ड्राफ्ट स्कीम सौंपी और इसके ठीक एक महीने बाद आरबीआई ने बैंकों, एनबीएफसी और पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स को वर्चुअल करंसीज एसेट क्लास के रूप में मुद्रा के साथ लेनदेन और वर्चुअल करंसी एक्सचेंजेस को सेवाएं उपलब्ध कराने से रोकने वाला एक सर्कुलर जारी किया। इससे क्रिप्टो एक्सचेंजेस को बड़ा झटका लगा और उनका ट्रेडिंग वॉल्यूम 99 फीसदी तक गिर गया।
नवंबर, 2018 : #IndiaWantsCrypto
नाकामोतो के पेपर के 10 साल बाद 1 नवंबर, 2018 को वजीरएक्स के फाउंडर निश्चल शेट्टी ने में क्रिप्टो एसेट क्लास के रूप में मुद्रा के पॉजिटिव रेग्युलेशन के लिए #IndiaWantsCrypto कैंपेन की शुरुआत की। इसका शुरुआती प्रभाव तक सामने आया, जब राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की तरफ से इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इस कैंपेन से बाद में यूनोकॉइन के सात्विक विश्वनाथ, पोलिगॉन की को-फाउंडर जयंती कैनानी, जाने माने एंटरप्रेन्योर और इनवेस्टर एंथोनी पॉम्पलियानो और डीजे निखिल चिनप्पा भी जुड़ गए। निश्चल के लगातार ट्वीट और कैंपेन के लिए सपोर्ट के चलते फरवरी में बजट सेशन के दौरान ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंडिंग के साथ व्यापक स्वीकृति मिली, जहां क्रिप्टो बिल का ऐलान किया गया। जुलाई, 2021 में #IndiaWantsCrypto को 1000 दिन पूरे हो गए और यह कैंपेन निश्चल के ट्वीट्स के साथ अभी भी मजबूत बना हुआ है और लाखों क्रिप्टो के समर्थक इससे जुड़ रहे हैं।
मार्च 2020 : सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टो बैंकिंग बैन को रद्द किया
बैन एक बड़ा झटका था एसेट क्लास के रूप में मुद्रा और इसके चलते क्रिप्टो एक्सचेंजेस ने सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल कीं। आखिरकार बैन रद्द हो गया, आरबीआई के सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।
इस प्रकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस में फिर से जान पड़ गई और एससी का फैसला सबसे अच्छे समय पर आया जो क्रिप्टो बूम से मेल खाता है।
2021 : क्रिप्टो बिल की एसेट क्लास के रूप में मुद्रा घोषणा
हालांकि, भारत में क्रिप्टोकरेंसीज का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। 29 जनवरी, 2021 को भारत सरकार ने ऐलान किया कि वह एक सॉवरेन डिजिटल करंसी बनाने के लिए एक बिल पेश करेगी और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर अपने आप ही बैन लग जाएगा। नवंबर, 2021 में, फाइनेंस पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने ब्लॉकचेन एंड क्रिप्टो असेट काउंसिल (बीएसीसी) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें निष्कर्ष निकला कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन नहीं लगना चाहिए, बल्कि उन्हें रेग्युलेट होन चाहिए। दिसंबर, 2021 की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसीज पर एक बैठक की।
बॉटम लाइन
मौजूदा संकेतों को देखें, भारत में क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लागू किया जाएगा। इस मुद्दे को कौन सी रेगुलेटरी बॉडी देखेगी, इस पर भी फैसला लिया जाएगा। ज्यादा उम्मीद है कि सरकार क्रिप्टो के साथ एक असेट क्लास के रूप में व्यवहार करेगी, न कि करंसी के रूप में। एक्सपर्ट्स की राय है कि रेगुलेशंस से ज्यादा पारदर्शिता आएगी और क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी। फ्रॉड रोकने और क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन की निगरानी के लए भी कदम उठाए जा सकते हैं। अनरेगुलेटेड डिजिटल असेट्स के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता बीते दो साल में तेजी से बढ़ी है, जिससे भारत इसका सबसे बड़ा इनवेस्टर बन गया है। इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में बिल आने के बाद भारत में क्रिप्टो का सफर क्या मोड़ लेती है।
डिस्क्लेमर: क्रिप्टो करेंसी एक अनरेगुलेटेड डिजिटल करेंसी है। यह एक वैध मुद्रा नहीं है और बाजार जोखिमों के अधीन है। इस लेख में दिए गए विचार और राय लेखक के अपने निजी विचार और राय हैं। इसको किसी तरह की निवेश सलाह या WazirX(वजीरेक्स) की आधिकारिक राय न माना जाए।
What is NDF Market in Hindi | NDF मार्केट क्या है? और यह कैसे काम करता है, जानिए सबकुछ
NDF Market in Hindi: तेजी से हाई रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के बीच करेंसी ट्रेडिंग (Currency Trading) बहुत लोकप्रिय एसेट क्लास के रूप में मुद्रा हो रहे है। NDF मार्केट कैसे काम करता है? (How does NDF market work in India?) और NDF मार्केट क्या है? (What is NDF Market in Hindi) यह जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें। यहां NDF Market in Hindi से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिलेगी।
NDF Market in Hindi: विविधीकरण (Diversification) की तलाश में भारतीय निवेशक कई तरह के एसेट क्लास पर विचार करते हैं। कुछ इक्विटी में गोता लगाते हैं, तो कुछ डेरिवेटिव (Derivatives) में निवेश करना पसंद करते है। लेकिन तेजी से हाई रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के बीच करेंसी ट्रेडिंग (Currency Trading) बहुत लोकप्रिय है। इस सेक्टर में रुचि में भारी वृद्धि हुई है, और इसके परिणामस्वरूप भारत में करेंसी ट्रेडिंग की मात्रा बढ़ी है। हालांकि, कुछ निवेशकों का मानना है कि भारतीय मुद्रा बाजार अत्यधिक विनियमित है और इसमें बोझिल दस्तावेज, KYC, और कठोर नियम और दिशानिर्देश शामिल हैं। इससे यह गलत धारणा बन जाती है कि लंबे समय में उनकी लाभ क्षमता प्रभावित होती है।
जो निवेशक ऐसे नियमों से निपटना नहीं चाहते हैं, वे सुनिश्चित करते हैं कि वे एक ऐसे मार्किट में करेंसी में व्यापार करते हैं जो लचीला है और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित नहीं है। ऐसे निवेशक भारत के बाहर करेंसी में ट्रेड करने के लिए नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड (Non-deliverable Forwards) या एनडीएफ (NDF) का उपयोग करते हैं। लेकिन इससे पहले कि आप जानें की NDF मार्केट क्या है? (What is NDF Market in Hindi) और यह कैसे काम करता है? (How does NDF market work in India?) कुछ चीजें हैं जिन्हें आपको पहले समझना चाहिए।
करेंसी ट्रेडिंग क्या है? | What is Currency Trading in Hindi
Currency Trading in Hindi: करेंसी ट्रेडिंग मुद्राओं के आदान-प्रदान को संदर्भित करता है, जहां करेंसी वैल्यू में अंतर का उपयोग मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है। यह एक बहुत बड़ा मार्किट है, जिसकी ट्रेडेड वैल्यू इक्विटी से अधिक है। कुछ साल पहले Currency Trading बड़े बैंकों और कॉर्पोरेशन तक ही सीमित था। अब बढ़ती टेक्नोलॉजी ने रिटेल इन्वेस्टर को करेंसी ट्रेडिंग तक आसान पहुंच प्रदान की है, और यहां तक कि इंडिविजुअल इन्वेस्टर भी इसे निवेश के लिए एक आकर्षक अवसर मानते हैं।
बता दें कि मार्केट हमेशा एक सिद्धांत पर काम करता है और करेंसी का हमेशा जोड़े (Pair) में कारोबार होता है। उदाहरण के लिए -
- भारतीय रुपया vs यूनाइटेड स्टेट्स डॉलर (USD-INR)
- भारतीय रुपया vs यूरो (EUR-INR)
- भारतीय रुपया vs ग्रेट ब्रिटेन पाउंड (GBP-INR)
- भारतीय रुपया vs जापान की येन (JPY-INR)
करेंसी ट्रेडिंग दो प्रकार के होते हैं? | Types of Currency Market
1) ऑनशोर मार्केट (Onshore Market)
ऑनशोर मार्केट देश का लोकल करेंसी मार्केट है जिसमें व्यापारी कानूनी नागरिक होता है। उदाहरण के लिए भारतीय नागरिकों के लिए भारत में फोरेक्स ट्रेड मार्केट Onshore Market होगा। इसके नियम पहले से निर्धारित होते है Currency Trading एक ऑनशोर मार्केट में कई टैक्स लियाबिल्टी के साथ आता है। अधिकांश करेंसी ट्रेडिंग अपने व्यापार को ऑनशोर मार्केट में प्रतिबंधित करते हैं क्योंकि वे उन कारकों को समझने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं जो करेंसी की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। उनके लिए ऑनशोर मार्केट में व्यापार करना भी आसान होता है।
2) ऑफशोर मार्केट (Offshore Market)
सीधे शब्दों में कहें तो ऑफशोर मार्केट एक ऐसे स्थान को संदर्भित करता है जो एक व्यापारी के होम कंट्री से बाहर होता है। उदाहरण के लिए अगर आप लंदन के करेंसी एक्सचेंज से करेंसी खरीद रहे हैं, तो व्यापार को Offshore Market ट्रेड के रूप में जाना जाएगा। एक ऑफशोर मार्केट में रूल्स और रेगुलेशन लचीले हो सकते हैं और व्यापारियों को अपने टैक्स लायबिलिटी को कम करने की अनुमति दे सकते हैं।
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट क्या हैं? | What is Forward Contract in Hindi
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट जिसे फॉरवर्ड के रूप में भी जाना जाता है, एक विशिष्ट मूल्य पर एसेट क्लास के रूप में मुद्रा पहले से निर्धारित मूल्य पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए दो पार्टी के बीच एक प्राइवेट एग्रीमेंट है। कोई भी फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट मार्केट रिस्क और ऋण जोखिम दोनों के अधीन है। आप Forward Contract से होने वाले लाभ या हानि के बारे में कॉन्ट्रैक्ट के सेटलेमेंट की तिथि पर ही जान सकते हैं। आपके पास विभिन्न ओटीसी डेरिवेटिव्स, जैसे स्टॉक, कमोडिटी आदि में ट्रेडिंग के लिए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट हो सकता है। यह आपको व्यापार की शर्तों के साथ अधिक लचीलापन प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारत में, आपके पास करेंसी के लिए एक Forward Contract हो सकता है, जो स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा सूची से बाहर हैं।
एनडीएफ क्या हैं? | What is NDF Market in Hindi
NDF Market in Hindi: एनडीएफ एक शार्ट टर्म, कैश सेटल्ड वाला फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट है जिसका उपयोग निवेशक ऑफशोर मार्केट में करेंसी में ट्रेड करने के लिए करते हैं। जब दोनों पार्टी एक काल्पनिक राशि पर सहमत होते हैं, तो दो शामिल पार्टियां Contracted NDF rate और Leading spot price के बीच एक समझौता करती हैं। नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड मार्केट में NDF हमेशा कैश में सेटल होते हैं और नॉन-डिलिवरेबल होते हैं, जिसका अर्थ है कि ट्रेडर करेंसी की डिलीवरी नहीं ले सकता है।
भारत में NDF मार्केट कैसे काम करता है? | How does NDF market work in India?
MDF मार्केट NDF वैल्यू और मौजूदा स्पॉट प्राइस के आधार पर दोनों पक्षों के बीच कैश फ्लो के आदान-प्रदान के साथ काम करता है। ट्रांजैक्शन में एक पार्टी दूसरे पार्टी को एक्सचेंज से उत्पन्न अंतर का भुगतान करके कॉन्ट्रैक्ट का निपटान करने के लिए सहमत होता है।
ये कॉन्ट्रैक्ट ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) हैं और आमतौर पर ऑफशोर मार्केट में बसे होते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी करेंसी को देश के बाहर व्यापार करने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है, तो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ व्यापार करना असंभव हो जाता है जो देश से बाहर है। इस मामले में पार्टियां NDF मार्केट के भीतर एनडीएफ का उपयोग करती हैं जो दोनों देशों में सभी लाभ और हानियों को एक स्वतंत्र रूप से ट्रेडेड करेंसी में परिवर्तित करती है।
एनडीएफ बाजार का उदाहरण | Example of an NDF Market
मान लीजिए कि एक पक्ष जापान के येन को खरीदने के लिए सहमत है, और आप अमेरिकी डॉलर को खरीदने का फैसला करते हैं, तो आप Non-Deliverable Forward मार्केट के भीतर एक NDF में प्रवेश कर सकते हैं। इस मामले में मान लें कि 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर सहमत दर 11.5 है और फिक्सिंग की तारीख दो महीने है।
दो महीनों के बाद अगर दर 10.5 है, तो जापान के येन का मूल्य बढ़ गया है, और आप पर दूसरे पार्टी का पैसा बकाया है। अगर दर बढ़कर 12 हो जाती है, तो आपको दूसरे पार्टी से धन प्राप्त होगा।
Non-Deliverable Forward मार्केट के भीतर एनडीएफ का उपयोग भारतीयों द्वारा प्रतिदिन उच्च मात्रा में किया जाता है, जिससे भारत में NDF Market रोमांचक हो जाता है। अगर आप तुरंत प्रॉफिट की तलाश में हैं तो आप NDF के माध्यम से करेंसी में ट्रेड करने पर भी विचार कर सकते हैं। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप अपने टैक्स और लीगल लियाबिल्टी को समझने के लिए योग्य फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।
निवेश करने से पहले इन तीन बातों का रखें खास ध्यान
पिछले एक साल से भारत और ग्लोबल लेवल पर इक्विटी मार्केट अस्थिर (volatile) रहे हैं। लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए रेट्स में वृद्धि के कारण विश्व के सेंट्रल बैंक एक बार फिर मार्केट को नियंत्रित कर रहे हैं। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते मार्केटों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। भारतीय इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी उनके लॉंग टर्म एवरेज और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। भारत का सेंट्रल बैंक, भारत सरकार और कॉरपोरेट्स सभी ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है। ऐसे में निवेशकों के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ निमेश शाह ने तीन बातों पर जोर दिया है।
तीन फ़ैक्टर्स पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
(1) डेट म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करें, यह बहुत आकर्षक हो गया है
निवेश के दौरान हायर यील्ड को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक (attractive) लग रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है और इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी मुद्रास्फीति और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है। इसलिए भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डाइनैमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम की सिफारिश की जाती है।
(2) समाधान उन्मुख (solution oriented) ऑफर्स से लाभ जो म्यूचुअल फंड प्रदान करते हैं
हम उम्मीद करते हैं कि जब तक यूएस फेड मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सभी उपलब्ध सभी उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए, इनवेस्टर्स को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के माध्यम से इनवेस्टमेंट करना चाहिए।
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(3) गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स में इन्वेस्टमेंट करें
एसेट क्लास में एक विविध (diversified) पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह की जोखिम (concentration risk) को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में इन्वेस्टमेंट करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल मुद्रास्फीति के खिलाफ, बल्कि मुद्रा मूल्यह्रास (currency depreciation) के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। इनवेस्टर्स इसमें ईटीएफ के जरिए इनवेस्टमेंट करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर फंड ऑफ फंड एक इनवेस्टमेंट विकल्प है।