निवेश की अवधि

संबंधी पूछताछ: म्युचुअल फंड्स में निवेश कैसे करें
1) मैं एक सेवानिवृत व्यक्ति हूं। मैं अपने 5 से 6 वर्ष तक के लक्ष्य के साथ ऋण फंड्स में निवेश करना चाहता हूं। कृपया संभावित बेहतरीन लाभों को प्राप्त करने के लिए निवेश करने के लिए कुछ फंड्स का सुझाव दीजिए - बीबी स्वायन
उत्तरः सेवानिवृति के दौरान सबसे बड़ी दो चिंताएं हैं नियमित रूप से नकद आय और पूंजी सुरक्षा। अधिकतर ऋण फंड्स में मध्ययम स्तर का जोखिम होता है और वे 5 से 6 वर्ष की अवधि के लिए आदर्श होते हैं। एचडीएफसी हाई इंटरेस्ट फंड-डायनामिक प्लान और बिड़ला सन लाइफ अल्प अवधि के फंड पूर्ण रूप से ऋण फंड्स हैं जिनके पोर्टफोलियो में कोई इक्विटी एक्सपोजर नहीं है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने 9 से 10 प्रतिशत तक लाभ प्रदान किए हैं। अगर कोई व्यक्ति ऋण फंडों में (25-30 प्रतिशत) तक का मध्यम स्तर का इक्विटी जोखिम उठाने के लिए तैयार है तो आईसीआईसीआई प्रु एमआईपी 25, बिड़ला सन लाइफ एमआईपी 2 - वेल्थ 25 प्लान पर विचार किया जा सकता है। आप टाटा बैलेंस्ड फंड, एसबीआई मैगनम बैलेंस्ड, एसबीआई मैगनम बैलेंस्ड जैसे फंड के माध्यम से अधिक आक्रामक इक्विटी जोखिम पर विचार कर सकते है जिनमें इक्विटी में 65 प्रतिशत या इससे अधिक का जोखिम होगा जो आपको वृद्धि प्रदान करेगा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऋण उपकरण में 35 प्रतिशत या इससे कम होगा।
2) मैं एक विद्यार्थी हूं। मेरे पास 50000 रुपये की एफडी है और 250000 रुपये नकद पड़े हुए हैं। मैं अपने स्टाइपेंड से 2000 से 3000 रुपये की मासिक बचत करता हूं। मैं अपनी बचत को एक मुस्त निवेश और किस्तों में निवेश करना चाहता हूं। मेरे लिए सबसे बेहतर विकल्प कौनसा है? - सुयाश गोयल
उत्तरः निवेश के लिए उपकरण का निर्धारण करने से पहले व्यक्ति को निवेश की अवधि का निर्धारण करना चाहिए। आप एक विद्यार्थी हैं इसलिए आप 7 से 8 वर्ष का लक्ष्य लेकर आक्रामक इक्विटी जोखिम ले सकते हैं।
इसके लिए आप मिड-कैप या मल्टीकैप फंड्स पर विचार कर सकते हैं जिनमें जोखिम अधिक होता है लेकिन वर्षों के बाद बेहतर लाभ दे सकते हैं। एचडीएफसी मिड कैप अवसर, मिराई एमरजिंग ब्लुचिप फंड, फ्रैंकलिन इंडिया प्राइमा फंड इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंड हैं। आप एसआईपी के माध्यम से लम्बी अवधि के लिए इन फंड पर विचार कर सकते हैं। कम आक्रामक लार्ज कैप वाले फंड्स के लिए आईसीआईसीआई प्रुडेसियल फोकस्ड ब्लु चिप, बीएसएल फ्रंटलाइन इक्विटी आदि अच्छे फंड्स हैं। एक मुस्त निवेश के लिए आप 5 से 6 वर्ष के लिए लार्ज कैप या बैलेंस्ड फंड्स पर विचार कर सकते हैं जैसे टाटा बैलेंस्ड।
इससे कम अवधि के लिए बेहद कम/कम अवधि के फंड्स पर विचार करें जैसे एचडीएफसी शोर्ट टर्म फंड, एसबीआई शोर्ट टर्म फंड्स, बीएसएल शोर्ट टर्म फंड्स आदि पर विचार किया जा सकता है।
3) मेरे पास 3 म्युचुअल फंड्स में कम से कम पिछले 4 से 5 वर्षों से 3000 रुपये की एसआईपी हैं। मैं लम्बी अवधि के लिए निवेशकर्ता हूं।
1) डीएसपीआरबी टोप 100 इक्विटी
2) एचडीएफसी टोप 200 जी 3) आईडीएफसी प्रिमियर इक्विटी ग्रोथ। उपरोक्त तीन म्युचुअल फंड्स की रेटिंग नीचे आ चुकी है। क्या मुझे एसआईपी को जारी रखना चाहिए या बंद कर देना चाहिए? यदि मैं एसआईपी को बंद कर देता हूं तो मुझे एसआईपी किस फंड में शुरू करनी चाहिए? - नितिन मान
उत्तरः म्युचुअल फंड्स के प्रदर्शन के कई मानदण्ड होते हैं। रेटिंग उनमें से एक है। म्युचुअल फंड्स में आपको कुछ अन्य मानदण्ड देखने चाहिए, जैसे म्युचुअल फंड्स एयूएम होते हैं, फंड मैनेजर द्वारा निवेश की रणनीति का अनुशरण करना, फंड मैनेजर का कार्यकाल, अस्थायीत्व और प्रदर्शन की तुलना व कुछ अन्य अनुपात। इन एसआईपी को बंद करने से पहले आपको इन मानदण्डों की जांच करने की जरूरत है। आपके फंड्स में 2 लार्ज कैप और एक मिड कैप फंड शामिल है। इन फंड्स के विकल्प के रूप में आप आईसीआईसीआई प्रुडेसियल वैल्यु डिस्कवरी, फ्रैंकलिन इंडिया हाई ग्रोथ कम्पनीज, एसबीआई ब्लुचिप, और कुछ अच्छे लार्ज कैप्स को चुन सकते हैं।
सोना बेचने से हुए प्रॉफिट पर भी लगता है टैक्स: निवेश की अवधि के हिसाब से होता है टैक्स का कैलकुलेशन, यहां समझें पूरा गणित
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। ITR फाइल करते समय सभी इनकम और केपिटल गेन्स की सही जानकारी देना जरूरी होता है। जब आप सोना बेचते हैं तो आपको इससे होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स देना होता है। अगर आप टैक्स नहीं चुकाते हैं तो ये टैक्स चोरी मानी जाएगी। हम आपको बता रहे हैं कि सोना बेचने से हुए कैपिटल गेन पर कितना टैक्स देना होता है।
किस तरह के गोल्ड पर कितना टैक्स?
फिजिकल गोल्ड
फिजिकल गोल्ड में जूलरी और सिक्कों के साथ अन्य सोने की चीजें शामिल होती हैं। अगर आपने सोना 3 साल के अंदर बेचा है तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस बिक्री से होने वाले फायदे पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। वहीं अगर सोने को 3 साल के बाद बेचा है तो इसे लॉग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस पर 20.8% टैक्स देना होता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ETF
गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले लाभ पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है। इसको लेकर इनकम टैक्स के कोई अलग से नियम नहीं है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
बॉन्ड का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल का है, लेकिन निवेशकों को 5 साल के बाद बाहर निकलने का मौका मिलता है। यानी अगर आप इस स्कीम से पैसा निकालना चाहते हैं तो 5 साल के बाद निकाल सकते हैं। हालांकि, अगर आप रिडेम्पशन विंडो (खुलने के 5 साल बाद) के पहले या सेकेंड्री मार्केट के जरिए बाहर निकलते हैं तो फिजिकल गोल्ड या गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ETF पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स लगेंगे।
गोल्ड बॉन्ड 2.50% की दर से ब्याज का भुगतान करते हैं और यह ब्याज आपके टैक्स स्लैब के अनुसार पूरी तरह से टैक्सेबल है। वहीं 8 साल पूरे होने पर इससे होने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री रहता है।
कैपिटल गेन क्या है?
मान लीजिए आपने कुछ साल पहले किसी प्रॉपर्टी या सोने में 1 लाख रुपए निवेश किया था। जो अब बढ़कर 2 लाख हो गया है तो इसमें 1 लाख रुपए को कैपिटल गेन माना जाएगा। इस पर ही आपसे टैक्स लिया जाएगा।
Investment Tips: लंबी अवधि में कमाना है मुनाफा? इक्विटी फंड्स में निवेश पूरा कर सकता है आपका सपना
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है.
शेयर बाजार ने बीते कुछ सालों में भरपूर रिटर्न दिया है. अगर पिछले साल का आंकड़ा देखें तो निवेशकों को हर साल औसतन 14 फीसदी का मुनाफा हुआ है. दमदार मुनाफे के लिए अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि सीधे शेयर खरीद लें. केवल 500 रुपए के शुरुआती निवेश से आप भी म्यूचुअल फंड में इक्विटी फंड्स के जरिए शेयर बाजार में एंट्री कर सकते हैं.
इक्विटी फंड का प्रदर्शन
इक्विटी फंड्स ने बीते 3 से 5 साल में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है. इसमें क्वांट स्मॉल कैप फंड ने 5 साल में करीब 42 फीसदी का रिटर्न दिया है. अगर 3 साल में फंड का रिटर्न देखने को यह 21 फीसदी है. जबकि इस दौरान बाजार ने कोरोना महामारी और जियो-पॉलिटिकल टेंशन को भी झेल रहा है. ABSL डिजिटल इंडिया फंड ग्रोथ ने निवेशकों को 3 साल में 40 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
इक्विटी फंड क्या है?
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है. इसमें आपके पैसे को फंड मैनेजर तय करता है कि रकम का निवेश किन-किन कंपनियों में लगाना है. इसमें फंड मैनेजर की मदद एक रिसर्च टीम निवेश की अवधि करती है.
लंबी अवधि के लिए FD में क्यों अभी नहीं करें निवेश
कुछ बैंक 700 से 750 दिनों की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी या FD) पर 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं । मई के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से रीपो रेट (repo rate) में 190 आधार अंक (basis points) की बढ़ोतरी किए जाने के बाद से बैंक जमा (deposit) दरों को लगातार बढ़ा रहे हैं। मई में खुदरा महंगाई (retail inflation) दर बढ़कर 3 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
पैसा बाजार (Paisabazaar) के सीनियर डायरेक्टर गौरव अग्रवाल के मुताबिक बढ़ी खुदरा महंगाई के साथ विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीति (monetary policy) को लेकर अपनाए जा रहे सख्त रुख और रुपये पर दबाव के मद्देनजर मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) आगे भी रीपो रेट में बढ़ोतरी जारी रख सकती है। जिसके फलस्वरूप बैंक आगे भी जमा दरों में बढोतरी के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
नकदी (liquidity) यानी मुद्रा प्रवाह में आई कमी के बीच बैंकों ने क्रेडिट (credit) से संबंधित मांग को पूरा करने के लिए जमा दरों (deposit rates) में इजाफा किया है लेकिन केंद्रीय बैंक की तरफ से रीपो रेट (repo rate) में जितनी बढ़ोतरी की गई है उसके मुकाबले यह कम है। टीबीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स (TBNG Capital Advisors) के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) तरुण बिरानी के मुताबिक रीपो रेट के मामले में जब तक हम टर्मिनल रेट (terminal rate) तक नहीं पहुंचते हैं तब तक विराम (pause) की गुंजाइश नहीं है।
फाई मनी (Fi Money) की निवेश टीम के प्रणीत बत्तीना कहते हैं, “देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा रीपो रेट में जितनी वृद्धि की गई है उसके मुकाबले बैंकों ने FD पर ब्याज दरों में बहुत कम बढोतरी की है, RBI ने मई से अब तक repo rate में 190 basis points का इजाफा किया है। उदाहरण के लिए देश में ज्यादातर बैंक फिलहाल एक साल के FD पर औसतन 5.7 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं जबकि 364-दिवसीय ट्रेजरी बिल (टी-बिल) 7.02 प्रतिशत पर ट्रेड कर रहा है।”
बैंक लोन बुक में वृद्धि के साथ-साथ शुद्ध ब्याज आय (Net Interest Income) को बढ़ाकर या तो शुद्ध ब्याज मार्जिन (Net Interest Margins) को बनाए रखने की या इसमें और वृद्धि की कोशिश कर लाभ अर्जित करने का प्रयास करते हैं। बिरानी कहते हैं, “इसलिए ऋण की बढ़ती मांग निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर विस्तार देगी। भले ही बैंकों के लिए बढ़ती उधारी लागत के कारण ऋण दरों में वृद्धि होगी, प्रतिस्पर्धी परिदृश्य (competitive scenario) और उनके अपने विकास लक्ष्य भी ब्याज दर में वृद्धि की गति को प्रभावित करेंगे।”
एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (ARIA) की बोर्ड सदस्य रेणु माहेश्वरी कहती हैं, “FD पर रियल रेट ऑफ इंटरेस्ट (वास्तविक ब्याज दर) अभी भी पॉजिटिव नहीं है। अगर सितंबर के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) की बात करें तो FD पर रेट अभी भी नेगेटिव है, टैक्स को घटाने के बाद FD पर रिटर्न तो और भी कम है।”
प्रणीत बत्तीना कहते हैं, “कुछ बैंक 700 से 750 दिनों के FD पर 7 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। वैसे निवेशक जो सिर्फ FD में निवेश करना चाहते हैं उनके लिए इस अवधि के FD में निवेश करना बेहतर हो सकता है।”
माहेश्वरी के मुताबिक अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश पर विचार कर रहे हैं तो आपको वित्तीय पेशेवरों (financial professionals) की सलाह पर ध्यान देना चाहिए, खासकर यदि आप उच्च ब्याज दरों के कारण अच्छी खासी धनराशि लगाने पर विचार कर निवेश की अवधि रहे हैं।
माहेश्वरी कहती हैं, “हम अभी भी लंबी अवधि के लिए FD में निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं। तीन साल की सावधि जमा अभी भी नकारात्मक (negative) रिटर्न के दायरे में हैं।”
बेशक, बचत खाते (savings account) में धनराशि को रखने का कोई मतलब नहीं है। उतार-चढ़ाव भरे समय में दर में बदलाव के साथ बाजार को बहुत सटीकता के साथ आंकने की कोशिश न करें।
सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार और वित्तीय नियोजन फर्म, हम फौजी इनिशिएटिव्स (RIA) के CEO संजीव गोविला कहते हैं, “अगर फिर भी कोई कुछ हद तक इसे आंकना चाहता है तो चार महीने का auto-renewal bank FD लें और auto renewal को रोक दें अगर अचानक दरें बढ़ जाती हैं।”
वैकल्पिक रूप से गोविला का कहना है कि FD के लिए अलग रखी गई निवेश योग्य राशि के साथ उच्च गुणवत्ता वाली corporate FD पूरी या आंशिक रूप से ली जा सकती है।
SFB और मध्यम आकार के बैंक बड़े बैंकों की तुलना में अधिक दरों की पेशकश कर रहे हैं। Cooperative बैंक छोटे वित्त बैंकों से भी बेहतर दरों की पेशकश कर सकते हैं।
माईमनीमंत्रा डॉट कॉम (MyMoneyMantra.com) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला कहते हैं, “सावधानी के तौर पर निवेश से पहले बैंक की प्रतिष्ठा (reputation) का आकलन करें।” भारत में बैंकों में जमा 5 लाख रुपये तक की जमा धनराशि पर बीमा कवर का प्रावधान है।
खोसला कहते हैं, “इसलिए जमा राशि को सीमित रखने का प्रयास करें ताकि बीमा कवर के दायरे में रहें। जमा करते समय ग्राहकों को बुकिंग और रखरखाव में आसानी पर भी विचार करना चाहिए।” जबकि कुछ सलाहकार ज्यादातर SFB में छोटी धनराशि लगाने का सुझाव देते हैं। गोविला कहते हैं, अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks) की तुलना में SFB में जोखिम ज्यादा है। यदि कोई इसके साथ सहज है तो बैंक FD के लिए रखी गई धनराशि का एक छोटा सा हिस्सा वहां रख सकता है।”
निवेशकों को अपने मौजूदा सावधि जमा की समीक्षा करती रहनी चाहिए और वे उन्हें उच्च ब्याज दरों पर फिर से बुक कर सकते हैं। खोसला कहते हैं, निवेशक अलग-अलग परिपक्वता अवधि (maturity) वाले FD में निवेश कर सकते हैं क्योंकि यह निवेशक को तरलता (नकदी की सुविधा या liquidity) प्रदान करता है और पुनर्निवेश (re-investment) से संबंधित जोखिम को कम करता है। इस तकनीक को लैडरिंग (laddering) कहा जाता है।
कुछ विशेषज्ञ पार्क-एंड-वेट-एंड-वॉच (park-and-wait-and-watch) दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं, क्योंकि यह बहुत लंबी अवधि की FD लेने का समय नहीं है क्योंकि दरें बढ़ने की संभावना है। गोविला कहते हैं, “अभी 12 महीने की FD में निवेश करें और जब दरें स्थिर हों तो लंबी अवधि की FD में निवेश करें।”
12-15 महीने की अवधि के लिए AAA रेटिंग और उच्च गुणवत्ता वाली corporate FD, जिस पर अभी भी बेहतर ब्याज मिल रहा है, पर विचार किया जा सकता है। लेकिन यदि आप अभी FD में ज्यादा निवेश करने के लिए दृढ़ हैं तो आपको अपने निवेश को 5 लाख रुपये के दो-तीन FD में फैला देना चाहिए।
ब्याज दर के अलावा, वित्तीय संस्थान की विश्वसनीयता, कंपाउंडिंग फ्रीक्वेंसी और कुल रिटर्न पर विचार करें। कंपाउंडिंग अवधि जितनी कम होगी, मतलब कंपाउंडिंग फ्रीक्वेंसी जितनी ज्यादा होगी, आपको अपने निवेश पर उतना ही अधिक रिटर्न मिलेगा। तीन साल से अधिक समय के लिए निवेश करते समय विशेषज्ञ वैकल्पिक निवेश का सुझाव देते हैं।
फिलहाल निवेशक बॉन्ड मार्केट में निवेश कर अच्छा रिटर्न भी कमा सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश ट्रस्ट (NHIT) का 1,500 करोड़ रुपये का AAA श्रेणी का गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) सोमवार को बाजार में आएंगे। कंपनी इस पर छमाही 7.90 प्रतिशत का कूपन दे रही है, जो 8.05 प्रतिशत वार्षिक यील्ड (yield) के बराबर है। इसकी अवधि 25 वर्ष है। HDFC का 10-वर्षीय AAA बॉन्ड भी फिलहाल उपलब्ध है जिस पर कंपनी 8.07 फीसदी कूपन और 8.02 फीसदी यील्ड दे रही है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट, पीरामल और श्रीराम सिटी यूनियन से AA और AA+ रेटिंग वाले बॉन्ड 8.5 फीसदी से 10.5 फीसदी के बीच यील्ड दे रहे हैं। Bondsindia.com के संस्थापक अंकित गुप्ता कहते हैं, “अगर आप अभी तीन से पांच साल की अवधि के लिए निवेश करते हैं तो इस बात की अच्छी संभावना है कि आप पूंजीगत लाभ (capital gains) भी अर्जित कर सकते हैं।”
बॉन्ड में निवेश करने वाले निवेशकों को केवल रेटिंग पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। एक बेहतर तस्वीर प्राप्त करने के लिए इकाई (कंपनी) की वित्तीय स्थिति – उसका आकार, वह जिस व्यवसाय में है और उसके ऋण का स्तर आदि का भी अध्ययन करें। जब आप निवेश करते हैं तो रेटिंग अच्छी हो सकती है निवेश की अवधि लेकिन अगर फंडामेंटल में गिरावट आती है तो वे अचानक कई पायदान नीचे गिर सकते हैं।
Moneyeduschool के संस्थापक अर्नव पंड्या कहते हैं, “म्यूचुअल फंड स्पेस में निवेशक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों को देख सकते हैं जो 6.4-7.5 प्रतिशत के दायरे में परिपक्वता पर यील्ड की पेशकश कर रहे हैं। आप 2027-2032 में परिपक्व होने वाली लंबी अवधि के टारगेट मैच्योरिटी फंड पर भी विचार कर सकते हैं, जिनकी परिपक्वता पर यील्ड अभी 7.14-7.66 फीसदी के बीच है।”
निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें
Share Market: जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
- News18Hindi
- Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST
हाइलाइट्स
स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.
मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.
जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
निवेश की अवधि
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपने निवेश की अवधि तय करनी होगी. आप कम, मध्यम और लंबी अवधि के लिए किसी भी स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, यह अवधि आपके आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है. ज्यादातर लंबी अवधि का निवेश स्टॉक मार्केट में बेहतर रिटर्न देता है. यह अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है.
कंपनी के फंडामेंटल चेक करें
हर निवेशक को शेयर खरीदने से पहले फंडामेंटल चेक कर लेना चाहिए. इसमें कंपनी का कारोबार और उसकी ग्रोथ के बारे में जानें. आखिर कंपनी क्या बिजनेस करती है और भविष्य में इस बिजनेस को लेकर क्या संभवानाएं हैं. वहीं, कंपनी इस सेक्टर में अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कहां खड़ी है.
कंपनी के प्रोमोटर कौन हैं और उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल को लेकर कितना अनुभव है. इसके अलावा कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न का अध्ययन भी करना चाहिए कि आखिर कंपनी में प्रोमोटर, रिटेल निवेशक और घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की कितनी हिस्सेदारी है. माना जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में विभिन्नता होनी चाहिए और ऐसे ही कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले निवेशक को यह भी देखना चाहिए कि समकक्ष कंपनियों के शेयर की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्म की मदद से आप यह तुलना कर सकते हैं. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बहुत करना जरूरी हो जाता है.
टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के चार्ट की स्टडी करके हर रोज, साप्ताहिक और मासिक अवधि में स्टॉक निवेश की अवधि के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जाता है. इसके जरिए आप शेयर के भाव की एक रेंज के बारे में जान सकते हैं कि विभिन्न अवधि में यह शेयर किसी भाव के आसपास रहता है. स्टॉक का प्राइस कहां सपोर्ट बनाता है और कहां रजिस्टेंस बनाता है. इस आधार पर किसी भी शेयर को सही कीमत पर खरीद सकते हैं और अच्छा रिटर्न मिलने पर बेच सकते हैं.
म्यूचुअल फंड और अन्य बड़े निवेशकों की खरीदी
हर रिटेल इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले यह जानना चाहता है कि बड़े निवेशक जैसे- म्यूचुअल फंड हाउस, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी कितनी है. दरअसल बड़े निवेशक किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले बहुत अध्ययन करते हैं इसलिए आम निवेशक को लगता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा खरीदे गए शेयर निवेश के लिए ज्यादा सही और बेहतर होते हैं.
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