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निवेशक प्रशिक्षण

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स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना इन्क्यूबेटरों और स्टार्टअप्स को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, प्रोडक्ट ट्रायल, मार्केट एंट्री और व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

निदेशक मंडल की तरफ से नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की 23 वें वार्षिक आम बैठक में आपको सभी का स्वागत करने के लिए मुझे बहुत आनंद मिलता है। निदेशकों ’ रिपोर्ट, और 31 मार्च, 1999 को समाप्त वर्ष के लेखों के लेखापरीक्षित विवरण और लेखा परीक्षक ’ उस पर रिपोर्ट करें, कुछ समय के लिए आपके कब्जे में रहे, मैं उन्हें पढ़ने के लिए आपकी अनुमति की तलाश कर रहा हूं। मैं इस अवसर पर भी समीक्षा के तहत वर्ष के दौरान आपके साथ निगम के प्रदर्शन को साझा करने का अवसर लेता हूं, साथ ही साथ सहस्राब्दी से आने वाले चुनौतियों और अवसरों के बारे में कुछ विचारों के साथ।

एन.ई. का विकास क्षेत्र निवेशक प्रशिक्षण पर जोर के साथ क्षेत्र :

क्षेत्र में बिजली क्षमता की प्रचुरता के बावजूद, अपर्याप्त बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक-शारीरिक बाधाओं के कारण आज तक केवल एक छोटा प्रतिशत का उपयोग किया गया है। यह जरूरी है कि उपभोक्ता के लिए गुणवत्ता शक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों के साथ, इस विशाल शक्ति क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए न सिर्फ व्यावसायिक पहलुओं के दृष्टिकोण के साथ-साथ एक विवेकपूर्ण निर्णय भी लिया जाना चाहिए उत्तर-पूर्व में समग्र आर्थिक विकास लाने वाली बिजली विकास कार्यक्रम अंतराल इस प्रक्रिया में, एनईईपीसीओ ने उत्तर-पूर्व के उत्तर-पूर्व के उत्तर-पूर्व के उत्तर-पूर्व के लिए उत्तर-पूर्वी संगठन के दृष्टिकोण के साथ केंद्रीय क्षेत्र विद्युत उपयोगिता के रूप में एक प्रेरणा शक्ति बना रही है।

गत वर्ष :

पिछले 23 वर्षों ने नीपको की जीवंतता और आत्मविश्वास को चुनौती देने के लिए सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अवसरों का सामना किया है। पिछले साल इस तथ्य के लिए कोई अपवाद नहीं रहा।

अर्थशास्त्र और प्रबंधन के संदर्भ में दोनों उदारीकरण की अवधारणा ने भारतीय कारोबार के लगभग सभी पहलुओं को छुआ है। यह तथ्य एनईईपीसीओ पर डूब गया था, इसके तुरंत बाद इसका प्रभाव फैलाना शुरू हो गया था। आज नाफ्को इस अवधारणा के साथ दृढ़तापूर्वक रखता है, भूमिकाओं की स्पष्टता, समर्पण और आत्मसंतुष्टता के लिए कोई जगह नहीं। लगातार लाभप्रदता एक विश्वसनीय संकेतक है और यह गर्व के साथ है कि मैं आपको सूचित करता हूं कि आपके निगम ने 52.22 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज करके अपने प्रदर्शन में निरंतरता स्थापित की है, जो पिछले वर्ष के प्रदर्शन के मुकाबले 124.7 9% की वृद्धि है। इस लाभ से, हम पिछले साल 2 करोड़ रुपये के मुकाबले 4.00 करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान करने का इरादा रखते हैं।

निगम के कमीशन इकाइयों ने वर्ष के दौरान 1935.93 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न की है। हाइड्रो स्टेशनों में 81% की एक मशीन की उपलब्धता और गैस आधारित स्टेशनों में 49.70% की एक प्लांट लोड फैक्टर के साथ, एनईईपीसी ने एन.ई.स्टेट की बिजली जरूरतों को पूरा करने में सबसे भरोसेमंद बिजली उपयोगिता की है। यह सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अपने ठोस और जोरदार प्रयासों का उदाहरण देता है। निष्पादन के तहत परियोजना के संबंध में काम किया गया है और एक स्थिर तरीके से प्रगति कर रहा है ताकि देय समय के भीतर परिणाम वितरित किया जा सके।

अपने व्यापार के पैमाने में तेजी से विकास दर के बावजूद, नीपको अपने कर्मचारियों के आकार को लगभग 3200 लोगों तक सीमित करने में सक्षम है, सुविधाओं के युक्तिकरण के उचित उपाय शुरू कर रहा है जिससे कुल कुशलता बढ़ जाती है।

भविष्य:

संगठनात्मक विकास आर्थिक वातावरण और बदलती जरूरतों के साथ मिलकर दर्पण करता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम प्रत्याशित उभरते हुए पैटर्न में हमारी सीमाएं पार करते हैं और नए अवसरों, अवसरों, जो परंपरागत अवधारणाओं की सीमाओं से परे हैं, को लेने के लिए पहले से ही अपने स्वयं को तैयार करते हैं। ये मेरे जीवन के सभी क्षेत्रों, व्यवसाय में और अधिक विशेष रूप से, बिजली उत्पादन क्षेत्र में, बोलते हुए भी खुलासा कर रहे हैं।

हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का बढ़ता हिस्सा अब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। तदनुसार, आपका निगम अपनी आर्थिक वृद्धि और महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देने के लिए अपनी संरचना को संशोधित करने के लिए निर्णायक रूप निवेशक प्रशिक्षण से मूल्यांकन करता है। राष्ट्रीय स्तर पर आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अन्य सिस्टम सुधारों का कार्यान्वयन भी किया गया है। इन परिवर्तनों का मूल उद्देश्य समय के साथ अपने मिशन को फिर से परिभाषित करने और उसके उद्देश्यों को संशोधित करने के लिए, लोगों, शेयरधारकों और सरकार द्वारा व्यक्त किए गए विश्वास और कर्तव्यों को पूरा करने के अपने इरादे को दोहराते रहने के लिए बना रहता है।

हम मानते हैं कि एक तेजी से प्रतिस्पर्धी बिजली उद्योग में कार्यरत एक क्षेत्रीय कंपनी के रूप में हमारे विकास की कुंजी है लारेग जलविद्युत परियोजनाओं का विकास। इसे ध्यान में रखते हुए, युर कॉर्पोरेशन ने मणिपुर में 1500 मेगावाट तिपाईमुख बहुउद्देशीय परियोजना, अरुणाचल प्रदेश में 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, मिजोरम में 210 मेगावाट निवेशक प्रशिक्षण की तैवाई हाइड्रो पावर परियोजना, 150 मेगावाट लोअर कोपीली एच.ई. के निष्पादन के लिए उठाया है। परियोजना, 100 मेगावाट रंगानदी एच.ई. प्रोजेक्ट स्टेज -2 और एक और 25 एमडब्ल्यू कोपिली एच.ई. परियोजना स्टेज- II इन परियोजनाओं का निष्पादन 9 वें 10 वीं पंचवर्षीय अवधि के दौरान होगा। इन परियोजनाओं को पूरा करने के साथ, आपकी निगम की उत्पादन क्षमता 3500 मेगावाट की दर से पहुंच जाएगी। आपके निगम ने अगले 25 सालों में भार वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, राज्य एजेंसियों के सहयोग से क्षेत्र के लिए कुल उप-संचरण और वितरण योजना तैयार करने के लिए एक एकीकृत अभियान शुरू किया है। थासी राज्यों को अपने स्वयं के नेटवर्क को बढ़ाने की रूपरेखाओं पर मारे जाने के लिए सक्षम बनाता है जिससे नेपोको को भविष्य में निर्यात की संभावनाओं से उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त मांग के साथ अपने इष्टतम स्तर के अनुसार ऊर्जा की योजना बनाने और उत्पन्न करने में मदद करता है।

अतीत में इन प्रमुख कारकों पर लगातार जोर देने के बाद, आपका निगम उत्कृष्ट कॉर्पोरेट प्रशासन और नेतृत्व के लिए मजबूत प्रयासों द्वारा उत्कृष्टता के लिए एक ड्राइव के साथ एक कंपनी बनने की अपनी परंपरा में निरंतर आत्म सुधार प्रयासों को जारी रखने का इरादा रखता है। आपका निगम भी इस तथ्य से बहुत अवगत है कि 21 वीं सदी को पर्यावरण और अन्य संबंधित मुद्दे से जोड़ा जा रहा है जो एक अधिक व्यापक प्रसार सामाजिक-आर्थिक विकास से उत्पन्न होता है।

पूरे विश्व में निगम के प्रबोधन पर विचार करने के लिए हमारे पास गर्व होने का बहुत कारण है। यह आशावाद और आश्वस्तता के आदर्शों का पालन करता है, जबकि उस पर निर्भर कार्यों की भारी मात्रा को क्वचित रूप से प्राप्त करना इसके साथ ही, इसके लिए किए गए मांगों के अनुरूप परिणाम दिखाने के प्रयास किए गए हैं, हमेशा ध्यान में रखते हुए कि देश को अधिक समृद्धि के लिए बढ़ावा देने के लिए उसे अपना हिस्सा करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि ये भविष्यवादी संस्थागत रणनीतियों अगले सहस्राब्दी में आपके निगम को बहुत-वांछित अग्रणी धार प्रदान करेगी।

स्वीकृतियाँ:

आपके निगम के निदेशक मंडल ने सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से प्राप्त निरंतर सहयोग, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए अपनी आभार व्यक्त किया। भारत, उत्तर पूर्वी परिषद, राज्य सरकार एन.ई. का क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों और निवेशक इसके अलावा आपका बोर्ड ऑफ डायरेक्टोस निगम की प्रत्येक व्यक्ति के कर्मचारी द्वारा प्रदान की गई ईमानदारी और समर्पित सेवा के लिए अपनी सराहनीयता को रिकॉर्ड करने के लिए प्रसन्न है, जिसका योगदान अमूल्य बना रहता है और जिनके निष्ठावान प्रयासों से निगम अपने विजेता किनारों को बनाए रखने में सक्षम है।

Lucknow ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बनाया जाएगा क्लस्टर, निवेशकों को पानी उपभोग दर पर 50 प्रतिशत छूट मिलेगी

Lucknow ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बनाया जाएगा क्लस्टर, निवेशकों को पानी उपभोग दर पर 50 प्रतिशत छूट मिलेगी


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क यूपी खुद को स्वच्छ ऊर्जा हरित ऊर्जा मुहिम के तहत ग्रीन हाईड्रोजन के लिए खुद को तैयार करेगा. इसके लिए राज्य में इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रीन वैली (औद्योगिक कलस्टर या हब) को विकसित किया जाएगा. राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन व अमोनिया उत्पादन करने वाले निवेशकों को कई तरह के प्रोत्साहन दिए जाएंगे.

ग्रीन हाईड्रोजन के उत्पादन में औद्योगिक जल इस्तेमाल पर 50 प्रतिशत उपभोग दरों में छूट दी जाएगी. इसके अलावा स्टांप शुल्क, भूमि कर व भू उपयोग परिवर्तन दर में 100 प्रतिशत की छूट की सुविधा इस क्षेत्र में यूनिट लगाने वाले निवेशकों को निवेशक प्रशिक्षण मिलेगी. इन इकाइयों को जमीन आवंटित में वरीयता दी जाएगी. यूपी सरकार नई उत्तर प्रदेश ग्रीन हाईड्रोजन नीति-2022 का मसौदा तैयार किया है. जल्द इसे कैबिनेट से पास कराया जाएगा. इन निर्माण यूनिटों के लिए पानी व बिजली की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. इस उद्योग में उन्नत तकनीक ज्ञान रखने वाले कार्मिकों की जरूरत को देखते हुए युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण पाठयक्रम चलाया जाएगा. शोध व अनुंसधान केंद्र के लिए 30 प्रतिशत की ( पांच करोड़ रुपये तक) सहायता दी जाएगी. हर साल इनोवेशन अवार्ड दिए जाएंगे. इसके अलावा ग्रीन हाईड्रोजन व अमोनिया के परिवहन व स्टोरेज क्षमता को भी विकसित किया जाएगा.
ग्रीन हाईड्रोजन की लागत कम की जाएगी
राज्य में इस समय राज्य में हाईड्रोजन की मांग लगभग 0.9 मिलियन प्रति टन सालाना है. इसकी खपत तेल शोधक कारखानों व नाइट्रोजन आधारित उर्वरक निर्माण में होती है. एक ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम फंड बनाया जाएगा. ग्रीन सेस के जरिए धन जुटाया जाएगा. ग्रीन हाइड्रोजन की लागत 2.8 डालर प्रति किलोग्राम से 7.8 डालर प्रति किलोग्राम आती है. इसे कम करने की दीर्घगामी रणनीति पर काम किया जाएगा. इस पर अमल के लिए एक राज्य स्तरीय कमेटी बनेगी.
निवेशकों को लुभाने के लिए कई अन्य राहत
प्रदेश सरकार 50 मेगावाट के इलेक्ट्रोलाइजर के विकास पर अगले साल 60 प्रतिशत की, 2024 में 55 प्रतिशत की, साल 2025 में 45 प्रतिशत की और 2026 में 35 प्रतिशत की सब्सिडी देगी. ग्रीन हाईड्रोजन के निर्माण में इलेक्ट्रोलाइजर सबसे अहम घटक हैं. इसके अलावा 100 प्रतिशत एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति की जाएगी. निवेशक को अपने कर्मचारियों के पीएफ में जमा होने वाली धनराशि का 50 प्रतिशत का सरकार अपनी ओर से योगदान करेगी.

₹2000 के नोट आखिर आप क्यों नहीं देख पा रहे सामने आई वजह, RTI में हुआ ये जोरदार खुलासा, पढ़ें पूरी बात

2000 rupee note: साल 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान 2,000 रुपये का कोई नया नोट (two thousand rupees note) नहीं छापा गया.

2000 rupee note: आपने पिछली बार 2000 रुपये का नोट कब देखा था? शायद काफी पहले की बात रही होगी. अब सोचिए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ होगा?. जी हां, इसकी वजह अब सामने आ गई है. दरअसल, पिछले तीन साल से 2,000 रुपये का एक भी नोट छापा ही नहीं गया है. ऐसे में यह नोट (2000 rupee note) सर्कुलेशन में नहीं के बराबार है. न्यूज एजेंसी IANS की तरफ से दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगे गए जवाब में इसका खुलासा हो सका है. सरकार द्वारा 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाकर नोटबंदी की घोषणा की गई थी और फिर नए नोट आए थे जिसमें 2000 रुपये का नोट भी शामिल था.

तीन साल में कितने छपे 2000 रुपये के नोट

आरटीआई के मुताबिक, साल 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान 2,000 रुपये का कोई नया नोट (two thousand rupees note) नहीं छापा गया. आरबीआई नोट मुद्रण (पी) लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2016-17 में 2,000 रुपये के 3,5429.91 करोड़ नोट छापे थे. इसके बाद 2017-18 में काफी कम 1115.07 करोड़ नोट (2000 rupee note) छापे गए और 2018-19 में इसे और कम कर मात्र 466.90 करोड़ नोट छापे गए.

नकली नोटों की संख्या में तेज इजाफा

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में जब्त किए गए 2,000 रुपये के निवेशक प्रशिक्षण नकली नोटों की संख्या 2016 और 2020 के बीच 2,272 से बढ़कर 2,44,834 हो गई है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में देश में पकड़े गए नकली 2,000 रुपये के नोटों की कुल संख्या 2,272 थी. यह साल 2017 में बढ़कर 74,898 हो गई. इसके बाद साल 2018 में यह घटकर 54,776 रह गई. साल 2019 में यह आंकड़ा 90,566 और साल 2020 में 2,44,834 नोट रहा.

90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट लो क्वालिटी के

आरबीआई ने 2015 में एक नए संख्या पैटर्न के साथ महात्मा गांधी सीरीज - 2005 में सभी मूल्यवर्ग में बैंक नोट जारी किए थे. विजिबल सिक्योरिटी फीचर के साथ आम जनता नकली नोट को असली से आसानी से अलग कर सकती है. बैंकिंग सिस्टम में पाए गए 90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट (two thousand rupees note) लो क्वालिटी के थे और किसी भी प्रमुख सुरक्षा विशेषता से समझौता नहीं किया गया था.इन नोटों (2000 rupee note) की सुरक्षा विशेषताओं की डीटेल आम जनता के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर शो किया जाता है.

आरटीआई में कहा गया है कि आरबीआई जाली नोटों से बचाव के उपायों पर बैंकों को अलग-अलग निर्देश जारी करता है. केंद्रीय बैंक नियमित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी का प्रबंधन करने वाले बैंकों और दूसरे संगठनों के कर्मचारियों/अधिकारियों के लिए जाली नोटों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है.

ने.यु.के.सं बुनियादी कार्यक्रम - 2019-20

बेसिक वोकेशंस एंड सॉफ्ट सॉफ्ट्स में शिक्षा का लक्ष्य ग्रामीण युवा महिलाओं और पुरुषों मंे बेसिक वोकेशंस एवं सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की शिक्षा देना है और समाज में अपने आत्म सम्मान को बढ़ाने के साथ-साथ अन्य एजेंसियों से कौशल विकास प्रशिक्षण लेने के लिए मार्गदर्शन करना है। युवा महिलाओं और पुरुषों के अपने दैनिक जीवन में सामने आने वाली समस्याओं और समाधान कर उन मुद्दों और चिंताओं को दूर करने के लिए सशक्त बनाना भी है।

कार्यक्रम के तहत विचार की गई गतिविधियों का अनुक्रम युवाओं को समूहों में संगठित करना, उनके कौशल में सुधार करना, समर्थन सेवाओं की व्यवस्था करना, नेयुकेसं की वार्षिक कार्य योजना के दिशानिर्देशों में पहले उल्लेख किए गए प्रमुख केन्द्र बिन्दू क्षेत्रों पर जागरूकता और शिक्षा प्रदान करना है।

इसमें युवा महिलाओं एवं पुरूषो को अन्य एजेंसियों से कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए जागरूक करने पर अत्यधिक जोर दिया जाना चाहिए। ताकि वे धीरे-धीरे अपनी आजीविका के लिए आय उत्पन्न करने वाली इकाइयों को स्थापित करके अर्थपूर्ण रूप से व्यवसायी या स्वंव्यवसायी हो जाएं।

उद्देश्य

  • ग्रामीण युवाओं के व्यावसायिक कौशलों का उन्नयन तथा समाज में उनके आत्म सम्मान को बढ़ाना।
  • युवाओं को उनके दैनिक जीवन के मुद्दों तथा समस्याओं का सामना करने हेतु सशक्त बनाना।
  • युवाओं को अपना स्वयं का रोजगार अथवा आय अर्जन कार्यक्रम शुरू निवेशक प्रशिक्षण करने हेतु सक्षम बनाना।

उन्हें नए कौशल के बारे में जागरूक करना जिसके लिए बाजार में बढ़ती मांग है?

प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या: जिले में जिला ब्लाकों की उपलब्धता के आधार पर नीचे दी गई तालिका के अनुसार।

प्रति कार्यक्रम प्रतिभागियों की संख्या

  • एक प्रशिक्षण समूह में प्रतिभागियों की संख्या कम से कम 25 होनी चाहिए। (80 प्रतिशत् महिलाएॅ और 20 प्रतिशत् पुरूष)
  • जिले की प्रेरित, जरूरतमंद, बेरोजगार ग्रामीण/अर्द्ध-शहरी युवाओं का चयन किया जाना चाहिए।
  • युवा मंडल सदस्य, पूर्व-एनएसवी/एनवाईवी तथा ने.यु.के. कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेने वालों को वरीयता दी जानी चाहिए।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, विधवा, आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी तथा निर्धन/बेघर वर्ग की महिलाओं का चयन के समय ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • चुने गए प्रतिभागी कम से कम समझने, पढ़ने तथा लिखने की स्थिति में होने चाहिए।

अवधि:

  • व्यवसाय की अवधि तकनीकी विशेषज्ञ, संस्था या अनुदेशक की सलाह से निर्धारित की जायेगी तथापि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अधिकतम अवधि 03 माह से निवेशक प्रशिक्षण अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि चुने गए ट्रेड और व्यवसाय पर निर्भर होगी।
  • इसलिए युवा समन्वयक को चुने गए ट्रेड और व्यवसाय हेतु अवधियां संबंधित तकनीकी विशेषज्ञों अथवा संस्थाआंे के साथ परामर्श से तय करनी चाहिए।
  • व्यवसाय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम इस प्रकार चलाया जाये कि यह इबीवीएसएस बजट सीमा के अंदर ही रहे लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि आवंटित प्रतिभागी उतने ही रहें।

इबीवीएसएस के संचालन हेतु रणनीति

  • युवा समन्वयक ट्रेड्स तथा व्यवसायों की पहचान एक ओर ग्रामीण महिलाओं की स्थानीय जरूरतों के आधार पर और दूसरी ओर कच्चे माल तथा बाजार की उपलब्धता के आधार पर करेगा।
  • ने.यु.के. जिले के भीतर कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम केवीके‘, कृषि विश्वविद्यालयों, विकास अभिकरणों, एनजीओ तथा संस्थानों के प्रशिक्षकों की सहायता से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। प्रशिक्षकों को भी नेहरू युवा. केन्द्रों में मानक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बुलाया जा सकता है।
  • यदि अपेक्षित है, युवा समन्वयक को युवाओं को जिले से बाहर स्थित प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थानों में भेजने की आजादी होगी, यदि किसी विशेष ट्रेड या व्यवसाय में जिले में सुविधा उपलब्ध नहीं है। तथापि, ने.यु.के. द्वारा कोई टीए/डीए नहीं दिया जाएगा तथा यह निर्धारित बजट के भीतर तथा कार्यक्रम हेतु दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए। इस हेतु, आवश्यकतानुसार स्थानीय संसाधन जुटाए जा सकते हैं। बहरसूरत, ऐसे व्यवस्थित कार्यक्रम के दौरान युवाओं को ने.यु.के.सं द्वारा चिन्हित मुद्दों एवं मुख्य फोकस क्षेत्रों की तथा पिछले पृष्ठों पर दिए दिशानिर्देशों की जानकारी दी जानी चाहिए।
  • प्रशिक्षक अधिमानतः कौशल प्रशिक्षण प्रदाता अभिकरणों, विभागों तथा एनजीओ से लिए जाने चाहिए।
  • बेसिक वोकेशन एवं साफ्ट स्किल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पाठ्यचर्या कौशल प्रशिक्षण प्रदाता अभिकरणों तथा मास्टर प्रशिक्षकों के साथ परामर्श से कार्यक्रम प्रारंभ होने से पर्याप्त पूर्व तैयार किया जाना चाहिए।

बेसिक वोकेशन एवं साफ्ट स्किल में शिक्षा हेतु सेक्टर, ट्रेड तथा व्यवसाय
निम्नलिखित सेक्टर, ट्रेड तथा व्यवसायों (सूची केवल संकेतात्मक है) पर बल दिया जा सकता है।

क्र. सं. सेक्टर प्रस्तावित व्यवसाय
1. कृषि मशरूम खेती, मधुमक्खी पालन, औषधीय पौघों की खेती, बागबानी, पुष्पकृषि, वर्मीकल्चर, बैकयार्ड सब्जी कृषि
2 डेरी कार्य छोटे दुधारू/डेरी पशु (भैंस, गाय) प्रजनन इकाइयां, दुग्ध एकत्रीकरण एवं विक्रय, दुग्ध प्रसंस्करण (घी, पनीर, खोया)
3. पशुपालन मांस/ऊन के लिए बकरी/भेड़ प्रजनन, बैकयार्ड पोल्ट्री एवं देसी पक्षी (बत्तख, कोयल), सूअर पालन, खरगोश प्रजनन इत्यादि
4. मत्स्य पालन मत्स्य प्रजनन/छोटे तालाबों में बीज उत्पादन, मत्स्य प्रसंस्करण (शुष्कन, मत्स्य अचार), मछली पकड़ने के जाल बनाना तथा मरम्मत, मत्स्य चारा उत्पादन, छोटी उत्पत्तिशालाएं, मजदूरी रोजगार (चारा, पहरा एवं निगरानी, तालाबों की खरपतवार सफाई, संचयन)
5. हथकरघा बुनाई, प्रसंस्करण (डाईंग, ब्लीचिंग, मर्सराइजिंग), पैकेजिंग
6. हस्तशिल्प हस्तशिल्प की वस्तुएं बनाना, प्रसंस्करण गतिविधियंा (पालिश करना, रंग करना)
7. रेशम उत्पादन शहतूत की खेती, कोकून प्रजनन, यैम की रीलिंग
8. सामाजिक वानिकी तथा वन आधारित गतिविधियां पौधशालाएं तैयार करना, वन भूमि/परती भूमि पर वन प्रजातियों की खेती, गौण वनोपज एकत्र करना (गोंद, निवेशक प्रशिक्षण बेरी, औषधीय/हर्बल उत्पाद, मधु)
9. खाद्य प्रसंस्करण जैम, जेली, मुरब्बा, पेठा, चिप्स/वेफर्स, नूडल्स, पापड़, अचार, बेकरी उत्पाद बनाने के लिए फल और सब्जी प्रसंस्करण
10. स्थानीय रूप से उपयुक्त अन्य कोई खंड बुनाई, कशीदाकारी, जरदोजी कार्य, फिनिशिंग, कटिंग और टेलरिंग, साॅफ्ट टाॅयज, बांस/जूट कार्य: हैंड बैग, टोकरी, सजावटी पीस, फाइल कवर, ब्यूटी कल्चर, मोमबत्ती निर्माण, गृहोपयोगी वस्तुओं की पैकेजिंग तथा पेंटिंग, कम्प्यूटर और मोबाइल मरम्मत इत्यादि

सहयोगी अभिकरण

  • संस्थान जैसेकि लघु उद्योग, एनसीवीटी, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन प्रशिक्षण प्रदाता, टेलरिंग संस्थान, केवीके, केवीआईसी, एसजीएसवाई, डीआरडीए (उदाहरणार्थ निवेशक प्रशिक्षण आजीविका), डीआईसी, समुदाय पोलिटेक्नीक, जेएसएस, आईटीआई, डब्ल्यूसीडी तथा कृषि विश्वविद्यालय विस्तार सेवाएं और जिला स्तर पर अन्य अनेक को संबद्ध कर प्रशिक्षण को कारगर तथा लाभप्रद बनाया जा सकता है।
  • युवा समन्वयक को प्रशिक्षुओं के स्वरोजगार के लिए जिला प्रशासन, बैंकों, नाबार्ड, औद्योगिक और वित्तीय संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए।

बजट प्रति कार्यक्रम

तीन माह की अवधि के पाठ्यक्रमों हेतु बजट:

इबीवीएसएस केन्द्रों का निरीक्षण

राज्य निदेशक अथवा उनके प्रतिनिधि द्वारा इन केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए। जिला युवा समन्वयक को कार्यक्रम के दौरान कम से कम एक या दो बार दौरा करना चाहिए।

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