म्यूचुअल फ़ंड

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10 साल के टॉप Mutual Funds और Returns
- SBI स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड : 20.04%
- निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड स्कीम : 18.14%
- इंवेसको इंडिया मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीम : 16.54%
- कोटक इमर्जिंग इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम : 15.95%
- डीएसपी मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीम : 15.27%
सभी म्यूचुअल फंड के बारे में
स्टॉक और बॉन्ड जैसी संपत्ति हासिल करने के लिए, एक परिसंपत्ति प्रबंधन म्यूचुअल फ़ंड कंपनी (एएमसी) एक म्यूचुअल फंड स्थापित करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों और फर्मों से धन एकत्र करती है। एएमसी द्वारा जमा किए गए निवेश की निगरानी के लिए म्यूचुअल फ़ंड फंड मैनेजरों को नियुक्त किया जाता है। संक्षेप में, म्यूचुअल फंड कई प्रतिभागियों के पैसे को बॉन्ड, इक्विटी और अन्य तुलनीय उत्पादों में निवेश करने के लिए जमा करते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेशकों को उनके द्वारा निवेश की गई राशि के आधार पर फंड यूनिट आवंटित की जाती हैं। केवल मौजूदा शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य पर ही निवेशक फंड यूनिट खरीद या बेच सकते हैं। अंतर्निहित होल्डिंग्स की अस्थिरता के जवाब में एक म्यूचुअल फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) प्रतिदिन बदलता है। म्युचुअल फंड भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कड़ाई से नियंत्रित होते हैं और इसलिए, जोखिम मुक्त निवेश विकल्प के रूप में माना जा सकता है।
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Mutual Funds Investment: जानिए किस तरह SIP में फायदेमंद साबित होता है बाजार का उतार-चढ़ाव
Mutual Funds Investment Plan : बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फ़ंड म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है.
SIP Formula for mutual funds : SIP के सुपर हिट फॉर्मूला से आप 30 साल के लिए निवेश कर 10 करोड़ से ज्यादा रकम हासिल कर सकते हैं.
गुल्लक थ्योरी के को-फाउंडर के प्रह्लाद.
पहला फॉर्मूला
पहला फॉर्मूला है 15x15x15 का. इस फॉर्मूले को अपनाकर अगर कोई व्यक्ति 15 सालों के लिए 15 हजार रुपए का निवेश 15% रिटर्न के साथ करता है, तो उसके पास 1.02 करोड़ का फंड इकट्ठा हो जाएगा.
Vande Bharat : देश को तीसरी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की सौगात, 1275 रुपये किराया, जानिए ट्रेन की खूबियां
दूसरा फॉर्मूला
इन्वेस्टमेंट के लिए आप दूसरे फॉर्मूले को भी अपना सकते हैं. दूसरा फॉर्मूला है 15x15x30 का. इस फॉर्मूले के तहत अगर कोई व्यक्ति 30 सालों के लिए 15% रिटर्न के साथ 15 हजार रुपए इन्वेस्ट करता है, तो उसकी 10.51 करोड़ रुपए का फंड कलेक्ट हो जाएगा. इस दौरान वो 54 लाख रुपए का निवेश करेगा और रिटर्न बढ़कर के 9.97 करोड़ रुपए हो जाएगा.
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10 साल के टॉप Mutual Funds और Returns
- SBI स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड : 20.04%
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- डीएसपी मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीम : 15.27%
म्यूचुअल फंड्स में निवेश का फॉर्मूला.
(यह आलेख, के. प्रह्लाद ने लिखा है, जो गुल्लक थ्योरी (Gullak TheoryTM) के को-फॉउंडर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. इन सुझावों से होने वाली किसी भी प्रकार की लाभ हानि के लिए इकनॉमिक टाइम्स उत्तरदायी नहीं होगा.)
म्यूचुअल फ़ंड : क्या, कब, क्यों और कैसे?। Mutual Fund in Hindi
| म्यूचुअल फ़ंड क्या है?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है एक म्यूचुअल फ़ंड एक ऐसा फ़ंड है जिसका निर्माण तब होता है जब बड़ी संख्या में निवेशक अपना धन इसमें लगाते हैं और उस पूरे धन को किसी प्रबंधन कंपनी द्वारा शेयर, बॉन्ड या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। इससे जो फायदा होता है उसे उसी अनुपात में सभी निवेशकों में बांट दिया जाता हैं जिस अनुपात में उन लोगों ने पैसा लगाया था।
जैसे कि मान लीजिये किसी एक शेयर का दाम 10,000 रुपए है। कुछ लोग है जो इसे खरीदना चाहते है लेकिन किसी के पास भी 10,000 रुपए नहीं है और अगर है भी तो लगाना नहीं चाहते हैं क्योंकि घाटा लगने का डर सता रहा है। तो आखिरकार 10 लोगों ने मिलकर एक-एक हज़ार रुपया दे दिया और उस शेयर को खरीद लिया। अब मान लेते हैं कुछ समय बाद उस शेयर का मूल्य 15,000 रुपए हो जाता है तो उसी अनुपात में सारे पैसे उन दसों में बंट जाएगा यानी कि पंद्रह-पंद्रह सौ रुपए।
म्यूचुअल फ़ंड पहले मुद्रा बाज़ार का हिस्सा था यानी कि आरबीआई द्वारा विनियमित होता था, बाद में ये पूंजी बाज़ार का भी हिस्सा बन गया जहां सेबी (SEBI) द्वारा विनियमन का काम किया जाता है। इसीलिए इसके दोहरे विनियामक है आरबीआई भी और सेबी भी।
| म्यूचुअल फ़ंड ही क्यों?
म्यूचुअल फ़ंड दीर्घावधि में पैसा कमाने का सर्वोत्तम साधन माना जाता है क्योंकि पहली बात तो ये कि इसमें निवेशकों को इनवेस्टमेंट का ज्ञाता होने की कोई जरूरत म्यूचुअल फ़ंड म्यूचुअल फ़ंड नहीं होती इसकी वजह ये है कि इसका प्रबंधन ऐसे उच्च पेशेवर लोगो द्वारा किया जाता है जिसे इनवेस्टमेंट के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल होती है।
दूसरी बात ये है कि इसमें छोटे निवेशक भी छोटी रकम से निवेश कर सकता है इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि जब भी कोई फ़ंड हाउस पहली बार किसी योजना को लाता है तो उसे 10 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेचा जाता है। (यहाँ यूनिट का क्या मतलब है इस पर आगे चर्चा की गई है)।
तीसरी बात ये कि निवेशकों के पैसों को किसी एक क्षेत्र में निवेश नहीं किया जाता है बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, जैसे कि मान लीजिये कि अगर इन सारे निवेशकों के पैसों को सिर्फ शेयर बाज़ार में लगा दिया और शेयर बाज़ार अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तब तो सारे निवेशकों के पैसे डूब जाएँगे।
इसी से बचने के लिए पैसों के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग क्षेत्रों में लगा दिया जाता है जैसे कुछ को बॉन्ड में लगा दिया, कुछ को शेयर में तो कुछ को डेरिवेटिव्स में। इसका फायदा ये होता है कि कोई न कोई क्षेत्र तो ऐसा होगा ही जो कि अच्छा प्रदर्शन करेगा। इससे निवेशकों के पैसे डूबने के खतरे से बच जाता है और उनमें अच्छे रिटर्न की उम्मीद हमेशा बनी रहती है।
| म्यूचुअल फ़ंड काम कैसे करता है?
मान लीजिये कि आप आलू खरीदने एक दुकान गए वहाँ पर 50 किलो आलू का एक बैग रखा हुआ था जिसकी कीमत 500 रुपए थी। आपको सिर्फ 20 किलो आलू चाहिए था। आपके पास 200 रुपए था जिससे आप आसानी से 20 किलो आलू खरीद सकते थे पर दुकानदार ने कहा कि हम आलू खोलकर नहीं बल्कि पूरा बैग ही बेचते हैं। आप सोच में पड़ गए कि अब क्या करे? तभी आपने कुछ लोगों को देखा जो आलू ही खरीदने आए थे लेकिन उसकी भी यही समस्या थी।
आपके दिमाग में एक आइडिया आया, आप और 3 और लोग मिलकर आलू के 50 किलो का बैग खरीद लिया। आपने 200 रुपया दिया था और बाकियों ये एक-एक सौ रुपया दिया था तो उसी अनुपात में आपने आलू का बंटवारा कर लिया यानी कि आपने 20 किलो आलू रख लिया और बाकियों को दस-दस किलो आलू दे दिया। यही है म्यूचुअल फ़ंड के काम करने का कॉन्सेप्ट। आइये इसे थोड़ा और अच्छे से समझते हैं Unit और NAV की मदद से।
– Unit और NAV (Net Asset Value) क्या है?
जैसे कि अभी हमने ऊपर पढ़ा है कि म्यूचुअल फ़ंड में निवेशकों के पैसे किसी एक क्षेत्र में नहीं लगाया जाता है बल्कि कई क्षेत्रों में लगाया जाता है। मान लीजिये कि म्यूचुअल फ़ंड के प्रबंधन की जो कंपनी है वो 40 हज़ार रुपए शेयर में लगाना चाहता है, 30 हज़ार रुपए बॉन्ड में और 30 हज़ार रुपए ऑप्शन (Option) में, तो कुल मिलाकर 1 लाख रुपया हो जाता है, यानी कि 1 लाख रुपए का ये एक फ़ंड हो गया। छोटे निवेशक भी इसे खरीद सके इसके लिए इस 1 लाख को कई टुकड़ों में बांट दिया जाता है।
मान लीजिये उसे 10,000 टुकड़ों में बांट दिया, यानी कि इसके 10,000 यूनिट (Unit) बना दिये। अब अगर उस 1 लाख में इन 10,000 यूनिट से भाग दे दिया जाये तो 1 यूनिट का कीमत निकल आएगा जो कि 10 रुपए होगा। 1 यूनिट का यही जो प्राइस है उसे ही NAV कहा जाता है। अब वो 10,000 यूनिट मार्केट में बिकने के लिए तैयार है मान लेते हैं मैंने 1 यूनिट खरीद लिया यानी कि मैंने 10 रुपया पे कर दिया जो कि अभी का NAV है। इस 10 रुपए को समझने की कोशिश करे तो पता चलेगा कि उसमें से 4 रुपए शेयर में लगेंगे, 3 रुपए बॉन्ड में और 3 रुपए ऑप्शन में लगेंगे।
अब मान लीजिये कि 1 महीने बाद वो जो 1 लाख रुपए था वो 1.5 लाख हो गया। इसका मतलब ये हुआ कि पहले जो NAV 10 रुपए था अब वो 15 रुपए हो गया। मैंने उसमें से 1 यूनिट खरीदा था तो जाहिर है मेरा भी 1 यूनिट अब 15 रुपए हो जाएगा। यानी कि मुझे 5 रुपए का फायदा हुआ। इसी तरह से अगर किसी ने 100 यूनिट ली होगी तो उसे 500 रुपए का फायदा होगा। उम्मीद है अब आप समझ गए होंगे।
| म्यूचुअल फ़ंड में कब इन्वेस्ट करें
एक खूबसूरत चीनी कहावत है, “पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय 20 साल पहले था। दूसरा सबसे अच्छा समय अब है।” ऐसा कोई कारण नहीं है कि किसी को एक निवेश में देरी करनी चाहिए, सिवाय इसके कि जब निवेश करने के लिए पैसा न हो। इसके भीतर, म्यूचुअल फंड्स का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप इसे करें।
कोई न्यूनतम आयु नहीं है जब कोई निवेश करना शुरू कर सकता है। जिस पल कोई व्यक्ति कमाई और बचत शुरू करता है, वह म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर सकता है। वास्तव में, यहां तक कि बच्चे म्यूचुअल फंड के साथ अपने निवेश खाते खोल सकते हैं, जो उन्हें अपने जन्मदिन या त्योहारों के दौरान उपहार के रूप में एक बार मिलते हैं। इसी तरह, म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कोई ऊपरी उम्र नहीं है।
म्यूचुअल फंड में कई अलग-अलग योजनाएं अलग-अलग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त हैं। कुछ लंबी अवधि में विकास के लिए उपयुक्त हैं, जबकि कुछ नियमित आय के साथ सुरक्षा की आवश्यकता वाले लोगों के लिए हो सकते हैं, और कुछ अल्पावधि में भी तरलता प्रदान करते हैं।
आप देखते हैं, जीवन के किसी भी चरण में या जो भी एक की आवश्यकता है, म्यूचुअल फ़ंड में प्रत्येक के लिए समाधान हो सकते हैं।
| Shares और Mutual Fund में निवेश का अंतर
म्यूचुअल फंड में निवेश और शेयरों में निवेश में कई अंतर होता हैं। जैसे कि शेयरों में निवेश से हिस्सेदारी मिलती है और शेयरधारकों को कंपनी में मतदान का अधिकार भी मिल सकता है। लेकिन म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों को कोई मतदान का अधिकार नहीं मिलता हैं। जब शेयर में निवेश करते हैं तो बस उसी कंपनी में ही निवेश कर रहे होते हैं जबकि म्यूचुअल फ़ंड के यूनिट का कई कंपनियों के शेयर, बॉन्ड आदि में निवेश होता हैं। शेयर बाज़ार में काम के दिनों में उतार-चढ़ाव चलता रहता है, यानी कि उसका प्राइस भी हर समय उप-डाउन होता रहता है जबकि NAV को बस प्रत्येक व्यापारिक दिन के अंत में कैलकुलेट किया जाता है कि कितना बढ़ा या घटा।
कुल मिलाकर ये है म्यूचुअल फ़ंड की बेसिक्स, उम्मीद है समझ में आया होगा। अब हम चर्चा म्यूचुअल फ़ंड करेंगे अलग-अलग प्रकारों के म्यूचुअल फंड्स की और देखेंगे कि कितने प्रकार के म्यूचुअल फ़ंड अभी मार्केट में उपलब्ध है तथा उसकी विशेषताएँ क्या-क्या है? तो अभी ⏬नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।
म्यूचुअल फ़ंड कंपनियाँ SIP Insure के जैसे स्कीम लॉन्च नहीं कर सकते
सेबी ने म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री को सूचित किया है कि म्यूचुअल फंड अपनी म्यूचुअल फंड योजनाओं के साथ बीमा या किसी अन्य वित्तीय उत्पाद को बंडल नहीं कर सकते हैं। जैसे कि पिछले दो सालो मे SIP Insure जैसी योजनाए लॉंच की गयी।
AMFI को भेजे गए एक पत्र में, बाजार रेग्युलेटर ने पाया कि कुछ AMC बंडल उत्पाद पेश करने का प्रस्ताव कर रहे हैं, जबकि कुछ मौजूदा योजनाओं में ऐसे बंडल उत्पाद हैं।
उस पत्र में कहा गया है, “इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि किसी भी मौजूदा योजना या लॉन्च के लिए प्रस्तावित योजनाओं में बंडल उत्पाद नहीं होंगे।”
लगभग एक साल पहले तक, कई फंड हाउस एसआईपी निवेशकों के लिए मुफ्त टर्म लाइफ इंश्योरेंस के साथ आने वाले ‘SIP Insure’ योजनाओं की पेशकश कर रहे थे।
हालांकि, अधिकांश फंड हाउसों को कोविड के दावों में उछाल की उम्मीद में मानार्थ टर्म इंश्योरेंस को वापस लेना पड़ा।
जैसे- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने कोविड की दूसरी लहर के बीच पिछले साल एसआईपी के साथ जीवन बीमा की पेशकश बंद कर दी थी।
निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट और बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड ने गुरुवार से चुनिंदा योजनाओं में व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) के साथ जीवन बीमा की पेशकश बंद कर दी है।
हालांकि, प्रभावी तिथि से पहले बीमा कवर के साथ पंजीकृत एसआईपी के पास पहले से निर्धारित कवर जारी रहेगा।
सेबी ने पिछले हफ्ते फंड हाउसों को म्यूचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में निवेश के साथ बीमा कवर को खत्म करने का निर्देश दिया था।
सक्रिय ‘SIP Insure’ योजना वाले कुछ फंड हाउसों में से एक निप्पॉन इंडिया एमएफ ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 23 जून से इस योजना में नए पंजीकरण को रोक देगा।
म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
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