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स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?
Fig.- 5

Stochastic Indicator kya hai? jaane Stochastic Indicator kaha use hota hai

Stochastic Indicator एक बहुत ही उपयोगी इंडिकेटर है, यह यू कहे टेक्निकल एनालिसिस करने में Stochastic Indicator उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है। हम लोग स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि Stochastic Indicator का हम उपयोग कैसे कर सकते है तथा इसकी सहायता से हम अपनी ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बना सकते है।

कैसे बनता है Stochastic Indicator :

Stochastic Indicator रिसेंट प्राइस की जानकारी तथा रिसेंट हाई,लो की जानकारी ले कर हमे किसी भी स्टॉक के momentum की जानकारी देता है। Stochastic Indicator हम ये नही पता लगा सकते की ये किस ओर मूव करे गा ये हमे momentum बताया है और ये ऊपर था नीचे किसी ओर हो सकता है।

Stochastic Indicator 2 लाइनों से बना होता है। लाइन 1 को %K लाइन कहा जाता है और दूसरी लाइन को %D लाइन कहा जाता है %k का 3 दिन का सिम्पल मूविंग एवरेज ही %D लाइन है।

Stochastic Indicator का उपयोग कर ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बनाए :

अब सवाल यह उठता है कि हम अपनी ट्रेडिंग को बेहतर बनाने के लिए Stochastic आरएसआई का उपयोग कैसे कर सकते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, Stochastic Indicator का उपयोग करते टाइम ट्रेडर डी लाइन पर अधिक ध्यान देते हैं।

Stochastic indicator 0 से 100 के बीच में ही मूव करता है। 2 लाइनों में से %K लाइन %D लाइन से तेज है। जब डी लाइन्स ओवरबॉट जोन यानी 80 से ऊपर पहुंच जाती हैं तो ट्रेडर बिक्री के मौके तलाशते हैं। इसी तरह, जब डी लाइन 20 से नीचे चली जाती है तो उस ज़ोन को ओवरसोल्ड ज़ोन कहा जाता है, और वहाँ, ट्रेडर्स खरीदने के अवसरों की तलाश करते हैं।

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नोट : यह एक और ध्यान देने वाली बात है कि आप लोग केवल Stochastic indicator का उपयोग कर के किसी स्टॉक को खरीद या बेच नही सकते है एंट्री लेने के लिए आप Pivot Points Standard को देख सकते है या Fibonacci Retracement लेवल टेस्ट करे आदि, आप अपने हिसाब से देखे जो आप को अच्छा लगे।

Stochastic Indicator

जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में दिखाया गया है, जब डी लाइन ओवरबॉट ज़ोन में होती है, तो स्टॉक को बेचा जा सकता है जब स्टॉक नीचे चला जाता है और डी लाइन 20 अंक से नीचे पहुंच जाती है, तो स्टॉक को खरीदा जा सकता है इस चित्र के माध्यम से हम ने आप को यही समझने की कोसिस की है आशा है आप लोगो को समझ में आया होगा।

Stochastic Indicator से लाभ:

टेक्निकल एनालिसिस करने में उपयोग होने वाले सभी इंडिकेटरो में सबसे आसान इंडिकेटर में से एक है , आम तौर पर, सभी indicator को सेटिंग संशोधन की थोड़ी आवश्यकता होती है लेकिन हम इसकी डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स को बदले बिना स्टोचास्टिक इंडिकेटर का उपयोग कर सकते स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? हैं।

Stochastic इंडिकेटर का एक और फायदा यह है कि इसके द्वारा उत्पन्न सिग्नल विश्वसनीय होते हैं और लाइव बाजारों में आसानी से देखे जा सकते हैं। जिसे हम अपनी ट्रेडिंग में लॉस को कम kar सकते है

जैसा कि प्रत्येक Indicator की कुछ सीमाएँ होती हैं, यहाँ Stochastic Indicator की कुछ सीमाएँ हैं –

जैसा कि मैंने पहले बताया है केवल Stochastic Indicator का उपयोग स्टॉक को खरीदने और बेचने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके लिए आप को कई सारी और जानकारी की आवश्कता होती है आप लोग केवल Stochastic Indicator का उपयोग कर के कोई पोजिशन न बनाए Pivot Points Standard, आदि देखे।

इसके अलावा, जब Stochastic Indicator ओवरबॉट या ओवरसोल्ड ज़ोन में पहुँच जाता है, तो कोई ब्रह्म नियम नहीं है कि वह गलत नही हो सकता

मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको Stochastic Indicator के बारे में कुछ जानकारी प्रदान की तथा जाना हम इसका उपयोग कैसे कर सकते है और इसका असर हमारी ट्रेडिंग में किस प्रकार से होता है। यदि आप टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न indicator के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हैं, तो आप NIFTYCHARTING में क्लिक कर के जान सकते है और अपनी ट्रेडिंग को अच्छा बना सकते है।
धन्यवाद

Price Action क्या है? प्राइस एक्शन का स्टॉक ट्रेडर्स कैसे यूज करें हिंदी में

स्टॉक्स के प्राइस में समय के साथ-साथ जो ऊपर-नीचे का मूवमेंट होता रहता है उसे स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? Price action कहा जाता है। इसी के आधार पर stocks के चार्ट बनते हैं, जिनके द्वारा स्टॉक्स का टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है। इस आर्टिकल में Price Action के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। जानते हैं- Price Action क्या है? प्राइस एक्शन का स्टॉक ट्रेडर्स कैसे यूज करें हिंदी में। Price Action kya hota hai? Hindi प्राइस एक्शन क्या होता है इसे आप किस तरह समझ सकते हैं? आप किस तरह अपने ट्रेड को प्राइस एक्शन का इस्तेमाल करके प्रॉफिटेबल बना सकते हैं?

Price action kya hota hai?

Price Action क्या होता है?

यह तो ऊपर बताया ही जा चुका है कि समय के साथ-साथ स्टॉक्स, कमोडिटी या करेंसी के प्राइस में जो मूवमेंट होता है। उसे प्राइस एक्शन कहा जाता है। इसी के आधार पर टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है। ज्यादातर शार्ट-टर्म ट्रेडर्स प्राइस एक्शन के द्वारा बनने वाली फॉर्मेशन, का टेक्निकल एनालिसिस करके अपने ट्रेडिंग के डिसीजन लेते हैं। स्टॉक चार्ट को कैसे समझें

मार्केट या स्टॉक्स की प्राइस मूवमेंट का पहले से अनुमान भी Price action के द्वारा ही लगाया जाता है। प्राइस किस तरफ मूव कर सकता है, इसका अनुमान चार्ट को देखकर लगाया जाता है। किसी भी शेयर या कमोडिटी का चार्ट उसके प्राइस के मूवमेंट और वॉल्यूम से बनता है, जब आप चार्ट का विश्लेषण करते हैं तो वह प्राइस का विश्लेषण भी होता है।

जब आप किसी भी लाइन चार्ट, बार चार्ट या कैंडलस्टिक चार्ट को देखते हैं तो उसके अनुसार आप प्राइस का ही अध्ययन करते हैं जब तक आप चार्ट को नहीं समझ पाएंगे तब तक आप प्राइस को भी नहीं समझ सकते हैं। Price action को समझने के लिए आपको यह जरूर पता होना चाहिए। Price Discount Everything यानी कि मार्केट में हर चीज डिस्काउंट है। टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

यदि आपने टेक्निकल एनालिसिस सीखा होगा तो आपको पता होगा कि प्राइस डिस्काउंट एवरीथिंग यानी की प्राइस के अंदर ही सब कुछ है। टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के अंदर भी प्राइस डिस्काउंट होता है, यानी प्राइस अपने अंदर सबको रिफ्लेक्ट करता है। Price action को आप टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा अच्छी तरह समझ सकते हैं।

आपको स्टॉक्स का चार्ट देखना अवश्य आना चाहिए, चार्ट अलग-अलग टाइम फ्रेम में होता है। जैसे कि पांच मिनट चार्ट, पंद्रह मिनट, आवरली चार्ट,और डेली चार्ट आदि। आप जिस टाइम फ्रेम को चार्ट में देखना पसंद करते हैं, उस टाइम फ्रेम में चार्ट को देखकर उसके price action को समझ सकते हैं।

प्राइस एक्शन को समझने के लिए आपको कई चीजों को सीखना पड़ेगा। जैसे कि कैंडलेस्टिक पैटर्न, चार्ट पैटर्न, इंडिकेटर्स, टाइम फ्रेम का कॉन्बिनेशन, सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस, ट्रेन्ड लाइंस आदि को अच्छी तरह से समझना पड़ेगा। तभी आप प्राइस एक्शन को समझ पाएंगे। current market price क्या होता है?

कैंडलेस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern)

चार्ट पर जो कैंडल होती हैं, वह भी प्राइस को रिफ्लेक्ट करती हैं। प्राइस में जिस तरह का मूवमेंट होता है, उसी हिसाब से चार्ट पर कैंडल्स बनती हैं। अगर किसी शेयर का प्राइस ऊपर से नीचे की तरफ जाता है तो Bearish candle बनती है। इसी तरह यदि किसी शेयर का प्राइस नीचे से ऊपर की तरफ जाता है तो Bullish candle बनती है। कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है

चार्ट को समझने के लिए आपको कैंडलेस्टिक पैटर्न को समझना होगा कि किस कैंडलस्टिक का क्या मतलब है। कैंडलेस्टिक चार्ट पैटर्न को पहचानना और उनका मतलब समझना भी आपको सीखना चाहिए। आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? का यूज भी करना आना चाहिए, साथ ही आपको ट्रेंडलाइन भी खींचना आना चाहिए।

उसके साथ ही बहुत सारे अन्य पैटर्न भी होते हैं जैसे हेड एंड शोल्डर पैटर्न, फ्लैग पैटर्न, कप विद हैंडल पैटर्न, राउंडिंग बॉटम पैटर्न , राउंडिंग टॉप पैटर्न आदि बहुत सारे पैटर्न होते हैं। जिनके बारे में आपको अच्छे से जानकारी होनी चाहिए जिससे कि आप एक प्रॉफिटेबल ट्रेड बना सके। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं

इंडिकेटर्स (Indicators)

बहुत सारे इंडिकेटर्स होते हैं जिन्हें चार्ट पर अप्लाई करके Price action को समझा जा सकता है .कुछ इंडिकेटर्स के नाम इस प्रकार हैं जैसे बॉलिंगर बैंड्स, RSI, ATR, MACD, मूविंग एवरेज आदि, बहुत सारे इंडिकेटर्स होते हैं।

सभी इंडिकेटर्स को चार्ट पर एक साथ नहीं लगाया जा सकता है और लगाना भी नहीं चाहिए। जिस इंडिकेटर के बारे में आपको अच्छे से पता है तथा जिसके रिजल्ट आपके अनुकूल आये। उन्ही इंडिकेटर्स को आपको चार्ट पर यूज करना चाहिए।

टाइम फ्रेम का कॉन्बिनेशन (Time frame combination)

टाइम फ्रेम का कॉन्बिनेशन, जब आप price action का अध्ययन करते हैं। जिसमें आप टेक्निकल एनालिसिस का यूज करके या बिना टेक्निकल एनालिसिस के मार्केट में ट्रेड बनाएं। तब आपको यह भी देखना चाहिए कि उस ट्रेड से आपको कब एग्जिट होना है। कुछ लोग मार्केट में पोजीशन बनाने के पंद्रह या बीस मिनट बाद ही उससे बाहर होना चाहते हैं।

इसी तरह कुछ लोग एक या दो दिन के लिए पोजीशन लेना चाहते हैं कुछ लोग महीना-बीस दिन के लिए मार्केट में पोजीशन बनाते हैं। जो लोग मार्केट में निवेश करते हैं, वह सालों के लिए शेयर खरीद कर उनको होल्ड करते हैं। इसलिए मल्टीपल टाइम फ्रेम में चार्ट का एनालिसिस करना चाहिए। Multi time Frame Analysis

इसके लिए आप चार्ट को मिनट, आवरली, डेली, वीकली और ईयरली टाइम फ्रेम में देखकर अपने टाइम फ्रेम के हिसाब से उसका यूज़ कर सकते हैं। इसे मल्टीपल टाइम फ्रेम एनालिसिस कहा जाता है। प्रत्येक ट्रेडर हाई और हैंडसम अमाउंट मार्केट से कमाना चाहता है, इस तरह प्रत्येक ट्रेडर की अलग-अलग साइकोलॉजी और मेंटालिटी होती है।

अपने बारे में आपको निर्णय करना है कि आप मार्केट से किस तरह पैसा कमाना चाहते हैं क्या आप जल्दी प्रॉफिट कमाना चाहते हैं या मार्केट को टाइम देना चाहते हैं इसके लिए आपको टाइम फ्रेम का कॉन्बिनेशन सीखना पड़ेगा। आशा है कि आपको प्राइस एक्शन के बारे में दी गई जानकारी पसंद आएगी।

उम्मीद है, Price Action क्या है? प्राइस एक्शन का स्टॉक ट्रेडर्स कैसे यूज करें हिंदी में। Price Action kya hota hai? Hindi आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि आपके पास इससे सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव है तो आप कमेंट करके बता सकते हैं। आप मुझे पर भी Facebook फॉलो कर सकते हैं।

rsi indicator in hindi – RSI से पता करे स्टॉक उपर जायेगा या निचे।

rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai

rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai

नमस्ते दोस्तों। आज हम समझने वाले है की rsi indicator in hindi में क्या होता है। और इसका ट्रेडिंग में का महत्त्व है। क्या हम rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग में अच्छे खासे पैसे कमा सकते है। और आखिर rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करते कैसे है। इन सब के बारे में हम आज विस्तार में जानने वाले है।

rsi indicator एक leading indicator है। जो की स्टॉक के ट्रेंड चेंज होने के पहले ही सिग्नल दे देता है। की स्टॉक ऊपर जानेवाला है या फिर निचे। इसीलिए इसे लीडिंग इंडिकेटर भी बोलते है। अगर आपको leading indicators के बारे में नहीं पता तो आप हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते है। उसमे हमने leading indicators के बारे में विस्तार में बताया है।

rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai

rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai

rsi indicator in hindi

rsi का full फॉर्म होता है relative strength index .यानि की ये इंडिकेटर स्टॉक की strength यानि की ताकद बताता है। की स्टॉक ऊपर जा सकता है की निचे। अगर interday trading में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंडिकेटर हे तो वो rsi indicator है।

rsi indicator स्टॉक्स के चार्ट में होने वाले मोमेंटम का ट्रेंड को दर्शाता है। और इसे oscillator भी कहा जाता है। क्युकी ये इंडिकेटर ० ते १०० के बिच में घूमता रहता है। और स्टॉक overbought हे या फिर oversold है। ये दर्शाने का काम rsi indicator करता है।

स्टॉक में उसके टाइम फ्रेम के हिसाब से मार्केट में strength हे या weakness है। ये rsi indicator दर्शाता है। उसेही rsi indicator कहा जाता है ,अभी हमने जाना की rsi indicator क्या होता है (rsi indicator in hindi).अभी हम जानेंगे की rsi indicator काम कैसे करता है।

rsi indicator कैसे काम करता है

rsi indicator ० ते १०० के बिच में ट्रेंड दिखने के कारन ये कभी ० के निचे और १०० के ऊपर नही जाता। इसके में तीन स्तर होते है। जैसे की ३०,५०,और ७० ये इसके महत्वपूर्ण स्तर है। इनका मतलब होता स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? है की। अगर rsi अगर ५० से १०० के बिच है मतलब स्टॉक का मोमेंटम अभी पॉजिटिव यानि की बुलिश है। और अगर rsi का स्तर ० से लेकर ५० के बिच होता है तो इसका मतलब स्टॉक का मोमेंटम नेगेटिव यानि की बेयरिश है।

rsi indicaor १४ दिनों का average निकाल के आपको स्टॉक की strength बताता है। हलाकि हम उसका average चेंज भी कर सकते है। जाइए की हम 20 दिनों का भी average निकल सकते है। या आप अपने हिसाब से इसका average निकल सकते है। लेकिन डिफ़ॉल्ट १४ दिनों का average निकलने ये सही होता है। ये इंडिकेटर ज्यादातर technical analysis में इस्तेमाल किया जाता है।

अगर rsi ५० के ऊपर जा रहा है इसका मतलब शेयर में तेजी आने की संभवना होती है। या स्टॉक की प्राइज भी ऊपर जाने लगाती है। लेकिन अगर rsi ५०के निचे अपना ट्रेंड बना रहा होता है ,यानि की शेयर में बिकवाली होना शुरू हुआ है ,यानि स्टॉक निचे जाने की संभावना होती है।

RSI indicator के फायदे

ये एक मोमेंटम indicator होने के कारन ये आपको स्टॉक के चार्ट का मोमेंटम बताता है। और अगर मार्केटover bought (औसत से ज्यादा खरीद ) हे तो ये आपको outbought का सिग्नल पहले ही दे देता है। इससे आप पहल की स्टॉक का रिवर्सल पता करके के स्टॉक में short selling भी कर सकते है। आपको अच्छ मुनाफा कमाने का मौका ये इंडिकेटर देता है।

और अगर मार्केट over sold यानि की औसत से ज्यादा बिकवाली स्टॉक में है तो ये इंडिकेटर आपको over sold का सिग्नल पहले ही दे देता है। और ऐसा मन जाता है की स्टॉक जब भी over bought होता है। या फिर over sold होता है। तो मार्केट में रिवर्सल जरूर आता है। तो इसी रिवर्सल को पहलेही पहनके आप इसमें अच्छा मुनाफा काम सकते है।

निष्कर्ष

rsi indicator एक ऐसा इंडिकेटर हे जो आपको मार्किट की ताकत बुलिश है या फिर बेयरिश है ये दर्शाता है। फिर उसके हिसाब से आप अपना ट्रेड ले सकते है। लेकिन इसे समझने के लिए आपको इसे candle stick chart पर लगाना जरुरी है। उससे ही आपको इसका अंदाजा हो जायेगा की ये काम कैसे करता है।

ऐसा नहीं हे की rsi indicator हमेशा ही आपको सही सिग्नल दिखायेगा। आपको सिर्फ एक ही इंडिकेटर पर डिपेंड नहीं रहना आपको rsi indicatorके साथ साथ prize action और candle stick chart pattern ,ये भी देखना होता है।

टिप ; किसीभी इंडीकेटर्स को समझने के लिए आपको उन्हें अच्छे से समझना होगा। और ये मुमकिन हे आपके अनुभव से। कोई भी इंडीकेटर्स एक्यूरेट सिग्नल नहीं दिखता। ये आपको आपके अनुभव से पता चलेगा की कोनसा इंडीकेटर्स किस तरीके से काम स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? करता है।

आज हमने क्या सीखा

आज हमने सीखा की rsi indicator in hindi में क्या होता है। rsi indicator कैसे काम करता है। rsi indicator in hindi के फायदे क्या है। इन सब के बारे में हमने आज जाना। और rsi indicator का सही से इस्तेमाल हम ट्रेडिंग में करेंगे।

यकीं है की आपको rsi indicator in hindi में क्या होता है। समझ आगया होगा। और साथ ही आपके ये हमरा आर्टिकल काफी फायदेमंद भी साबित रहा होगा। और अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आये तो कृपया इसे अपने फॅमिली और दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजियेगा।

और अगर आपको ऐसेही शेयर बाजार के विषय में कोई जानकारी चाहिए हो तो आप हमें कमेंट बोस में क्यूमेंट करके पूछ सकते है। और अगर आपको इस आर्टिकल के सम्भंधि कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट में भेज सकते है। हम जरूर आपको सावल का जवाब देने की कोशिश करेंगे। धन्यवाद !

१. इंडिकेटर क्या है?

इंडिकेटर का मतलब होता है शेयर मार्किट के चार्ट पर लगाया जाने वाला एक सिग्नल होता है। जैसे की RSI (rsi indicator in hindi)ये किसी भी स्टॉक के चार्ट पर लगा कर आप उसके ट्रेंड का पता कर सकते है। उसेही इंडिकेटर कहा जाता है।

२. शेयर मार्केट में आर एस आई क्या होता है?

RSI (rsi indicator in hindi)ये एक शेयर मार्किट का लीडिंग इंडिकेटर होता है। इससे आप किसी भी स्टॉक का ट्रेंड पता कर सकते है। और आप इस इंडिकेटर की सहायता से ट्रेडिंग कर सकते है। जो आप स्टॉक में आ रही गिरावट या तेजी के बारे में पूर्व सूचना देता है।

३.RSI सूचक का उपयोग कैसे करे ?

RSI (rsi indicator in hindi) इंडिकेटर में अगर rsi ३० के निचे हे इसका मतलब मार्किट में मंडी कहल रही है ऐसा होता है।और अगर rsi ७० के ऊपर कहल रहा होता है तो मार्किट में तेजी चल रही है ऐसा कहा जाता स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? है। और अगर rsi ५० चला रहा है तो मार्किट sideways चला रहा होता है।

Which indicators is best with Bollinger Bands?

हर वह व्यक्ति जो शेयर बाजार में काम करना चाहता है या कर रहा है वह हमेशा ऐसे टूल के पीछे समय देता रहता है जिससे कि वह बाजार का पूर्वानुमान लगा सके कि कहां से बाजार ऊपर जाएगा और कहां से बाजार नीचे चला आएगा इस तरीके के भावनाओं के साथ अलग-अलग टूल्स का उपयोग करने के लिए उसे ढूंढता रहता है उसी क्रम में आज हम एक टूल की बात करेंगे जिसका नाम है Bollinger Bands।

जैसा कि हम सभी जानते हैं बाजार हमेशा ऊपर और नीचे होता रहता है यह कभी भी स्थिर नहीं होता और इस स्थिति में हम सभी बाजार का सही प्राइस ढूंढने की प्रयास करते रहते हैं ताकि हम अच्छे जगह पर एंट्री लेकर अपना प्रोफिट बना सके इस जगह की तलाश करने के लिए हम ना जाने कितने इंडिकेटर प्राइस एक्शन टेंडर्स अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

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हम सभी जो बाजार में काम कर रहे होते हैं सारे लोग मार्केट का भविष्य बताने का काम करते रहते हैं और इस क्रम में हम यह भूल जाते हैं कि भविष्य का वर्णन सटीकता से किया जा सकता है या नहीं।

शेयर बाजार में शेयर का प्राइस को पता लगाने के लिए ही अलग-अलग टूल्स में से Bollinger Bands भी एक टूल्स है। हम इसी टूल्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं इसके साथ किस तरीके के ट्रेडिंग करने के लिए कौन से और दूसरे इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं सारी बातों की चर्चा करेंगे।

Bollinger Bands Indicator

Bollinger Bands आमतौर पर वोलेटिलिटी इंडिकेटर होता है। जिसकी खोज 1980 के दशक में जॉन बोलिंजर नामक व्यक्ति ने किया था। इसमें सामान्य तौर पर 20 दिनों का मूविंग एवरेज लगे होते हैं जिससे दो स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर और नीचे लिया जाता है। जो एक चैनल की जैसा दिखता है।

Bollinger Bands काम कैसे करता है?

Bollinger Bands का इस्तेमाल टारगेट और एंट्री के लिए कैसे करें।

जैसा कि हम लोगों ने बात करा की Bollinger Bands में तीन लाइन बने होते हैं एक अपर लाइन दूसरा मिडिल लाइन और तीसरा लोअर लाइन जैसा की fig- में दिया गया है।

Fig.- 1

सामान्य तौर पर Bollinger Band में निचली लाइन से प्राइस अपर साइड मूव करती है और मिडिल लाइन जो 20 दिन के एवरेज को दिखता है वहा तक जाने के कोशिश करता है। उसी तरह से अगर 20 दिन के एवरेज प्राइस से प्राइस ऊपर के साइड मूव करता है तो वह अपने ऊपरी बैंड के लाइन तक जाने का कोशिश करता है।

Bollinger Bands की मुटाई कभी फैलती है तो कभी सिकुड़ती है अगर बाजार में कीमत बढती है तो वॉलेटिलिटी भी बढ़ती है और बैंड के बीच की दूरी भी चौड़ी हो जाती है, जबकि कम वॉलेटिलिटी के दौरान बैंड सिकुड़ जाती है। इसे बैंड का एक्सट्रैक्शन और कांट्रेक्शन कहते हैं। जब बैंड कंस्ट्रक्शन पीरियड में होता है तो उस दौरान मार्केट की वोलैटिलिटी कम होती है स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? और प्राइस 1 रेंज में ट्रेड करता रहता है, जबकि बैंड जब एक्सट्रैक्शन पीरियड में होता है तो प्राइस का मूवमेंट डायरेक्शनल होता है और प्राइस उस निश्चित डायरेक्शन में मूव करती है।

Fig .- 2

Which indicators used with Bollinger Bands?

अगर आप Bollinger Bands के साथ और भी दूसरे इंडिकेटर का उपयोग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह डिसाइड करना होगा कि, आप किस तरीके के ट्रेडर हैं अगर आप इंट्राडे में ट्रेड करना चाहते हैं तो उसके लिए हम अलग इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि इंट्राडे का मूवमेंट को अच्छे से बताने का कोशिश करता है साथ ही अगर आप स्विंग ट्रेडर है तो उसके लिए आप दूसरे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।

Strategy for Swing trading

जब हम बात करते हैं स्विंग ट्रेडिंग की तो सुन ट्रेडिंग में एंट्री लेने के बाद हम अपने पोजीशन को 3 से 7 दिन या 7 से 15 दिन या 15 से 30 दिन तक के लिए अपने पास रखते हैं और उसके बाद प्रोफिट मिलने के बाद अपने पोजीशन से एग्जिट करते हैं। और इस तरीके के ट्रेडिंग के लिए Bollinger Bands के साथ हम RSI ( Relative Strength Index ) का स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? इस्तेमाल कर सकते हैं।

Fig. – 3

ऊपर के Fig.-3 में RSI 20 के पास आ गया और Bollinger Bands में प्राइस लोअर बैंड के पास आ कर होल्ड किया तो यहा एक बाइंग का एंट्री का सिग्नल मिल रहा स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? है और प्राइस ऊपर भी गया। इस तरह के चार्ट अगर आप तलाशते है तो एक सही एंट्री आपको बाइंग साइड का मिल सकता है और आप बाय कर के एक अच्छा ट्रेड कर सकते है।

Fig.- 4

अब अगर सेलिंग के लिए एंट्री की बात करे तो उसके लिए आप fig.- 4 को देख सकते हैं जहा आप देख पा रहे होंगे की प्राइस Bollinger Bands के उपरी बैंड में टच किया और हमारा RSI भी 80 को टच कर चुका था। अब अगर बात करे तो RSI और Bollinger Bands दोनो सेलिंग जोन में आ गया है और अब प्राइस को नीचे आना पड़ता है। तो इस तरह से आप देख सकते है की Bollinger Bands और RSI के मदद से बाय और सेल कैसे किया जा सकता है।

Bollinger Bands for intraday with VWAP

सबसे पहले इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए हम टाइम फ्रेम को छोटे टाइम ड्यूरेशन में लेकर जाएंगे जैसे 5 और 15 मिनट का टाइम फ्रेम। जिसके बाद अपने चार्ट पर Bollinger Bands के साथ VWAP इंडिकेटर का उपयोग करेंगे। VWAP सामान्य तौर पर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सबसे आसान इंडिकेटर है इस इंडिकेटर के स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें? ऊपर अगर प्राइस जाता है तो बाइक किया जाता है और अगर इंडिकेटर VWAP के नीचे प्राइस जाता है तो सेल किया जाता है।

जब Bolllinger Bands का मध्य लाइन 20 पीरियड मूविंग एवरेज और VWAP के पास प्राइस आता हुआ और पहले से बैंड सिकुड़ा हुआ है तो VWAP का इस्तेमाल करते हुए बाय या सेल जो भी सिग्नल मिलता है उसका ट्रेड करते है जैसा की Fig.- 5 में दिखाया गया है।

Fig.- 5

इसी तरीके से बाइंग साइड के लिए भी हम पोजीशन बना सकते हैं अगर Bollinger Bands कॉन्ट्रैक्ट हो तथा VWAP के ऊपर प्राइस क्लोज करना स्टार्ट कर दे तो हम बाइंग का पोजीशन इंट्राडे में बना सकते हैं जोकि Fig.- 6 में आपको दिखाया गया है।

Fig.- 6

अड्डामार्केट वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी विभिन्न प्रकार के तथ्य सभी विश्लेषण अनुमान बाजार अध्ययन या अन्य सामान्य मूल्यांकन या जानकारी प्रदान करता है कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले कृपया अपने सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजर से सलाह मशवरा कर ले यहां पर प्रदान की गई जानकारी के आधार पर ट्रेड या इन्वेस्ट करने पर होने वाले प्रोफिट या लॉस का जिम्मेदार आप खुद होंगे अतः कोई भी ट्रेड पूरी तरह जिम्मेदारी से करें।

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