संकेतक मानक

स्वास्थ्य की तस्वीर
नीति आयोग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर चौथी स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट प्रकाशित की है। वर्ष 2019-20 के लिए प्रकाशित इस रिपोर्ट में 24 संकेतकों के आधार पर राज्यों को रैंक (क्रम) प्रदान की गई है और यह रिपोर्ट देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की तस्वीर सामने रखती है। तीन व्यापक क्षेत्रों-स्वास्थ्य संबंधी परिणाम, संचालन और सूचना तथा प्रमुख जानकारी और प्रक्रियाओं पर आधारित यह सूचकांक पर्याप्त जानकारी देता है। इसमें केवल शिशु मृत्यु जैसे मानक स्वास्थ्य संकेतक शामिल नहीं हैं बल्कि आधुनिक गर्भनिरोधकों के प्रसार, टीबी के उपचार की सफलता की दर, बीते तीन वर्षों में जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की औसत उपलब्धता जैसे मानक भी इसका हिस्सा हैं। इस व्यापक सूची के लिए सूचना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डेटा बेस के साथ-साथ राज्यों की रिपोर्ट से भी हासिल की गई। रैंकिंग काफी हद तक अपेक्षा के अनुरूप ही है और दक्षिणी और समृद्ध पश्चिमी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। इससे भी आंकड़ों की सत्यता उजागर होती है। परंतु कुछ बदलावों पर जोर देकर इस रैंकिंग को और अधिक उपयोगी तथा सार्थक बनाया जा सकता है तथा स्वास्थ्य नीति निर्माण तथा राज्यों के बीच संसाधनों के आवंटन में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
रैंकिंग हमें बताती है कि एक दूसरे के सामने राज्य किस स्थिति में है। यहां भी सूचना इसलिए सीमित हो जाती है क्योंकि राज्यों को तीन श्रेणियों में रैंक किया गया है- 19 बड़े राज्य, आठ छोटे राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेश। यह अपने आप में भ्रामक हो सकता है। उदाहरण के लिए केरल और तमिलनाडु समग्र प्रदर्शन के मामले में शीर्ष दो राज्य थे जबकि उत्तर प्रदेश अंतिम स्थान पर रहा। इसके बावजूद क्रमिक प्रदर्शन की बात करें तो उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा जबकि केरल और तमिलनाडु बड़े राज्यों में 12वें और आठवें स्थान पर आए। यहां भी कई समस्याएं हैं। इसलिए नहीं कि ऐसा जोखिम है कि आंकड़ों की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है कि जल्दी ही उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति के मामले में आदर्श बन सकता है। बीते वर्ष की घटनाओं से तुलना करें तो यह तथ्य एकदम विरोधाभासी है। यह और बात है कि बीता वर्ष सूचकांक की अध्ययन अवधि से बाहर है। चूंकि उत्तर प्रदेश की शुरुआत बहुत कम आधार से होती है इसलिए कोई भी क्रमिक सुधार उसकी स्थिति में असंगत उछाल दर्शाता है। इतना ही नहीं राज्यों का उनके आकार के अनुसार किया गया कृत्रिम बंटवारा भी तस्वीर को खराब करता है। कई छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में क्रमिक बदलाव के अंक उत्तर प्रदेश से अधिक रहे। मिजोरम, मेघालय, दिल्ली, जम्मू कश्मीर तथा पुदुच्चेरी इसके उदाहरण हैं।
मानव विकास संकेतकों की कोई भी रैंकिंग स्थिर तस्वीर भी पेश करती है और अगर एक मानक के समक्ष उनका आकलन न किया जाए तो उसका दुुरुपयोग संभव है। स्वास्थ्य सूचकांक की बात करें तो अधिकतम अंक (100) और हर प्रांत के विशिष्ट अंक के बीच का अंतर ज्यादा उपयुक्त मानक है। इस पर बहुत कम ध्यान दिया गया है लेकिन फिर भी यह स्पष्ट दिखाता है कि स्वास्थ्य के मामले में हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। करीब आधे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश समग्र सूचकांक अंक में आधे अंक भी नहीं पा सके और शीर्ष चार राज्य भी अधिकतम से काफी दूर रह गए। मसलन केरल, जिसकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की सराहना नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमत्र्य सेन ने भी की है उसे कुल मिलाकर 82.8 अंक मिले। इससे पता चलता है कि सर्वश्रेष्ठ राज्य में भी सुधार की गुंजाइश है। उस मानक पर उत्तर प्रदेश को तो बहुत लंबा सफर तय करना होगा क्योंकि उसे केवल 30.57 अंक मिले। कोविड-19 के प्रभाव वाले वर्ष का सूचकांक अधिक वास्तविक तस्वीर पेश संकेतक मानक कर सकता है।
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संकेतक व दिशा सूचक नहीं होने से हो रहे हादसे
सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सागर-झांसी फोरलेन हाइवे पर कई जगह एक्सिडेंटल पाइंट बने हुए हैं। इन प्वाइंटों पर दिशा सूचक व संकेतक तक नहीं है। इससे आए दिन हादसे होते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों ने भी अपनी सहूलियत के लिए जगह-जगह फोरलेन के डिवाइडरों को तोड़कर अपनी मनमर्जी से रास्ते बना लिए हैं, यहां भी कई हादसे हो चुके हैं। वहीं हादसा होन
सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)।
सागर-झांसी फोरलेन हाइवे पर कई जगह एक्सिडेंटल पाइंट बने हुए हैं। इन प्वाइंटों पर दिशा सूचक व संकेतक तक नहीं है। इससे आए दिन हादसे होते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों ने भी अपनी सहूलियत के लिए जगह-जगह फोरलेन के डिवाइडरों को तोड़कर अपनी मनमर्जी से रास्ते बना लिए हैं, यहां भी कई हादसे हो चुके हैं। वहीं हादसा होने की आशंका बनी रहती है। इस ओर एनएचएआई के अधिकारियों का ध्यान नहीं है। हालत यह है कि डिवाइडर के बीच में हरियाली के लिए पौधे लगाए गए थे, जहां मवेशी चरा करते हैं। इन मवेशियों की वजह से भी हादसे की आशंका बनी रहती है। फोरलेन एनएच 26 पर सागर जिले के रानीपुरा व गढ़पहरा के बीच बने तिराहे पर न तो किसी तरह का संकेतक बोर्ड लगा है। न ही रिफ्लेक्टर व स्पीड लिमिट बोर्ड लगाए गए हैं। यही हाल मादरी फाटक के पास है। यहां अनाधिकृत रूप से लोगों ने आने-जाने के लिए डिवाइडर तोड़कर रास्ता बना लिया है। यहां अक्सर हादसे होते हैं। बरौदिया कलां के आगे अंधा मोड़ है। यहां भी किसी दिशा सूचक व संकेतक नहीं लगा है।
डिवाइडर तोड़कर बनाए रास्ते
सागर से मालथौन तक डिवाइडर तोड़कर रास्ते बनाने के कारण भी कई लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे। बावजूद टूटे डिवाइडरों को सुधारा नहीं जा रहा है। फोरलेन एनएच 26 पर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के भारी वाहनों का आवागमन रहता है। सागर से नईदिल्ली को जोड़ने वाले इस अतिव्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षित यातायात के लिए चार वर्ष पूर्व लगे संकेतक जमींदोज संकेतक मानक हो चुके हैं। ऐसे में यहां पूरा ट्रैफिक सिस्टम वाहन चालकों के अंदाजे पर भगवान भरोसे चल रहा है। यातायात के सुरक्षा मानक ताक पर है। हाईवे पर खड़े ट्रकों में वाहन टकराते हैं और हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है। अवैध कटों से निकल रहे लोग भी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं और हादसे का शिकार होते हैं।
यातायात सुरक्षा मानकों का अभाव
प्रावधान के अनुसार तिराहे पर 20 मीटर पहले संकेतक लगा होना चाहिए। संकेतक ऐसा हो जो चालकों को दूर से नजर आ जाए, लेकिन यहां इस प्रावधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। राजमार्ग के विस्तार, बढ़ती आबादी, वाहनों के बढ़ते दबाव व भागती जिंदगी के इस दौर में यातायात सुरक्षा मानकों का अभाव लोगों की जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश करता है। एक्सिडेंटल पाइंट बने गढपहरा तिराहा, बांदरी, रजवांस, मादरी फाटक, पलेथिनी, बरौदियाकलां, मालथौन सहित अन्य तिराहे पर संकेतक लगाने का निर्देश एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं क्षेत्रवासी
बरौदिया कलां के सरपंच दयाराम चौरसिया का कहना है कि फोर लेन पर सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। कई जगह संकेतक व दिशा सूचक नहीं है। इससे अक्सर रात में हादसे होते हैं। राघवेंद्र सिंह ठाकुर, मलखान सिंह लोधी, हल्ले भाई यादव व अशोक कुमार यादव प्रेमपुरा का कहना है कि एनएचएआई कई हादसों के बाद भी ध्यान नहीं दे रहा है।
फोरलेन पर दिशा सूचक व संकेतक लगाए गए हैं। जहां नहीं है, वहां जांच के बाद लगवाए जाएंगे। फोरलेन पर डिवाइडर तोड़कर अनाधिकृत रूप से बनाए गए रास्तों को बंद कराया जाएगा। इनकी वजह से हादसे होते हैं। पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर से भी इस संबंध में चर्चा हुई है। पुलिस थानों से इनकी सूची मांगी है। कुछ जगह अनाधिकृत रास्ते बंद कर दिए गए हैं। यदि अब लोग इन रास्तों को तोड़ते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में लगाएं संकेतक
ज्ञानपुर। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में संकेतक लगाने का निर्देश दिए गए। डीएम ने कहा कि जिन स्थानों पर अधिक दुर्घटनाएं होती हैं वहां संकेतक लगाएं, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि जो स्कूल सड़कों के आसपास हों, वहां बच्चों को सड़क पार कराने के लिए शिक्षकों को नामित करें। स्कूलों की चहारदीवारी पर पुलिस, अस्पताल के जरूरी नंबर अंकित कराए जाएं। परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि यातायात सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करें। नियमों को तोड़ने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मालवाहक वाहनों पर मानक से अधिक लोड ले जाने पर कार्रवाई करें। नशे में वाहन चलाने, मोबाइल से बात करते समय वाहन चलाने, दोपहिया सवार हेलमेट न लगाने पर चालान काटें। चौपहिया वाहन में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से बंधवाएं। बैठक में एसडीएम ज्ञानपुर अमृता सिंह, सीओ रामकरन, एआरटीओ सत्येंद्र यादव, टीएसई जयप्रकाश यादव आदि शामिल रहे।
ज्ञानपुर। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई सड़क संकेतक मानक सुरक्षा समिति की बैठक में दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में संकेतक लगाने का निर्देश दिए गए। डीएम ने कहा कि जिन स्थानों पर अधिक दुर्घटनाएं होती हैं वहां संकेतक लगाएं, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि जो स्कूल सड़कों के आसपास हों, वहां बच्चों को सड़क पार कराने के लिए शिक्षकों को नामित करें। स्कूलों की चहारदीवारी पर पुलिस, अस्पताल के जरूरी नंबर अंकित कराए जाएं। परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि यातायात सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करें। नियमों को तोड़ने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मालवाहक वाहनों पर मानक से अधिक लोड ले जाने पर कार्रवाई करें। नशे में वाहन चलाने, मोबाइल से बात करते समय वाहन चलाने, दोपहिया सवार हेलमेट न लगाने पर चालान काटें। चौपहिया वाहन में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से बंधवाएं। बैठक में एसडीएम ज्ञानपुर अमृता सिंह, सीओ रामकरन, एआरटीओ सत्येंद्र यादव, टीएसई जयप्रकाश यादव आदि शामिल रहे।
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