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अब कमा रहे लाखों रुपए

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अमरूद की इस खास किस्म से किसान लाखों में कर रहे कमाई, आप भी ऐसे कमा सकते हैं लाखों रुपये

खेती-बाड़ी में पिछले कुछ सालों के अंदर अनेकों बदलाव आये हैं। जिसने भी हटकर काम किया है उसने सफलता ज़रूर प्राप्त की है। हमेशा से ही विज्ञान किसानों को काफी लाभ पहुंचाता रहा है। किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह की किस्मों का ईजाद किया जाता रहा है। कृषि वैज्ञानिक क्षेत्र और जलवायु के हिसाब से बीज तैयार करते हैं, जिससे किसानों का उत्पादन और आय दोनों बढ़ता है।

किसान नए – नए तरीकों से और फसलों से खेती में अपना भविष्य बना रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान अब नई – नई फसलों की खेती कर रहे हैं। बागवानी अनुसंधान केंद्र ने एक अमरूद की एक ऐसी किस्म बनाई है जो स्वास्थ्य के लिहाज से उत्तम तो है अब कमा रहे लाखों रुपए ही, साथ ही इसकी खेती कर किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं।

अमरूद की इस खास किस्म से किसान लाखों में कर रहे कमाई, आप भी ऐसे कमा सकते हैं लाखों रुपये

पिछले कुछ वर्षों के दौरान देखने को मिला है कि पारंपरिक खेती से दूर हो कर किसान नए प्रयोग कर रहे हैं। इन प्रयोगों में उन्हें सफलता और मुनाफा दोनों मिल रहा है। अमरूद की इस किस्म का नाम है, अर्का किरण अमरूद एफ-1 हाइब्रिड। अर्का किरण एफ-1 हाइब्रिड अमरूद में लाइकोपिन की उच्च मात्रा पाई जाती है। 100 ग्राम अमरूद में 7.14 मिली ग्राम। यह मात्रा दूसरी किस्मों से कई गुना ज्यादा है।

विदेश की नौकरी छोड़ शुरु की ड्रैगन फ्रूट की खेती, अब कमा रहे सालाना लाखों रुपये: खेती-बाड़ी

Uttar Pradesh farmer Ravindra Pandey Earning Lakh of rupees by Dragon Fruit Farming

कृषि में अपार सफलता को देखते हुए अब युवा उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी न करके खेती में अपना करियर आजमा रहे हैं और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके एक सफल किसान भी बन रहे हैं। कृषि क्षेत्र अब कमा रहे लाखों रुपए आजकल के युवाओं को इस कदर अपनी ओर आकर्षित कर रहा है कि वे देश-विदेश नी बेहतर आमदनी वाली नौकरी को ठुकरा कर खेती कर रहे हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी है कि युवा किसान रवींद्र की, जो विदेश की अच्छी नौकरी को ठोकर मार कर खेती का विकल्प चुना जिसने उनकी जीवन को बदल दिया।आज वे ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों की कमाई कर रहे हैं।

खेती करने के लिए ठुकराया विदेश की नौकरी का ऑफर

युवा किसान रवींद्र पाण्डेय (Ravindra Pandey) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कौशांबी के सिराथू तहसील के रहनेवाले हैं और उनके पिता का नाम सुरेश चंद्र है। उन्होंने गणित विषय से ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की जिसके बाद उन्हें देश-विदेश से कई सारी नौकरी के प्रस्ताव आए लेकिन उन्होंने किसी भी ऑफर को स्वीकार नहीं किया और खेती के विकल्प को चुना।

शुरु किया ड्रैगन फ्रूट की खेती

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रवींद्र (Farmer Ravindra Pandey) पढ़ाई पूरी करने के बाद वह नौकरी की तैयारी कर रहे थे तभी कृषि गोष्टि में उनकी मुलाकात तत्कालीन DM अखंड प्रताप सिंह से हुई। यह बात लगभग 7 साल पहले हुए की है। डीएम ने रवींद्र को ड्रैगन फ्रूट के बारे में बताया जो कैक्टस प्रजाति का पौधा होता है। इस फल की खेती के बारें जानने के बाद उन्होंने इसकी खेती करने का फैसला किया।

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ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) के लिए रवींद्र ने 10 बिस्वा खेत में ड्रैगन फ्रूट्स की नर्सरी तैयार की। ये सब उन्होंने अब कमा रहे लाखों रुपए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरु किया। कहीं-न-कहीं सभी के जीवन में बदलाव जरुर आता है और रवींद्र के जीवन में भी उस समय बदलाव आया जब उन्हें ड्रैगन फल के बारें में जानकारी मिली। यह समय उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

पहले दो वर्ष तक नहीं हुआ मनचाहा उत्पादन

रवींद्र (Ravindra Pandey) को ड्रैगन फल की खेती (Dragon Fruit Farming) शुरु करने के लिए पैसों की जरुरत थी ऐसे में उन्होंने अपने पिता से सहायता लेकर खेती शुरु की। उन्होंने 62 हजार की लागत खर्च करके 400 ड्रैगन फ्रूट के पौधें लगाएं। लेकिन इसकी खेती में 2 साल तक फसल का उत्पादन अच्छा नहीं हुआ और उन्हें असफलता हाथ लगी। फसल का बेहतर उत्पादन नहीं होने की पीछे की वजह थी रासायनिक खाद का इस्तेमाल।

ड्रैगन फ्रूट की खेती से कमा रहे सालाना लाखों रुपये

दो वर्ष तक निराशा मिलने के बाद उन्होंने अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इन्टरनेट की सहायता से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे विदेशी किसानों से सम्पर्क किया। विदेशी किसानों ने रवींद्र को खेती में रासायनिक खाद का इस्तेमाल न करने की सलाह दी क्योंकि इससे उत्पादन अच्छा नहीं होता है। किसानों की सलाह के अनुसार रवींद्र ने रासायनिक खादों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया, जिसके बाद उन्होंने देखा की पैदावार पहले की अपेक्षा काफी अधिक हुई।

वर्तमान में रवींद्र (UP Farmer Ravindra Pandey) ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Cultivation) करने के साथ-साथ नर्सरी से उसके पौधें बेचकर सालाना 4 लाख की कमाई करते हैं। खेती में सफलता हासिल करके साबित कर दिया है कि अब खेती भी करियर का अच्छा विकल्प है।

कभी रह गई थी सिर्फ 1 भैंस, इस लड़की ने बढ़ाया डेयरी बिजनेस, हो रही हर महीने 6 लाख की कमाई

लव रघुवंशी

महाराष्ट्र के अहमदनगर के निघोज गांव की 21 साल की श्रद्धा धवन ने 11 साल की उम्र में अपने परिवार के डेयरी बिजनेस को संभाला और आज उसे ऊंचाई तक ले गई हैं।

Shraddha Dhawan

  • 11 साल की उम्र में श्रद्धा धवन ने संभाला परिवार का बिजनेस
  • हर चुनौती को पार करते हुए हासिल की सफलता
  • अब लाखों में हो रही इस बिजनेस से कमाई

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के अहमदनगर की 21 साल की श्रद्धा धवन ने अपने परिवार के डेयरी बिजनेस को इतना आगे बढ़ाया कि वो अब इससे हर महीने 6 लाख रुपए कमा रही हैं। अहमदनगर के निघोज गांव की श्रद्धा ने परिवार के दुग्ध व्यवसाय को बढ़ाया है। वो 80 भैंस के दूध से 450 लीटर दूध बेच रही हैं।

श्रद्धा के घर में कभी भी छह से अधिक भैंस नहीं थीं। यहां तक एक समय 1998 में उनके परिवार में केवल एक भैंस थी। उस समय उनके पिता सत्यवान मुख्य अब कमा रहे लाखों रुपए रूप से भैंस का कारोबार करते थे। दूध बेचना उनके लिए मुश्किल था क्योंकि वह दिव्यांग थे और उसकी कुछ शारीरिक सीमाएं थीं।

2011 मे बदली चीजें

चीजें तब बदलीं जब 2011 में उन्होंने अपनी बेटी को इस काम को संभालने की जिम्मेदारी दी। श्रद्धा ने 'द बेटर इंडिया' को बताया, 'मेरे पिता बाइक नहीं चला सकते थे। मेरा भाई किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए बहुत छोटा था। इसलिए मैंने 11 साल की उम्र में जिम्मेदारी संभाली हालांकि मुझे यह काफी अजीब लगा, क्योंकि हमारे गांव की किसी भी लड़की ने इससे पहले इस तरह का काम नहीं किया था।'

बढ़ती गई कमाई

वो बाइक चलाकर डेयरी फार्म्स तक दूध पहुंचाती हैं। आज श्रद्धा अपने पिता के व्यवसाय को दो मंजिला इमारत से चलाती हैं, जिसमें 80 से अधिक भैंस हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में तब से सुधार हुआ है। वे हर महीने 6 लाख रुपए कमाते हैं। वो कहती हैं, 'जब मेरे पिता ने मुझे फार्म की जिम्मेदारी सौंपी, तो व्यवसाय बढ़ने लगा। जैसा ही ये उठने लगा तो भैंसों की संख्या बढ़ाई गई।' उन्होंने बताया कि 2013 तक दूध के बड़े केटल्स को ले जाने के लिए उन्हें मोटरसाइकिल की जरूरत थी। उस समय उनके पास एक दर्जन से अधिक भैंसें थीं, और उसी साल उनके लिए एक शेड का निर्माण किया गया। 2015 अब कमा रहे लाखों रुपए में अपनी दसवीं कक्षा के दौरान श्रद्धा एक दिन में 150 लीटर दूध बेच रही थी। 2016 तक उनके पास लगभग 45 भैंस थीं, और हर महीने 3 लाख रुपए कमा रहे थे।

आईटी की नौकरी नहीं भाई तो किसानी में आजमाई किस्मत, आज घर बैठे कमा रहे हैं लाखों रुपए

आईटी की नौकरी नहीं भाई तो किसानी में आजमाई किस्मत, आज घर बैठे कमा रहे हैं लाखों रुपए

कुछ ऐसी ही मुश्किल फैसले की घड़ी का सामना करना पड़ा था हैदराबाद के रहने वाले इस शख्स को जब इन्होंने आईसेक्टर की अच्छे वेतन वाली नौकरी छोड़ खेती का फैसला लिया था। लेकिन किसे पता था कि घर से बाहर निकलकर इस लड़के ने दुनियादारी को काफी बारीकी से समझ लिया है और उसके द्वारा लिया गया डिसीजन ही उसकी जिंदगी बदलने वाला है।

बचपन से ही खेती की ओर था रुझान

हैदराबाद के रामपुर गाँव में जन्में आर नंदा किशोर रेड्डी का बचपन काफी साधारण से पारिवारिक माहौल में गुजरा था। पिता पेशे से किसान थे। जिस वजह से उन्हें किसानी का करने का शौक भी बचपन से ही रहा है। लेकिन, समाज और परिवार को देखते हुए उन्होंने आई.टी इंजीनिरिंग का रास्ता अपनाया।

हालांकि, यह फील्ड उन्हें बहुत अधिक दिनों तक प्रभावित नहीं रख पाई और एक दिन ऐसा आया जब नंदा ने एक मोटी सैलरी वाली जॉब से रिजाइन दे दिया है और पिता के पास वापस गाँव चले गए। जहां उन्होंने खेतों में पारंपरिक तरीके से हो रही फसलों में बदलाव करके ऑर्गेनिक खेती पर जोर देना शुरू कर दिया।

आर.नंदा किशोर रेड्डी

आर.नंदा किशोर रेड्डी

कोविड ने किया किसान बनने के लिए प्रभावित

साल 2020 के मार्च महीने में आयी कोरोना महामारी ने नंदा किशोर रेड्डी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्होंने देखा कि जब आर्थिक कड़ियों के सारे रास्ते बंद हो गए थे तब बड़ी तादाद में लोग सब्जी और फलों का बिजनेस करने लगे थे। बहुत से लोगों की नौकरियां जाने लगीं। कश्मकश के उस दौर में उन्हें महसूस हुआ कि फार्मिंग एक ऐसा सेक्टर है जो कभी न रुकने और बुरे से बुरे समय में चालू रहना वाला काम है। इस महामारी के दौर ने उनके नजरिए को बदलकर रख दिया।

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “घर पर पिता को खेती-किसानी करते लंबे समय तक देखा था। लेकिन, तब तक मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं था। जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा था और प्रोफेशनल्स की नौकरियां जाने लगी। उस समय भी कोई थोक में खाद्य सामग्री खरीदकर इकठ्ठा कर रहा था तब मुझे कृषि की अहमियत समझ आई।”

मेहनत में जोड़ दी टेक्नोलॉजी

अक्सर खेतों में काम कर रहे किसान भाई बेहद ही कड़ी मेहनत करके फसलों को उगाते हैं जिसके बाद हम सबका भरण-पोषण हो पाता है। चूंकि, नंदा ने तकनीक की दुनिया में काफी समय तक काम किया था जिसका उन्हें यहां पर पूरा फायदा मिला। नई चीजों को समझना और उन्हें उपयोग में लाना उनके लिए काफी आसान अब कमा रहे लाखों रुपए काम था। इसलिए उन्होंने खेती को फायदेमंद बनाने और शारीरिक श्रम को कम करने के लिए अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।

वह कहते हैं, “मैंने जैविक खेती और क्षेत्र में नए इनोवेशन के बारे में काफी जानकारी हासिल कर ली थी। इससे मुझे खेती में पूरा समय काम करने का हौसला मिला।”

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इन फसलों की करते हैं खेती

नंदा ने घर वापसी करने के बाद पिता के साथ मिलकर खेतों में ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। इसमें उन्होंने मल्टी फार्मिंग विकल्प को चुना। शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ में पॉली हाउस और अन्य दो एकड़ में विदेशी खीरा व पालक उगाने लगे। एक साल में इसकी पैदावार 30 टन हुई। जिससे उनकी 3.5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ। इस मुनाफे का गणित अब धीरे-धीरे उन्हें समझ आने लगा था। इसलिए उन्होंने इसका दायरा बढ़ा दिया। तीन महीने में पालक और खीरे की खेती समाप्त हो जाने वाले के बाद उन्होंने खाली पड़े खेतों में शिमला मिर्च, हरी मिर्च और भिंडी की खेती करनी शुरू कर दी।

वह कहते हैं, “मुझे 35 हजार रुपए वाली नौकरी छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। मैं बचपन से ही खेतों और किसानों के बीच बड़ा हुआ हूँ। जिस कारण खेती के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी मुझे पहले से ही थी। हालांकि, आईटी सेक्टर को छोड़कर कृषि की तरफ आना थोड़ा मुश्किल काम था लेकिन मैंने खुद को यह चैलेंज दिया। इस काम में मेरे पिता और मेरे एक दोस्त ने मेरी हर अब कमा रहे लाखों रुपए मोड पर काफी मदद की। मिट्टी की तरफ लौट कर आना मेरे लिए काफी फायदे का सौदा रहा।”

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स्ट्रॉबेरी की खेती से जल्द बन सकते हैं लखपति, बिहार के किसान ने कमा लिए ₹7.5 लाख

Strawberry Farming: स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) ने बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले बृजकिशोर की जिंदगी में खुशहाली भर दी. आज वो सालाना 7.50 लाख रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं.

Strawberry Farming: पहले केवल मौसमी सब्जी की खेती से कम कमाने वाले बृजकिशोर प्रसाद मेहता आज लाखों में कमाई कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) ने बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले बृजकिशोर की जिंदगी में खुशहाली भर दी. आज वो सालाना 7.50 लाख रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की अच्छी खेती से गांव के अन्य किसान भी प्रभावित हुए और Strawberry की खेती शुरू की.

कैसे मिला Strawberry Faming का आइडिया?

बृजकिशोर को स्ट्रॉबेरी फार्मिंग का आइडिया उनके बेटे ने दिया. आर्थिक तंगी की वजह से उनका बेटा रोजगार के उद्देश्य से हरियाणा का अब कमा रहे लाखों रुपए हिस्सा गया. यह वह एक प्रगतिशील किसान के यहां Strawberry की खेती में काम किया. अपने बेटे के कहने पर बृजकिशोर हिसार स्ट्रॉबेरी की अब कमा रहे लाखों रुपए खेती देखने गया और एक महीने रूककर खेती में लागत और आय की जानकारी लिया. वहां का जलवायु और यहां का जलवायु लगभग समान लगा. इसके बाद वो स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गए.

ऐसे शुरू हुई Strawberry की खेती

बृजकिशोर के मुताबिक, स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने के लिए हिसार से इसके 7 पौधे लाए. इसके बाद लगातार पौधों से पौधा बनाता गया. साल 2014 में 1500 पौधा तैयार कर उसे करीब 2 कट्ठे खेत में लगाकर खेती किया. खेती की शुरुआत करने से पहले बिहार कृषि विभाग उद्यान निदेशालय की ओर से सब्सिडी रेट पर ड्रिप सिंचाई तकनीक और प्लास्टिक मल्च लिया, जो खेती का अहम हिस्सा है.

साल 2015 में खेती को बढ़ाकर करीब 1 एकड़ में किया जिसमें लगभग 25000 पौधा लगाया गया, जिसकी खेती सफल हुई और आय भी अच्छी रही. इसके बाद उनका परिवार सुखी-सम्पन्न जीवन यापन कर रहा है. Strawberry के पौधे पुणे से मंगाते हैं. एक हेक्टेयर में कुल 60,000 पौधे लगाए जाते हैं.

एक साल अब कमा रहे लाखों रुपए अब कमा रहे लाखों रुपए में कमा लिए 7.5 लाख रुपए

बृजकिशोर स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) अपनाने से पहले 2 हेक्टेयर में भिंडी और अन्य सब्जी की खेती से सालाना आय 78,500 रुपए थी. स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने के बाद 2 हेक्टेयर में समय पर स्ट्रॉबेरी की खेती के बाद अन्य सब्जी की खेती से सालाना 7.5 लाख रुपए कमाई हो रही है.

Strawberry की बिक्री

उनके मुताबिक, स्ट्रॉबेरी की बिक्री की कोई समस्या नहीं है. कोलकाता, बोकारो, रांची, पटना और छत्तीसगढ़ के रायपुर के व्यापारी अपने प्रतिनिधि को उत्पादन के समय गांव भेज देते हैं और वे इन शहरों में जाने वाली बसों के जरिए रोजाना Strawberry भेज देते हैं. बिहार कृषि विभाग ने बृजकिशोर प्रसाद मेहता की सफलता की कहानी बताई.

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