आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है

आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

क्या है IPO

इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.

यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.

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DRHP को ध्यान से पढ़ें

किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.

जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

प्रमोटरों को जानें

जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.

कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें

कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.

रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें

कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.

(Article: Adhil Shetty)

(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है लिखा है.)

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क्या होता है आईपीओ? क्यों ये निवेश करने के लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं?

IPO in hindi

शेयर बाजार में एक नाम हमेशा लोगों का ध्यान आ​कर्षित करता है वह है आईपीओ। आप भले निवेश करते या नहीं करते, लेकिन आईपीओ के बारे में आपने जरूर सुना होगा और आपके मन में ख्याल भी आया होगा कि आखिर ये आईपीओ होता क्या है? आईपीओ के क्या फायदे है? या फिर आईपीओ कैसे खरीदे? आदि। ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इनके साथ ही आईपीओ के प्रकार, कम्पनी IPO क्यों लाती है? जैसे सवालों के जवाब देने का भी प्रयास करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।

आईपीओ क्या होता है?

सामान्य शब्दों में समझें तो जब किसी प्राइवेट कम्पनी को पैसों की जरूरत होती है तो वह कम्पनी में निवेश बढ़ाने के लिए पैसे जुटाने का प्रबंध करती है। इसी के तहत कम्पनी खुद को शेयर मार्केट में लिस्ट करके कम्पनी में निवेश करवाती है। इसमें आमजन भी निवेश कर सकते हैं या फिर कहे कि पैसे लगा सकते है और IPO की वैल्यू बढ़ने पर लाभ कमा सकते हैं।

आईपीओ का पूरा नाम Initial Public Offering (IPO) होता है। जिससे भी साफ अर्थ समझा जा सकता है कि IPO के तहत कम्पनी द्वारा लोगों को प्रारंभिक तौर पर निवेश के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके कम्पनी आम लोगों, निवेशकों और अन्य को कंपनी के शेयर अलॉट करती है, जो एक सीमित मात्रा में होते हैं और लॉटरी के माध्यम से अलॉट होते हैं।

अगर हम वर्ष 2021 की बात करें तो अब तक 40 से ज्यादा कम्पनीज के IPO लॉंच हो चुके हैं। इसके तहत कम्पनी खुद को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्ट करवाती है। हालांकि इसके लिए कंपनी के पास न्यूनतम 10 करोड़ रुपए चुकता पूंजी होनी चाहिए।

आईपीओ कितने प्रकार का होता है?

types of ipo in hindi

आईपीओ को दो भागों में बांटा जाता है, जो कि उनकी कीमतों के निर्धारण के आधार पर होता है।

1. फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO)

2. बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)

फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO)

इसके तहत कम्पनी द्वारा निर्धारित फिक्स प्राइस पर ही IPO को सब्सक्राइब किया जा सकता है या फिर आईपीओ लेने के लिए रिक्वेस्ट डाली जा सकती है। इसमें अगर प्राइस कम हो तो उसे फ्लोर प्राईस (FLOOR PRICE) कहा जाता है।

बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)

इसके तहत कम्पनी द्वारा प्राईस बैंड (PRICE BAND) डिसाइड किया जाता है। आईपीओ की प्राईस बैंड डिसाइड हो जाने के बाद इसे जारी किया जाता है। इसके बाद कम्पनी द्वारा डिसाइड किए गए प्राईस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सब्सक्राइब करते हैं। इसके अगर प्राइस ज्यादा हो तो उसे कैप प्राईस (CAP PRICE) कहा जाता है।

आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है?

ipo investment in hindi

अब बात करते आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है हैं आईपीओ में इनवेस्टमेंट की। दरअसल, कोई भी कंपनी, जो आईपीओ जारी करने वाली होती है, अपने IPO को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है। यानी कि यदि आपको किसी कम्पनी का IPO लेना है तो आपके पास 3 से 10 दिनों के बीच का समय होता है। यह अवधि कम ज्यादा भी हो सकती है। कुछ कम्पनीज तो दिन दिन का ही समय देती है।

अब सवाल यह है कि आईपीओ में इनवेस्ट कैसे करें? या फिर आईपीओ कैसे खरीदें? तो आप इन दिनों के भीतर कम्पनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या किसी रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के जरिए आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपके पास एक डीमेट अकाउंट होना जरूरी होता है। यहां पर यह भी देखना होता है कि IPO फिक्स प्राईस इश्यू है या फिर बुक बिल्डिंग इश्यू। जिस तरह का IPO होता है, आपको उसी में इनवेस्ट करना होता है। यह प्रारंभिक मार्केट भी कहलाता है।

IPO कैसे अलॉट होता है?

यह प्रक्रिया आईपीओ ओपनिंग क्लोज होने के बाद की होती है, इसके तहत कम्पनी अपने इनवेस्टर्स को IPO अलॉट करती है। यह प्रक्रिया इस तरह काम करती है कि जब कोई आईपीओ बहुत अधिक ओवरसब्सक्राइब हो जाता है यानी कि ज्यादा आवेदन आ जाते हैं तो लकी ड्रॉ के जरिए अलॉटमेंट होता है। यह एक कंप्यूटरीकृत व्यवस्था होती है, इसमें पक्षपात की संभावना नहीं रहती है।

आप जितने ज्यादा आवेदन डालेंगे या बीड सब्सक्राइब करेंगे, आपके अलॉटमेंट के चांस उतने ही बढ़ जाएंगे। इसके बाद जब अलॉट हुए शेयर, स्टॉक एक्सचेंज (STOCK MARKET) में लिस्ट हो जाते हैं, तब यह सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं।

IPO कैसे फायदेमंद है?

सामान्य शब्दों में कहे तो यह जल्दी मुनाफा प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है। जिस प्रकार हम किसी कम्पनी में निवेश करते हैं तो उसे डबल होने या अच्छा मुनाफा मिलने जैसा होने में काफी लम्बा समय लग जाता है। लेकिन IPO में ऐसा नहीं है, इसके आपको स्लॉट मिलने के दो तीन बाद ही अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता है। जैसे जैसे आपके शेयर की वैल्यू बढ़ती है आपको अधिक मुनाफा मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है। हालांकि यह जोखिम भरा भी रहता है, जरूरी नहीं कि आपका शेयर फायदे में ही जाए, कई बार ऐसा भी संभव है कि जिस राशि में आपने शेयर खरीदा होता है, उससे आपको कई राशि भी मिल सकती है।

ऐसे में जरूरी है कि आप ​किसी भी कम्पनी का शेयर लेने से पूर्व उसके लाभ हानि की अच्छे से पड़ताल कर लें, फिर ही IPO का निर्णय लें।

ASBA से ही कर सकते हैं IPO में निवेश, PNB ने बताई निवेशकों के काम की बात

कई ऐसे निवेशक हैं जो IPO पर दांव लगाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे निवेशकों के लिए पंजाब नेशनल बैंक यानी PNB की ओर से एक खास बात बताई गई है। बैंक ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी है।

ASBA से ही कर सकते हैं IPO में निवेश, PNB ने बताई निवेशकों के काम की बात

आने वाले दिनों में कई सारे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लॉन्च होने वाले हैं। कई ऐसे निवेशक हैं जो IPO पर दांव लगाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे निवेशकों के लिए पंजाब नेशनल बैंक यानी PNB की ओर से एक खास बात बताई गई है। PNB ने बताया है कि सेबी के निर्देशानुसार एप्लीकेशन सपोर्ट बाय ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) के जरिए निवेशक आईपीओ पर दांव लगा सकते हैं।

क्या कहा बैंक ने: पीएनबी के सोशल मीडिया अकाउंट पर बताया गया है कि सेबी दिशानिर्देशानुसार IPO में ASBA द्वारा ही निवेश किया जा सकता है। आज ही पीएनबी वन मोबाइल App डाउनलोड करें और ASBA सुविधा का लाभ उठाएं।

क्या है ASBA: यह सेबी का मेथड है जिसके जरिए निवेशक आईपीओ के लिए अप्लाई करते हैं तो उनका फंड ब्लॉक कर दिया जाता है। बैंक अकाउंट से अमाउंट तब तक डेबिट नहीं होता है जब तक कि उन्हें शेयरों का अलॉटमेंट प्राप्त नहीं हो जाता। अगर आईपीओ अलॉट नहीं हुआ तो फंड दोबारा बैंक अकाउंट में एक्टिव हो जाता है।

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

क्या है IPO

इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.

यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.

Best Schemes: 5 साल में 3 गुना मिल सकता है रिटर्न, इन 4 स्‍कीम ने किया है कमाल, क्‍या आप लगाएंगे पैसा

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DRHP को ध्यान से पढ़ें

किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.

जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

प्रमोटरों को जानें

जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.

कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें

कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.

रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें

कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.

(Article: Adhil Shetty)

(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)

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LIC IPO: देश के सबसे मेगा आईपीओ के लिए कैसे लगा सकते हैं अधिकतम बोली?

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी-Life Insurance Corporation of India ) 4 मई को भारत के अब तक के सबसे बड़े आईपीओ (LIC IPO) के साथ बाजार में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है.

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी-Life Insurance Corporation of India ) 4 मई को भारत के अब तक के सबसे बड़े आईपीओ (LIC IPO) के साथ बाजार में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है. सरकार एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. आईपीओ के लिए प्राइस बैंड (LIC IPO Price Band) 902-949 रुपये तय किया गया है. एलआईसी ने आईपीओ में पॉलिसीधारकों का कोटा तय करने का फैसला लिया है. ऑफर का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित होगा, तो खुदरा निवेशकों का हिस्सा 35 प्रतिशत होगा और एलआईसी कर्मचारियों का कोटा 0.71 प्रतिशत तक होगा. आइए हम आपको वो सब जरूरी बातें बताते हैं, जो आपको इनवेस्ट करने से पहले जान लेना जरूरी है.

खबर में खास
  • मैं कितना निवेश कर सकता हूं, क्या इसकी कोई सीमा है?
  • कोटे में आईपीओ लेने पर क्या छूट दी जाती है?
  • कोटे वालों को कट आफ मूल्य पर बोनी लगाने के अधिकार
  • अधिक शेयरों के लिए गैर-संस्थागत हिस्से में बोली लगा सकता हूं?
  • मिनिमम इन्वेस्ट लॉट साइज क्या है?
  • पात्र पॉलिसीधारक के रूप में विचार करने के लिए कोई कट-ऑफ तिथि है?
  • पॉलिसीधारकों के लिए अन्य शर्तें क्या हैं?
  • खुदरा हिस्से के तहत बोली लगाने के लिए कौन पात्र है?
  • IPO में निवेश करने के लिए मैं किन माध्यमों का उपयोग कर सकता हूं?
मैं कितना निवेश कर सकता हूं, क्या इसकी कोई सीमा है?

यदि आप पॉलिसीधारक, कर्मचारी या खुदरा के लिए तय आरक्षित कोटा में निवेश कर रहे हैं तो आप स्वयं के डीमैट खाते के माध्यम से अधिकतम 2 लाख रुपये (छूट का शुद्ध) निवेश कर सकते हैं. हालांकि, अगर आप तीनों कोटा में बोली लगाते हैं तो आप कुल 6 लाख आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है रुपये निवेश कर सकते हैं. और अगर आप कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों के कोटे में शेयरों के लिए बोली लगा रहे हैं, तो आपको कुल 4 लाख रुपये की सीमा मिलती है.

कोटे में आईपीओ लेने पर क्या छूट दी जाती है?

यदि आपकी बोली पॉलिसीधारकों के कोटे में स्वीकार की जाती है, तो आपके अंतिम खरीद मूल्य को ऑफ़र मूल्य पर 60 रुपये प्रति शेयर की सीमा तक छूट दी जाएगी. कर्मचारियों और खुदरा निवेशक कोटा में 45 रुपये प्रति शेयर पर छूट थोड़ी कम है.

कोटे वालों को कट आफ मूल्य पर बोनी लगाने के अधिकार

पॉलिसीधारक, कर्मचारियों या खुदरा कोटा के माध्यम से बोली लगाने वाले निवेशक कट-ऑफ मूल्य पर अपनी बोली लगाने के हकदार हैं. कट-ऑफ मूल्य कंपनी के अंतिम शेयर मूल्य के अलावा और कुछ नहीं है, जो विभिन्न श्रेणियों के निवेशकों द्वारा मूल्य बैंड (902-949 रुपये प्रति शेयर) के भीतर अलग-अलग बिंदुओं पर अपनी बोली लगाने के रूप में महसूस किया जाता है. इस कट-ऑफ प्राइस (ऑफ़र प्राइस) पर, पॉलिसीधारक कोटे में आवंटित शेयर 60 रुपये प्रति शेयर की छूट पर होंगे. कर्मचारियों को आवंटित शेयर और खुदरा निवेशक कोटा पर 45 रुपये प्रति शेयर की छूट मिलेगी. किसी भी अप्रयुक्त राशि को निवेशकों के बैंक खातों में वापस कर दिया जाएगा.

क्या मैं अधिक शेयरों के लिए गैर-संस्थागत हिस्से में बोली लगा सकता हूं?

हां, आप गैर-संस्थागत कोटा (एनआईआई) में 2 लाख रुपये से अधिक के शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं लेकिन फिर आप खुदरा कोटा में बोली नहीं लगा सकते. इसी तरह, यदि आप खुदरा कोटा में बोली लगाते हैं, तो आपकी गैर-संस्थागत बोली स्वीकार नहीं की जाएगी. यदि आप दोनों कोटा में बोली लगाते हैं, तो दोनों बोलियां अस्वीकार कर दी जाएंगी.

यह भी याद रखें, गैर-संस्थागत हिस्से के लिए कोई छूट नहीं है. एनआईआई कोटा आमतौर पर हाई-नेट वर्थ इनवेस्टर्स (एचएनआई) के लिए होता है. शुद्ध पेशकश में से 15 प्रतिशत गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित होगा.

मिनिमम इन्वेस्ट लॉट साइज क्या है?

आपको कम से कम 15 शेयरों के लिए और उसके बाद 15 के गुणकों में बोली लगानी होगी.

क्या पात्र पॉलिसीधारक के रूप में विचार करने के लिए कोई कट-ऑफ तिथि है?

फरवरी में दायर डीआरएचपी के मुताबिक, जिन लोगों ने 13 फरवरी (जिस तारीख को डीआरएचपी फाइल किया था) को या उससे पहले अपनी पॉलिसी खरीदी है, वे पॉलिसीधारक कोटे से आवेदन कर सकते हैं. यदि आप नियमित पेंशन प्राप्त करने वाले तत्काल पेंशन पॉलिसीधारक हैं तो आपको भी आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी. यदि आपका मृत पति या पत्नी की मृत्यु के बाद का लाभ बीमा से उठा रहे हैं तो आप इस आरक्षण के लिए पात्र नहीं होंगे. समूह नीतियों के तहत आने वाले लोग इस कोटे के तहत आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे.

पॉलिसीधारकों के लिए अन्य शर्तें क्या हैं?

यदि आपने एलआईसी के रिकॉर्ड में अपना पैन विवरण अपडेट नहीं किया है, तो आपको ‘पात्र’ पॉलिसीधारक नहीं माना जाएगा. पॉलिसी को अपने पैन से जोड़ने की अंतिम तिथि 28 फरवरी थी. आईपीओ में भाग लेने के लिए आपका अपना डीमैट खाता होना अनिवार्य है और एक पॉलिसीधारक के रूप में जो एलआईसी के आईपीओ के लिए आवेदन करना आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है चाहता है, आपको अपने डीमैट खाते में पहला खाताधारक होना चाहिए. यदि यह संयुक्त खाता है, तो आपको पहले या प्राथमिक धारक होना चाहिए.

खुदरा हिस्से के तहत बोली लगाने के लिए कौन पात्र है?

यदि आप एक निवासी भारतीय व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (कर्ता के नाम पर) या एक पात्र एनआरआई हैं तो आप इस मार्ग को अपना सकते हैं. अधिकतम बोली 2 लाख रुपये तक हो सकती है, खुदरा निवेशकों की छूट (45 रुपये प्रति शेयर) को छोड़कर.

IPO में निवेश करने के लिए मैं किन माध्यमों का उपयोग कर सकता हूं?

सभी बोलीदाताओं को अनिवार्य रूप से एएसबीए प्रक्रिया के माध्यम से भाग लेना होगा. एएसबीए बैंक खाते में बोली राशि को ब्लॉक करने के लिए आपको एक एससीएसबी (स्व-प्रमाणित सिंडिकेट बैंक) को अधिकृत करते हुए एक बोली-सह-आवेदन करना होगा. ASBA सुनिश्चित करता है कि शेयर आवंटन के लिए उसकी बोली को अंतिम रूप देने के बाद ही निवेशकों के आवेदन का पैसा बैंक खाते से डेबिट किया जाए.

इसमें UPI मोड भी शामिल है, जहां आपके द्वारा UPI मैंडेट अनुरोध स्वीकार करने के बाद बोली राशि को ब्लॉक कर दिया जाएगा. ऐसे फॉर्म जिनमें आपके डिपॉजिटरी अकाउंट, डीपी आईडी, क्लाइंट आईडी, यूपीआई आईडी और पैन का विवरण नहीं होगा, उन्हें अस्वीकार कर दिया जाएगा. आपको या तो अपने बैंक खाते का विवरण देना होगा (या यदि आप इस तंत्र का उपयोग कर रहे हैं तो अपनी यूपीआई आईडी) और अपने फॉर्म में धन को अवरुद्ध करने के लिए प्राधिकरण प्रदान करना होगा.

आप किसी अन्य व्यक्ति की यूपीआई आईडी या बैंक खाता प्रदान नहीं कर सकते – ऐसी बोलियां अस्वीकार कर दी जाएंगी. भौतिक आवेदन मार्ग लेने वालों को अपना फॉर्म सावधानी से चुनना होगा. एलआईसी के आरएचपी के अनुसार, बोली-सह-आवेदन फॉर्म का रंग हरा (पॉलिसीधारकों के लिए), गुलाबी (कर्मचारियों के लिए) और सफेद (खुदरा निवेशकों के लिए) है.

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